मौनी अमावस्या क्या है? ( Mauni Amavasya kya hai? )
हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास में आने वाली पहली अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। यह दिन पितृ दोष निवारण और गंगा स्नान के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन गंगा में स्नान करने से मनुष्य के कई जन्मों के पाप धुल जाते हैं। इस बार मौनी अमावस्या की यह तिथि सोमवार के दिन पड़ रही है और सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या ( Somvati Amavasya ) कहा जाता है।
मौनी अमावस्या का क्या महत्व? ( Mauni Amavasya Significance )
हिन्दू धर्म में माघ मास के महीने में कई पर्व और व्रत आते हैं जिनका खासा महत्व है, इन्हीं पर्वों में से एक है मौनी अमावस्या ( Mauni Amavasya )। पौराणिक मान्यताएं कहती हैं कि मौनी अमावस्या के दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था। मनु ऋषि के नाम से ही मौनी शब्द की उत्पत्ति हुई। मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन गंगा नदी का जल अमृत के समान होता है यानी इस दिन गंगा में स्नान करने का अर्थ है अमृत में स्नान करना।
हमारे सनातन धर्म में कहा जाता है कि जितना पुण्य हम मन्त्रों और ईश्वर के नाम का जाप करके प्राप्त करते हैं उससे दोगुना पुण्य हम मौन रहकर किये गए जाप द्वारा पा सकते हैं। वहीँ अगर Mauni Amavasya के दिन दान किये जाने से सवा या डेढ़ घंटे पूर्व मौन रहकर जाप किया जाए तो पुण्य की प्राप्ति 16 गुना बढ़ जाती है। बताते चलें कि जो भी व्यक्ति मौन रहकर व्रत का नियमपूर्वक पालन और पूजा विधि करता है उसे मुनि पद प्राप्त होता है।
हमारे सनातन धर्म में कहा जाता है कि जितना पुण्य हम मन्त्रों और ईश्वर के नाम का जाप करके प्राप्त करते हैं उससे दोगुना पुण्य हम मौन रहकर किये गए जाप द्वारा पा सकते हैं। वहीँ अगर Mauni Amavasya के दिन दान किये जाने से सवा या डेढ़ घंटे पूर्व मौन रहकर जाप किया जाए तो पुण्य की प्राप्ति 16 गुना बढ़ जाती है। बताते चलें कि जो भी व्यक्ति मौन रहकर व्रत का नियमपूर्वक पालन और पूजा विधि करता है उसे मुनि पद प्राप्त होता है।
क्यों मौनी अमावस्या को मनाया जाता है? ( Why is Mauni Amavasya Celebrated? )
मौनी अमावस्या को मनाये जाने की एक वजह यह है कि इस दिन ऋषि मनु का जन्म हुआ था। हम मनु के जन्मदिवस के दिन मौन रहकर और व्रत का पालन कर मौनी अमावस्या को मनाते हैं वहीँ इसे मनाये जाने की दूसरी वजह समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार जब समुद्र मंथन ( Samudra Manthan ) हो रहा था और अमृत पान को लेकर दोनों ही पक्षों देवताओं और दैत्यों के बीच खींचतान जारी थी तभी भगवान धन्वन्तरि के हाथों अमृत कलश से कुछ बूँदें प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में जा गिरी। तभी से यहाँ माघ मास Mauni Amavasya के दिन स्नान करने की प्रथा चली आ रही है ताकि मनुष्य अपने पापों का नाश कर सके और पुण्य की प्राप्ति तथा मोक्ष हासिल कर सके।
महाभारत के एक दृष्टांत में भी माघ मास में स्नान किये जाने का जिक्र हमें मिलता है। वहीँ पद्मपुराण में कहा गया है कि जितना पुण्य अन्य महीनों में जप, तप, और दान से मिलता है उससे कहीं गुना अधिक पुण्य माघ मास में स्नान करने से प्राप्त होता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार जब समुद्र मंथन ( Samudra Manthan ) हो रहा था और अमृत पान को लेकर दोनों ही पक्षों देवताओं और दैत्यों के बीच खींचतान जारी थी तभी भगवान धन्वन्तरि के हाथों अमृत कलश से कुछ बूँदें प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में जा गिरी। तभी से यहाँ माघ मास Mauni Amavasya के दिन स्नान करने की प्रथा चली आ रही है ताकि मनुष्य अपने पापों का नाश कर सके और पुण्य की प्राप्ति तथा मोक्ष हासिल कर सके।
महाभारत के एक दृष्टांत में भी माघ मास में स्नान किये जाने का जिक्र हमें मिलता है। वहीँ पद्मपुराण में कहा गया है कि जितना पुण्य अन्य महीनों में जप, तप, और दान से मिलता है उससे कहीं गुना अधिक पुण्य माघ मास में स्नान करने से प्राप्त होता है।
मौनी अमावस्या का व्रत कैसे करें? ( Mauni Amavasya ka Vrat kaise karen? )
1. मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें।
2. स्नान करने के पश्चात चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा रखें।
3. उन्हें पीले पुष्प, केसर, चंदन और तुलसी अर्पित करें।
4. अब घी का दीपक और धूप जलाएं।
5. हाथ जोड़कर ईश्वर का ध्यान करते हुए अपने व्रत का संकल्प लें।
6. भगवान विष्णु को पीले मिठाई या पीले चीजों का भोग लगाएं।
7. इसके बाद आसन पर बैठकर विष्णु चालीसा या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
