कैसे डूब गया पंचवक्त्र मंदिर? | How did the Panchvaktra temple sink?
दोस्तों यह बात तो आप सब जानते ही होंगे कि,इन दिनों पूरा हिमाचल प्रदेश किस कदर बाढ़ की चपेट में है? किस कदर हिमाचल प्रदेश के वो बाढ़ प्रभावित क्षेत्र ,एक एक करके सभी चीज़ों का विनाश करते चले जा रहे हैं? इन दिनों हिमाचल की इन सभी बाढ़ प्रभावित तबाहियों से तो आप सब परिचित होंगे और आपने उस दृश्य को भी देखा होगा,जहाँ एक पूरा का पूरा शिव मंदिर बाढ़ में डूबा नज़र आया। लेकिन इसकी सबसे हैरानी वाली बात यह थी कि,जहाँ एक ओर मंदिर के आसपास की सभी चीज़ें तबाह हो गई। वहीं उस शिव मंदिर का बाल तक बांका नहीं हुआ और नाहीं उस मंदिर को एक खरोच आई। तो आखिर कैसे उस भयानक बाढ़ से बच निकला,हिमाचल प्रदेश का पंचवक्त्र मंदिर? आइये जानते हैं।
कितना पुराना है पंचवक्त्र मंदिर का इतिहास? | How old is the history of Panchvaktra temple?
दोस्तों इन दिनों हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और बाढ़ से जलप्रलय जैसा मंजर है। मंडी जिले का ऐतिहासिक पंचवक्त्र महादेव मंदिर भी इस सैलाब के आगोश में दिखा। ब्यास नदी और सुकेती खड्ड के किनारे बने इस मंदिर की तस्वीरों ने केदारनाथ की याद दिला दी। जिसका मुख्य कारण है यह है कि,यह मंदिर केदारनाथ जैसा दिखता है। दस साल पहले जब मंदाकिनी ने रौद्र रूप धारण किया था, तब केदारनाथ मंदिर और नदी की धारा के बीच एक शिला आ गई थी और मंदिर सुरक्षित बच गया था। अब हिमाचल में सैलाब से मचे हाहाकार के बीच एक बार फिर चमत्कार हुआ है। जहां एक ओर पुल, पहाड़ और बड़े-बड़े मकान धराशाई हो गए। वहीं पंचवक्त्र मंदिर पर कोई असर नहीं पड़ा।मंडी का प्रसिद्ध ऐतिहासिक पंचवक्त्र मंदिर, 300 साल से ज्यादा पुराना है। इसे तत्कालीन राजा सिद्ध सेन ने,साल 1684 से 1727 के बीच बनवाया था। शिव की नगरी मंडी में निर्मित प्राचीन मंदिर एक समृद्धशाली इतिहास का साक्षी रहा है। इस मंदिर में स्थापित पंचमुखी शिव की प्रतिमा के कारण इसे,पंचवक्त्र नाम दिया गया है। जोकि गुमनाम मूर्तिकार की कला का बेजोड़ नमूना है। मंदिर के निर्माण में पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है।
पंचवक्त्र मंदिर में सौ साल बाद आई ऐसी बाढ़। | Such a flood occurred in the Panchvaktra temple after a hundred years.
मंदिर को शिखर वास्तुशिल्प के आधार पर बनाया गया है। मंडी ही नहीं पूरे हिमाचल प्रदेश में इस मंदिर की काफी मान्यता है। बताया जा रहा है कि 100 साल के बाद बाढ़ ने,मंदिर के बगल में स्थित सुकेती खड्ड पर बने विक्टोरिया ब्रिज को भी अपनी चपेट में ले लिया। लोगों ने पहले कभी यहां ब्यास नदी का ऐसा भयंकर रूप नहीं देखा था। इन सबके बीच पंचवक्त्र मंदिर को नुकसान नहीं पहुंचा है। मंदिर चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है,लेकिन बाढ़ का इस पर प्रभाव नहीं पड़ा। मंडी में अभी भी बारिश हो रही है। जो ताजा तस्वीरें सामने आई हैं, उनमें मंदिर का शिखर और उसके बगल का परिसर नजर आ रहा है।मंडी को छोटी काशी कहा जाता है। जैसे काशी गंगा के किनारे बसी है, उसी तरह मंडी भी ब्यास नदी के तट पर स्थित है। रविवार सुबह यहां के पंचवक्त्र मंदिर के अंदर ब्यास नदी का पानी पहुंच गया था। शाम होते-होते मंदिर के आसपास जलप्रलय जैसे हालात हो गए। शाम छह बजे के आसपास मंदिर पूरी तरह जलमग्न हो गया। पानी मंदिर के गुंबद तक पहुंच गया।
किसने बनवाया पंचवक्त्र मंदिर? | Who built Panchvaktra Temple?
