पूजा पाठ में कलश पूजन (Kalash Pujan) का अत्यधिक महत्व है, जीवन के आरंभ से लेकर अंत तक और किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से लेकर उस कार्य के संपन्न होने की कामना तक कलश का बहुत अधिक महत्व है। कलश पूजन (Kalash Pujan) भारतीय संस्कृति में एक बहुत ही ख़ास स्थान रखता है। ग्रह प्रवेश, नवग्रह की पूजा, नवरात्रों में घटस्थापना की प्रक्रिया और यहाँ तक की अस्थि विसर्जन तक में कलश की भूमिका होती है। हिन्दू धर्म में किसी भी पूजा-पाठ विशेषकर नवरात्रों और लक्ष्मी-नारायण (Lakshmi-Narayana) की पूजा में कलश पूजन का विधान है।
कलश का धार्मिक महत्व
कलश की पूजा किये जाने में धार्मिक रहस्य भी जुड़ा है जिसके मुताबिक भगवान् विष्णु (Lord Vishnu) के नाभि कमल से इस संसार की उत्पत्ति हुई है और कलश से ब्रह्मा जी का जन्म हुआ। कलश में रखे हुए इस जल से इस सृष्टि का निर्माण हुआ है। कलश के संबंध में एक पौराणिक कहानी भी जुड़ी हुई है। समुद्र मंथन (Samudra Manthan) के समय अमृत से भरा हुआ कलश ही देवताओं और असुर गणों के सामने प्रकट हुआ था। माता लक्ष्मी के हाथों में भी धन से भरा कलश दिखाई देता है जो सुख-समृद्धि और वैभव का प्रतीक है।
कलश का वैज्ञानिक महत्व (Kalash ka vaigyanik mahatva)
किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले कलश में पानी भरा जाता है। इस तरह व्यक्ति जल के प्रति अपना आभार प्रकट करता है। जल के बिना जीवन ही संभव नहीं, इस संसार में जल वह तत्व है जिसका कोई आकार नहीं। जल बूँद बनकर खेतों खलिहानों को हरा भरा कर सकता है वहीँ बाढ़ बनकर सब कुछ तबाह भी करने का सामर्थ्य भी रखता है। इस तरह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हम जल के प्रति अपना आभार प्रकट करते हैं।
कलश पूजा के लाभ (Kalash puja ke labh)
1. कलश पूजन शुभता का प्रतीक है इससे किये जा रहे सभी कार्य पूर्ण होते हैं।
2. कलह में कमल का फूल डालकर रखने से व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है क्योंकि कमल पुष्प लक्ष्मी माता का प्रतीक है।
3. कलश पर नारियल रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
4. कलश स्थापित किये जाने से जातकों को कर्ज से मुक्ति मिलेगी और माता लक्ष्मी की कृपा उनपर बनी रहेगी।
5. कलश को ईशान कोण में स्थापित करने से सभी मांगलिक कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
कलश में जल भरकर रखे जाने के क्या कारण हैं? (Kalash me jal bharkar rakhe jane ke kya karan hai?)
कलश (Kalash) में जल भरकर रखा जाना हमें एक संकेत देता हैं कि हमारा मन हमें जल की ही भांति स्वच्छ और निर्मल रखना चाहिए। हमारे मन में किसी भी तरह का लोभ, ईर्ष्या, घृणा, प्रतिशोध और क्रोध नहीं होना चाहिए।
कलश पर स्वस्तिक चिन्ह् क्यों बनाया जाता है? (Kalash par swastik kyu banaya jata hai?)
कलश (Kalash) पर स्वस्तिक चिन्ह बनाये जाना हमारे जीवन की चार अवस्थाओं की ओर इशारा करता है। बाल्यावस्था, किशोरावस्था, प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था। जीवन के ये चार पड़ाव हमें कलश पर बने स्वस्तिक पर दिखाई देते हैं।
कलश पर नारियल क्यों रखा जाता है? (Kalash par nariyal kyu rakha jata hai?)
कलश (Kalash) पर रखा जाने वाला नारियल भगवान् गणेश का प्रतीक है। शास्त्रों में यह बात वर्णित है कि नारियल कलश पर रखने से पूर्णफल की प्राप्ति होती है।
कलश पर सुपारी, पुष्प और दूर्वा कुश क्यों रखते हैं? (Kalash par supari, pushp aur durva kush kyu rakhte hai?)
कलश में डाली जाने वाली सुपारी, पुष्प, और दूर्वा-कुश इस भावना को प्रदर्शित करते हैं कि हमारी योग्यता में दूर्वा के जैसी- जीवन-शक्ति, कुश जैसी प्रखरता, सुपारी के जैसी स्थिरता, पुष्प जैसा सौंदर्य और उल्लास जैसे विशेष गुण सम्मिलित हो जाए।
(अपने घर से आर्थिक संकट और दरिद्रता दूर करने के लिए जातक Dakshinavarti Shankh को घर में स्थापित कर सकते हैं। दक्षिणावर्ती शंख को भी शुभता का प्रतीक माना जाता है क्योंकि यह समुद्र मंथन के दौरान निकले 14 रत्नों में से एक है।)