“अनोखा मंदिर: Devi maa का पसीना बहने वाली मूर्ति की अद्भुत आराधना”
कभी आप सभी ने ऐसा सुन हैं, की ठंडी पहाड़ों वाली जगह पर किसी मूर्ति को पसीना आते हो? जी हाँ सही सुना आप सभी ने, एक मूर्ति को पसीना आता हो; कोई साधारण मूर्ति नहीं बल्कि देवी की एक एसी प्रतिमा जिसे भक्तों की फ़रियाद पूरी करने वाली देवी भी कहा जाता है।{1}
आज की इस पोस्ट मे हम आप सभी को देवी के भक्त की सच्ची आराधना बताने जा रहे हैं; जिसे सुनने के बाद आपका भी Devi maa के इस मंदिर मे जाने का मन करेगा। तो बोलो जय माँ दुर्गा,।
यह कहानी दीपक जी ने हमारे साथ शेयर करी हैं। वह बताते हैं जब सन 2018 मे उन्हे किसी काम से दिल्ली से उत्तराखंड जाना पड़ा। दीपक के परिवार मे उनके साथ उनकी माता और उसकी छोटी बहन ज्योति साथ रहती थी,
पिता जी का देहांत आज से 8 साल पहले दिल का दौरा पड़ने से हो गया था। जिसके बाद से घर की जिम्मेदारी माँ ने लेली थी।
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लेकिन माँ की तबीयत खराब होने के कारण, दोनों भाई बहनों ने माँ को काम करने से मना कर दिया और अब बच्चों की भी घर संभालने की उम्र हो गई थी। जिसमे ज्योति स्कूल मे बच्चों को पढ़ाती और दीपक को एक अच्छी सी कंपनी मे जॉब मिल गई। कई बार तो दीपक को घर से काफी दूर जाना पड़ता था।
हर बार की तरह दीपक को दुबारा दूर जाना था, लेकीन इस बार उसे उत्तराखंड जाना था। दीपक हमेशा काम से खुश होता था लेकिन इस बार उसे थोड़ा अजीब लग रहा था उसका मन न जाने को कह रहा था, लेकिन जिम्मेदारी थी तो जाना पड़ा। वैसे काम सिर्फ 5 दिन का था तो दीपक को ज्यादा दिक्कत नहीं थी।
“दीपक के अद्वितीय चमत्कार: Devi maa का कमाल और उनकी भक्ति की दिव्य कहानी”
दिल्ली से उत्तराखंड की तरफ रवाना होने के बाद, दीपक उतराखंड पहुचा काम काज मे मालूम ही नहीं चला की 4 दिन कब बीत गए। चौथे दिन का काम पूरा करने के बाद होटल मे आराम करने पहुचा। सुबह-सुबह 5 बजे दीपक की आँख एक कॉल से खुल जाती हैं, दीपक फोन की तरफ देखता है तो उसकी छोटी बहन का फोन था, दीपक फोन उठाता हैं; उसकी बहन बहुत जोर-जोर से रो रही थी,
दीपक अपनी बहन से बार बार रोने की वजह पूछता हैं, तो उसकी बहन बताती हैं, की वह अस्पताल मे हैं Devi maa को न जाने क्या हुआ हैं? वो आंखे नहीं खोल रही हैं।डॉक्टर ने कहा हैं इनकी दिमाग की नस्स पर एक गहरा धबाव पड़ा हैं, अगर इन्हे जल्द ही होश नहीं आया तो कोमा मे भी जा सकती हैं।
यह सुनने के बाद दीपक के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसे अपनी आँखों के सामने सब कुछ खत्म होता दिख रहा था, उसे समझ नहीं आ रहा था, आखिर वो करे तो क्या करे अब, वापिस जा सकता नहीं था।
सोचते सोचते सुबह के 7 बज गए थे। तभी दीपक के पास एक फोन आता हैं, जिसमे उसे बताया गया था, की आज की होने वाली मीटिंग सुबह 10 बजे की हैं और कल दुपहर 12 बजे वापिस जाने की बस हैं। अब दीपक कुछ नहीं कर सकता था उसे बस अब किसी भी हाल मे ये मीटिंग मे जाना ही था।
