कैसे होगी आर्थिक समस्या ख़त्म , बरसने लगेगा पैसा।

आर्थिक संकट हर घर की समस्या बनी रहती है। कभी घर में पैसा आता नहीं है तो कभी घर में आया पैसा टिकता नहीं है। ऐसे में लोग आर्थिक समस्या को खत्म करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं। पर कुछ समस्याएं ग्रह नक्षत्र की खराबी के चलते भी बनी रहती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि किस तरह घरेलू टोटके व आध्यात्म का सहारा लेकर के आप अपने घर की आर्थिक समस्या को दूर कर सकते हैं। 

प्रत्येक गुरुवार को तुलसी के पौधे में दूध अर्पित करें। इससे आर्थिक संपन्नता में वृद्धि होती है।

लक्ष्मी जी पर चढ़ाए गए अक्षत को छोटे से कागज के टुकड़े में बांधकर अपने पर्स में रखें। इससे कभी पैसों की कमी महसूस नहीं होगी। इसके अलावा गुरुवार को ही नहीं बल्कि हर रोज केले के पेड़ में जल चढ़ाएं और घी का दीया जलाएं तो मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।

जब भी खाना खाने बैठें तो ध्यान रहे कि आप उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें। इससे धन के साथ-साथ आयु भी बढ़ती रहती है। इसके अलावा अपनी तिजोरी में 9 लक्ष्मीकारक कौड़ियां और एक तांबे का सिक्का रखने से आपकी तिजोरी में धन हमेशा भरा रहेगा।

महीने के पहले बुधवार को रात में कच्ची हल्दी की गांठ बांधकर भगवान कृष्ष को अर्पित करें और अगले दिन उसे पीले धागे में बांधकर अपनी दाहिनी भुजा में बांध लें। इसके अलावा अगर आप चाहें तो गूलर की जड़ को कपड़े में लपेटकर चांदी के कवच में डालकर गले में पहन सकते हैं। इससे आर्थिक समस्या खत्म हो सकती है। 

एवं काफी लम्बे समय से चलते आ रहे आर्थिक संकट व रुके हुए पैसे को वापस पाने का सबसे आसान व अचूक उपाय है जिसे किसी भी राशि के जातक कर सकते है।
आपको सिर्फ अपने घर में अष्ट सिद्धि गणेश लक्ष्मी यंत्र की स्थापना करनी है। जिसके बाद आपके साथ चल रही आर्थिक समस्या ख़तम हो जाएगी और अटके हुए काम भी बनने लगेंगे। घर परिवार में सुखमय व सकारत्मक माहौल बना रहेगा , और साथ ही घर के किसी सदस्य को कोई रोग लम्बे समय से सता रहा है तो उसका भी नाश हो जायेगा।

कर ले अगर ये एक उपाय तो कभी शनि की साढ़ेसाती नहीं सताएगी , मन मुताबिक होंगे सारे काम

क्या आप भी शनि की वक्र दृष्टि से परेशान है ?
आपके भी बनते काम अटक जाते है , अच्छी चलने वाली चीज़े बिगड़ जाती है। तो आइये आज जानते है की कैसे सभी परेशानियों को कैसे सुलझाया जा सकता है। और कैसे पंचमुखी हनुमान कवच धारण करने और हनुमान जी की पूजा मात्र से शनि की वक्र दृष्टि के प्रभाव से कैसे बचा जा सकता है।

एक दिन राम भक्त हनुमान अपने प्रभु की भक्ति में लीन थे, तभी वहां से शनि देव का गुजरना हुआ. अचानक हनुमान जी को भक्ति में लीन देखकर शनिदेव को अपनी शक्ति पर अहंकार आ गया. शनिदेव ने अपनी दृष्टि हनुमान जी पर डाली और अपनी छाया से ढ़कने की कोशिश की. प्रभु राम की भक्ति में डूबे हनुमान जी को शनिदेव ने चेतावनी भरे स्वर में ललकारते हुए कहा- वानर देख तेरे सामने कौन आया है?

