Gupt Navratri 2022 : आइये जानें गुप्त नवरात्रि कब है और कैसे करें इस दिन माँ दुर्गा का पूजन?
गुप्त नवरात्रि का क्या महत्व है? ( Gupt Navratri ka mahatva kya hai? )
गोपनीय या गुप्त नवरात्रों के दौरान साधक तंत्र-मंत्र की विद्या सीखने के उद्देश्य से माँ भगवती और महादेव की पूजा-अर्चना करते हैं ताकि वे इन विद्याओं में महारत हासिल कर सकें। गुप्त नवरात्रों को उत्तरी भारत के राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा के आस-पास मनाया जाता है। साथ ही बताते चलें कि इस दौरान कई साधक महादेव और माँ काली समेत तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, माँ छिन्नमस्ता, माँ धूमावती, माता बगलामुखी, माता कमलादेवी, माता त्रिपुर भरैवी आदि की भी पूजा करते हैं।
गुप्त नवरात्रि क्यों कहा जाता है? ( Gupt Navratri kyu kaha jata hai? )
गुप्त नवरात्रि की पूजा कैसे करें? ( Gupt Navratri ki puja kaise karen? )
1. गुप्त नवरात्रों में माँ काली और महादेव की पूजा की जाती है।
2. प्रातःकाल स्नानादि कर कलश की स्थापना करें।
3. कलश में गंगाजल, लौंग, सुपारी, इलाइची, हल्दी, चन्दन, अक्षत, मौली, रोली और पुष्प डालें।
4. आम, पीपल आदि के पत्तों से कलश को सजाएँ।
5. अब चावल या जौ भरी कटोरी को कलश पर रख पानी वाला नारियल लाल कपड़ें में लपेटकर उसपर रखें।
6. इसके बाद उत्तर पूर्व दिशा में चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर महादेव और माँ काली की प्रतिमा को रखें।
7. माँ काली के बाएं तरह उनके पुत्र श्री गणेश की प्रतिमा भी विराजित करें।
8. इसके उपरान्त धरती माता पर 7 प्रकार के अनाज, नदी की रेत और जौं डाले।
9. फिर अखंड ज्योति को जलाएं और पूरे नौ दिन उसके प्रज्जवलित रहने का ध्यान रखें।
10. माँ काली को शृंगार सामान, लाल चुन्नी अर्पित करने से वे प्रसन्न होती हैं।
11. इसके बाद स्वयं आसन पर बैठकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और मंत्र का 108 बार जाप करें।
”ॐ एम ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
12. पूरे नौ दिन श्रद्धा भाव से सुबह-शाम इसी तरह पूजन करें आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी।
( गुप्त नवरात्रि में Shri Durga Kavach या Original Maa Baglamukhi Yantra को माँ दुर्गा की पूजा करने पश्चात धारण करें। कवच में समाहित अलौकिक शक्तियां आपके उद्देश्यों को शीघ्र ही पूर्ण करेंगी और आपकी हर मनोकामना को पूर्ण होगी। साथ ही मां दुर्गा की कृपा से आपके शत्रुओं का विनाश होगा। )
गुप्त नवरात्रि साधना कैसे करें? ( Gupt Navratri Sadhana kaise karen? )
2. इसके बाद देवी दुर्गा की प्रतिमा को चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर रखें और तेल के 9 दीपक जला लें
3. जब तक साधना करें तब तक वे दीपक जलते रहने चाहिए।
4. नीचे दिए गए मन्त्रों का उनके दिनों के हिसाब से 108 बार जाप करें।
गुप्त नवरात्रि मंत्र ( Gupt Navratri Mantra )
प्रथम दिन गुप्त नवरात्रि मंत्र : क्रीं ह्रीं काली ह्रीं क्रीं स्वाहा। ऊँ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा।
द्वितीय दिन गुप्त नवरात्रि माँ तारा मंत्र : ऊँ ह्रीं स्त्रीं हूं फट।
तृतीय दिन गुप्त नवरात्रि माँ त्रिपुरसुंदरी मंत्र : ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीये नम:।
चतुर्थ दिन गुप्त नवरात्रि माँ भुवनेश्वरी मंत्र : ह्रीं भुवनेश्वरीय ह्रीं नम:। ऊं ऐं ह्रीं श्रीं नम:।
पंचम दिन गुप्त नवरात्रि माँ छिन्नमस्ता मत्र : श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैररोचनिए हूं हूं फट स्वाहा।
षष्टम दिन गुप्त नवरात्रि माँ त्रिपुर भैरवी मंत्र : ऊँ ह्रीं भैरवी क्लौं ह्रीं स्वाहा।
सप्तम दिन गुप्त नवरात्रि माँ धूमावती मंत्र : धूं धूं धूमावती दैव्ये स्वाहा।
