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    Home » जानिये भारत में कितने ज्योतिर्लिंग पाए जाते हैं और उनसे जुड़े कुछ रोचक तथ्य
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    जानिये भारत में कितने ज्योतिर्लिंग पाए जाते हैं और उनसे जुड़े कुछ रोचक तथ्य

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiJuly 26, 2023Updated:July 26, 2023
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    ज्योतिर्लिंग का अर्थ क्या है? ( What is the meaning of Jyotirlinga? )

    ज्योतिर्लिंग से तात्पर्य एक संस्कृत शब्द से है जिसका अर्थ है रोशनी का प्रतीक कहे जाने वाला लिंग। भारत में मौजूद 12 ज्योतिर्लिंग भगवान शिव की अलौकिक शक्ति से प्रकट हुए है जिस कारण इसे प्रकाशमय ज्योतिर्लिंग की संज्ञा दी जाती है। ये सभी शिवलिंग साक्षात भोलेनाथ का आशीर्वाद है।

    भारत में ज्योतिर्लिंग कितने हैं? ( How many Jyotirlinga in India?

    भारत में कुल 12 ज्योतिर्लिंग मौजूद है जो अलग-अलग राज्यों में स्थापित है और हर ज्योतिर्लिंग के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है।  
    1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
    2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
    3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
    4. ओकांरेश्वर ज्योतिर्लिंग
    5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
    6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
    7. बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
    8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
    9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
    10. नागेश्वल ज्योतिर्लिंग
    11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
    12. घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग

    12 ज्योतिर्लिंग कहाँ कहाँ है? ( 12 Jyoritling kahan-kahan hai? )

    इस धरती पर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग अवस्थित है जिनकी जानकारी नीचे दी गई है :

    1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग,गुजरात: 12 ज्योतिर्लिंगों की सूची में सबसे पहला शिवलिंग सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है जो गुजरात के सौराष्ट्र में अरब सागर के निकट अवस्थित है। शिव पुराण में इस ज्योतिर्लिंग के बारे में यह उल्लेख मिलता है कि एक बार चंद्रमा को प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग का श्राप दिया था। इसी श्राप से मुक्ति पाने के लिए चंद्रमा ने यहीं पर शिव जी कठोर तपस्या की थी। तब जाकर वे क्षय रोग से मुक्त हो पाए थे।  

    2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश: यह ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के निकट श्रीशैल पर्वत पर मौजूद है, जिसे दक्षिण भारत का कैलाश कहा जाता है।  मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाया करते है।  

    3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश: मध्यप्रदेश की नगरी उज्जैन में क्षिप्रा नदी के निकट महाकेलश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित है। महाकाल के आशीर्वाद से युक्त यह ज्योतिर्लिंग एकमात्र ऐसा लिंग है जो दक्षिण दिशा की ओर मुख करके विराजमान है।  

    4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश: यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में नर्मदा नदी के निकट मौजूद है। वही नर्मदा नदी जिन्हें भगवान शिव की पुत्री कहा जाता है और यहीं से निकलने वाले शिवलिंग नर्मदेश्वर शिवलिंग कहलाते है। यहाँ से निर्मित हर एक शिवलिंग स्वयंभू है जिसे प्राण प्रतिष्ठा की भी आवश्यकता नहीं होती। मान्यता है कि यहाँ तीर्थ यात्रा करने वाले सभी भक्त तीर्थों का जल लाकर यहीं ओकांरेश्वर में अर्पित करते हैं।  

    5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड: केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में अलकनंदा और मन्दाकिनी नदी के निकट केदार नाम की छोटी पर स्थापित है। यही से कुछ किलोमीटर की दूरी पर बदरीनाथ धाम है जिसके बारे में ऐसी मान्यता है कि भगवान केदारनाथ के दर्शन के बगैर बद्रीनाथ के दर्शन करना न के बराबर माना जाएगा।

    6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र: यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे शहर में सह्याद्रि नामक पर्वत पर अवस्थित है। भीमाशंकर जैसा कि इसके नाम से प्रतीत होता है भीम की भांति विशाल शिवलिंग। यह शिवलिंग काफी मोटा होने के चलते मोटेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है।

    7. विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तर प्रदेश: बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर जो काशी के नाम से भी विख्यात थी में मौजूद है। पौराणिक कथा के अनुसार यह जगह भगवान शिव की इतनी अधिक भा गई थी कि उन्होंने कैलाश छोड़कर इस स्थान को अपना निवास स्थल बनाया था।  

    8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र: त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक से कुल 30 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में गोदावरी नदी के समीप अवस्थित है।  शिव पुराण में इस बात का वर्णन हमें मिलता है कि ऋषि और गोदावरी के प्रार्थना किये जाने पर भगवान शिव यहाँ ठहर गए और त्रयंबकेशर के नाम से विख्यात हुए।  

