पूर्णिमा का अर्थ क्या है? ( What is the meaning of Purnima? )
पूर्णिमा का अर्थ है पूरे चन्द्रमा की रात्रि। इस दिन चन्द्रमा बढ़ते हुए अपने पूरे स्वरुप को प्राप्त करता है। पूर्णिमा को पूर्णमासी या पूरनमासी के नाम से भी जाना जाता है। चन्द्रमा को मिले श्राप से मुक्ति दिलाने के दौरान भगवान शिव ने उन्हें एक-एक कला क्षीण होने और फिर एक-एक कला बढ़ने का वरदान दिया था। इस तरह जिस दिन पूरे चाँद की रात होती है वह पूर्णिमा कहलाती है। (Purnima 2023)
पूर्णिमा व्रत का क्या महत्व है? ( Purnima Vrat ka kya mahatva hai? )
पूर्णिमा का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत अधिक है, पूर्णिमा के दिन व्रत का पालन करने से जातक का दांपत्य जीवन सुखी रहता है, दीर्घायु की प्राप्ति होती है, सभी प्रकार की बिमारियों विशेषकर चंद्रमा से प्रभावित होने और जल तत्व से संबंध रोगों से मुक्ति मिलती है। यही वजह है कि पूर्णिमा के दिन कोई न कोई त्यौहार पड़ता ही है ताकि इस दिन जातक धार्मिक कार्यों में लिप्त रहे और पूर्णिमा का शुभ फल प्राप्त कर सके। {1}
हर माह में आने वाली पूर्णिमा को कोई न कोई त्यौहार मनाया ही जाता है। जनवरी 2023 यानी पौष माह में आने वाली purnima का विशेष महत्व इसलिए बताया गया है क्योंकि इसी माह में मकर संक्रांति के दिन से उत्तरायण की शुरुआत होती है। बताते चलें कि पौष माह में आने वाली purnima के दिन शाकंभरी जयंती मनाई जाती है।
पूर्णिमा में कौन कौन से त्योहार होते हैं? ( List of Purnima Festival )
1. चैत्र पूर्णिमा
हनुमान जयंती और प्रेम पूर्णिमा पति व्रत
2. वैशाख पूर्णिमा
बुद्ध जयंती
3. ज्येष्ठ पूर्णिमा
वट सावित्री व्रत
4. आषाढ़ मास पूर्णिमा
गुरू-पूर्णिमा और कबीर जयंती
5. श्रावण पूर्णिमा
रक्षाबन्धन का पर्व
6. भाद्रपद पूर्णिमा
उमा माहेश्वर व्रत
7. अश्विन पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा
8. कार्तिक पूर्णिमा
पुष्कर मेला और गुरुनानक जयंती पर्व
9. मार्गशीर्ष पूर्णिमा
श्री दत्तात्रेय जयंती
10. पौष पूर्णिमा
शाकंभरी जयंती
11. माघ पूर्णिमा
संत रविदास जयंती, श्री ललित और श्री भैरव जयंती
12. फाल्गुन पूर्णिमा
होली का पर्व
हनुमान जयंती और प्रेम पूर्णिमा पति व्रत
2. वैशाख पूर्णिमा
बुद्ध जयंती
3. ज्येष्ठ पूर्णिमा
वट सावित्री व्रत
4. आषाढ़ मास पूर्णिमा
गुरू-पूर्णिमा और कबीर जयंती
5. श्रावण पूर्णिमा
रक्षाबन्धन का पर्व
6. भाद्रपद पूर्णिमा
उमा माहेश्वर व्रत
7. अश्विन पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा
8. कार्तिक पूर्णिमा
पुष्कर मेला और गुरुनानक जयंती पर्व
9. मार्गशीर्ष पूर्णिमा
श्री दत्तात्रेय जयंती
10. पौष पूर्णिमा
शाकंभरी जयंती
11. माघ पूर्णिमा
संत रविदास जयंती, श्री ललित और श्री भैरव जयंती
12. फाल्गुन पूर्णिमा
होली का पर्व
पूर्णिमा का रहस्य क्या है? ( Purnima ka rahasya kya hai? )
पूर्णिमा का रहस्य जानने के लिए यह जाना लेना जरूरी है कि चन्द्रमा का धरती के जल से संबंध होता है। जिस दिन purnima आती है उस दिन समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होने लगता है। ज्वार-भाटा क्रियाशील होते ही चंद्रमा जल को अपनी ओर खींचा प्रारंभ कर देता है। इस तरह पूर्णिमा के दिन जल में मौजूद गुण और गति में परिवर्तन होता है।
जिन जातकों की राशि से चंद्रमा का प्रत्यक्ष संबंध है उनके स्वभाव में भी परिवर्तन होने लगता है और ये तो वे अधिक उत्तेजित हो जाते हैं या फिर अत्यधिक भावुक। इस प्रकार पूर्णिमा का सबसे बड़ा रहस्य यही है कि यह जल, चन्द्रमा और व्यक्ति तीनों पर अपना प्रभाव डालती है।
