हिंगलाज मंदिर कहाँ पर स्थित है? – हिंगलाज माता मंदिर कहां है ( Where is Hinglaj Devi Temple? )
Hinglaj Mata Mandir Pakistan – माता हिंगलाज भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त के हिंगलाज नामक क्षेत्र में हिंगोल नदी के निकट अवस्थित है। यह देवी सती के 51 shakti peeth में से सबसे पहला शक्तिपीठ माना जाता है। यह मंदिर पूरे विश्व में बहुत प्रसिद्ध है और पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय के लिए ख़ास महत्व रखता है।
हिंगलाज में कौन सी देवी है? ( Hinglaj me kaun si devi hai? )
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में हिंगुल नदी के निकट अवस्थित प्राचीन Hinglaj Temple देवी को समर्पित है जो देवी सती का अंग माना जाता है। इस तरह से हम कह सकते हैं कि हिंगलाज में देवी सती ही शक्तिपीठ के रूप में वास करती हैं। इस जगह के बारे में ऐसी मान्यता है कि प्रभु श्रीराम (Prabhu shree ram) ने भी अपनी यात्रा के दौरान ब्रह्म हत्या से मुक्ति पाने के लिए इस Hinglaj Devi Mandir शक्तिपीठ में दर्शन किए थे। साथ ही हमारे ग्रंथों में इस बात का भी वर्णन मिलता है कि भगवान परशुराम के पिता जमदग्नि ने भी इसी स्थान पर घोर तपस्या की थी।
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हिंगलाज माता की उत्पत्ति कैसे हुई? ( How was Hinglaj Mata born? )
Hinglaj Devi Maa की उत्पत्ति से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं कहती है कि वे आदि शक्ति का ही एक रूप हैं जिन्हें आज शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है। आइये जानें आखिर मां हिंगलाज की उत्पत्ति कैसे हुई? :
हिन्दू धर्म में आदि शक्ति के 51 शक्तिपीठों को मान्यता प्राप्त है और इन्हीं शक्तिपीठों में से एक है हिंगलाज shaktipeeth in Pakistan। शक्तिपीठों की स्थापना से जुड़ी कथा का संबंध देवी सती से है। साथ ही हिंगलाज माता की कथा (Hinglag mata ki katha) के तार भी इसी कहानी से जुड़े हुए हैं।
प्रजापति दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया था जिसमें उन्होंने लगभग सभी देवी देवताओं को न्योता भेजा परन्तु भगवान शिव और सती को यज्ञ में शामिल होने का निमंत्रण नहीं आया। देवी सती को इसपर बहुत क्रोध आया और भगवान शिव से यज्ञ में जाने की हठ करने लगी।
शिव जी ने उन्हें अनुमति दी तो उन्होंने वहां जाकर अपने पिता से सवाल जवाब किये परन्तु पिता द्वारा अपने पति का अपमान किया जाना वे सहन नहीं कर पाईं और उन्होंने उसी यज्ञ की पावन अग्नि ने कूद कर अपने प्राण त्याग दिए। भगवान शिव को जब यह पता चला तो वे क्रोधित अवस्था में वहां पहुंचे। उन्होंने देवी सती के जले हुए पार्थिव शरीर को उठा लिया और ब्रह्माण्ड में घूमने लगे।
