हरिद्वार से 3 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद मनसा देवी (Mansa Devi) को भगवान् शिव और पार्वती की पुत्री माना जाता है पर पुराणों में वर्णन मिलता है कि मनसा देवी ऋषि कश्यप के मस्तिष्क से जन्म लेने वाली शक्ति की देवी थीं। वे किसी भी विष से अधिक शक्तिशाली मानी जाती थीं इसलिए ब्रह्मा जी ने उनको विषहरि नाम दिया।
वहीँ विष्णु पुराण (Vishnu Purana) में जिस नागकन्या के बारे में उल्लेख किया गया है वे देवी मनसा है। वहीँ ब्रह्मवर्ती पुराण में देवी मनसा नामक नागकन्या को भगवान् शिव और कृष्ण भक्त बताया गया है।
मनसा देवी मंदिर कहाँ स्थित है? ( Mansa Devi Mandir kaha sthit hai? )
उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में हरिद्वार प्रसिद्ध स्थान है जहां साल भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है। गंगा अपने उद्गम से निकलने के बाद हरिद्वार में ही सबसे पहले प्रवेश करती है।
यहीं हरिद्वार से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर शिवालिक की पहाड़ियों में मनसा देवी का धाम अवस्थित है। कहा जाता है कि यहाँ आने वाले सभी श्रद्धालुओं की माँ मनसा देवी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है।
इस मंदिर में एक पेड़ की शाखा पर धागा बाँधने की प्रथा है जहाँ पर भक्तगण धागा बांधते है और जैसे ही उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है वे आकर बाँधा हुआ धागा खोल देते हैं।
इस तरह हुआ था देवी मनसा का जन्म ( Mansa Devi Ka janm Kaise Hua )
एक बार भगवान् शिव (Lord Shiva) और देवी पार्वती मानसरोवर झील में जल क्रीड़ा में मग्न थे उस समय दोनों का तेज उस झील में मौजूद कमल के पत्तो में इकट्ठा हो गया था। उस समस्या देवी पार्वती और भगवान् शिव की रक्षा कर रही सर्पिणियों ने उस तेज को अपने कुण्डल में रख लिया। इसके बाद ही इकट्ठे किये गए उस तेज से देवी मनसा देवी का जन्म हुआ था।
देवी मनसा (Devi Mansa) के जन्म को लेकर एक और कहानी प्रचलन में है जिसके मुताबिक एक बार भगवान् शिव एक मनमोहक योगी का रूप धारण कर धरती पर भ्रमण करने निकले थे उस वक़्त पास के एक गाँव में रहने वाली महिला भगवान् शिव के मनमोहक रूप पर मोहित हो गई और उनपर वशीकरण के माध्यम से नियंत्रण पाने की कोशिश करने लगी। दरअसल इस वशीकरण पाश में भगवान् शिव बांध चुके थे। उन दोनों के ही संबंध से मनसा देवी का जन्म हुआ था।
मनसा देवी को नागराज की बहन क्यों कहा जाता है? ( Mansa Devi ko Nagraj ki behan kyon kaha jata hai? )
वहीँ मनसा देवी (Mansa devi) को नागराज (Naagraj) की बहन कहने के पीछे भी एक कहानी प्रचलन में है। मनसा देवी जब भगवान् शिव और देवी पार्वती के पास उनसे मिलने आई थी तब भोलेन्थ के गले में लटके हुए नागराज वासुकि ने दोनों से हाथ जोड़कर प्रार्थना की और कहा कि देवी मनसा को नागलोक भेज दें।
नागराज ने ऐसी प्रार्थना इसलिए की थी क्योंकि अष्टनागों की कोई बहन नहीं थी। भोलेनाथ ने नागराज की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए उन्हें नागलोक जाने की अनुमति दे दी और तभी से देवी मनसा को नाग देवता की बहन माना जाता है।
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