Close Menu
Buy Spiritual ProductsBuy Spiritual Products
    Buy Spiritual ProductsBuy Spiritual Products
    • Silver Jewellery
    • Spiritual T Shirt
    • Spiritual Locket
    • Spiritual Ring
    • Spiritual Bracelet
    0 Shopping Cart
    Buy Spiritual ProductsBuy Spiritual Products
    0 Shopping Cart
    Home » नए साल की पहली पुत्रदा एकादशी की कथा और इस दिन पूजा करने की विशेष विधि
    Astrology

    नए साल की पहली पुत्रदा एकादशी की कथा और इस दिन पूजा करने की विशेष विधि

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiJuly 25, 2023Updated:July 25, 2023
    jaya ekadashi 2024
    jaya ekadashi 2024
    Share
    Facebook WhatsApp

    पुत्रदा एकादशी कब है? ( Putrada Ekadashi kab hai? )

    अंग्रेजी नववर्ष की पहली एकादशी इस बार मकर संक्रांति से एक दिन पहले यानी 13 जनवरी को पड़ रही है। पौष माह की शुक्ल पक्ष तिथि को पड़ने वाली इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी ( Putrada Ekadashi ) के नाम से जाना जाता है। पुत्रदा एकादशी जैसा कि इसके नाम से ही प्रतीत होता है संतान के लिए रखी जाने वाली एकादशी। इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा साथ ने लिए जाने का विधान है। ऐसा करने से व्यक्ति को धन, वैभव और संतान तीनों की प्राप्ति होती है।

    पुत्रदा एकादशी का महत्व ( Putrada Ekadashi ka Mahatva )

    पुत्रदा एकादशी ( Putrada Ekadashi ) का हिन्दू धर्म में अधिक महत्व है क्योंकि यह एकादशी विशेष रूप से संतान प्राप्ति के लिए रखी जाती है। ऐसी मान्यताहै कि जो भी जातक इस शुभ दिन एकादशी व्रत ( Ekadashi Vrat ) का पालन करते हैं उन्हें संतान की प्राप्ति होती है।  

    पुत्रदा एकादशी पूजा विधि ( Putrada Ekadashi Puja Vidhi )

    1. पुत्रदा एकादशी रखने वाले जातकों को दशमी तिथि की संध्या से ही व्रत के नियमों का पालन करना शुरू कर देना चाहिए।

    2. एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

    3. भगवान विष्णु की प्रतिमा के आगे घी का दीपक और धूप जलाएं।

    4. इसके बाद पुष्प, फल, सुपारी, पान, लौंग, आंवला और नैवैद्य अर्पित करें।

    5. भगवान विष्णु की आरती करने के बाद उनके 108 नामों का जाप करें।

    6. साथ ही Original Tulsi Mala से ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करते हुए भगवान विष्णु का जाप करें ।

    7. पूरे दिन निराहार रहें और संध्या के समय पुत्रदा एकादशी कथा ( Putrada Ekadashi Katha ) पढ़ने के बाद भजन-कीर्तन करें।

    पुत्रदा एकादशी व्रत कथा ( Putrada Ekadashi Vrat Katha )

    एक बार की बात है भद्रावती नामक नगरी में सुकेतु नाम का राजा रहा करता था। जिसकी पत्नी का नाम शैव्या था। सुकेतू और शैव्या संतानहीन थे। संतान न होने के कारण राजा की पत्नी बहुत दुःखी और चिंतित रहा करती थी। राजा सुकेतु के पितर भी दुःखी होकर पिंड लिया करते थे। उन्हें इस बात की चिंता रहती थी कि इनके बाद हमें कौन पिंडदान करेगा। राजा को भाई, धन, हाथी, घोड़े, राज्य और मंत्री इन सबसे संतोष तक नहीं होता था।

