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    Home » Tulsi Mata – तुलसी कौन थी? राक्षस कुल में जन्म के बाद भी क्यों हैं भगवान विष्णु को सबसे अधिक प्रिय, पढ़ें ये कथा
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    Tulsi Mata – तुलसी कौन थी? राक्षस कुल में जन्म के बाद भी क्यों हैं भगवान विष्णु को सबसे अधिक प्रिय, पढ़ें ये कथा

    Dhruv SahaniBy Dhruv SahaniJanuary 15, 2024Updated:January 15, 2024
    Tulsi Mantra
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    तुलसी माता कौन थी? | Tulsi Mata kaun the 

    असुर के साथ हुआ था तुलसी का विवाह (Tulsi ka vivah) ऐसा कहा जाता है कि पूर्वजन्म में तुलसी राक्षस कुल में जन्मी थीं. उनका नाम वृंदा  था, जो भगवान विष्णु की परम भक्त थी. वृंदा का विवाह दानव राज जलंधर से हुआ. जब जलंधर देवताओं से युद्ध कर रहा था तो वृंदा पूजा में बैठकर पति की जीत के लिए अनुष्ठान करने लगी.

    तुलसी माता की कहानी क्या है? | Tulsi Mata ki kahani kya hain

    तुलसी (पौधा) पूर्व जन्म मे एक लड़की थी, जिसका नाम वृंदा था। राक्षस कुल में जन्मी यह बच्ची बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्त थी। जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षस कुल में ही दानव राज जलंधर से संपन्न हुआ। राक्षस जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ था।

    तुलसी का विवाह किससे होता है? | Tulsi ka vivah kisse hotya hain

    तुलसी  विवाह (Tulsi  vivah) भगवान विष्णु के भक्तों द्वारा बहुत मनाया जाता है। मंदिरों को सजाने के लिए रोशनी और फूलों का उपयोग किया जाता है, और देवी तुलसी (Devi tulsi) और भगवान शालिग्राम का विवाह समारोह आयोजित करने के लिए भजन कीर्तन आयोजित किए जाते हैं। इस दिन को बड़े स्तर पर मनाया जाता है.
    Tulsi Mata
    Tulsi Mata

    तुलसी Mata को श्राप क्यों दिया था? | Tulsi Mata ko shraap kyu diyaa tha

    वृंदा के श्राप से रुष्ट होकर विष्णु जी ने बताया कि वो उसका राक्षस जालंधर से बचाव कर रहे थे और उन्होंने वृंदा को श्राप दिया कि वो लकड़ी बन जाए. इधर वृंदा का प्रतिव्रता धर्म नष्ट होने के बाद भगवान शिव ने राक्षस राज जालंधर की हत्या कर दी. विष्णु जी के श्राप के कारण वृंदा कालांतर में तुलसी बनी.

    तुलसी पूजन कब हैं 2024 | Tulsi pujan kab hain 2024

    प्रत्येक साल पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है। एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा-व्रत करने का विधान है। साल 2024 की पहली एकादशी 07 जनवरी को सफला एकादशी है। तुलसी भगवान विष्णु की प्रिय है।

    Also read : Bhringraj Ka Paudha – जानिये भृंगराज पौधे के फायदे

    tulsi mata images
    tulsi mata images

    तुलसी कृष्ण को प्रिय क्यों है? | Tulsi Krishna ko priye kyu hain

    गहरे हरे या बैंगनी पत्तों और बैंगनी तने वाली तुलसी को श्यामा-तुलसी (“गहरा तुलसी”) या कृष्ण-तुलसी (“गहरा तुलसी”) कहा जाता है; कृष्ण भी विष्णु के एक प्रमुख अवतार हैं। यह किस्म कृष्ण के लिए विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है, क्योंकि इसका बैंगनी रंग कृष्ण के गहरे रंग के समान है ।