हनुमान जी ने शनिदेव की इस बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और भक्ति में लीन रहे. हनुमान जी के इस आचरण को देखकर शनिदेव का अहंकार अधिक जागृत हो गया और हनुमान जी के ध्यान को भंग करने की कोशिश आरंभ कर दी. लेकिन शनिदेव को कोई सफलता नहीं मिली तो वे क्रोध में आ गए और हनुमान जी से बोले- वानर देख में तेरी सुख शांति को कैसे नष्ट करता हूं. चारों लोक में ऐसा कोई भी नहीं है जो मेरी दृष्टि से बच सके. मनुष्य, देवता यहां तक कि पिशाच भी मेरी छाया से बच नहीं सकते हैं।

शनिदेव को लगा कि शायद अब हनुमान जी डर जाएंगे और उनसे क्षमा याचना करने लगेंगे. लेकिन ऐसी कोई प्रतिक्रिया हनुमान जी की तरफ से नहीं आई. काफी देर बाद हनुमान जी ने अपने नेत्र खोले और बड़े ही सहज भाव से शनिदेव से पूछा महाराज आप कौन हैं? शनिदेव अत्यंत क्रोध में आ गए और हनुमान जी को बताने लगे कि लगता है कि तुम मेरी शक्ति से परिचित नहीं हो, मैं शनि हूं आज से मैं तुम्हारी राशि में प्रवेश करने जा रहा हूंl शनि के कड़वे बोल सुनने के बाद भी हनुमान जी ने विनम्रता का त्याग नहीं किया और कहा महाराज आप व्यर्थ क्रोध कर रहे हैं. मैं अपने प्रभु की भक्ति कर रहा हूं, आप किसी अन्य के पास जाएं. कृपया मेरे ध्यान में बाधा न उत्पन्न करें।

शनिदेव का क्रोध अब काबू से बाहर होने लगा l क्रोध में आकर शनिदेव ने हनुमान जी की बांह पकड़ ली और अपनी तरफ खींचने लगे. हनुमान जी को लगा, जैसे उनकी बांह किसी ने दहकते अंगारों पर रख दी हो l उन्होंने एक झटके से अपनी बांह को छुड़ा लिया. शनिदेव ने फिर विकराल रूप धारण किया और उनकी दूसरी बांह पकड़ने की कोशिश की, तो हनुमान जी को थोड़ा क्रोध आ गया और अपनी पूंछ में शनिदेव को लपेट लिया l शनिदेव इतने पर भी नहीं रूके और हनुमान जी से कहा कि तुम तो क्या, तुम्हारे श्रीराम भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते. हनुमान जी के कानों तक जैसे ही ये बात पहुंची हनुमान जी को भयंकर क्रोध आ गया और पूंछ लपेट कर शनिदेव को पहाड़ों पर वृक्षों पर खूब पटका और रगड़ा. खून से लथपथ शनिदेव ने मदद के लिए सभी देवी देवताओं को पुकारा, लेकिन कोई भी मदद के लिए नहीं आया l
अंत में शनिदेव समझ गए कि ये कोई मामूली वानर नहीं हैं.

शनिदेव ने हाथ जोड़कर हनुमान जी से क्षमा मांगी और कहा कि आपकी छाया से भी दूर रहूंगा. तब हनुमान जी ने शनिदेव से वचन लिया कि तुम मेरी छाया से ही नहीं मेरे भक्तों से भी दूर रहोगे. शनि देव ने हनुमान जी को वचन दिया और पुन: अपने आचरण पर क्षमा मांगी. हनुमान जी ने उन्हें माफ कर दिया l इसी कारण से शनिदेव हनुमान भक्तों को परेशान नहीं करते हैं ल

यदि किसी व्यक्ति पर शनि की वक्र दृष्टि का प्रभाव है , तो वह हनुमान जी पूजा पाठ कर और पंचमुखी हनुमान कवच को धारण कर शनि की वक्र दृष्टि से छुटकारा पा सकता है , जिसके बाद आपके अटके हुए सभी कार्य बनने लगेंगे। मार्ग में आने वाली अड़चनों का नाश होगा , साथ ही कोई व्यक्ति शनि को प्रसन्न करना चाहता है तो वह शनि कवच धारण कर शनि को प्रसन्न भी कर सकता है।