यह दृश्य देख सृष्टि को भयंकर प्रलय से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से पार्थिव सती के शरीर के टुकड़े ( sati devi body parts ) कर दिए थे। इन्हीं टुकड़ों में से एक टुकड़ा हिंगलाज मंदिर वाले स्थान पर गिरा। कहते हैं कि हिंगलाज मंदिर में देवी सती का ब्रह्मरंध्र गिरा था जिसने devi shakti peethका रूप धारण कर लिया। माता सती का ब्रह्मरंध्र सिन्दूर यानी हिंगुलु से सुशोभित था जिसे कारण इस स्थान का नाम Hinglaj Mandir पड़ा।
हिन्दू धर्म में आदि शक्ति के 51 शक्तिपीठों को मान्यता प्राप्त है और इन्हीं शक्तिपीठों में से एक है हिंगलाज shaktipeeth in Pakistan। शक्तिपीठों की स्थापना से जुड़ी कथा का संबंध देवी सती से है। साथ ही हिंगलाज माता की कथा (Hinglag mata ki katha) के तार भी इसी कहानी से जुड़े हुए हैं।
प्रजापति दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया था जिसमें उन्होंने लगभग सभी देवी देवताओं को न्योता भेजा परन्तु भगवान शिव और सती को यज्ञ में शामिल होने का निमंत्रण नहीं आया। देवी सती को इसपर बहुत क्रोध आया और भगवान शिव से यज्ञ में जाने की हठ करने लगी।
शिव जी ने उन्हें अनुमति दी तो उन्होंने वहां जाकर अपने पिता से सवाल जवाब किये परन्तु पिता द्वारा अपने पति का अपमान किया जाना वे सहन नहीं कर पाईं और उन्होंने उसी यज्ञ की पावन अग्नि ने कूद कर अपने प्राण त्याग दिए। भगवान शिव को जब यह पता चला तो वे क्रोधित अवस्था में वहां पहुंचे। उन्होंने देवी सती के जले हुए पार्थिव शरीर को उठा लिया और ब्रह्माण्ड में घूमने लगे।
यह दृश्य देख सृष्टि को भयंकर प्रलय से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से पार्थिव सती के शरीर के टुकड़े ( sati devi body parts ) कर दिए थे। इन्हीं टुकड़ों में से एक टुकड़ा हिंगलाज मंदिर वाले स्थान पर गिरा। कहते हैं कि हिंगलाज मंदिर में देवी सती का ब्रह्मरंध्र गिरा था जिसने devi shakti peethका रूप धारण कर लिया। माता सती का ब्रह्मरंध्र सिन्दूर यानी हिंगुलु से सुशोभित था जिसे कारण इस स्थान का नाम Hinglaj Mandir पड़ा।
हिंगलाज माता किसकी कुलदेवी है? ( Hinglaj Mata kiski kuldevi hai? )
लोकगाथाएँ कहती हैं कि चारणों और राजपुरोहितों की कुलदेवी माता हिंगलाज थीं जिनका निवास स्थान Hinglaj Mata Mandir Pakistan हुआ करता था। हिंगलाज देवी के संबंध में गीत का छंद कुछ इस प्रकार है :
सातो द्वीप शक्ति सब रात को रचात रास।
प्रात:आप तिहु मात हिंगलाज गिर में॥
अर्थात : सातो द्वीपों में सब शक्तियां रात्रि में रास रचाती है और फिर प्रात:काल सब शक्तियां भगवती हिंगलाज के गिर में आ जाती है।
सातो द्वीप शक्ति सब रात को रचात रास।
प्रात:आप तिहु मात हिंगलाज गिर में॥
अर्थात : सातो द्वीपों में सब शक्तियां रात्रि में रास रचाती है और फिर प्रात:काल सब शक्तियां भगवती हिंगलाज के गिर में आ जाती है।
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पाकिस्तान में कौन सा शक्तिपीठ है? ( Pakistan me kaun sa shaktipeeth hai? )