    विष्णु ने तुलसी से शादी क्यों की? | Vishnu ne tulsi se shaadi kyu ki

    तदनंतर, जहां वृंदा ने आत्मदाह किया, वहां एक पौधा उग आया, जो तुलसी कहलाया। इस संबंध में भगवान विष्णु ने कहा कि तुलसी के साथ ही मेरी पूजा पाषाण यानी शालिग्राम के रूप में की जाएगी। इसी कारण से देवउठनी के दिन शालिग्राम का विवाह तुलसी से होता है।

    तुलसी माता को कैसे खुश करें? | Tulsi Mata ko kaise khush kare

    1. प्रथम सेवा : तुलसी की जड़ों में रविवार और एकादशी को छोड़कर प्रतिदिन उचित मात्रा में जल अर्पण करना चाहिए। …
    2. द्वितीय सेवा : समय समय पर तुलसी की मं‍जरियों को तोड़कर तुलसी से अलग करते रहें अन्यथा तुलसी बीमार होकर सूख जाएगी। …
    3. तीसरी सेवा : वह महिलाएं तुलसी माता (Tulsi mata) से दूर रहें जिन्हें पीरियड चल रहे हैं।
    tulsi maa
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    तुलसी अपने पिछले जन्म में कौन थी? | Tulsi apne pichhale janam me kaun the

    Tulsi अपने पूर्व जन्म में राक्षस जलंधर की पतिव्रता पत्नी वृंदा थीं। वह असाधारण रूप से सुंदर थी, अपने धर्म का पालन करती थी और हमेशा अपने पति के लिए आदर्श पत्नी थी। जल में जन्म लेने के कारण जलंधर का नाम जलंधर रखा गया।

    तुलसी के कितने पति थे? | Tulsi ke kitne pati the

    वृंदा बचपन से ही भगवान विष्णु जी की परम भक्त थी। बड़े ही प्रेम से भगवान की पूजा किया करती थी। जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षस कुल में दानव राज जलंधर से हो गया,जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ था।

    राधा कृष्ण में तुलसी कौन है? | Radha Krishna me tulsi kaun hain

    श्रीमती तुलसी देवी श्रीकृष्ण की सबसे महान भक्तों में से एक हैं। हिंदू धर्मग्रंथों में एक कहानी है: तुलसी का पौधा वृंदा नाम की एक महिला थी। उसका विवाह जलंधर से हुआ था, जो अपनी धर्मपरायणता और विष्णु के प्रति समर्पण के कारण अजेय हो गया था।
    tulsi mata katha
    tulsi mata katha

    तुलसी का दूसरा नाम क्या है? | Tulsi ka dusra naam kya hain

    तुलसी के आठ नाम – वृंदा, वृंदावनी, विश्वपूजिता, विश्वपावनी, पुष्पसारा, नन्दिनी, तुलसी और कृष्ण जीवनी। इस मंत्र का जाप करें या नहीं हो सके, तो तुलसी के इन आठ नामों को स्मरण करने से ही अक्षय फल मिलते हैं।

    तुलसी कौन से भगवान को नहीं चढ़ती है? | Tulsi kaun se bhagwan se nahi chadhaatee hain

    मान्यता के अनुसार गणेशजी की पूजा में उन्हें कई प्रकार के मोदकों का भोग लगाया जाता है इसके साथ ही उन्हें रोली, अक्षत, दूर्वा, पुष्प, इत्र, सिंदूर आदि अर्पित किया जाता है। लेकिन कभी भी भगवान गणेश को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है।

    तुलसी हमें क्या देती है? | Tulsi hame kya dete hain

    तुलसी विटामिन सी और जिंक से भरपूर होती है। इस तरह यह एक नैचुरल इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में काम करता है और संक्रमण को दूर रखता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-फंगल गुण होते हैं जो हमें कई तरह के संक्रमणों से बचाते हैं।
    tulsi
    tulsi

    तुलसी के कितने गुण होते हैं? | Tulsi ke kitne gun hote hain

    आयुर्वेद के मुताबिक, तुलसी की पत्तियों में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल, एंटी-फंगल जैसे गुण पाए जाते हैं. इससे शरीर की कई समस्याएं खत्म हो जाती है. तुलसी की पत्तियां पेट के लिए तो अमृत की तरह ही है। पेट की कई समस्याएं जैसे- पेट में जलन, अपच, एसिडिटी को यह चुटकियों में दूर कर सकती है.