भगवान् दिखते है स्वप्न में क्या है अर्थ ,जानकार आप भी रह जाओगे हैरान

अगर आपके ईश्वर का सपना देखते हैं तो इसका मतलब यह हो सकता है कि ईश्वर आपको भक्ति की राह पर चलने का संकते दे रहे हैं ताकि आप उनके करीब आ सकें । कई बार भौतिक चीजों में खोकर हम ईश्वर के मार्ग से भटक जाते हैं। सपने में ईश्वर का आना मार्ग दिखाने का एक संकेत हो सकता है।

भगवान का आशीर्वाद मिलना- भगवान के सपने देखने के अलग-अलग अर्थ हो सकते हैं. ये इस पर भी निर्भर करता है कि आप भगवान को कहां देखते हैं. अगर आप भगवान को अपने घर में देखते हैं, तो इसका मतलब है कि आपके पूरे घर को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त है। अगर आप अपने ऑफिस या स्कूल में भगवान को देखते हैं, तो इसका मतलब है कि आपको अपने जीवन में कड़ी मेहनत करने की जरूरत है।

अपने दिल की आवाज सुनें- अगर आप सपना देखते हैं कि भगवान आपको कोई सलाह दे रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आपको अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने की जरूरत है।

सही कर्म करने का संकेत- सपने में भगवान का आना हमेशा सकारात्मक संकेत नहीं होता है। अगर आप सपने में भगवान को गुस्सा होता देखते हैं तो इसका मतलब है कि आपको जिंदगी में ऐसे काम नहीं करने चाहिए जो उन्हें नाराज कर दे।

इन सभी प्रकार के स्वप्न व्यक्ति को सोचने पर विवश कर देते है , और इनका जीवन पर सकारत्मक व नकारत्मक दोनों ही प्रभाव पड़ता है। यदि आप भी चाहते है , की आपका जीवन सुख से परिपूर्ण रहे और प्रभु की कृपा आप पर सदैव बना रहे तो आप उन्हें प्रसन्न कर ये काम कर सकते है।

विद्यार्थी अत्यधिक परिश्रम के बाद भी उचित फल प्राप्त नहीं कर पाते है तो वह माँ सरस्वती कवच धारण कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है , और जीवन में आने वाली समस्याओ से छुटकारा पा सकते है।

यदि किसी व्यक्ति को व्यापर नौकरी या कारोबार सम्बन्धी समस्या है तो वह अष्ट सिद्धि गणेश लक्ष्मी यंत्र की स्थापना कर अपने संकट दूर कर सकता है।

जीवन में समस्या तो आती ही रहती है परन्तु उनका सामना कैसे करना है यह हमारे ही हाथ में रहता है , और समस्याओ का विनाश करने के लिए अध्यात्म एक अचूक उपाय है।

सूर्य देव को सुबह नहीं बल्कि इस समय करे जल अर्पित, जैसी भी है इच्छा तुरंत होगी पूरी

दोस्तों आज हम आपको वह ख़ास समय के बारे में बताने वाले जो शास्त्रों में सूर्य देव को जल देने का सबसे उत्तम समय बताया गया . मान्यता है की इस समय सूर्य देव को जल दिया जाए तो सूर्य भगवान बहुत जल्दी आपकी मनोकामना सुन लेते है और आपकी हर मनोकामना पूरी होती है. परन्तु इससे पहले हम आपको सूर्य देव को जल देने के फायदे और क्या सही तरीका है सूर्य देव को जल देने का उसके बारे में बताएंगे. क्योकि कई बार होता यह है की हम बगैर जानकारी के सूर्य देव को जल तो अर्पित कर रहे होते है परन्तु उसमे कई सारी गलतिया होने के कारण उसका पूर्ण फल हमे नहीं मिलता है. फिर हम यही सोचते रहते है की हमने तो सूर्य देव को जल भी दिया और बताया उपाय भी किया परन्तु फिर भी हमें फल क्यों नहीं मिल रहा. तो इसलिए दोस्तों आज की इस वीडियो को आप ध्यान से सुने.

