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    Home » Kaal Sarp Dosh : A Serious Condition in Your Horoscope You Should Know
    Astrology

    Kaal Sarp Dosh : A Serious Condition in Your Horoscope You Should Know

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiJuly 26, 2023Updated:July 26, 2023
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    What is Kaal Sarp Dosh Yog Yantra?

    Kaal Sarp Dosh means जब कुंडली के सारे ग्रह सूर्य, चन्द्रमा, बुध, शनि, मंगल, शुक्र, गुरु, राहु और केतु के मध्य में होते हैं। यह सभी कार्य में बाधा उत्पन्न करते हैं। [1]

    इस समस्या का निपटारा करने के लिए कालसर्प योग यन्त्र का प्रयोग किया जाता है। यह राहु और केतु की दशा को ठीक करने का कार्य करता है। इसके अनेक फायदे हैं जिसके बारे में आपको बताएंगे :

    Kaal Sarp Dosha Yantra के फायदे

    1. यह राहु और केतु के ग्रह दशा को ठीक करने में अत्यंत लाभकारी है। उल्टे प्रभावों को खत्म करता है।  

    2. यह मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक समस्याओं को समाप्त करता है।  

    3. यह kaal sarp dosh nivaran yantra जीवन में मृत्यु जैसी स्थिति को टालता है।  

    4. आत्मविश्वास जगाने, तरक्की के मार्ग पर चलने और प्रतिनिधित्व कौशल अर्जित करने में सहयक है।  

    काल सर्प दोष कितने होते है?  

    यह कई प्रकार के होते हैं जिनका उल्लेख यहाँ किया गया है :

    अनंत काल सर्प योग

    1. जब लग्न में राहु और केतु सातवें घर में हों तब अनंत कालसर्प योग बनता है।
    2. इसे विपरीत कालसर्प योग भी कहा जाता है। 
    3. यह वैवाहिक जीवन के लिए ठीक नहीं है। जिस कुंडली में यह दोष होता है उनका विवाह देर से होता है।  

    शंखचूड़ कालसर्प योग

    1. जब राहु नौवें घर में हो और केतु का स्थान कुंडली में तीसरा हो तब यह योग बनता है।
    2. इस योग वाले व्यक्ति के जीवन में बहुत उतार चढ़ाव आते हैं।
    3. झूठ बोलने की आदत होती है और वे जल्दी अपना आत्मसंयम खो देते हैं।   

    घातक कालसर्प योग

    1. यह योग तब बनता है जब राहु दसवें स्थान पर और केतु चौथे स्थान पर होता है। 
    2. इस स्थिति में व्यक्ति को कानूनी सजा मिलने की संभावना होती है।
    3. बताते चलें कि इस योग का फायदा भी है।  सिंह और कन्या राशि के जातकों को बड़ी राजनितिक सत्ता मिलने की भी संभावना होती है।   

    कुलिक कालसर्प योग

    1. राहु का दूसरा भाव और केतु का अष्टम भाव यह स्थिति उत्पन्न करता है।
    2. इस संयोग से व्यक्ति के स्वस्थ्य पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है।
    3. कोई दुर्घटना होने की सम्भावना अधिक रहती है। 
    4. आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।  

    वासुकि कालसर्प योग

    1. राहु तीसरे भाव में हो और केतु नवम भाव में तब यह योग बनता है।
    2. इससे व्यक्ति को नौकरी न मिलने और व्यवसाय में घाटे का सामना करना पड़ता है।

    शंकपाल कालसर्प योग

    1. जब शंकपाल चौथे भाव में और केतु दशम भाव में मौजूद हो शंकपाल कालसर्प योग बनता है।
    2. इस दोष से ग्रस्त व्यक्ति को काम में बाधा उतपन्न होती है। 
    3. तनाव और अवसाद का सामना करना पड़ सकता है।  

    पदम कालसर्प योग

    1. पांचवें भाव में राहु और 11वें भाव में विराजमान केतु से पदम कालसर्प योग बनता है।
    2. इस योग की कुंडली वाले जातक सदैव अपनी संतान के संबंध में सदैव चिंतित रहते है। 
    3. यदि चन्द्रमा की दशा भी ख़राब हो तो व्यक्ति को भूत-प्रेत का भी भय रहता है।
    4. यदि इस समय व्यक्ति का स्वास्थ्य बिगड़ता है तो व्यक्ति को ठीक होने में काफी समय लगता है।  

    महापदम कालसर्प योग

    1. यह योग तब बनता है जब राहु अपने छठे भाव में और केतु 12वें भाव में हो।
    2. इस योग की कुंडली वाले जातक के कई शत्रु होते हैं।
    3. साथ ही व्यक्ति को कई बिमारियों का सामना करना पड़ता है।
    4. यह योग लाभकारी स्थिति में व्यक्ति को राजनितिक क्षेत्र में उच्च पदवी दिलाता है।  

    तक्षक कालसर्प योग

    1. जब राहु 7वें भाव में हो और केतु प्रथम भाव में तब यह योग बनता है।
    2. व्यक्ति इस स्थिति में मदिरा, स्त्री और जुए की लत का शिकार होता है।
    3. जातक का वैवाहिक जीवन भी सुखी नहीं रहता है।  

