तुलसी विवाह | Tulsi vivah
हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे को ना सिर्फ पूजा जाता है बल्कि उसे लक्ष्मी (laxmi) का रूप भी माना जाता है । तुलसी के पौधे को एक पवित्र पौधा माना गया है और शस्त्रों मे भी तुलसी पूजन (tulsi pujan) का विषेश विधान है। Tulsi vivah
जो भी तुलसी की पूजा करता है, उसके घर में हमेशा सुख और शांति बनी रहती है ।धार्मिक ग्रंथों में तुलसी को श्री कृष्ण(shree krishna) से जोड़ा गया है। कृष्ण भक्त अक्सर तुलसी की माला धारण करते है । और जिस भी भोजन में तुलसी का पत्ता रख दिया जाए तो वह भोजन पवित्र होकर प्रशाद बन जाता ।
जितना तुलसी के पौधे का हमारे धर्म मे महत्व है , उतना ही तुलसी विवाह (Tulsi vivah) के पर्व को भी माहत्वपूर्ण माना गया है ।
तुलसी विवाह कब है? | Tulsi vivah kab hai?
हर वर्ष तुलसी विवाह (Tulsi vivah) कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है , जो की इस वर्ष 23 नवंबर, गुरुवार के दिन से शुरू होगा । विवाह का मुहूर्त रात 9 बजकर 1 मिनट से शुरू है और मुहूर्त का समापन 24 नवंबर शुक्रवार शाम 7 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगा । ऐसे में उदया तिथि के अनुसार तुलसी विवाह 24 नवंबर को मनाया जाएगा ।
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इस शुभ दिन पर तुलसी माँ की पूजा की जाती है और साथ ही साथ व्रत भी रखा जाता है ।
तुलसी विवाह के पर्व पर पूजा प्रदोष काल में की जाती है , इस दिन प्रदोष काल शाम 5 बजकर 25 मिनट से शाम 6 बजकर 4 मिनट तक रहेगा ।
इस शुभ दिन पर सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और सिद्धि योग भी बन रहे हैं। सिद्धि योग ब्रह्म मुहूर्त से सुबह 9 बजकर 5 मिनट तक रहेगा , अमृत सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 51 मिनट से शाम 4 बजकर 1 मिनट तक होने वाला है । सर्वार्थ योग पूरे दिन बना रहेगा ।
तुलसी विवाह की सामग्री | Tulsi vivah ki samagri
चलिए अब नजर डालते है , तुलसी विवाह (tulasi vivah) की सामग्री पर , इस पूजा को पूरे विधि विधान से करने के लिए आपको क्या क्या सामग्री चाहिए होगी ।तुलसी विवाह के पूजन के लिए आपको चाहिए होगा तुलसी का पौधा (tulsi ka paudha), भगवान शालिग्राम की मूर्ति, आप शालिग्राम पत्थर (shaligram patthar) या उनकी तस्वीर भी ले सकते है ।
इसके अलावा आपको चाहिए होगा एक पीला कपड़ा, एक लाल रंग की चुनरी , कुमकुम, सिंदूर, अक्षत , घी, मिट्टी का दीया , मौसमी फल , फूल, पंचामृत, मूली, गणना, शकरकंद, आवला, सिंघाड़ा, बेर, सीताफल, अमरूद, तुलसी विवाह कथा की पुस्तक, विष्णु सहस्रनाम आदि वस्तुएं ।
तुलसी विवाह की विधि | Tulsi vivah ki vidhi
अब आपको बताते है तुलसी विवाह की सही विधि ,क्यूँकी कोई भी कार्य अगर पूरे विधि विधान से किया जाए, तभी वह कार्य या पूजा सफल मानी जाती है । तुलसी विवाह (Tulsi vivah) के दिन एक साफ चौकी लें, उस पर आसन बिछाएं दे । उसपर घर में मौजूद तुलसी के पौधे को स्थापित करें।
फिर दूसरी चौकी लें और उसपर शालिग्राम जी (shaligram ji) को स्थापित कर दे । अब दोनों चौकियों के ऊपर गन्ने से मंडप बनाएं। एक कलश लें, उसमें जल भरकर उस कलश में सात आम के पत्ते गोलाकार में सजाएं और फिर उस कलश को पूजा स्थल पर रख दे ।
शालिग्राम जी और तुलसी मां (tulsi ma) को तिलक करें और उनके सामने घी का दीपक जलाएं। तुलसी के पौधे को लाल रंग की चुनरी उढ़ाएं। इसके बाद चूड़ी, बिंदी, सिन्दूर आदि वस्तुओं से तुलसी माता(tulsi mata) का श्रृंगार करें।
चौकी समेत शालीग्राम भगवान को हाथों में लेकर तुलसी की 7 परिक्रमा करें, जैसे की विवाह में 7 फेरे लगाते है । इसके बाद तुलसी माता और शालिग्राम भगवान (shaligram bhagwan) की आरती करके उन्हें भोग लगाएं और प्रसाद बाटें।
तुलसी विवाह का महत्व | Tulsi vivah ka mahatv
तुलसी विवाह का हिन्दू धर्म में खास महत्व है। मान्यता है कि इस दिन तुलसी माता का विवाह भगवान विष्णु (bhagwan vishnu) के विग्रह स्वरूप यानी कि शालिग्राम भगवान से हुआ था।