सबसे पहले तो आपको बता दू की सूर्य देव को यदि आप नियमित जल देते है तो जो सबसे बड़ा लाभ आपको मिलता है वह है आपकी कुंडली में सूर्य देव का मजबूत होना. दोस्तों जिस व्यक्ति के कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होता है उस व्यक्ति को सूर्य के समान चमक प्राप्त होती है. यानी सूर्य का सा तेज उसे प्राप्त होता है. जो भी कोई ऐसे व्यक्ति से मिलता है तो अपने आप ही लोगो के मन में मान समान और इज्जत की भावना इस व्यक्ति के लिए उठती है. ऐसे व्यक्ति पर सकरात्मक ऊर्जा का संचार हो जाता है जिस कारण से वह जो भी कार्य करता है उसमे उसे सफलता जरूर हासिल होती है. ऐसे व्यक्ति का आत्मविशवास कई गुना हो जाता है जिसके कारण ही नौकरी या किसी भी प्रकार की स्थिति में भी वह अपने बातो से लोगो को इतना मन्त्र मुग्ध कर देता है की लोग उसकी तारीफ किया बिना नहीं रह पाते है. सूर्य देव को जल देने की महिमा का गुणगान और इसका लाभ तो पुराणों में भी बताया गया है. दानवीर कर्ण के बारे में तो आप जानते ही होंगे , कर्ण सदैव सूर्य देव को जल अर्घ दिया करते थे जिस कारण ही दुर्योधन जैसे महापापी के साथ देने के बावजूद आज भी कर्ण का नाम सद्भावना और आदर के साथ लिया जाता है .

सूर्य देव की पूजा के कारण ही अर्जुन जैसे महाधनुधारी को परास्त करने की क्षमता दानवीर कर्ण में थी. इतना ही नहीं दोस्तों स्वयं भगवान श्री राम भी सूर्य देव को नियमित अर्घ दिया करते थे. अतः जो भी सूर्य देव को नियमित अर्घ देता है ऐसा व्यक्ति हर जगह मान समान और सफलता प्राप्त करता है. ऐसे व्यक्ति के घर में कभी भी पैसो की कमी नहीं होती है. परन्तु सूर्य देव को जल देने से पहले आपको जल अर्घ देने से जुड़ा यह नियम जरूर जानना चाहिए. यदि आप इन नियमो के अनुसार सूर्य देव को जल देते है तो आपकी पूजा जरूर सफल होगी तथा उसका पूरा फल आपको प्राप्त होगा.
दोस्तों सूर्य देव को आत्मा का कारक माना गया है. इसलिए सूर्य देव को अर्घ देने से हमारी आत्मा की भी शुद्धि होती है. इससे हमार आत्मबल कई गुना बढ़ जाता है और हमारे घर में भी बिमारी नहीं रहती है. परिवार का हर सदस्य निरोगी और दीर्घायु होता है. तो सबसे पहले बात करते है की आखिर कब आपको सूर्य देव को जल देना है.

शास्त्रों में ब्रह्म मुहूर्त पर सूर्य देव को जल देना सबसे उत्तम मन गया है. जो की 4 बजे से 7 बजे तक का होता है. यह वह समय होता है जब वतावरण में चारो तरफ शांति होती है और दिव्य उर्जाये आस पास के वातावरण में फैली होती है. जो की पूजा पाठ के लिए सबसे उत्तम समय बताया गया है. इस समय पूजा पाठ करने से आपकी प्राथना सीधे सीधे भगवान तक पहुँचती है. इसलिए इस ब्रह्म मुहूर्त में जिस समय सूर्य उदय हो उस समय आपको सूर्य देव को अर्घ देना है. सूर्य देव को आप जब जल अर्पित करे उस समय ध्यान रखे की अपने आप नंगे पैर ही सूर्य देव को जल दे. कभी कभी लोग सूर्य देव को जल देते समय चप्पल इत्यादि पहन लेते है परन्तु शाश्त्रो में चप्पल इत्यादि पहन कर सूर्य देव को अर्घ देना अशुभ माना गया है.
सूर्य देव को अर्घ देने के लिए सबसे उत्तम पात्र ताम्बे का लोटा माना गया है. इससे सूर्य देव को जल देने से सूर्य देव अति शीघ्र प्रसन्न होते है. अगर आपके पास ताम्बे का लोटा ना हो तो आप बाजार से खरीद ले.

