Gangeshwar Mahadev Temple | Ganegshwar Mahadev History
भारत में ऐसे अनेकों मंदिर है जो सालों पुराने है और जिनका संबंध सीधा-सीधा महाभारत या रामायण काल से है। जितने पौराणिक और प्राचीन मंदिर है उतनी ही उन मंदिर को लेकर मान्यताएं भी प्रचलित है। आज के इस आर्टीकल में हम बात करेंगे गंगेश्वर महादेव मंदिर(Gangeshwar Mahadev) की। जोकि हिंदुओं के पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित है, और इस मंदिक को लेकर कई रहस्य है जिन्हें आज तक कोई भी सुलझा नहीं पाया।
गंगेश्वर शिव मंदिर कहां स्थित है?। gangeshwar mahadev temple kha h
गंगेश्वर महादेव मंदिर गुजरात के भावनगर में मौजूद है। यहां कोलियाक तट से तीन किलोमीटर दूर अरबसागर में निष्कलंक महादेव का मंदिर है। इस मंदिर में सागर की लहरे खुद शिवलिंग पर जल अर्पित करती ह। यहां लोग ज्वार के उतरने का इंतजार करते है, और फिर दर्शन के लिए पैदल ही मंदिर के अंदर तक जाते है। कई बार तो ज्वार इतना तेज उठता है कि मंदिर की पताका और खम्भ ही दिखता है।गंगेश्वर महादेव मंदिर(Gangeshwar Mahadev Temple) में शिवजी के पांच स्वयंभू शिवलिंग है। पांचों शिवलिंग के सामने नंदी जी की प्रतिमा विराजमान है।पांचों शिवलिंग एक वर्गाकार चबूतरे पर बने हुए है।
Also Read-ऐसा शिव मंदिर जहां 100 सालों से जल रही अखंड ज्योति
गंगेश्वर महादेव का निर्माण किसने करवाया था?। gangeshwar mahadev temple kisne banwaya tha
इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। कहते है कि महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद पांचों पांडव बड़े दुखी हुए कि उन्हें अपने ही सगे संबंधी की हत्या का पाप लगा है। जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण के कहे अनुसार वर्तमान गुजरात में स्थित कोलियाक तट पार पहुंचे, और वहां पहुंच पांडव भगवान शिव का ध्यान करते हुए तपस्या करने लगे। भगवान शिव पांचों पांडवों की तपस्या से बेहद ही प्रसन्न हुए और पांचों पांडव को अपने लिंग रूप में अलग-2 दर्शन दिए।
वहीं पांचों शिवलिंग (Gangeshwar Mahadev)आज भी है। जिस चबूतरे पर ये शिवलिंग बने है वहीं पर एक छोटा सा पानी का तालाब भी है। जिसे पांडव तालाब के नाम से जाना जाता है। श्रद्धालु पहले उसमें हाथ-पैर धोते है फिर शिवलिंग की पूजा अर्चना करते है।
Original Tulsi Kanthi Mala buy online
इस मंदिर को ‘सीशोर मंदिर’ के नाम से भी जानते है
गंगेश्वर महादेव के मंदिर को सीशोर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि शिवलिंग समुद्र किनारे पर स्थित है समुद्र में ज्वार आने पर ये पांचों शिवलिंग समुद्र( Gangeshwar Mahadev )की लहरे में डूब जाते है। यह दृश्य बेहद ही प्यारा और मनमोहक होता है।देखकर ऐसा लगता है कि मानों समुद्र की लहरें शिवजी को जल अर्पित करने आती हो।