कुबेर भगवान कौन हैं? ( Kuber Bhagwan kaun hai ?)
कुबेर देवता (Kuber Devta) को धन का स्वामी माना जाता है। यक्षों के स्वामी कुबेर उत्तर दिशा के दिक्पाल और लोकपाल माने जाते हैं। इन्हें भगवान् शिव का परम भक्त और नौ निधियों का देवता भी कहा गया है।
कुबेर की जन्म कथा ( Kuber ki janm katha )
भगवान् कुबेर (Bhagwan Kuber) के जन्म को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है। पौराणिक कथा में इस बात का उल्लेख मिलता है कि अपने पिछले जन्म में कुबेर देवता गुणनिधि नामक एक गरीब ब्राह्मण हुआ करते थे। अपनी बाल्यावस्था के दौरान उन्होंने पिता से धर्म शास्त्रों संबंधी शिक्षा तो ग्रहण कर ली लेकिन जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती गई गुणनिधि गलत संगत का शिकार होने लगे और उन्होंने देखते ही देखते जुए की लत पकड़ ली। उनकी यह गलत संगति और हरकतों से तंग आकर गुणनिधि के पिता ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया।
पिता द्वारा घर से निकाले जाने के कारण गुणनिधि की हालत दिन पर दिन दयनीय होती चली गई। अपना पेट भरने के लिए लोगों के घर जा-जाकर भोजन मांगने पर मजबूर हो गए। फिर एक दिन तो गुणनिधि को एक वक़्त का भोजन भी नसीब न हुआ। वे लगातार भोजन की तलाश में दरबदर भटकते रहे पर एक निवाला तक हाथ न आया।
भूख-प्यास से व्याकुल गुणनिधि भटकते हुए जंगल की ओर प्रस्थान कर गए। जंगल के उसी मार्ग में उन्हें कुछ ब्राह्मण भोग की सामग्री ले जाते दिखाई दिए। यह देख गुणनिधि की भूख बढ़ गई और भूख मिटाने के लिए वह उन ब्राह्मणों के पीछे-पीछे चल दिए। पीछा करते-करते गुणनिधि एक शिवालय तक आ गए। जहां ब्राह्मण भगवान शिव (Lord Shiva) की आराधना में लीन थे।
वह भोग भगवान् शिव को अर्पित कर वे सभी ब्राह्मण आराधना में लीन हो गए। पर गुणनिधि तो शिवालय में किसी तरह भोजन खाने के लालच में थे। जैसे ब्राह्मणों की आराधना समाप्त हुई और सभी ब्राह्मण सो गए तब गुणनिधि चुपके से भगवान शिव की प्रतिमा के समीप पहुंचे और वहां से भोग चुराकर भागने लगे।
भागने के दौरान सोये हुए एक ब्राह्मण ने गुणनिधि को भोग ले जाते हुए देख लिया और वह ब्राह्मण चोर-चोर चिल्लाने लगा। गुणनिधि ब्राह्मणों से तो अपनी जान बचाने में सफल हुए परन्तु नगर के रक्षक का वे निशाना बन गए और उनकी मौत हो गई।
जाने अनजाने में ही सही उन्हें महाशिवरात्रि के दिन ही भूखा रहना पड़ा जिससे उनके महाशिवरात्रि के व्रत का पालन हुआ। इस व्रत के फल के कारण वे अगले जन्म में कलिंग देश के राजा के रूप में पृथ्वी पर आये और भगवान् शिव के परमभक्त कहलाये। उन्होंने अपने इस जन्म में भगवान् शिव की कठोर तपस्या की।
राजा की तपस्या देखकर भोलेनाथ (Bholenath) प्रसन्न हुए और उन्हें यक्षों का स्वामी तथा देवताओं का कोषाध्यक्ष बनने का वरदान प्राप्त हुआ। कहा तो यह भी जाता है कि कुबेर देवता भगवान् शिव के द्वारपाल हैं।
पिता द्वारा घर से निकाले जाने के कारण गुणनिधि की हालत दिन पर दिन दयनीय होती चली गई। अपना पेट भरने के लिए लोगों के घर जा-जाकर भोजन मांगने पर मजबूर हो गए। फिर एक दिन तो गुणनिधि को एक वक़्त का भोजन भी नसीब न हुआ। वे लगातार भोजन की तलाश में दरबदर भटकते रहे पर एक निवाला तक हाथ न आया।
भूख-प्यास से व्याकुल गुणनिधि भटकते हुए जंगल की ओर प्रस्थान कर गए। जंगल के उसी मार्ग में उन्हें कुछ ब्राह्मण भोग की सामग्री ले जाते दिखाई दिए। यह देख गुणनिधि की भूख बढ़ गई और भूख मिटाने के लिए वह उन ब्राह्मणों के पीछे-पीछे चल दिए। पीछा करते-करते गुणनिधि एक शिवालय तक आ गए। जहां ब्राह्मण भगवान शिव (Lord Shiva) की आराधना में लीन थे।
वह भोग भगवान् शिव को अर्पित कर वे सभी ब्राह्मण आराधना में लीन हो गए। पर गुणनिधि तो शिवालय में किसी तरह भोजन खाने के लालच में थे। जैसे ब्राह्मणों की आराधना समाप्त हुई और सभी ब्राह्मण सो गए तब गुणनिधि चुपके से भगवान शिव की प्रतिमा के समीप पहुंचे और वहां से भोग चुराकर भागने लगे।
भागने के दौरान सोये हुए एक ब्राह्मण ने गुणनिधि को भोग ले जाते हुए देख लिया और वह ब्राह्मण चोर-चोर चिल्लाने लगा। गुणनिधि ब्राह्मणों से तो अपनी जान बचाने में सफल हुए परन्तु नगर के रक्षक का वे निशाना बन गए और उनकी मौत हो गई।