सूर्य को अर्पित करने वाले जल में आप को इन चीज़ो को अवश्य सम्मलित करना चाहिए यह पूजा का प्रभाव और अधिक बढ़ा देता है. दोस्तों वे चीज़ है अक्षत यानी की चावल जो कही से भी टूटी फूटी यानि अखंडित ना हो. थोड़ी सी रोली, कुछ फूल और गंगा जल की कुछ बुँदे. यदि हो सके यमुना नदी का थोड़ा जल सूर्य को जल देने वाले लोटे में मिला ले. ऐसा इसलिए क्योकि यमुना भगवान सूर्य देव की पुत्री तथा यमराज की बहन है. इसलिए सूर्य को जल देने वाले लोटे में यमुना नदी का जल डालने से आपकी उम्र बढ़ती है तथा आप हमेसा अकाल मृत्यु से बचे रहते है.
सूर्य देव को जल देते समय ध्यान रखे की आपका हाथ सदैव आपके सर के ऊपर होना चाहिए. सूर्य देव को जल देते समय जो जल की धारा गिरती है तो ध्यान रखे की वह आपके पैरो पर ना पढ़े ऐसे आपको सूर्य देव को जल देना है. दोस्तों यही कारण होता है की महात्मा लोग सूर्य देव को जल देने लिए सबसे अच्छी जगह नदी मानते है. यानी की नदी, घाट आदि जगह में जाकर ही सूर्य देव को जल देते है. जिससे की वह धारा उनके पैरो पर नहीं गिरती है.

जल देते समय आपको इन तीन मंत्रो का उच्चारण जरूर करना चाहिए. ऊं घृ‍णिं सूर्याय नमः, ॐ आदित्याय नमः, ॐ भास्कराय नमः.
सूर्य देव को जल देने के बाद आपको एंटी क्लॉक वाइज यानी की जिस जगह पर आप खड़े हो वही पर खड़े होकर आपको घडी की उलटी दिशा में घूमना है. 3 बार आपको यह परिक्रमा करनी है.

दोस्तों हो सके तो सूर्य देव को अर्घ आप सूर्य कवच पहन कर दे तो आपको तरुंत लाभ दिखने को मिलता है. दरअसल दोस्तों सूर्य कवच अष्ट धातु से निर्मित होता है जब हम इसे धारण करते है तो यह सूर्य से निकलने वाली पॉजिटिव एनर्जी को अपने अंदर समाहित कर पूरी ऊर्जा को आपके शरीर में प्रवाहित करता है. जिससे आप में एक अद्भुत चमक आ जाती है और आपका कॉन्फिडेंस लेवल कई गुना बढ़ जाता है. आपके कुंडली में इसे पहनने से सूर्य का प्रभाव मजबूत होता है और आपको आपके हर कार्यो में सफलता प्राप्ति होती. समाज में हर कोई आपकी इज्जत करता है तथा आपके नाम की ख्याति हर जगह फैलती है. दोस्तों सूर्य कवच यदि आप अपने घर मगाना चाहते है तो आप इस नंबर पर कॉल करे. 7827808547
दोस्तों मन्त्र बोलने तथा परिक्रमा करने के बाद आप सूर्य देव को हाथ जोड़ अपनी मनोकामना बोल दे. ऐसा यदि नियमित करते है अगर किसी कारण से नियमित नहीं हो पाता तो रविवार के दिन तो इसे आप अवश्य करे. क्योकि रविवार का दिन सूर्य देव को ही समर्पित है यानी रविवार का दिन भगवान सूर्य देव का माना जाता है.

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