हिंगलाज माता मंदिर पाकिस्तान में आदिशक्ति के 51 शक्तिपीठों में से सबसे पहला शक्तिपीठ हिंगलाज स्थापित है। यह Shakti peeth in Pakistan सभी शक्तिपीठों में सबसे पहला स्थान इसलिए रखता है क्योंकि जब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से पार्थिव सती के शरीर के टुकड़े किये तो सबसे पहला टुकड़ा ब्रह्मरंध्र यानी मस्तिष्क यहीं पाकिस्तान के बलूचिस्तान Hinglaj mandir में गिरा था। हमारे शास्त्रों में इस शक्तिपीठ को आग्नेय तीर्थ का नाम दिया गया है।
हिंगलाज माता की पूजा कैसे की जाती है? ( Hinglaj Mata ki puja kaise ki jati hai? )
1. कुलदेवी Hinglaj mata की कई तरह से पूजा की जा सकती है फिर चाहे वह पंचोपचार पूजा हो षोडशोपचार पूजा विधि, परन्तु इन सभी में सबसे उत्तम षोडशोपचार पूजा मानी जाती है जिसमें हिंगलाज माता की 16 चीजों से पूजा किये जाने का विधान है।
2. माता हिंगलाज को पंचामृत से स्नान कराने के साथ चंदन आदि से भी स्नान कराया जाता है।
3. पूजा में गेहूं या चावल की ढेरी को तांबे के कलश के ऊपर रखा जाता है फिर उसपर नागरबेल के पत्ते, और नारियल रख कलश स्थापना की जाती है। कलश को मौली से बाँधा जाता है।
4. हिंगलाज माता की पूजा से पहले सर्वप्रथम गणपति जी का ध्यान अवश्य करें।
5. बता दें माता को लाल गुलाब पुष्प, गुलाब का इत्र, सिन्दूर और लाल चुनरी अत्यंत प्रिय है।
6. Mata Hinglaj की पूजा करते समय उन्हें चन्दन, अक्षत, दूर्वा, फल आदि जरूर अर्पित करें।
7. Hinglaj mata के ध्यान मंत्र का 108 बार जाप भी अवश्य किया जाना चाहिए।
2. माता हिंगलाज को पंचामृत से स्नान कराने के साथ चंदन आदि से भी स्नान कराया जाता है।
3. पूजा में गेहूं या चावल की ढेरी को तांबे के कलश के ऊपर रखा जाता है फिर उसपर नागरबेल के पत्ते, और नारियल रख कलश स्थापना की जाती है। कलश को मौली से बाँधा जाता है।
4. हिंगलाज माता की पूजा से पहले सर्वप्रथम गणपति जी का ध्यान अवश्य करें।
5. बता दें माता को लाल गुलाब पुष्प, गुलाब का इत्र, सिन्दूर और लाल चुनरी अत्यंत प्रिय है।
6. Mata Hinglaj की पूजा करते समय उन्हें चन्दन, अक्षत, दूर्वा, फल आदि जरूर अर्पित करें।
7. Hinglaj mata के ध्यान मंत्र का 108 बार जाप भी अवश्य किया जाना चाहिए।
हिंगलाज माता का इतिहास – Hinglaj mata mandir pakistan history in hindi
लोककथा और महत्ता यह डोडिया राजपूत की प्रथम कुलदेवी हिंगलाज माता पूजनीय है | यह मनणा जागीरदारो, सैफाऊ, सिद्धपजागीरदार (राजपुरोहितो) की कुलदेवी है | एक लोक गाथानुसार चारणों तथा राजपुरोहित की कुलदेवी हिंगलाज है, जिसका निवास स्थान पाकिस्तान के बलुचिस्थान प्रान्त में था।
हिंगलाज माता कौन सी जाति की कुलदेवी है? | Hinglaj Maata konsi jaati ki kuldevi hain
Nath Sampradaya: माता हिंगलाज को नाथ संप्रदाय की कुलदेवी माना गया है. इस मंदिर से न सिर्फ हिंदू बल्कि मुस्लिम समाज की भी अगाध आस्था है, क्योंकि माता हिंगलाज का मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है.