जिन जातकों की राशि से चंद्रमा का प्रत्यक्ष संबंध है उनके स्वभाव में भी परिवर्तन होने लगता है और ये तो वे अधिक उत्तेजित हो जाते हैं या फिर अत्यधिक भावुक। इस प्रकार पूर्णिमा का सबसे बड़ा रहस्य यही है कि यह जल, चन्द्रमा और व्यक्ति तीनों पर अपना प्रभाव डालती है।
पूर्णिमा कितने दिनों में होती है? ( Purnima kitne dino me hoti hai? )
वर्ष में कुल 12 पूर्णिमा होती हैं इस प्रकार हर माह आने वाली पूर्णिमा के समय में 30 दिन का अंतराल होता है। शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को purnima कहा जाता है।
पूर्णिमा के दिन क्या नहीं करना चाहिए? ( Purnima ke din kya nahi karna chahiye? )
1. पूर्णिमा के दिन तामसिक खान-पान से परहेज रखना चाहिए।
2. इस दिन मदिरा का सेवन करना भी निषेध माना गया है।
3. ज्योतिष शास्त्रों में तो यहाँ तक उल्लेख है कि चौदस, पूर्णिमा व प्रतिपदा तीनों दिन पवित्र रहें।
4. क्रोध करने से भी बचें क्योंकि इस दौरान शरीर के अंदर न्यूरॉन सेल्स अधिक सक्रिय रहते हैं।
5. इस दिन जल का प्रयोग करते समय उसकी मात्रा और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
2. इस दिन मदिरा का सेवन करना भी निषेध माना गया है।
3. ज्योतिष शास्त्रों में तो यहाँ तक उल्लेख है कि चौदस, पूर्णिमा व प्रतिपदा तीनों दिन पवित्र रहें।
4. क्रोध करने से भी बचें क्योंकि इस दौरान शरीर के अंदर न्यूरॉन सेल्स अधिक सक्रिय रहते हैं।
5. इस दिन जल का प्रयोग करते समय उसकी मात्रा और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
पूर्णिमा के दिन क्या करें? ( Purnima ke din kya kare? )
1. पूर्णिमा का दिन लक्ष्मी मां को अत्यधिक प्रिय है इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने और पीपल के पेड़ पर मीठे चढ़ाएं।
2. अपने दाम्पत्य जीवन को सुखी बनाये रखने के लिए पति या पत्नी में से कोई चंद्र देव को दूध का अर्घ्य दें।
3. पूर्णिमा के दिन चंद्र देव के मंत्र “ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमासे नम:” का 108 बार जाप करने से आर्थिक तंगी सुधरती है।
4. इस दिन घर में सुख-समृद्धि बनाए रखने के लिए Original Dakshinavarti Shankh / Sampoorna Vyapar Vridhi Yantra / Kuber Kunji Yantra में से किसी की भी स्थापना करें। ऐसा करने से आपके घर से दरिद्रता का नाश होगा और धन लाभ भी होगा।
2. अपने दाम्पत्य जीवन को सुखी बनाये रखने के लिए पति या पत्नी में से कोई चंद्र देव को दूध का अर्घ्य दें।
3. पूर्णिमा के दिन चंद्र देव के मंत्र “ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमासे नम:” का 108 बार जाप करने से आर्थिक तंगी सुधरती है।
4. इस दिन घर में सुख-समृद्धि बनाए रखने के लिए Original Dakshinavarti Shankh / Sampoorna Vyapar Vridhi Yantra / Kuber Kunji Yantra में से किसी की भी स्थापना करें। ऐसा करने से आपके घर से दरिद्रता का नाश होगा और धन लाभ भी होगा।
पौष पूर्णिमा तिथि 2023 ( Paush Purnima Date 2023 )
पौष पूर्णिमा व्रत, शुक्रवार, 06 जनवरी 2023 को पड़ रहा है, जिसका मुहूर्त 2 बजकर 14 मिनट से 7 जनवरी 4 बजकर 37 मिनट तक रहेगा.
1 Comment
Mera name Anjali h maine apne bf ko khoya jo bhut pyar karta tha mujhse usne suicide kiya tha abhi uske sadme se nikal ni pa rahi hu mai jabhi bhi sapna dekhti hu to wo mujhe kahi ghumane jane ki bat bolta hai wo bhi direct mujhse na karke kisi aur ke through iska kya matlab hai aur jabhi bhi sapna dekhti hu phir Pani me doobne ka bhi usme view dikhta hai ki mai doob rahi hu