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    Home » Dwarkadhish Temple : हिन्दू धर्म के प्राचीन मंदिरों में शामिल द्वारकाधीश की कहानी (द्वारकाधीश मंदिर)
    Temple

    Dwarkadhish Temple : हिन्दू धर्म के प्राचीन मंदिरों में शामिल द्वारकाधीश की कहानी (द्वारकाधीश मंदिर)

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiDecember 22, 2023Updated:December 22, 2023
    Dwarkadhish Mandir
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    द्वारकाधीश मंदिर | Dwarkadhish Mandir

    द्वारकाधीश मंदिर ( Dwarkadhish Mandir) गुजरात राज्य के सौराष्ट्र में पश्चिमी छोर पर गोमती नदी के निकट मौजूद द्वारका नगरी में अवस्थित प्रसिद्ध मंदिरों में से एक हैं। यह मंदिर भगवान कृष्ण ( Bhagwan Krishna ) को समर्पित है क्योंकि द्वारका उनकी कर्मभूमि मानी जाती है। द्वारकाधीश मंदिर को जगत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

    इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह आज से लगभग 2500 वर्ष प्राचीन है। यह तो भी ज्ञात होगा ही कि द्वारका नगरी को सप्तपुरियों ( Sapta Puri ) और चार धाम ( Char Dham ) में प्रमुख स्थान प्राप्त है। जो विश्व की सबसे प्राचीन नगरी और पवित्र तीर्थ के रूप में प्रख्यात है।
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    Dwarkadhish Temple
    Dwarkadhish Temple

    द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण कब हुआ था? ( What is the history of Dwarkadhish Temple? )

    द्वारकाधीश मंदिर ( Dwarkadhish Mandir ) के निर्माण से जुड़ी मान्यताएं कहती हैं कि इसका निर्माण भगवान श्री कृष्ण के पोते वज्रभ द्वारा कराया गया था। इस मंदिर का बाकी विस्तार 15वीं और 16वीं शताब्दी के मध्य में किया गया था। भारतीय पुरातत्व विभाग का कहना है कि द्वारकाधीश मंदिर आज से लगभग 2200-2500 वर्ष प्राचीन है।

    इस मंदिर के विस्तार किये जाने में धर्मगुरु शंकराचार्य ने भी अपना योगदान दिया था। यहाँ भीतर अन्य मंदिरों में सुभद्रा, वासुदेव, रुक्मणि, बलराम और रेवती के मंदिर भी शामिल हैं।    

    द्वारकाधीश मंदिर की वास्तुकला ( Architecture of Dwarkadhish Temple )

    द्वारकाधीश मंदिर ( Dwarkadhish Mandir ) का निमार्ण चूना पत्थर से किया गया है जिसे चालुक्य शैली की अद्भुत वास्तुकला में गिना जाता है। पांच मंजिला इस मंदिर में 72 स्तंभ हैं। साथ ही बता दें कि इस मंदिर का शिखर 78.3 मीटर ऊँचा है।  मंदिर के ऊपर जो ध्वज है वह सूर्य और चन्द्रमा का प्रतीक माना जाता है। जिसका तात्पर्य है कि जब तक इस संसार में सूर्य और चन्द्रमा रहेंगे तब तक भगवान श्री कृष्ण का अस्तित्व रहेगा।  

    मंदिर के दो प्रवेश द्वार हैं जिनमें से एक द्वार को जो उत्तर दिशा में है मुख्य प्रवेश द्वार है जिसे मोक्ष द्वार भी कहा जाता है। जबकि दक्षिण दिशा में मौजूद द्वार को स्वर्ग द्वार कहा जाता है।   
    The Prime Minister, Shri Narendra Modi at Dwarkadhish Temple
    The Prime Minister, Shri Narendra Modi at Dwarkadhish Temple

    द्वारकाधीश मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा ( Mythological Story Behind Dwarkadhish Temple )

    हिन्दू पौराणिक कथा कहती है कि द्वारका का निर्माण स्वयं भगवान कृष्ण द्वारा भूमि के एक टुकड़े पर किया गया था। वह टुकड़ा श्री कृष्ण को समुद्र से प्राप्त हुआ था। एक बार की बात है ऋषि दुर्वासा श्री कृष्ण और रुक्मणि से मिलने के लिए द्वारका में पधारे।  ऋषि दुर्वासा की यह प्रबल इच्छा थी कि वे दोनों उन्हें अपने महल में लेकर जाएँ।

    ऋषि दुर्वासा ने श्री कृष्ण और रुक्मणि से अपनी इच्छा व्यक्त की तो दोनों सहमत हो गए और महल में ले जाने लगे। कुछ दूर चलते ही रुक्मणि थक गई और श्री कृष्ण से पानी मांगने लगी। इसके लिए श्री कृष्ण ने एक पुराना छेद खोदा जो गंगा नदी में लाया गया था। इसपर ऋषि दुर्वासा उग्र हो उठे और उन्होंने रुक्मणि को इसी जगह रहने का श्राप दे डाला। आज जिस स्थान पर वे खड़ीं थी उसी स्थान पर द्वारकाधीश मंदिर मौजूद है।

    ( भगवान श्री कृष्ण की किसी भी पूजा विधि में तुलसी का होना अनिवार्य माना जाता है। तुलसी के बिना उनकी पूजा को अधूरा या फिर न के बराबर माना जाता है। इसी तरह भगवान श्री कृष्ण की कृपा पाने के लिए Tulsi Mala से जाप करना बहुत जरुरी है। यदि आप Original Tulsi Japa Mala खरदीने के इच्छुक हैं तो इसे आज ही Online Order करें। )  

