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    Home » Kamakhya Temple Mystery : कितना भयानक है कामाख्या का तंत्र ?
    Temple

    Kamakhya Temple Mystery : कितना भयानक है कामाख्या का तंत्र ?

    VeshaliBy VeshaliNovember 2, 2023Updated:November 2, 2023
    कामाख्या मंदिर
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    माँ कामाख्या मंदिर | Kamakhya Temple Mystery : एक अद्वितीय धार्मिक स्थल

    एक मंदिर जिसे तांत्रिकों का गड़ कहा जाता है , दूर-दूर से एक ही समय में इकट्ठा होते है हज़ारों अघोरी। जहाँ तंत्र मंत्र करके पूरी की जाती है इच्छाए , एक ऐसा मंदिर जहाँ चारों तरह रक्त ही रक्त है। यहाँ चढ़ाई जाती है बलि और यहाँ का वातावरण भी काले जादू की निशानी देता है। (kamakhya Temple Mystery)
    यह मंदिर एक तांत्रिक देवी का हैं और ‘काली माँ‘ और ‘त्रिपुरा सुन्दरी’ के साथ इनका बहुत करीबी समबन्ध है, यहाँ बेहद शक्तिशाली 10 तांत्रिक देवियों का वास है। इस मंदिर से बहुत सारे राज़ जुड़े है, जो बहुत ही कम लोगों को पता है। आज हम अपने इस लेखन के द्वारा इस मंदिर से जुड़े कुछ राज़ पर से पर्दा उठाएंगे।
    हम बात कर रहे है माँ आदिशक्ति के kamakhya temple की जहा आज भी तंत्र विद्याओं के लिए जाना जाता है। यहां माँ आदिशक्ति की योनि की पूजा की जाती है , और इतना ही नहीं, हर साल जून के महीने में तीन दिन के लिए माँ का मासिक धर्म होता।

    kamakhya Temple
    kamakhya Temple Mystery

    उस  समय इसे उस समय इसे उस समय इसे  त्यौहार के रूप में मनाया जाता है,और एक अमवाची मेले का आयोजन किया जाता है , तीन दिन के लिए kamakhya Temple  के दरवाज़े भक्तों के लिए बंद रहते है क्यों की उस समय माँ विश्राम करती है , दरवाज़े बंद करने से पहले मंदिर के अंदर एक बहुत बड़ा सफ़ेद कपडा बिछाया जाता है, और जब तीन दिन के बाद मंदिर के दरवाज़े खुलते है तब ये कपडा गीला और लाल मिलता है जैसे उसमें बहुत रक्त हो ।

    बाद में इस कपडे के टुकड़े–टुकड़े करके भक्तों को बाँट दिया जाता है और ये भक्त उस कपडे को अपने घर के मंदिर में रखते है जिससे माँ कामाख्या की कृपा भक्तों पर बनी रहे। माँ के मासिक धर्म के समय, पास की ब्रह्मपुत्र नदी का पानी लाल पड़ जाता है, आज तक वैज्ञानिक भी इस रहस्य से पर्दा नहीं उठा पाए की आखिर क्यों ये पानी बस साल के इन तीन दिनों के लिए ही लाल होता हैं। माँ के मासिक धर्म के दौरान कई लोग यहां आते है, और वो कोई साधारण लोग नहीं बल्कि बहुत बड़े साधू।

    अघोरी और तांत्रिक होते है। मान्यता है की माँ के मासिक धर्म के दौरान यहाँ अलग ही शक्ति होती है, इस समय तंत्र करने से किसी भी तांत्रिक, साधू को सिद्धियों की प्राप्ति होती है। जो साधू पूरे साल दुनिया से दूर रह कर अकेले साधना करते है वो साधू भी इस मेले में शामिल होते है। इतने सारे अघोरी और तांत्रिक जब साथ आजाते है तब इन तीन दिनों में यहाँ के वातावरण में बहुत शक्तिशाली ऊर्जा उत्पन्न हो जाती है।

    ” कामाख्या मंदिर : शक्तिशाली और रहस्यमयी पूजाओं का स्थल “

    साधू और तांत्रिक सिर्फ अपने ही नहीं बल्कि यहाँ आए हुए भक्त जो किसी काले जादूओ का शिकार हो गए हो, या किसी पर कोई टोटका कर दिया हो, ये साधू अपने जादू और विद्या से ऐसे लोगो को बुरी शक्ति से छुटकारा दिलाने मैं मदद करते है। यहाँ अलग अलग प्रकार की पूजा होती है, जिनमें जानवरों की बलि भी दी जाती है। इसलिए इस मंदिर में आस पास रक्त ही रक्त होता है। बलि देने के लिए मंदिर में एक अलग स्थान बनाया है, जहा पर लोग जानवरों का धड़ काट ते हुए देखना चाहते है। लोग अपने सामने बलि देखना चाहते है , ऐसा माना जाता है जो भी इन जानवरों की बलि चढ़ते हुए देखेगा वो पुरे साल खुश और सुखी रहेगा।