    राजा के मन में सुबह शाम बस यही बाते चलती थी कि उसके मरने के बाद पिंडदान कौन करेगा। मैं बिना पुत्र के देवताओं और पितरों का ऋण आखिर कैसे चुका पाऊंगा। राजा के नकारात्मक विचार उसपर इतने अधिक हावी हो गए थे कि उसने अपने प्राणों को त्यागने तक का निश्चय कर लिया था। परंतु आत्मघात जैसे पाप के डर से ये विचार त्याग दिया।
    एक दिन ऐसे ही विचार करते करते वह अपने घोड़े पर वन की ओर चल दिया और वहां पक्षियों, वृक्षों तथा जानवरों को निहारने लगा। राजा ने देखा कि वहां मृग, सूअर, सिंह, बंदर, सर्प सब भ्रमण कर रहे हैं। इस वन में पक्षियों और जानवरों की ध्वनियां ही सुनाई पड़ रही हैं। कहीं गीदड़ तो कहीं उल्लू ध्वनि कर रहे हैं।

    वन के दृश्य देखकर राजा का लगभग आधा दिन बीत ही गया। राजा सुकेतु मन में विचार आया कि उसने न जानें कितने यज्ञ किए, कितने ही ब्राह्मणों को भोजन कराया, इतना दानपुण्य किया फिर भी उसे संतानहीन जैसा दु:ख प्राप्त क्यों हुआ?
    अपने दुःख में डूबते हुए राजा प्यास से व्याकुल हो उठा और पानी की तलाश में वन में इधर उधर घूमने लगा। पास में ही उसे एक सरोवर दिखा। उस सरोवर में कमल पुष्प खिला था, सारस और हंस भी थे और सरोवर के चारों ओर मुनियों के आश्रम थे।

    ये सब देख राजा के दाएं अंग फड़कने लगे। फिर राजा घोड़े से उतरकर मुनियों को दंडवत प्रणाम कर बैठ गया। राजा का आदर सत्कार देख मुनि बोले कि हे! राजन हम तुम्हारे इस सत्कार से अत्यंत प्रसन्न हुए है, बताओ तुम्हारी क्या इच्छा है?
    राजा ने मुनियों से सवाल किया कि आखिर आप लोग हैं कौन और यहां सरोवर के निकट क्यों आए हैं? इसपर ऋषि मुनि बोले कि आज संतान प्रदान करने वाली पुत्रदा एकादशी है, हम सभी विश्वदेव हैं और यहां स्नान करने के उद्देश्य से पधारें हैं। राजा अत्यंत प्रसन्न हुआ और बोला कि हे! महाराज मेरी कोई संतान नहीं है यदि आप मुझसे प्रसन्न है तो मुझे पुत्र प्राप्ति का वर दीजिए।

    मुनि राजा की बात सुनकर बोले कि हे! राजन आज पुत्रदा एकादशी है, आज के दिन आप पुत्रदा एकादशी व्रत ( Putrada Ekadashi Vrat ) का पालन करें। अवश्य ही आपके घर में पुत्र का जन्म होगा। मुनि की बातें सुनने के बाद राजा महल आया। कुछ समय बाद रानी शैव्या ने गर्भ धारण लिया और नौ महीने के पश्चात उनके घर पुत्र का जन्म हुआ।

    राजा सुकेतु और रानी शैव्या का वह पुत्र आगे चलकर एक शूरवीर राजकुमार कहलाया जिसने अपनी प्रजा का बहुत अच्छे ढंग से पालन पोषण किया। इस तरह जो भी जातक सच्चे मन से पुत्रदा एकादशी ( Putrada Ekadashi ) के दिन व्रत का पालन करता है उसके सभी दुःख दूर होते हैं। इसी के साथ संतानहीन या संतान को कामना करने वालों को संतान प्राप्ति भी होती है।

    पुत्रदा एकादशी तिथि 2022 ( 2022 Putrada Ekadashi Date )

    13-जनवरी, 2022 बृहस्पतिवार
    (शुक्ल पक्ष – पौष मास)
    पुत्रदा एकादशी
    प्रारम्भ –
    04:49 PM, Jan 12
    समाप्त – 07:32 PM, Jan 13