इस दिन जो भी दंपत्ति तुलसी पूजन कर भगवान विष्णु का स्मरण करते हैं उनका वैवाहिक जीवन खुशियों से भर जाता है। वैवाहिक जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि का घर में आगमन होता है।
तुलसी माता का स्तुति मंत्र | Tulsi mata ka stuti mantr
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः,
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
मां तुलसी का पूजन मंत्र | Tulsi mata ka pujan mantr
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
तुलसी माता का ध्यान मंत्र | Tulsi mata ka dhyaan mantr
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
तुलसी माता की आरती | Tulsi mata ki aarti
जय जय तुलसी माता
सब जग की सुख दाता, वर दाता
जय जय तुलसी माता ।।
सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर
रुज से रक्षा करके भव त्राता
जय जय तुलसी माता।।
बटु पुत्री हे श्यामा, सुर बल्ली हे ग्राम्या
विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता
जय जय तुलसी माता ।।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वन्दित
पतित जनो की तारिणी विख्याता
जय जय तुलसी माता ।।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में
मानवलोक तुम्ही से सुख संपति पाता
जय जय तुलसी माता ।।
हरि को तुम अति प्यारी, श्यामवरण तुम्हारी
प्रेम अजब हैं उनका तुमसे कैसा नाता
जय जय तुलसी माता ।।
तुलसी की माला (Tulsi ki mala) के फायदे और जाने कैसे पहनें तुलसी की माला
Tulsi ki mala का हमारी संस्कृति मे एक अलग पवित्र स्थान है। तुलसी की माला तुलसी पौधे के तने से बनायी जाती है। माना जाता है की इसके अंदर देवी निवास करती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि आप तुलसी की माला को अपने गले मे धारण करते है तो इस से आपकी कुंडली में बुध और गुरु दोनों ग्रहों को बल मिलता है और उनका स्थान मजबूत होता है। इसलिए अगर जातक की कुंडली में बुध और गुरु गृह कमजोर हो तो उन्हें तुलसी की माला धारण करनी चाहिए। तुलसी माला के अनेक लाभ है परन्तु अगर tulsi ki mala का पूजन कर के उसे गले मे पहना जाये तो आपको जीवन मे सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते है। तुलसी माला में असीम ऊर्जा विद्यमान होती है। इसे पहनने से आपके शरीर में एक्वा पंक्चर होता है और गंभीर बीमारियों से मुक्ति मिलती है। tulsi mala से जाप करने से आप की आत्मा की शुद्धि होती है और इसके द्वारा आप प्रभु की शरण मे आते है।
Story behind tulsi vivah | tulsi tulsi vivah
धार्मिक कथा है कि वृंदा पति के वियोग को सहन नहीं कर पाई और सती हो गई. कहा जाता है कि वृंदा की राख से जो पौधा उत्पन्न हुआ उसे भगवान विष्णु ने तुलसा का नाम दिया. जिसके बाद भगवान विष्णु ने यह प्रण लिया कि वे तुसली के बिना भोग ग्रहण नहीं करेंगे. इसके साथ ही उनका विवाह शालीग्राम से होगा.
Tulsi vivah how to perform | Tulsi vivah 2023
घी का दीपक जलाएं: मान्यता है कि तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक प्रज्ज्वलित करना चाहिए।
Tulsi for Pooja | Tulsi vivah 2023
Tulsi Puja में आप उसके चारों ओर लाल कपड़ा लपेट सकते हैं और उसे चूड़ियों और बिंदी जैसे गहनों से सजा सकते हैं। तुलसी और भगवान विष्णु की मूर्ति के बीच एक पवित्र धागा बांधें। पवित्र तुलसी के पौधे और भगवान विष्णु को फूल और फल चढ़ाएं। पूजा और आरती करने के बाद परिवार के सदस्यों और अन्य भक्तों को प्रसाद वितरित करें।
story of Tulsi mata | Tulsi mata story
वृंदा ऐसे बनी तुलसीधार्मिक कथा है कि वृंदा पति के वियोग को सहन नहीं कर पाई और सती हो गई. कहा जाता है कि वृंदा की राख से जो पौधा उत्पन्न हुआ उसे भगवान विष्णु ने तुलसा का नाम दिया. जिसके बाद भगवान विष्णु ने यह प्रण लिया कि वे तुसली के बिना भोग ग्रहण नहीं करेंगे.