हिन्दू धर्म में पीपल ( Pipal ) के पेड़ को देव वृक्ष की संज्ञा यूँही नहीं दी है, इस वृक्ष में हिन्दू धर्म के समस्त देवी देवताओं का वास होता है। साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह वृक्ष बहुत ख़ास है क्योंकि यह पर्यावरण की रक्षा में भी अपना अहम योगदान देता है। हमारे समाज में पेड़-पौधों की पूजा किये जाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
इसके पीछे कोई धार्मिक महत्व हो या वैज्ञानिक पर सच तो यही है भारतीय संस्कृति पर्यावरण के लिए चलाये जा रहे इन अभियानों से बहुत पहले ही इस बात से अवगत हो चुकी थी कि पर्यावरण के बगैर हमारा जीवन संभव ही नहीं।
एक पेड़ जिसे हम प्रकृति के सरंक्षण के लिए अमूल्य वस्तु मानते हैं केवल एक वस्तु मात्र नहीं बल्कि एक सजीव तत्व है जो हमारी तरह ही सांस लेता है। आज हम इन्हीं पेड़-पौधों में से पीपल के पेड़ के बारे में बात करेंगे और जानेंगे कि आखिर क्यों पीपल को देव वृक्ष का दर्जा दिया गया है और क्यों इसकी पूजा का विशेष महत्व है।
पीपल के फायदे ( Pipal ke fayde )
पीपल जिसे हिन्दू धर्म में देव वृक्ष कहा गया है के अनेकों फायदें हैं। यानी अगर व्यक्ति आध्यात्मिक नहीं है तो ज्योतिष के फायदे और ज्योतिष में विश्वास नहीं करता है तो इसके वैज्ञानिक फायदे भी बहुत हैं जिनका ज़िक्र नीचे किया गया है।
पीपल के आध्यात्मिक फायदे ( Pipal ke adhyatmik fayde ) :
पीपल के पेड़ के बारे में हिन्दू धर्म के लगभग हर ग्रन्थ में वर्णन मिलता है। स्कन्द पुराण ( Skanda Purana ) में इस वृक्ष का वर्णन कुछ इस प्रकार है :
मूले विष्णु:स्थितो नित्यं स्कंधे केशव एव च।
नारायणस्तु शाखासु पत्रेषु भगवान हरि:।।
फलेऽच्युतो न सन्देह: सर्वदेवै: समन्वित:।।
स एवं ष्णिुद्र्रुम एव मूर्तो महात्मभि: सेवितपुण्यमूल:।
यस्याश्रय: पापसहस्त्रहन्ता भवेन्नृणां कामदुघो गुणाढ्य:।।
अर्थात् पीपल की जड़ में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पेड़ के पत्तों में श्री हरि तथा फलों में सब देवताओं से युक्त अच्युत निवास करते हैं। यह वृक्ष साक्षात् विष्णु का स्वरूप है जिसकी सेवा महापुरुष करते हैं। यह कामनादायक पीपल का वृक्ष सभी पापों का नाश करने वाला है।
भागवत गीता में श्री कृष्ण ने कुछ प्रकार उल्लेख किया है कि ‘अश्वत्थ सर्वा वृक्षाणां देवषीणां च नारद।।’ अर्थात् हे अर्जुन, मैं समस्त वृक्षों में पीपल का वृक्ष हूं तथा देव ऋषियों में नारद मुनि हूं।
पदम् पुराण में पीपल के वृक्ष को लेकर कहा गया है कि जो भी व्यक्ति पीपल के वृक्ष की सेवा कर वस्त्रों का दान करता है उसके समस्त पापों का नाश होता है और वह विष्णु भक्त कहलाता है। मान्यता है कि अमावस्या या फिर शनिवार के दिन जो भी व्यक्ति पीपल के वृक्ष को धर्म स्थान या नदी के समीप लगाता है उसकी आने वाली वंश परंपरा कभी समाप्त नहीं होती।
पीपल में पितरों का भी वास होता है इसलिए इसकी पूजा किये जाने से व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है। महात्मा बुद्ध हो या कोई बड़े ऋषि मुनि सभी ने अपनी तपस्या के लिए इसी वृक्ष की छाँव को चुना।
पीपल के ज्योतिष में फायदे :
पीपल के पेड़ का ज्योतिष शास्त्र में भी काफी महत्व है। ऐसा कहा गया है कि जो भी जातक पीपल के वृक्ष की पूजा-अर्चना करता है उसकी कुंडली में मौजूद सभी ग्रह दोष समाप्त हो जाते हैं। ख़ासतौर पर शनि दोष जैसे – शनि की साढ़े साती और शनि की ढैय्या यदि जातक की कुंडली में दुष्प्रभाव डाल रही है तो उसे पीपल के वृक्ष की पूजा करने की सलाह दी जाती है।
पीपल का पेड़ सुख-समृद्धि का भी प्रतीक माना जाता है क्योंकि इसमें माता लक्ष्मी का भी वास होता है। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए जातक अपने घर में माँ Lakshmi Charan Paduka रखें और नियमित रूप से पीपल के वृक्ष की पूजा करें। ऐसा करने से घर में सदैव देवी लक्ष्मी का वास रहेगा।
पीपल में विवाह में आने वाली सभी अड़चनों को भी समाप्त कर देता है तभी तो कई बार पीपल के वृक्ष से विवाह करवाया जाता है ताकि व्यक्ति पर आने वाले सभी संकट टल जाएँ। इसकी पूजा से जिनका विवाह लंबे समय से अटका हो शीघ्र ही संपन्न हो जाता है।
पीपल के वैज्ञानिक फायदे :
पीपल का वृक्ष ( Pipal ka ped ) एक ऐसा वृक्ष है जो चौबीसों घंटे ऑक्सीजन ( Oxygen ) प्रदान करता है। आयुर्वेद में तो पीपल के पेड़ का ख़ास महत्व बताया गया है क्योंकि इस पेड़ के पत्ते से लेकर फल और छाल तक कई प्रकार के रोगों का नाश करती है। इसकी छाल से दमे की दवा बनाई जाती है, और पीपल के पत्ते को यदि चबाकर खाने से या छाल का काढ़ा बनाकर पीने से व्यक्ति को चर्म रोग से छुटकारा मिलता है।
इस तरह हमें जाना कि पीपल अपने आप में एक सम्पूर्ण शास्त्र है जो अपने साथ कई सारी विशेषताओं को लिए हुए है। यह दीर्घायु, आर्थिक समृद्धि और वंश वृद्धि का सूचक है।