    08-अगस्त, 2022 सोमवार
    (शुक्ल पक्ष – श्रावण मास)
    श्रावण पुत्रदा एकादशी
    प्रारम्भ –
    11:50 PM, Aug 07
    समाप्त – 09:00 PM, Aug 08
    Share. Facebook WhatsApp
    Previous Articleयोग निद्रा ( Yoga Nidra ) : रामायण और महाभारत काल से प्रचलित योग निद्रा के अद्भुत लाभ
    Next Article Pashupatinath mandir : भगवान शिव के पशुपतिनाथ रूप की कहानी और प्राचीन इतिहास

    Related Posts

    Sapne me Ram Lalla ko dekhna – सपने में प्रभु श्रीराम को देखना देता है ये संकेत

    Chaitra Amavasya 2024 – साल 2024 में कब है चैत्र अमावस्या , जाने तारीख

    Mauni Amavasya 2024: पितरों को करना है प्रसन्न तो मौनी अमावस्या के दिन करें ये उपाय

    Leave A Reply Cancel Reply

    Special for You

    Лучшиe бeздeпoзитныe бoнуcы кaзинo зa peгиcтpaцию c вывoдoм в 2025 гoду

    Other May 9, 2025

    Но перед активацией и использованием важно внимательно изучить условия. Не каждый игровой клуб готов предложить…

    Бетис Осасуна: прогноз на матч 11 мая 2025 года, Ла Лига, коэффициенты и ставки на Спортсе

    May 9, 2025

    Осер Гавр: точный прогноз и ставка на матч чемпионата Франции 4 мая 2025

    May 9, 2025

    Рейтинг лучших онлайн казино 2023 с быстрыми выплатами и бездепозитными бонусами

    May 9, 2025
    Recent
    • Лучшиe бeздeпoзитныe бoнуcы кaзинo зa peгиcтpaцию c вывoдoм в 2025 гoду
    • Бетис Осасуна: прогноз на матч 11 мая 2025 года, Ла Лига, коэффициенты и ставки на Спортсе
    • Осер Гавр: точный прогноз и ставка на матч чемпионата Франции 4 мая 2025
    • Рейтинг лучших онлайн казино 2023 с быстрыми выплатами и бездепозитными бонусами
    • Брест Лилль: прогноз, ставки и коэффициенты на 10 мая 2025

    Mahashivratri 2024 Date : जानें- तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    Festival March 4, 2024

    महाशिवरात्रि | Mahashivratri  महाशिवरात्रि सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है। इस दिन भगवान शिव…

    Hanuman Jayanti 2024 में कब है? जानिए तारीख, पूजा का समय और जरूरी बातें

    Festival February 27, 2024

    हनुमान जयंती | Hanuman Jayanti हनुमान जयंती सनातन धर्म का प्रमुख उत्सव है जिसे हनुमान…

    Recent Posts
    • Лучшиe бeздeпoзитныe бoнуcы кaзинo зa peгиcтpaцию c вывoдoм в 2025 гoду
    • Бетис Осасуна: прогноз на матч 11 мая 2025 года, Ла Лига, коэффициенты и ставки на Спортсе
    • Осер Гавр: точный прогноз и ставка на матч чемпионата Франции 4 мая 2025
    • Рейтинг лучших онлайн казино 2023 с быстрыми выплатами и бездепозитными бонусами
    • Брест Лилль: прогноз, ставки и коэффициенты на 10 мая 2025
    Sale is Live
    Oversized t-shirt
    Top Product
    • Silver Jewellery
    • Spiritual T Shirt
    • Spiritual Locket
    • Spiritual Ring
    • Spiritual Bracelet
    Imp Links
    • Privacy Policy
    • Shipping and Delivery Policy
    • Terms and Conditions
    • Disclaimer
    • Privacy Policy
    • Shipping and Delivery Policy
    • Terms and Conditions
    • Disclaimer
    © 2022-23 Prabhubhakti Private Limited

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.