    द्वारकाधीश की कहानी | Dwarkadhish ki kahani

    द्वारकाधीश मंदिर ( Dwarkadhish Mandir) भगवान श्री हरी विष्णु के आठवे अवतार भगवान श्री कृष्णा को समर्पित है। यह मंदिर भारत के गुजरात के गोमती नदी के तट पर द्वारका में स्थित है। 5 मंजिला इमारत और 72 स्तंभों वाला यह मंदिर, जगत मंदिर या निज मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। द्वारकाधीश मंदिर ( Dwarkadhish Temple) लगभग 2200 साल पुराना बताया जाता है।
    Dwarkadhish Mandir
    Dwarkadhish Mandir

    द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास हिंदी में | Dwarkadhish temple history in hindi

    यह हिंदू मंदिर भगवान श्री विष्णु के आठवे अवतार भगवान श्री कृष्णा को समर्पित है। द्वारकाधीश मंदिर ( Dwarkadhish Temple) भारत के गुजरात के द्वारका में स्थित है। मंदिर 72 स्तंभों द्वारा समर्थित और 5 मंजिला इमारत का मुख्य मंदिर, जगत मंदिर या निज मंदिर के रूप में जाना जाता है, पुरातात्विक निष्कर्ष यह बताते हैं कि यह 2,200 – 2,500 साल पुराना है।

    द्वारकाधीश की मूर्ति कहां से प्राप्त हुई | Dwarkadhish ki murti kha se praapt hui 

    लेकिन रतलाम का द्वारकाधीश मंदिर ( Dwarkadhish Mandir) भी कुछ कम नहीं है। इस मंदिर से जुड़ी कहानी हर किसी को हैरान कर देती है। शहर के बीचों-बीच सुनारों की गली में मौजूद ये द्वारकाधीश मंदिर करीब 300 साल पुराना है। इस मंदिर में जो भगवान द्वारकाधीश की मूर्ति स्थापित है वो बड़ी चमत्कारी मानी जाती है।
    dwarkadhish mandir photo
    dwarkadhish mandir photo

    द्वारकाधीश मंदिर कहां है | Dwarkadhish kahan per hai

    द्वारकाधीश मंदिर ( Dwarkadhish Mandir) भारत के गुजरात के गोमती नदी के तट पर द्वारका में स्थित है। 5 मंजिला इमारत और 72 स्तंभों वाला यह मंदिर, जगत मंदिर या निज मंदिर के रूप में भी जाना जाता है।

    द्वारकाधीश मंदिर दर्शन का समय क्या है? | What is the timing of Dwarkadhish Temple Darshan?

    द्वारकाधीश मंदिर ( Dwarkadhish Mandir) में दर्शन का समय सुबह 6:30 बजे से शुरू होकर दोपहर 1 बजे तक और शाम 5 बजे से रात 9:30 बजे तक रहता है।

    dwarkadhish
    dwarkadhish

    द्वारकाधीश की आंखें क्यों बंद होती हैं? | Why are Dwarkadhish’s eyes closed?

    दरअसल द्वारकाधीश (Dwarkadhish) की प्रतिमा की आँखें अधूरी बनी है। ऐसा माना जाता है की ये प्रतिमा सावित्री बाव नाम के एक कुए में मिली थी। 15 वी शताब्दी में मुस्लिम आक्रमणकारियों के डर से मंदिर के पुजारियों ने इसे कुए में छुपा दिया था।

    द्वारकाधीश मंदिर के बारे में क्या खास है? | What is special about Dwarkadhish Temple?

    द्वारकाधीश मंदिर ( Dwarkadhish Mandir) का शिखर 78 मीटर (256 फीट) की ऊंचाई तक फैला है । शिखर पर फहराया गया एक झंडा, सूर्य और चंद्रमा को दर्शाता है, जो यह संकेत देता है कि कृष्ण तब तक वहां रहेंगे जब तक सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी पर मौजूद रहेंगे। त्रिकोणीय आकार के इस झंडे की लंबाई 50 फीट (15 मीटर) है।

     

    god dwarkadhish
    god dwarkadhish


    द्वारकाधीश में कौन सी नदी है? | Dwarkadhish me konsi nadi hai


    द्वारका (Dwarka) भारत के गुजरात राज्य के देवभूमि द्वारका ज़िले में स्थित एक प्राचीन नगर और नगरपालिका है। द्वारका गोमती नदी और अरब सागर के किनारे ओखामंडल प्रायद्वीप के पश्चिमी तट पर बसा हुआ है।

    द्वारकाधीश मंदिर के पीछे क्या कहानी है? | Dwarkadhish Mandir ke pichee kya kahani hai  

    हिंदू कथा के अनुसार द्वारका का निर्माण कृष्ण द्वारा भूमि के एक टुकड़े पर किया गया था जो समुद्र से प्राप्त हुआ था। मान्यता के अनुसार एक बार ऋषि दुर्वासा कृष्ण और उनकी पत्नी रुक्मिणी से मिलने गए। ऋषि की इच्छा थी कि कृष्ण और रुक्मणि उन्हें अपने महल में ले जाए। कृष्ण और रुक्मणि ऋषि को अपने साथ ले जाने के लिए राज़ी हो गए।
     
     
     
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    1 Comment

    1. VIDESH RANA on February 25, 2024 3:47 pm

      शानदार

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