हिंगलाज में माता सती का कौन सा अंग गिरा था? | Hinglaj me Mata sati ka konsa ang gira tha
40. हिंगलाज : पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में है। माता हिंगलाज की ब्रह्मरन्ध्र गिरा था।
हिंगलाज को हिंदी में क्या कहते हैं? | Hinglaj ko hindi me kya khehte hain
हिंगलाज (Hinglaj) संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ हिङ्गुलाजा] दुर्गा या देवी की एक मूर्ति अथवा उनका एक भेद ।
हिंगलाज जयंती कब है? | Hinglaj jayantee kab hain
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है देवी हिंगलाज का मुख्य मंदिर, मुस्लिम मानते हैं इसे नानी का हज रिलिजन डेस्क. आज (3 अप्रैल, बुधवार) मां हिंगलाज जयंती है।
हिंगलाज का पौधा क्या काम आता है? | Hinglaj ka paudha kya kaam aata hain
हिंगलाज का पौधा (Hinglaj ka paudha) किस्मत वालों को मिलता है, अगर मिल जायें तो छोड़ना मत, संजीवनी बूटी भी फेल है इसके आगे, #हिंगलाजकेफायदे #पहाड़ीआयुर्वेदिक #सफेददागकादवाहैंयहजड़ीबूटी पहाड़ी आयुर्वेदिक के माध्यम से इस पौधे का पहचान दिखाया गया है और इसके फायदे के बारे मे बताया गया है और इसके फायदे के बारे मे बताया गया है और इसके फायदे के .
पाकिस्तान में कौन से भगवान की पूजा होती है? | Pakistan me konse bhagwan ki pooja hote hain
Hinglaj Mata Mandir Pakistan – पाकिस्तान में है हिंगलाज शक्तिपीठ (hinglaj mata kuldevi) पाकिस्तान में माता हिंगलाज का सिद्ध पीठ है.
हिंगलाज माता के चमत्कार | Hinglaj Mata ke chamatkaar – Hinglaj shaktipeeth
यहां हिंगलाज शक्तिपीठ (Hinglaj shaktipeeth) की उपशक्तिपीठ है। 500 सालों से अनवरत जल रही घी और तेल की दो जोत (ज्योति) इस पीठ की महिमा को चारों ओर फैला रही हैं। ये ज्योति बलूचिस्तान स्थित हिंगलाज मंदिर से लाई गई थी। हिंगलाज मां के चमत्कार के आगे भोपाल रियासत की बेगम कुदसिया भी नतमस्तक हो गई थीं और बदले में जागीर दे दी थी।
हिंगलाज माता की पूजा कैसे की जाती है? | Hinglaj Mata ki pooja kaise ki jaati hain
इस आदि शक्ति की पूजा हिंदुओं द्वारा तो की ही जाती है इन्हें मुसलमान भी काफी सम्मान देते हैं। हिंगलाज मंदिर में दाखिल होने के लिए पत्थर की सीढिय़ां चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर में सबसे पहले श्री गणेश के दर्शन होते हैं जो सिद्धि देते हैं। सामने की ओर माता हिंगलाज देवी की प्रतिमा है जो साक्षात माता वैष्णो देवी का रूप हैं।
पाकिस्तान में कौनसा शक्तिपीठ है? | Pakistan me konsa shaktipindh hain
पाकिस्तान में स्थित माता हिंगलाज का मंदिर प्रधान 51 शक्तिपीठों (Shaktipeeth)में से एक है। 2. हिंगलाज ही वह जगह है, जहां माता का सिर गिरा था। बृहन्नील तंत्रानुसार यहां सती का ‘ब्रह्मरंध्र’ गिरा था।
हिंगलाज माता कौन है | Hinglaj mata kon hai – Hinglaj mata
हिंगलाज माता मन्दिर, पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त के हिंगलाज में हिंगोल नदी के तट पर स्थित एक हिन्दू मन्दिर है। यह हिन्दू देवी सती को समर्पित इक्यावन शक्तिपीठों में से एक है। यहाँ इस देवी को हिंगलाज देवी या हिंगुला देवी भी कहते हैं। हिंगलाज मन्दिर (Hinglaj mandir) को नानी मन्दिर के नामों से भी जाना जाता ।