    कर्कोटक कालसर्प योग

    1. आठवें भाव में बैठा राहु और दूसरे भाव में विराजमान केतु के चलते यह योग बनता है। 
    2. इस योग का जातक हमेशा शत्रुओं से घिरा रहता है।
    3. व्यक्ति को पैतृक संपत्ति से जुड़े विवाद का सामना भी करना पड़ता है।   

    विषधर कालसर्प योग

    1. यदि राहु लाभ भाव में और केतु 5वें भाव में हो तब यह योग बनता है।
    2. ऐसा जातक को घर से दूरी का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति को हृदय रोग भी होता है।
    3. संतान से जुड़ी समस्या का भी सामना करना पड़ता है।  

    शेषनाग कालसर्प योग

    1. जब राहु बारहवें भाव में हो और केतु छठे भाव में हो तब यह योग बनता है।
    2. इस योग से ग्रस्त व्यक्ति के शत्रु अधिक होते हैं और स्वास्थ्य से सम्बंधित समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। [2]

    Kaal Sarp Dosh Effects

    आइये आपको बताते  हैं कि काल सर्प दोष कैसे पता करें :

    1. हर कार्य में असफलता हाथ लगना।    

    2. स्वास्थ्य कभी ठीक नहीं रहता।   

    3. आर्थिक रूपों से तंगी या धंधे में बड़ा नुकसान काल सर्प दोष के प्रभाव हैं।

    4. परिवार में विवाद खासकर संपत्ति को लेकर।  

    5. बुरी संगति का शिकार होना जैसे मदिरापान और जुए आदि की लत।  

    कालसर्प दोष का उपाय (Kaal Sarp Dosh Remedies)

    काल सर्प दोष निवारण पूजा के लिए सामग्री :

    काल सर्प दोष निवारण यन्त्र, जाप माला, सुपारी, सिन्दूर, भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की प्रतिमा।

    अन्य सामग्री जैसे दीपक, धूप, चावल के दाने, भस्म, घी, मौली आदि भी आवश्यक हैं।

    1.काल सर्प दोष दूर करने का १ रामबाण उपाय है, काल सर्प योग यन्त्र की स्थापना करना।  

    2. यदि कोई कालसर्प दोष से ग्रसित है तो उसे हर सोमवार शिवलिंग पर पंचामृत अर्पित करना चाहिए।  

    3. महादेव के मंदिर में जाकर उपासना भी करनी चाहिए। 

    4. काल सर्प दोष पूजा में नागराज देवता की और यन्त्र की प्रतिदिन उपासना करनी चाहिए।  साथ ही नीचे दिए गए मंत्र का जप करें।   

    Kaal Sarp Yog Mantra : 

    ॐ क्रौं नमो अस्तु सर्पेभ्यो काल सर्प शान्ति कुरु-कुरु स्वाहा।।

    सर्प मंत्र :

    ॐ नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथ्वी मनु ये अंतरिक्षे ये दिवि तेभ्यः सर्पेभ्यो नमः   

    5. शिव साधना में लीन होकर महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करने से दोष समाप्त होता है।

    ऊँ हौं ऊँ जूं स: भूर्भुव: स्व: त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवद्र्धनम्.

    उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् भूर्भुव: स्वरों जूं स: हौं ऊँ

    6. चांदी के स्वस्तिक को द्वार पर लगाना चाहिए ताकि बुरी आत्माओं से रक्षा हो। यह सभी kaal sarp dosh remedy में से एक है। [3]

    FAQs

    काल सर्प दोष कितने वर्ष तक रहता है?

    काल सर्प दोष व्यक्ति को बहुत कर सकता है। इसकी अवधि कभी 47 वर्ष तक रहती है तो कभी यह दोष आजीवन व्यक्ति के साथ रहता है। इस दोष के प्रभाव से हर कार्य में व्यक्ति को असफलता हाथ लगती है।  

    Good Effects of Kaal Sarp Yog

    काल सर्प दोष के फायदे अनेकों है जो इस प्रकार हैं :
    1. कालसर्प के मुख में शुक्र ग्रह शुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति का वैवाहिक जीवन सुखी रहता है।  

    2. यदि कुंडली में राहु की दशा अच्छी स्थिति में है तो उसे हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी।  

    3. यदि मंगल कालसर्प के मुख में अवस्थित हो तो व्यक्ति निडर और साहसी बनता है।

    4. अगर कालसर्प के मुख में बुध अवस्थित हो तो व्यक्ति उच्च शिक्षा प्राप्त करता है।    

    5. जन्मांक 1, 2, 3, 10 और 12 हो तो राहु अच्छे फल प्रदान करता है।

    6. शनि कालसर्प के मुख में अस्वथित हो तो व्यक्ति को जल्दी कामयाबी मिलती है।

    7. गुरु के शुभ होने की स्थिति में व्यक्ति हर क्षेत्र में सफलता हासिल करता है।      
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