पंच केदार मंदिर | Panch Kedar Mandir
पंच केदार (Panch Kedar Mandir) में हिन्दू धर्म के पांच प्रसिद्ध शिव मंदिर शामिल है जो उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में अवस्थित है। इन मंदिरों के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडवों द्वारा किया गया था। शास्त्रों में पंच केदार का उल्लेख हमें मिलता है जिसमें केदारनाथ, मदमहेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ और कल्पेश्वर शामिल है। आज हम आपको इन्हीं पंचकेदारों की बात करेंगे और जानेंगे Panch Kedar story in hindi :
पंच केदार कौन-कौन से हैं? (Which are Panch Kedar temples?)
- केदारनाथ मंदिर ( Kedarnath Temple )
- मदमहेश्वर मंदिर ( Madmaheshwar Temple )
- तुंगनाथ मंदिर ( Tungnath Temple )
- रुद्रनाथ मंदिर ( Rudranath Temple )
- कल्पेश्वर मंदिर ( Kalpeshwar Temple )
1. केदारनाथ मंदिर ( Kedarnath Temple )
भारत में भगवान् शिव को समर्पित 12 ज्योतिर्लिंग हैं और इन ज्योतिर्लिंगों में से पांचवा ज्योतिर्लिंग है केदारनाथ (Kedarnath)। भगवान शिव का यह धाम उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में अवस्थित है जबकि ऋषिकेश से इसकी दूरी 227 किलोमीटर की है। केदारनाथ तक पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को 20 किलोमीटर की पैदल यात्रा भी करनी पड़ती है।
केदारनाथ की कहानी ( Kedarnath Story ) :
भगवान् शंकर (Bhagwan Shankar) से जुड़ी कहानी के बारे में कहा जाता है कि असुरों के उपद्रव से अपनी रक्षा के लिए सभी देवताओं ने भगवान शिव से सहायता मांगी थी। सभी देवता गणों की सहायता के लिए भगवान् शंकर ने बैल का रूप धारण किया था। जिस बैल ने अपने खुरों और सींग के द्वारा असुरों का खात्मा किया था उसे कोडराम कहा गया। इसी कोडराम के नाम से इस जगह का नाम केदारनाथ रखा गया।
दूसरी कहानी महाभारत से जुड़ी हुई है जिसके अनुसार जब महाभारत का भीषण युद्ध समाप्त हुआ तो अपने द्वारा किये गए पापों से मुक्ति पाने के लिए पांडव काशी की यात्रा करते हैं। जब भगवान् शिव को यह पता चलता है तो वे एक बैल का भेष लेकर उत्तराखंड में कहीं छिप जाते हैं। पांडव भगवान् शिव को ढूंढते हुए उत्तराखंड तक पहुँच जाते हैं और भीम किसी तरह उन्हें ढूंढ ही निकालता है।
दरअसल भगवान् शिव जमीन के नीचे तो छुपे हुए थे पर उनकी पूँछ और कूबड़ ऊपर दिखाई दे रहा था। भीम ने उस पूँछ को देखा और उसे बाहर निकालने के प्रयास किये। इसके कारण बैल का सिर नेपाल के डोलेशवर महादेव में गिर गया। जबकि कूबड़ वहां एक शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गया। जब भीम पूँछ को खींच रहे थे उसी समय पहाड़ के भी दो हिस्से हो जाते हैं जिसे आज नर और नारायण के नाम से जाना जाता है।
2. मदमहेश्वर मंदिर ( Madmaheshwar Temple )
यह मंदिर चौखम्बा शिखर की तलहटी पर करीब 3289 की ऊंचाई पर अवस्थित है। यहाँ भगवान् शिव (Bhagwan Shiv) की पूजा नाभि के लिंगम के रूप में की जाती है। यह पंचकेदार में दूसरा केदार माना जाता है जिसके बारे में मान्यता यह है कि जो भी यहाँ मदमहेश्वर (Madmaheshwar) के माहात्म्य पढ़ता या सुनता है उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है। साथ ही यहाँ पिंडदान किये जाने से पिता की पहले और बाद की 100 पीढ़ी, सौ पीढ़ी माता के व 100 पीढ़ी श्वसुर के वंशज भवसागर को पार हो जातें है।
3. तुंगनाथ मंदिर ( Tungnath Temple )
तीसरा केदार तुंगनाथ (Tungnath) है जो उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में तुंगनाथ नामक पर्वत पर लगभग 3460 मीटर की ऊँचाई पर मौजूद है। तुंगनाथ की यह चोटी तीन धाराओं का स्त्रोत है इसी से अक्षकामिनी नदी बनती है। इस स्थान पर भगवान् शिव के बैल रूप में ह्रदय और भुजाओं की पूजा-अर्चना की जाती है।
तुंगनाथ क्यों प्रसिद्ध है? (Why is Tungnath famous?)