पंचवक्त्र मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की एक बड़ी मूर्ति है, जिसके पांच मुख हैं। मान्यता है कि यह पांच मुख शिव के अलग-अलग रूप ईशान, अघोरा, वामदेव, तत्पुरुष और रुद्र को दिखाते हैं। मंदिर का मुख्य द्वार ब्यास नदी की ओर है। इसके साथ ही दोनों तरफ द्वारपाल हैं। मंदिर में नंदी की भी एक भव्य मूर्ति है, जिसका मुख गर्भगृह की दिशा में है। पंचवक्त्र महादेव मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षित स्मारकों में से एक है। तो दोस्तों इतने भयानक प्रलय के बावजूद,मंदिर का इस प्रकार बच जाना किसी चमत्कार से कम नहीं। आपको बता दें,पंचवक्त्र मंदिर इससे पहले भी ऐसे अनेकों बाढ़ों का सामना कर चुका है और हर बार भगवान शिव का यह मंदिर सुरक्षित बच जाता है। यह बात अपने आप में एक रहस्यमई है। जहाँ उस बाढ़ में आधुनिक तकनीकों से बनी नई नई इमारतें ढह जाती हैं,वहीं यह सालों पुराना शिव मंदिर ज्यों का त्यों खड़ा रहता है। पंचवक्त्र मंदिर की स्थापना तिथि अभी भी अज्ञात है। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, मंदिर का जीर्णोद्धार सिद्ध सेन के शासनकाल (1684-1727) में किया गया था। क्योंकि यह बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था। मंदिर का मुख्य बरामदा या मंडप 4 सूक्ष्म नक्काशीदार स्तंभों द्वारा समर्थित है।
भयानक बाढ़ में भी कैसे बच गया पंचवक्त्र मंदिर? | How did the Panchvaktra temple survive even in the terrible flood?
पंचवक्त्र मंदिर का निर्माण उत्तर भारतीय शैली यानी नागर शैली में हुआ है और इसका निर्माण प्राचीन तकनीकों से किया गया है। शायद यही कारण है कि,इतने आपदाओं को झेलने के बाद भी इस मंदिर का वजूद कायम है। इससे हमें यह पता चलता है कि,हमारी प्राचीन तकनीक कितनी समृद्ध थी। जोकि अपने आप में एक गौरव की बात है। तो आखिर आप इस बारे में क्या सोंचते हैं? हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा।
अब आइये जानते हैं पंचवक्त्र मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें।
- पंचवक्त्र मंदिर किस शहर में है?
पंचवक्त्र मंदिर हिमाचल प्रदेश के मंडी में स्थित है।यह मंदिर सुकोती और ब्यास नदी के संगम पर स्थित है।
- पंचवक्त्र मंदिर किसने बनवाया था?
पंचवक्त्र मंदिर को तत्कालीन राजा सिद्ध सेन ने,1684-1727 में बनवाया था।
- पंचवक्त्र मंदिर को क्या पांडवों ने बनवाया था?
पांडवों ने महाभारत युद्ध के बाद,पापों से मुख्ती हेतू अनेकों शिव मंदिर बनवाए। ऐसा कहा जाता है कि,पंचवक्त्र मंदिर को भी पांडवों ने हीं बनवाया था ?
- पंचवक्त्र मंदिर कितना पुराना है?
वैसे तो भारत भूमि पर अनेकों प्राचीन मंदिर मौजूद हैं और मंडी का पंचवक्त्र मंदिर भी उन्हीं में से एक है।
- पंचवक्त्र मंदिर का जन्म कब हुआ था?
चौथी से छठी शताब्दी में गुप्तकाल में मन्दिरों का निर्माण बहुत द्रुत गति से हुआ। ऐसा कहा जाता है कि,पंचवक्त्र मंदिर भी उसी समय बना था।
- पंचवक्त्र मंदिर का निर्माण कैसे हुआ था?
पंचवक्त्र मंदिर के निर्माण में पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है और इसकी शिखर-शैली की संरचना देखने लायक है। मंदिर का हर कोना एक कहानी कहता है, इसकी दीवारें भक्ति और आस्था के कलात्मक कैनवास के रूप में काम करती हैं।
- मंदिरों की नगरी कौन है?
वैसे तो काशी को मंदिरों का नगर कहा जाता है और मंडी को छोटी काशी कहा जाता है।
- पंचवक्त्र मंदिर क्यों बनाया गया था?
पंचवक्त्र मंदिर में कौन सा त्यौहार मनाया जाता है?
महाशिवरात्रि,पंचवक्त्र मंदिर का मुख्य त्योहार है। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहाँ मुख्य रूप से भीड़ देखी जा सकती है।
पंचवक्त्र मंदिर तक कैसे पहुँचें?
पंचवक्त्र मंदिर मंडी शहर में स्थित है जो सड़क मार्ग द्वारा अन्य शहरों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। वर्तमान में निकटतम रेलवे स्टेशन जोगिंदरनगर रेलवे स्टेशन है जो शहर से लगभग 50 किमी दूर है। मंडी का निकटतम हवाई अड्डा कुल्लू हवाई अड्डा है जो मंडी से 74 किलोमीटर दूर है।
पंचवक्त्र मंदिर का इतिहास।
मंडी का प्रसिद्ध ऐतिहासिक पंचवक्त्र मंदिर, 300 साल से ज्यादा पुराना है। इसे तत्कालीन राजा सिद्ध सेन ने,साल 1684 से 1727 के बीच बनवाया था। शिव की नगरी मंडी में निर्मित प्राचीन मंदिर एक समृद्धशाली इतिहास का साक्षी रहा है। इस मंदिर में स्थापित पंचमुखी शिव की प्रतिमा के कारण इसे,पंचवक्त्र नाम दिया गया है। जोकि गुमनाम मूर्तिकार की कला का बेजोड़ नमूना है। मंदिर के निर्माण में पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है।
पंचवक्त्र मंदिर की वास्तुकला।
पंचवक्त्र मंदिर को शिखर वास्तुशिल्प के आधार पर बनाया गया है।पंचवक्त्र मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की एक बड़ी मूर्ति है, जिसके पांच मुख हैं।पंचवक्त्र मंदिर का निर्माण उत्तर भारतीय शैली यानी नागर शैली में हुआ है और इसका निर्माण प्राचीन तकनीकों से किया गया है। शायद यही कारण है कि,इतने आपदाओं को झेलने के बाद भी इस मंदिर का वजूद कायम है।