    ये कामाख्या मंदिर वशीकरण के लिए भी मशहूर है। अगर किसी व्यक्ति ने किसी को अपने वश में करना है तब वो लोग भी यहाँ आकर वशीकरण पूजा कराते है, वशीकरण करने से सामने वाले इंसान का दिमाग घूम जाता है, और आप जो भी बोलोगे वो इंसान बस वो ही करेगा । इस मंदिर के पत्थर तक तंत्र से भरे है। कहा जाता है इस मंदिर के लाल रंग के पत्थर से सिन्दूर बनता है, जिसे काम्य सिन्दूर कहते है जिसमें सामने वाले को अपने वश मैं करने की ताकत होती है। इस मंदिर के मुख्य गृह में मूर्ती पूजा नहीं होती बल्कि माँ की योनि के विग्रह को पूजा जाता है , जिससे पानी टपकता रहता है, और वो पानी कहा से आता है वो आज तक कोई नहीं जान पाया। इस पानी को भी भक्त प्रसाद के रूप में लेते है।

    kamakhya Temple
    kamakhya temple main statue

    चलिए अब आपको बताते है इस मंदिर से जुडी पौराणिक कथा, की इस तांत्रिक मंदिर की शुरुआत हुई कहा से।
    कामख्या देवी मंदिर असम के दिसपुर से लगभग 10 किलोमीटर की दूर पर है। मान्यता है की इस मंदिर में माँ आदिशक्ति के योनि का हिस्सा आ कर गिरा था और वह एक योनि के विग्रह में बदल गया। (kamakhya Temple Mystery)

    ” कामाख्या मंदिर | Kamakhya Temple : माँ कामाख्या मंदिर के प्रमुख कथा और महत्व “

    बात उस समय की है जब माँ सती अपने पिता दक्ष की यज्ञ अग्नि में जल कर भस्म हो गयी थि, महादेव माँ सती से बहुत प्रेम करते थे , तब माँ सती के देह त्याग के दुःख और शोक में महादेव उनके भस्म शरीर को लेकर पूरी दुनिया में घूम रहे थे और अपना सांसारिक कर्त्तव्य भूल गए थे। महादेव को उस अवस्था से बहार निकालने के लिए विष्णु जी ने अपने अदृश्य सुदर्शन से माँ सती के शरीर के 52 टुकड़े कर दिए, जो धरती पर गिर कर माँ के 52 शक्तिपीठों में बदल गए।

    माँ के शरीर को भी खो देने के बाद महादेव शोक में ब्रह्मपुत्र नदी के एक टापू पर योग निद्रा में चले गए, इसका फायदा उठाते हुए तारकासुर नामक एक राक्षस ने पूरी दुनिया पर कोहराम मचा दिय था, क्यों की उसे वरदान था की केवल आदिशक्ति और
    महादेव की संतान ही उसका वध कर सकती है। ऐसे में सारे देवी देवताओं ने मिलकर महादेव को योग निद्रा से उठाने और अपने सांसारिक कर्त्तव्य को पूरा करने के लिए एक योजना बनाई।

    अगर महादेव को सीधे उठा देते तो महादेव के क्रोध से सृष्टि तबाह हो सकती थी , इसलिए देवी देवताओं ने कामदेव का सहारा लिया। कामदेव ने अपना एक बाण महादेव की तरफ चलाया जिससे महादेव की योग निद्रा भंग हो गयी और क्रोध में उनकी तीसरी आँख खुल, तीसरी आँख की अग्नि से सामने खड़े कामदेव भस्म हो गए। इस बात का पता चलते ही कामदेव की पत्नी देवी रति, दुःख से रोने लगी और महादेव से बहुत बिनती की, कि उनके पति कामदेव को वपस ज़िंदा कर दे। महादेव ने उनकी बिन्ती सुन ली और कामदेव को जीवित तो कर दिया परन्तु उनकी शरीर पूरा भस्म हो चूका था जो वापस नहीं आ सकता था।

    तब महादेव ने काम देव और उनकी पत्नी रति से नीलांचल पार्वती जा कर माँ आदिशक्ति की योनि की पूजा और तंत्र करने को कहा , जिससे कामदेव की आत्मा को शरीर की प्राप्ति हो जाएगी, क्यों की किसी का भी जन्म योनि के द्वारा ही होता है। कामदेव और रति ने नीलांचल पर्वत जा कर माँ आदिशक्ति की योनि की सच्चे मन्न से पूजा और आराधना की।
    जिसे बाद माँ ने उन्हें पुनः उनका शरीर दे दिया। जिसके बाद से कामदेव ने उस जगह पर मंदिर की स्थापन की और उस मंदिर का नाम ‘कामाख्या देवी ‘ पड़ा। मान्यता है की यह मंदिर बेहद चमत्कारी है और माता के 52 शक्तिपीठों में सबसे ज़्याद शक्तिशाली और तांत्रिक प्रवर्ति का है। महादेव जिस टापू पर योग निद्रा में चले गए थे, आज उस टापू पर भैरव देव का मंदिर है, माना जाता है ये भैरव देव जो की महादेव का अवतार है, वह इन शक्तिपीठों की रक्षा करते है। भरवा के इस मंदिर के दर्शन किये बिना, maa kamakhya  के दर्शन अधूरे है।

    ये मंदिर बेहद शक्तिशाली है और तांत्रिक प्रवर्तियों से भरपूर है। आपको भी जीवन में एक बार तो इस मंदिर के दर्शन ज़रूर करने चाहिए।

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