अष्टम गुप्त नवरात्रि माँ बगलामुखी मंत्र : ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं, पदम् स्तम्भय जिव्हा कीलय, शत्रु बुद्धिं विनाशाय ह्रलीं ऊँ स्वाहा।
नवम दिन गुप्त नवरात्रि माँ मातंगी मंत्र : क्रीं ह्रीं मातंगी ह्रीं क्रीं स्वाहा।
गुप्त नवरात्रि का क्या रहस्य है? ( Gupt Navratri ka kya rahasya hai? )
गुप्त नवरात्रि मनाने के एक रहस्य यह भी है कि जब भगवान विष्णु शयन अवस्था में लीन होते हैं तब देवशक्ति कमजोर होने लगती हैं। ऐसे में ब्रह्माण्ड को सुचारु रूप से चलाने के लिए गुप्त रूप से देवी दुर्गा की उपासना की जाती है ताकि आने वाली विपत्तियों से रक्षा की जा सके।
गुप्त नवरात्रि की कथा ( Gupt Navratri Katha )
ऋषि श्रृंगी स्त्री की बातों को बड़े गौर से सुन सुन रहे थे, जब स्त्री अपने सभी दुःख दर्द बता देती है तो ऋषि श्रृंगी स्त्री के मां दुर्गा के प्रति भक्ति भाव से अत्यंत प्रभावित हो जाते हैं। तब ऋषि स्त्री को इन सभी चिंताओं से मुक्ति पाने के लिए उपाय बताते हैं। वे कहते हैं कि वसंत और शरद ऋतु में आने वाले नवरात्रों से तो लगभग सभी जनमानस भलीभांति परिचित हैं। परंतु इसके अलावा भी वर्ष में दो नवरात्रें आते हैं। उन्होंने आगे कहा कि प्रत्यक्ष रूप से मनाए जाने नवरात्रों में तो मां दुर्गा के नौ रूपों की होती है परंतु गुप्त रूप से आने वाले इन नवरात्रों में मां दुर्गा की दस महाविद्याओं के पूजा किए जाने का विधान है।
ऋषि कहते हैं कि इन नवरात्रों की प्रमुख देवी स्वरूप का नाम सर्वैश्वर्यकारिणी देवी है। यदि इन गुप्त नवरात्रि के दौरान कोई भक्त सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा और मंत्र साधना करता है, तो मां दुर्गा उसके जीवन को सफल कर देती हैं और कामना पूर्ण करती हैं। ऋषि श्रृंगी ने आगे अपनी बात पूरी करते हुए कहते हैं कि लोभी, व्यसनी, मांसाहारी या कोई नास्तिक भी यदि गुप्त नवरात्रों में माता का पूजन करता है, तो उसे जीवन में कुछ और करने की कोई जरूरत ही नहीं रहती है।
स्त्री ने ऋषि श्रृंगी के वचनों का पूर्ण रूप से पालन किया और पूरी श्रद्धा से गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा की। मां दुर्गा उस पर अत्यंत प्रसन्न हुईं और देखते ही देखते स्त्री के जीवन में बदलाव दिखने लगे। स्त्री का पति अब सत्कर्मों में लग गया, सुख शांति बनी रहने लगी और इस प्रकार गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना कर स्त्री का जीवन धन्य हो गया।
गुप्त नवरात्रि में क्या करना चाहिए? ( Gupt Navratri me kya karna chahiye? )
2. माँ काली को प्रसन्न करने के लिए सुबह और शाम दोनों ही समय दुर्गा सप्तशती का पाठ और मंत्र का 108 बार उच्चारण करें।
3. नौकरी की समस्या से निजात पाने के लिए 9 दिनों तक देवी दुर्गा को लौंग और बताशे अर्पित करें।
4. मुकदमें और शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए 9 दिनों तक गुग्गल का धूप जलाएं।
5. अखडं दीप जलाने से व्यक्ति को अपनी हर समस्या से छुटकारा मिलेगा।
गुप्त नवरात्रि में क्या नहीं करना चाहिए? ( Gupt Navratri me kya nahi karna chahiye? )
2. लड़ाई-झगड़ा और अपशब्द कहने से बचें।
3. जीव-जंतु को सताएं नहीं और न ही उन्हें नुकसान पहुंचाएं।
4. तामसिक भोजन, मांस मदिरा घर में न लाएं।
5. काले वस्त्र न पहनें और चमड़े की वस्तु का प्रयोग न करें।
6. बाल, दाढ़ी और नाख़ून काटना वर्जित है।
7. किसी कन्या या स्त्री का अपमान न करें।
8. खुले स्थान पर पूजा-अर्चना न करें।
9. गुप्त नवरात्रों में नींबू काटना भी मना है।
गुप्त नवरात्रों में क्या खाना चाहिए? ( Gupt navratron me kya khana chahiye? )
2022 गुप्त नवरात्रि कब है? ( 2022 Gupt Navratri kab hai? )
गुप्त नवरात्रि पंचांग ( Gupt Navratri 2022 date )
माघ मास, शुक्लपक्ष प्रतिपदा
आरम्भ : 02 फरवरी 2022 ( बुधवार )
समाप्ति : 10 फरवरी 2022 ( गुरुवार )
घटस्थापना मुहूर्त : प्रात: 07:09 से 08:31 तक