8. भगवान विष्णु के मंत्र का तुलसी माला से 108 बार जाप करने।
9. फिर पीले वस्त्र पीली चीजों का ब्राह्मण और जरूरतमंदों को अवश्य दान करें।
2. स्नान करने के पश्चात चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा रखें।
3. उन्हें पीले पुष्प, केसर, चंदन और तुलसी अर्पित करें।
4. अब घी का दीपक और धूप जलाएं।
5. हाथ जोड़कर ईश्वर का ध्यान करते हुए अपने व्रत का संकल्प लें।
6. भगवान विष्णु को पीले मिठाई या पीले चीजों का भोग लगाएं।
7. इसके बाद आसन पर बैठकर विष्णु चालीसा या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
8. भगवान विष्णु के मंत्र का तुलसी माला से 108 बार जाप करने।
9. फिर पीले वस्त्र पीली चीजों का ब्राह्मण और जरूरतमंदों को अवश्य दान करें।
मौनी अमावस्या के उपाय ( Mauni amavasya ke upay )
1. काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए इस दिन चांदी से निर्मित नाग-नागिन की पूजा करें और उन्हें नदी में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से जातक को काल सर्प दोष से मुक्ति मिल जाएगी।
( काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए जातक इस दिन Kaal Sarp Dosh Nivaran Yantra को धारण करें। शीघ्र ही आपको दोष से मुक्ति मिल जाएगी। )
2. यदि आप अपनी समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं तो इस दिन स्नान के बाद मछलियों को आते की गोलियां खिलानी चाहिए।
3. मौनी अमावस्या के दिन चींटियों को शक्कर मिला हुआ आता खिलाने से मनोकामनाओं की पूर्ति है।
4. गृह कलेश या किसी विवाद से बचने के लिए गाय को तिल की रोटियां खिलाएं। आपको शीघ्र ही कलेश से मुक्ति मिलेगी।
5. आर्थिंक तंगी से जूझ रहे जातक भगवान शिव और माता लक्ष्मी को चावल की खीर का भोग लगाएं। इस प्रकार मौनी amavasya ke totke आपको समस्याओं से निजात दिलाते हैं।
( काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए जातक इस दिन Kaal Sarp Dosh Nivaran Yantra को धारण करें। शीघ्र ही आपको दोष से मुक्ति मिल जाएगी। )
2. यदि आप अपनी समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं तो इस दिन स्नान के बाद मछलियों को आते की गोलियां खिलानी चाहिए।
3. मौनी अमावस्या के दिन चींटियों को शक्कर मिला हुआ आता खिलाने से मनोकामनाओं की पूर्ति है।
4. गृह कलेश या किसी विवाद से बचने के लिए गाय को तिल की रोटियां खिलाएं। आपको शीघ्र ही कलेश से मुक्ति मिलेगी।
5. आर्थिंक तंगी से जूझ रहे जातक भगवान शिव और माता लक्ष्मी को चावल की खीर का भोग लगाएं। इस प्रकार मौनी amavasya ke totke आपको समस्याओं से निजात दिलाते हैं।
मौनी अमावस्या के दिन क्या करें क्या ना करें? ( Mauni Amavasya ke din kya karen kya na karen? )
1. मौनी अमावस्या के दिन तिल से बनी चीजों, तेल, और लड्डू दान करने चाहिए।
2. पितृ दोष से मुक्ति और पितरों की शांति के लिए श्राद्ध करना चाहिए।
3. पीपल के वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की पूजा करें और वृक्ष की 108 बार परिक्रमा भी करें।
4. सूर्य देव को अर्घ्य देने से घर में मौजूद दरिद्रता और आर्थिक संकट दूर होता है।
5. चन्द्रमा कुंडली में कमजोर भाव में हो तो गाय को चावल और दही खिलाएं।
6. इस दिन लड़ाई-झगड़े से दूरी बनाये रखें और कटु वचन न बोलें।
7. Mauni Amavasya का व्रत रखने वालों को शृंगार नहीं करना चाहिए।
8. शरीर पर तेल न लगाएं और न ही तेल से मालिश करें।
9. व्रत का पालन करने के लिए मौन रहें और झूठ न बोलें।
2. पितृ दोष से मुक्ति और पितरों की शांति के लिए श्राद्ध करना चाहिए।
3. पीपल के वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की पूजा करें और वृक्ष की 108 बार परिक्रमा भी करें।
4. सूर्य देव को अर्घ्य देने से घर में मौजूद दरिद्रता और आर्थिक संकट दूर होता है।
5. चन्द्रमा कुंडली में कमजोर भाव में हो तो गाय को चावल और दही खिलाएं।
6. इस दिन लड़ाई-झगड़े से दूरी बनाये रखें और कटु वचन न बोलें।
7. Mauni Amavasya का व्रत रखने वालों को शृंगार नहीं करना चाहिए।
8. शरीर पर तेल न लगाएं और न ही तेल से मालिश करें।
9. व्रत का पालन करने के लिए मौन रहें और झूठ न बोलें।
मौनी अमावस्या कब है 2022? ( 2022 Mauni Amavasya kab hai? )
सूर्योदय के बाद से लगने वाले दिन से मौनी अमावस्या ( Mauni Amavasya ) मानी जाएगी क्योंकि स्नान आदि सूर्योदय के समय शुरू किया जाता है, इसलिए मौनी अमावस्या 01 फरवरी 2022, सोमवार को है।
मौनी अमावस्या तिथि और शुभ मुहूर्त :
आरंभ : 31 जनवरी, सोमवार, रात्रि 02: 18 मिनट से
समाप्त : 01 फरवरी, मंगलवार प्रातः 11: 15 मिनट तक
मौनी अमावस्या तिथि और शुभ मुहूर्त :
आरंभ : 31 जनवरी, सोमवार, रात्रि 02: 18 मिनट से
समाप्त : 01 फरवरी, मंगलवार प्रातः 11: 15 मिनट तक