    9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड: वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखण्ड राज्य के देवघर में मौजूद है। पौराणिक कथा के अनुसार जब रावण ने अपने तप के बल का फायदा उठाकर भगवान शिव को अपने साथ लंका ले जाने का प्रयास किया तो मार्ग में किसी तरह की अड़चन आ जाने के कारण शर्त के अनुसार भोलेनाथ यहीं पर स्थापित हो गए।  

    10. नागेश्वल ज्योतिर्लिंग, गुजरात: यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र में द्वारका के समीप मौजूद है। भगवान शिव को नागों का देवता भी कहा जाता है इसलिए इसका नाम  नागेश्वल रखा गया है।  

    11. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु: रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग 11 वें स्थान पर है जो तमिलनाडु के रामनाथम नाम से प्रचलित स्थान पर है।  रामायण प्रसंग के अनुसार प्रभु श्री राम ने लंका जाते समय इसी स्थान पर शिवलिंग स्थापित कर पूजा-अर्चना की थी। अतः यह शिवलिंग भगवान राम द्वारा स्थापित किया गया है।   

    12. घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र: घृष्णेश्वर शिवलिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद में अवस्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे आखिरी सूची में आता है।  

    द्वादश ज्योतिर्लिंग की स्थापना कैसे हुई? ( Dwadash Jyotirlinga ki sthapna kaise hui? )

    सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना कैसे हुई (Somnath Jyotirlinga ki sthapna kaise hui?):

    यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित है इसकी स्थापना के पीछे एक प्रचलित कहानी है जिसका संबंध प्रजापति दक्ष और चन्द्रमा से है।  प्रजापति दक्ष की कुल 27 कन्याएं थी और इन सभी कन्याओं का विवाह प्रजापति दक्ष ने चन्द्रमा से करवाया था। प्रजापति दक्ष ने सभी कन्याओं का विवाह चन्द्रमा से करवा तो दिया परन्तु चंद्रमा का झुकाव और सारा प्रेम केवल एक ही कन्या रोहिणी के प्रति था। इसे देखकर दक्ष क्रोधित हुए और चन्द्रमा श्राप दे डाला।  इसी श्राप से मुक्ति पाने के लिए चन्द्रमा ने 10 करोड़ बार महा मृत्युंजय जाप किया। तभी से यह स्थान सोमनाथ के नाम से जाना जाने लगा।  

    मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की स्थापना कैसे हुई?(Mallikarjuna jyotirlinga ki sthapna kaise hui?):

    एक बार भगवान शिव के दोनों ही पुत्र गणेश और कुमार कार्तिकेय विवाह करने के लिए आपस में झगड़ने लगे। उनके इस झगड़े का समाधान करते हुए भगवान शंकर और माता पार्वती ने कहा कि तुम दोनों में से जो भी पृथ्वी का चक्कर लगाकर सबसे पहले लौटेगा उसका विवाह पहले किया जाएगा।

    यह सुन कुमार कार्तिकेय अपने बाहर मयूर पर बैठकर निकल पड़े पृथ्वी का चक्कर लगाने। वहीँ गणेश जी को यह कार्य बहुत कठिन लगा इसलिए उन्होंने अपनी बुद्धि का प्रयोग करते हुए अपने माता-पिता के ही चक्कर लगा लिए। दूसरी तरफ पूरी पृथ्वी की परिक्रमा कर कुमार कार्तिकेय लौटे तो गणेश जी का विवाह रिद्धि-सिद्धि से किया जा चुका था। इस बात से नाराज़ होकर कार्तिकेय क्रौञ्च पर्वत पर चले। कार्तिकेय को मनाने के लिए उनके पीछे भगवान शिव और पार्वती भी पहुंचें। इसी स्थान पर भोलेनाथ मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग बनकर प्रकट हुए थे।

    महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना कैसे हुई? (Mahakaleshwar Jyotirlinga ki sthapna kaise hui?):
    महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कहानी में भगवान शंकर के परमभक्त राजा चन्द्रसेन और गोप बालक का उल्लेख है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग तब स्थापित हुआ जब भगवान शिव गोप बालक की सच्ची श्रद्धा से अत्यधिक प्रसन्न हुए और तभी से इसका पूजन किया जा रहा है।  

    ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना कैसे हुई? (Onkareshwar Jyotirlinga ki sthapna kaise hui?):

    गिरिराज विंध्य की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने उनसे मनोवांछित वर मांगने के लिए कहा था जिसके बाद से ही यहाँ ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई और भगवान शिव यहीं पर निवास करने लगे।   

    केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना कैसे हुई? (Kedarnath Jyotirlinga ki sthapna kaise hui?):

    केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना नर और नारायण की तपस्या के बाद उनके द्वारा मांगे गए वरदान के कारण हुई थी। नर और नारायण ने केदार में ही शिव के निवास करने का वरदान माँगा था। 

    भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की स्थापना कैसे हुई? (Bheemashankar Jyotirlinga ki sthapna kaise hui?):

    भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की स्थापना के पीछे सदक्षिण और राक्षस भीम की कहानी जुड़ी हुई है। सदक्षिण ने जेल में कठोर तपस्या कर भोलेनाथ को प्रसन्न किया था तभी से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग स्थापित है।  

     बाबा विश्वनाथ मंदिर की स्थापना कैसे हुई? (Baba Vishwanatha Jyotirlinga ki sthapna kaise hui?):

    बाबा विश्वनाथ मंदिर में स्वयं भगवान शिव वास करते हैं। यहाँ पर भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ निवास करते ह। दरअसल काशी नगरी उन्हें बहुत पसंद आई थी।  

    त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना कैसे हुई? (Triyambkeshwar Jyotirlinga ki sthapna kaise hui?):

    शिव पुराण में यह वर्णन हमें मिलता है कि ऋषि और गोदावरी के प्रार्थना किये जाने पर भगवान शिव यहाँ ठहर गए और त्रयंबकेशर के नाम से विख्यात हुए।

    वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना कैसे हुई? (Vaidyanath Jyotirlinga ki sthapna kaise hui?):

    जब रावण ने अपने तप के बल का फायदा उठाकर भगवान शिव को अपने साथ लंका ले जाने का प्रयास किया तो मार्ग में किसी तरह की अड़चन आ जाने के कारण शर्त के अनुसार शंकर भगवान यहीं पर स्थापित हो गए।

    नागेश्वल ज्योतिर्लिंग की स्थापना कैसे हुई?(Naageshwal Jyotirlinga ki sthapna kaise hui?):

    भगवान शिव को नागों का देवता भी कहा जाता है इसलिए इसका नाम नागेश्वल रखा गया है। इसकी कहानी सुप्रिय नामकर एक सदाचारी वैश्य की भक्ति से जुड़ी है।  

    रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की स्थापना कैसे हुई? (Rameshwaram Jyotirlinga ki sthapna kaise hui?) :

    प्रभु श्री राम ने लंका जाते समय इसी स्थान पर शिवलिंग स्थापित कर पूजा की थी। अतः यह शिवलिंग भगवान राम द्वारा स्थापित किया गया है।   

    घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना कैसे हुई? (Ghrishneshwar Jyotirlinga ki sthapna kaise hui?):

    इस ज्योतिर्लिंग की कहानी संतानहीन सुधर्मा नामक ब्राह्मण और सुदेहा से जुड़ी हुई है। जिनपर भगवान शिव ने अपनी कृपा बरसाई थी।   

    यदि आप भगवान शिव का Narmadeshwar Shivling Brass Base With Trishul Kalash और Parad Shivling खरदीने के इच्छुक हैं तो इसे prabhubhakti.in से खरीद सकते हैं।

    पहला ज्योतिर्लिंग कौन सा है?

    सबसे पहला ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र में मौजूद सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है।

    गुजरात में कौन सा ज्योतिर्लिंग है?

    गुजरात राज्य में दो ज्योतिर्लिंग स्थापित है जिसमें सबसे पहला शिवलिंग सौराष्ट्र में सोमनाथ नाम से प्रचलित है जबकि दूसरा शिवलिंग गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र में द्वारका के निकट अवस्थित है।

    काशी में कितने शिवलिंग है?

    काशी में बाबा विश्वनाथ का ज्योतिर्लिंग मौजूद है। यह वही स्थान है जहाँ भगवान शिव कैलाश छोड़कर रहने लगे थे।  

    उत्तराखंड में कौन सा तीर्थ स्थान ज्योतिर्लिंग है?

    उत्तराखंड में केदारनाथ तीर्थ स्थान ज्योतिर्लिंग है जिसके बारे में मान्यता है कि बिना केदारनाथ के दर्शन किये बद्रीनाथ का दर्शन अधूरे माने जाएंगे।  

    शिव और शिवलिंग में क्या अंतर है?

    भगवान शिव एक साकार रूप है जबकि शिवलिंग भोलेनाथ का निराकार रूप माना जाता है। यानी सर्गुण और निर्गुण भक्ति से जुड़े दोनों ही तरह के लोग भगवान शिव को पूजते हैं।  

    केदारनाथ कौन सा ज्योतिर्लिंग है?

    केदारनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों की श्रेणी में पांचवें स्थान पर गिना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में अलकनन्दा और मन्दाकिनी नदी के समीप स्थापित है। 
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