भारत में वैसे तो बहुसंख्यक मंदिर मौजूद है जिनसे कोई न कोई रोचक कहानी जुड़ी हुई है पर आश्चर्य की बात यह है कि विश्व का सबसे बड़ा मंदिर भारत में न होकर विदेश में स्थित है। इंडोनेशिया के कम्बोडिया में मिकांक नदी के किनारे सिमरिप शहर में स्थित अंकोरवाट(angkor wat) नामक इस मंदिर की लोकप्रियता इतनी अधिक है इसे UNESCO ने वर्ष 1992 में विश्व धरोहर (World Heritage) के रूप में भी सूचित किया है।
इस मंदिर को पहले यशोधरपुर के नाम से जाना जाता था। हर साल यहाँ लाखों की संख्या में पर्यटक वास्तु शास्त्र के इस अनोखे और विशालकाय मंदिर के दर्शन करने आते हैं। यहाँ का सूर्योदय और सूर्यास्त भी काफी लोकप्रिय माना जाता है।
अंकोरवाट मंदिर का इतिहास (Angkor Wat History)
इस मंदिर का इतिहास 11वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। सन 1112 से 1153 के मध्य में खमेर साम्राज्य से संबंध रखने वाले राजा सूर्यवर्मन द्वितीय ने इसका निर्माण कार्य शुरू करवाया था जो धरणीन्द्रवर्मन के शासन काल में बनकर तैयार हुआ था। सैकड़ों वर्ग किलोमीटर में फैला यह मंदिर मेरु पर्वत का प्रतीक माना जाता है। इस मन्दिर की संरक्षक एक चतुर्दिक खाई है जिसकी चौड़ाई करीब 700 फुट है।
अंकोरवाट मंदिर की वास्तुकला (Angkor Wat Architecture)
Angkor wat (अंकोरवाट) का यह विशालकाय मंदिर ख्मेर व चोल शैली में निर्मित किया गया है जहाँ पर भगवान विष्णु (BhagwanVishnu) की भव्य मूर्ति स्थापित है। तीन खंडो वाला यह मंदिर एक बड़े चबूतरे पर अवस्थित है। इन तीनों ही खंडों में से प्रत्येक खंड में कुल 8 गुम्बज बने हुए हैं जिसकी ऊंचाई 180 फीट है। इन खण्डों में एक-एक मूर्ति स्थापित है और यहाँ तक जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है।
मंदिर की दीवारों पर महाभारत, रामायण से जुड़ी कहानियां लिखी हुई हैं। कुछ दीवारों पर नृत्य मुद्रा में अप्सराओं के चित्र भी बने हुए हैं। धार्मिक ग्रंथों में जिस समुद्र मंथन का वर्णन किया गया है उस दौरान के देवताओं और दैत्यों के चित्र भी बड़े ही सुन्दर ढंग से उकेरे गए हैं।
अंकोरवाट मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा (Angkor Wat Mandir se judi Pauranik Katha)
अंकोरवाट के इस सुप्रसिद्ध मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि इसका निर्माण इंद्र देव(Indra Dev) ने अपने पुत्र के लिए एक रात में चमत्कारिक शक्तियों के जरिये किया था।
Angkor Wat Facts: गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है अंकोरवाट मंदिर का नाम
अंकोरवाट के इस विशालकाय और भव्य मंदिर का नाम गिनीज़ बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। इसके पीछे की मुख्य वजह है कि इसे बनाने के लिए करीब एक करोड़ रेत से बने पत्थरों का प्रयोग किया गया है। रेत के हर पत्थर का भार डेढ़ टन के लगभग है। इतना ही नहीं इस मंदिर की तस्वीर को इंडोनेशिया के राष्ट्रीय ध्वज में स्थान मिला हुआ है।
(यह मंदिर भगवान् विष्णु को समर्पित है यदि आप वैष्णव संप्रदाय में विश्वास रखते हैं तो भगवान् विष्णु को सबसे प्रिय तुलसी है, भगवान् विष्णु का आशीर्वाद सदैव बनाये रखने के लिए तुलसी माला को धारण करना आवश्यक माना जाता है अगर आप Original Tulsi Mala खरदीने के इच्छुक हैं तो इसे prabhubhakti.in से Online Order करें)