जाने अनजाने में ही सही उन्हें महाशिवरात्रि के दिन ही भूखा रहना पड़ा जिससे उनके महाशिवरात्रि के व्रत का पालन हुआ। इस व्रत के फल के कारण वे अगले जन्म में कलिंग देश के राजा के रूप में पृथ्वी पर आये और भगवान् शिव के परमभक्त कहलाये। उन्होंने अपने इस जन्म में भगवान् शिव की कठोर तपस्या की।
राजा की तपस्या देखकर भोलेनाथ (Bholenath) प्रसन्न हुए और उन्हें यक्षों का स्वामी तथा देवताओं का कोषाध्यक्ष बनने का वरदान प्राप्त हुआ। कहा तो यह भी जाता है कि कुबेर देवता भगवान् शिव के द्वारपाल हैं।
कुबेर मंदिर कहाँ स्थित है? ( Kuber Mandir kaha sthit hai? )
भगवान् शिव के परम भक्त कुबेर (Kuber) का मंदिर देवभूमि उत्तराखंड के जागेश्वर महादेव (अल्मोड़ा) से पैदल दूरी पर ही मौजूद है। यह एक पहाड़ी की चोटी पर अवस्थित है। बताते चलें कि यह मंदिर बहुत चमत्कारी है। यहाँ के बारे में मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर से एक सिक्का अपने साथ घर ले जाता है और नियमित तौर से उसकी पूजा अर्चना करता है तो उसे कभी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता। उसके घर में सदैव देवी लक्ष्मी का वास होता है।
कुबेर देवता की पूजा कैसे करें? ( Kuber Devta ki Pooja kaise kare? )
घर में धन-संपत्ति की बढ़ोतरी के लिए और सुख शान्ति के लिए कुबेर देवता की पूजा की जाती है। आइये जानते हैं पूजा की विधि :
1. कुबेर देवता की पूजा के लिए त्रयोदशी का दिन शुभ माना जाता है।
2. इस दिन प्रातःकाल स्नान करें और कुबेर देवता की प्रतिमा को सामने रखें।
3. उसके बाद कुबेर यन्त्र को प्रतिमा के निकट रखकर घी का दीपक जलाएं।
4. पुष्प व भोग अर्पित करने के बाद आसन पर बैठकर नीचे दिए गए कुबेर बीज मंत्र का 11 या 108 बार जाप करें।
कुबेर बीज मंत्र :
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः।।
1. कुबेर देवता की पूजा के लिए त्रयोदशी का दिन शुभ माना जाता है।
2. इस दिन प्रातःकाल स्नान करें और कुबेर देवता की प्रतिमा को सामने रखें।
3. उसके बाद कुबेर यन्त्र को प्रतिमा के निकट रखकर घी का दीपक जलाएं।
4. पुष्प व भोग अर्पित करने के बाद आसन पर बैठकर नीचे दिए गए कुबेर बीज मंत्र का 11 या 108 बार जाप करें।
कुबेर बीज मंत्र :
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः।।
कुबेर मंत्र साधना के चमत्कार ( Kuber mantra sadhna ke chamatkar )
कुबेर मंत्र साधना (Kuber Mantra Sadhna) करने से व्यक्ति को धन-वैभव और सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है यदि नियमित तौर पर कुबेर पूजा की जाए और कुबेर के बीज मंत्र, महालक्ष्मी कुबेर मंत्र का जाप 11 बार किये जाये तो उस घर में दरिद्रता कभी नहीं आती।
कुबेर मंत्र (Kuber Mantra)
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवाणाय, धन धन्याधिपतये। धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।
महालक्ष्मी कुबेर मंत्र (Mahalakshmi Kuber Mantra)
‘ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
कुबेर मंत्र (Kuber Mantra)
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवाणाय, धन धन्याधिपतये। धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।
महालक्ष्मी कुबेर मंत्र (Mahalakshmi Kuber Mantra)
‘ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
कुबेर यंत्र कहाँ रखें? ( Kuber yantra kaha rakhe? )
कुबेर यंत्र (Kuber Yantra) को घर में तिजोरी वाले स्थान या फिर अन्न के स्थान पर रखने से उस जगह पर कभी कमी नहीं रहती है और वह हमेशा फलती-फूलती रहती है। यदि आप Dhan Laxmi Kuber Yantra या Kuber Kunji Yantra खरीदने के इच्छुक है आज ही prabhubhakti.in से Online Order करें।
कुबेर भगवान का मुख किस दिशा में होना चाहिए? ( Kuber Bhagwan ka mukh kis disha me hona chahiye? )
कुबेर भगवान् उत्तर दिशा के स्वामी माने जाते हैं इसलिए कुबेर भगवान का मुख उत्तर दिशा की ओर ही होना चाहिए।
कुबेर जी का वाहन क्या है? ( Kuber ji ka vahan kya hai? )
कुबेर देव का वाहन वराह और नेवला माने जाते हैं।
कुबेर की पत्नी का नाम क्या है? ( Kuber ki patni ka naam kya hai? )
सूर्यदेव और छायादेवी की पुत्री भद्रा का विवाह कुबेर से हुआ था। इस तरह भद्रा कुबेर की पत्नी हैं।