केदारनाथ धाम का रहस्य ( Kedarnath Dham Mystery )
Kedarnath Dham के लुप्त होने की भविष्यवाणी सच हो जाएगी? या फिर चार सौ साल बाद मंदिर फिर से दब जाएगा बर्फ में? भगवान शिव ( Bhagwan Shiv ) का वह पवित्र धाम जो चार सौ सालों से बर्फ में दबा रहा जिसके निशान आज भी मंदिर में देखने को मिलते हैं, लेकिन बर्फ में दबे रहने के बाद भी आज ये मंदिर सभी के सामने बिलकुल सुरक्षित खड़ा है। वक़्त के साथ साथ Kedarnath Mandir में कई आपदाएं आयी लेकिन इस मंदिर का बाल तक बांका नहीं हुआ। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या चार सौ साल के बाद केदारनाथ मंदिर फिर से बर्फ के नीचे? केदारनाथ की रहस्यमयी कहानी जानने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ियेगा।
रहस्यमयी केदारनाथ मंदिर की कहानी ( Mysterious Kedarnath Temple History )
बारह ज्योतर्लिंग ( Jyotirlinga ) में से सबसे सर्वोच्च माने जाने वाला Kedarnath Dham जो हिमालय की गोद में बसा हुआ है। लोगों की आस्था का सबसे प्रमुख केंद्र माने जाने वाले इस धाम का निर्माण आठवीं शताब्दी में आदिशंकराचार्य ने किया था। कई हज़ार फुट की ऊंचाई वाले तीन पहाड़ों के बीच बसे हुए केदारनाथ धाम में पांच नदियों मंदाकिनी, क्षीरगंगा, स्वर्णगौरी, मधुगंगा और सरस्वती का महासंगम भी देखने को मिलता है। इनमें से कुछ नदियों को काल्पनिक भी माना जाता है परन्तु यहाँ पर सबसे आगे मंदाकिनी नदी है, जो कि सर्दी के मौसम में उफान पर रहती है।
दोस्तों 2013 में आयी भीषण आपदा ने पूरे केदारघाटी में भारी तबाही मचाई, हज़ारों लाखों लोग गायब हो गए, कई मौत की नींद सो गए लेकिन हैरानी की बात ये है कि इस भयावह मंज़र तथा आस पास का पूरा क्षेत्र तबाह होने के बावजूद भी मंदिर पर एक खरोंच तक नहीं आयी। इससे पहले भी चार सौ सालों तक बर्फ में दबे रहने के बावजूद भी Kedarnath Mandir सुरक्षित बाहर निकला। मंदिर के सुरक्षित रहने पीछे का वैज्ञानिक तर्क ये है कि इसे एक ऐसी तकनीक से बनाया गया है जो आपदा तथा बर्फ की मार को आसानी से झेल सकती है। दरअसल 6 फुट ऊँचे चूबतरे में बने इस Kedarnath Mandir का निर्माण कटवां पत्थर के विशाल शिलाखंडों को आपस में जोड़कर बनाया गया है यानी की मंदिर को बनाने के इंटरलॉकिंग तकनीक का प्रयोग किया गया इसलिए आज तक यह मंदिर आज भी सुरक्षित है।
दोस्तों माना जाता है कि पौराणिक काल में Kedarnath Temple के पीछे पांडवों द्वारा बनाया गया एक मंदिर भी था लेकिन यहां पर होने वाले मौसम के बदलाव तथा कई कारणों से ये मंदिर गायब हो गया परन्तु केदारनाथ मंदिर आज भी बिलकुल सही सलामत है।
लेकिन भविष्य में केदारनाथ मंदिर के लुप्त होने की भविष्यवाणी की गयी है। माना जाता है जिस दिन नर या नारायण पर्वत आपस में मिल जायेंगे, उस दिन Kedarnath Shivling गायब हो जायेगा या हो सकता है कि फिर से हिमयुग आये और फिर से केदारनाथ मंदिर बर्फ के अंदर दब जाए या फिर हो सकता है कि ये मंदिर ग्लेशियर के अंदर दब जाए। लेकिन क्या इन सब के बावजूद भी ये मंदिर फिर से सुरक्षित रहेगा? ये तो वक़्त ही बातयेगा। लेकिन लोगों की आस्था का ये प्रमुख केंद्र बहुत ही अनोखी तकनीक के साथ बनाया गया है जो आज भी सुरक्षित है।
दोस्तों क्या आप केदारनाथ यात्रा पर Kedarnath Darshan करने गए है? अगर आप यहां गए हैं तो आपको यहां जाकर कैसी अनुभूति हुई? अपना जवाब हमें कमेंट बॉक्स में जरूर दीजियेगा। साथ ही अगर आप भी महादेव के भक्त है तो कमेंट करके हर हर महादेव जरूर लिखें।
दोस्तों 2013 में आयी भीषण आपदा ने पूरे केदारघाटी में भारी तबाही मचाई, हज़ारों लाखों लोग गायब हो गए, कई मौत की नींद सो गए लेकिन हैरानी की बात ये है कि इस भयावह मंज़र तथा आस पास का पूरा क्षेत्र तबाह होने के बावजूद भी मंदिर पर एक खरोंच तक नहीं आयी। इससे पहले भी चार सौ सालों तक बर्फ में दबे रहने के बावजूद भी Kedarnath Mandir सुरक्षित बाहर निकला। मंदिर के सुरक्षित रहने पीछे का वैज्ञानिक तर्क ये है कि इसे एक ऐसी तकनीक से बनाया गया है जो आपदा तथा बर्फ की मार को आसानी से झेल सकती है। दरअसल 6 फुट ऊँचे चूबतरे में बने इस Kedarnath Mandir का निर्माण कटवां पत्थर के विशाल शिलाखंडों को आपस में जोड़कर बनाया गया है यानी की मंदिर को बनाने के इंटरलॉकिंग तकनीक का प्रयोग किया गया इसलिए आज तक यह मंदिर आज भी सुरक्षित है।
दोस्तों माना जाता है कि पौराणिक काल में Kedarnath Temple के पीछे पांडवों द्वारा बनाया गया एक मंदिर भी था लेकिन यहां पर होने वाले मौसम के बदलाव तथा कई कारणों से ये मंदिर गायब हो गया परन्तु केदारनाथ मंदिर आज भी बिलकुल सही सलामत है।
लेकिन भविष्य में केदारनाथ मंदिर के लुप्त होने की भविष्यवाणी की गयी है। माना जाता है जिस दिन नर या नारायण पर्वत आपस में मिल जायेंगे, उस दिन Kedarnath Shivling गायब हो जायेगा या हो सकता है कि फिर से हिमयुग आये और फिर से केदारनाथ मंदिर बर्फ के अंदर दब जाए या फिर हो सकता है कि ये मंदिर ग्लेशियर के अंदर दब जाए। लेकिन क्या इन सब के बावजूद भी ये मंदिर फिर से सुरक्षित रहेगा? ये तो वक़्त ही बातयेगा। लेकिन लोगों की आस्था का ये प्रमुख केंद्र बहुत ही अनोखी तकनीक के साथ बनाया गया है जो आज भी सुरक्षित है।
दोस्तों क्या आप केदारनाथ यात्रा पर Kedarnath Darshan करने गए है? अगर आप यहां गए हैं तो आपको यहां जाकर कैसी अनुभूति हुई? अपना जवाब हमें कमेंट बॉक्स में जरूर दीजियेगा। साथ ही अगर आप भी महादेव के भक्त है तो कमेंट करके हर हर महादेव जरूर लिखें।