दीपक जल्द ही मीटिंग मे पहुचता और मीटिंग खत्म करके, घर जाने की तैयारी करने लगता हैं, लेकिन जुलाई के महिना था उत्तराखंड के कई हिस्सों मे थोड़ी बारिश होने के कारण कोई बस नहीं मिल रही थी रेल विभाग से जाने का सोचा तो कोई रेल नहीं थी बारिश के मौसम के कारण कई रेल लेट थी।
थक हार कर दीपक वही बैठ गया, और वही बैठे-बैठे रोने लगा कुछ वक्त बाद एक परिवार के साथ वहा घूम रही एक छोटी बच्ची दीपक के पास आती हैं, और दीपक को रोता देख बोलती हैं; “आप रो मत Devi maa है न, उस पहाड़ी पर वो सब ठीक कर देंगी” दीपक ऊपर की तरफ देखता हैं तो वहा एक मंदिर था जिसका नाम श्री भलेई माता का मंदिर था। दीपक इस मंदिर के चमत्कार से बहुत अच्छे से वाकिफ था।
इस मंदिर को 18 वी सदी मे चंबा के राजा प्रताप ने बनवाया था, और यह मंदिर चंबा से लग भग 35 किलोमीटर दूर हैं, मान्यता के अनुसार यह मंदिर फ़रियादों की इच्छा पूर्ण करने के लिए माना जाता हैं। साथ ही कहा जाता हैं अगर कोई भक्त अपनी इच्छा लेके देवी माँ के पास जाता हैं और अगर देवी माँ के चेहरे पर पसीने आ गए, तो भक्त की मुराद अवश्य पूरी होगी।
और उसे देवी माँ शात शात आशीर्वाद भी देती हैं। वैसे इस मंदिर मे देवी माँ की 2 फीट की काली मूर्ति कहा से आई ये किसी को नहीं मालूम, किस्से कहानियों के मुताबिक राजा प्रताप को यह मूर्ति जमीन से प्रकट होते हुए दिखी थी, तब उन्होंने उसी जगह पर मंदिर का निर्माण किया और मूर्ति की उसी जगह स्थापना करदी। तभी से दूर दूर से श्रद्धालु देवी माँ के पास अपनी इच्छा लेकर आते हैं।
जिस प्रकार दीपक मंदिर के चमत्कार से वाकिफ था, उसने इधर एक क्षण भी न गवाया और मंदिर की सीढ़ियों पर माँ दुर्गा का नाम लिया और चड़ गया। इतनी लंबी चड़ाई करने के बाद वो भलेई माता के दरबार पर पहुचा जब उसने माँ से आँखें मिलाई तो उसका वही फुट-फुट कर रोना निकल गया। माँ को अपना दुख सुनाने के बाद वही दीवार पर टेक लिए बैठ गया और माँ के चमत्कार का इंतज़ार करने लगा।
कुछ देर बाद थकावट होने के वजह से दीपक की वही आँख लग गई, फिर एक पंडित जी उसे उठाते हैं, “बच्चे उठ रात के 9 बज गए हैं मंदिर बंद करने का समय हो गया।“ दीपक झटके से अपनी आँख खोलता हैं तो उसे ध्यान आता हैं उसने सपने मे क्या देखा था; दरअसल दीपक को सपना आया की वह अपनी अवस्ता मे मंदिर मे बैठा रो रहा हैं और एक छोटी सी बच्ची उसके पास आती हैं और कहती हैं “रो नहीं मेरे होते हुए माँ को कुछ नहीं होगा” यह सब अपने मे देखने के बाद दीपक माँ की तरफ देखता हैं तो उनके चेहरे पर पसीने आए हुए थे।
दीपक माँ के सामने माथा टेकता हैं और Devi maa को धन्यवाद कहने लगता हैं इतने मे उसके पास उसकी बहन का फोन आता हैं, वो बताती हैं की माँ को अचानक से होश आ गया हैं। दीपक इतना खुश था की उसके आसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। आज उसने माँ का चमत्कार किस्से कहानी से बाहर अखिकत होते हुए देखा।
यह थी Devi maa के एक भक्त की कहानी; आपको यह कहानी कैसी लगी कमेन्ट मे जरूर बताए और जय माँ दुर्गा लिखना न भूले।
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जय माँ दुर्गा शक्ति