तुंगनाथ पर्वत करीब 3460 मीटर की ऊँचाई पर अवस्थित है। इसकी सबसे ख़ास बात यह है कि यह पंच केदारों में सबसे ऊंचाई पर स्थित है। यह स्थान अपनी प्राकृतिक सुन्दर के लिए जाना जाता है।
4. रुद्रनाथ मंदिर ( Rudranath Temple )
रुद्रनाथ (Rudranath) मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में मौजूद है। यह समुद्रतल से करीब 2290 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद है। पंचकेदार में शामिल इस पवित्र स्थान पर भगवान् शिव के मुख की पूजा की जाती है। बता दें कि इस स्थान के आस पास कई सारे जल कुंड है जिनमें सूर्य कुंड, तारा कुंडा, चंद्र कुंड और मानकुंड आदि शामिल हैं।
5. कल्पेश्वर मंदिर ( Kalpeshwar Temple )
कल्पेश्वर (Kalpeshwar) नाम से लोकप्रिय इस मंदिर में भगवान् शिव की जटाओं यानी उलझें हुए केशों की पूजा की जाती है। यह मंदिर उर्गम जाती में समुद्रतल से करीब 2134 मीटर की ऊँचाई मौजूद है।
जिस प्रकार चार धाम यात्रा, ज्योतिर्लिंगों का हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व है उसी प्रकार ये पंच केदार (Panch kedar) स्थान भी अपनी विशेषताओं के साथ ख़ास महत्व रखते हैं।
(यदि आप भगवान् शिव का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो Panchmukhi Rudraksha माला को जरूर धारण करें। पंचमुखी रुद्राक्ष में स्वयं महादेव वास करते हैं।)
पंच केदार कौन-कौन से हैं? | Which are Panch Kedar temples? (panch kedar name)
इन मंदिरों के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडवों द्वारा किया गया था। शास्त्रों में पंच केदार (Panch Kedar Mandir) का उल्लेख हमें मिलता है जिसमें केदारनाथ, मदमहेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ और कल्पेश्वर शामिल है।
- केदारनाथ मंदिर ( Kedarnath Temple )
- मदमहेश्वर मंदिर ( Madmaheshwar Temple )
- तुंगनाथ मंदिर ( Tungnath Temple )
- रुद्रनाथ मंदिर ( Rudranath Temple )
- कल्पेश्वर मंदिर ( Kalpeshwar Temple )
पंच केदार का इतिहास हिंदी में | Panch Kedar History in hindi
Panch Kedar History- ऐसा माना जाता है कि इन पांच मंदिरों को महाभारत से जोड़ा जाता है। जब पांडव लंबे समय से एक जगह से दूसरी जगह भगवान शिव की खोज कर रहे थे, तब उन्हें महादेव पांच अलग-अलग हिस्सों में दिखाई दिए थे। पांडवों ने शिव को मनाने और उनकी पूजा करने के लिए इन पांच मंदिरों, पंच केदार (Panch kedar) का निर्माण किया था।
पंच केदार में सबसे कठिन यात्रा कौन सी है? | Which is the toughest trek in Panch Kedar?
तुंगनाथ विश्व का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। रुद्रनाथ की यात्रा पंच केदारों में सबसे कठिन मानी जाती है। कल्पेश्वर एकमात्र ऐसा केदार है जो पूरे वर्ष खुला रहता है।
क्या पंच केदार ट्रेक मुश्किल है? | Is Panch Kedar trek difficult?
5 केदार यात्रा कितनी दूर है? | How far is the 5 Kedar trek?
गढ़वाल क्षेत्र वह स्थान है जहां सबसे अधिक पूजी जाने वाली गंगा नदी और उसकी कई सहायक नदियाँ निकलती हैं जोपंच केदार (Panch kedar) मंदिरों की श्रद्धा को बढ़ाती हैं। पंच केदार के सभी पांच मंदिरों को कवर करने के लिए ट्रेक की कुल लंबाई लगभग 170 किमी (110 मील) (गौरीकुंड तक सड़क यात्रा सहित) है, जिसमें 16 दिनों का प्रयास शामिल है।
पंच केदार के दर्शन किस क्रम में करें? | In which order should I visit Panch Kedar?
अनुक्रम
- केदारनाथ
- तुंगनाथ
- रुद्रनाथ
- मध्यमहेश्वर
- कल्पेश्वर
पंच केदार की यात्रा में कितना समय लगता है? | How long does it take to visit Panch Kedar?
पंच केदार (Panch kedar) हिमालय में एक लंबी यात्रा है; इसका निर्माण महाभारत के नायक पांडवों द्वारा किया गया था। पंच केदार (Panch kedar) की यात्रा न्यूनतम 15 से 16 दिन की होती है।