    तुलसी के पत्ते कब नहीं लेने चाहिए? | Tulsi ke patte kab nhi lene chaiye

    तुलसी के पत्ते सुबह दिन निकलने से पहले या शाम को अंधेरा होने के बाद न तोड़ें, न ही एकादशी के अगले दिन द्वादशी तिथि पर कभी भी तुलसी के पत्ते (Tulsi ke patte) न तोड़ें। भले ही तुलसी के पत्ते पिछले दिन या सुबह काटे जाने के कारण सूख गए हों, फिर भी उनका उपयोग देव पूजा में किया जा सकता है।

    तुलसी माता का भोग क्या है? | Tulsi Mata ka bhog kya hain

    आप तुलसी  विवाह को गन्ने से बनी खीर का भोग लगा सकते हैं. गन्ने को तुलसी विवाह में बेहद शुभ माना जाता है.
    tulsi devi
    tulsi devi

    क्या हम सुबह तुलसी पर दीया जला सकते हैं? | Kya hum subha tulsi par diya jala sakte hain

    सुबह तुलसी पूजन के बाद उसमें जल जरूर अर्पित करें। तुलसी के पौधे (Tulsi ke paudhe) के नीचे नियमित रूप से दीपक जलाएं। ऐसा करने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है ।

    गुरुवार को तुलसी में क्या चढ़ाएं? | Guruvar ko tulsi me kya chadhaiye

    यदि आप किसी आर्थिक तंगी या विपत्ति में फंस गए हैं तो बृहस्पतिवार के दिन तुलसी के पौधे में कच्चा दूध पानी मिलाकर चढ़ाएं. इससे आपको तुरंत ही आर्थिक लाभ दिखना शुरु हो जाएगा. कहते हैं कि तुलसी के पौधे के पास घी का दिया जलाने से देवी-देवता सहाय हो जाते हैं.
    tulsi mata aarti
    tulsi mata aarti

    क्या हम हनुमान को तुलसी के पत्ते चढ़ा सकते हैं? | Kya hum hanuman ko tulsi ke patte chadha sakte hain

    हनुमान जी को तुलसी चढ़ाने का सही तरीका ये है कि हम … पहले भगवान राम को तुलसी अर्पित करें और फिर उसका भोग लगाएं । हनुमान को प्रसादम . हनुमान जी को तुलसी अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं।

    तुलसी का असली पति कौन है? | Tulsi ka asle pati kaun hain

    इस दिन महिलाएं घाट पर नहाने के बाद विधि विधान से तुलसी की शादी शालीग्राम से करती हैं। – पुराणों में लिखा है की माता तुलसी के पति जालंधर बहुत ही अत्‍याचारी थे। – संसार के लोग इसके अत्‍याचार से बहुत त्रस्‍त थे।

    तुलसी देवी किसकी पत्नी थी? | Tulsi Devi kiske patnee the

    हम सभी जानते हैं कि भगवान विष्णु मां लक्ष्मी के पति हैं, लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि श्रीहरि विष्णु को तुलसी से विवाह करना पड़ा. जानते हैं कि क्यों देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह कराया जाता है. तुलसी एवं विष्णु जी के शालीग्राम जी के विवाह के पीछे बेहद रोचक कहानी है.
    tulsi paudha
    tulsi paudha

    तुलसी पूजा घर पर रोजाना कैसे करें? | Tulsi pooja ghar par rojana kaise kare

    अब, मैं आपको बताता हूं कि घर पर रोजाना तुलसी पूजा कैसे करें: तुलसी के पौधे (Tulsi ke paudhe)के पास एक तेल का दीपक जलाएं। कलश को दोनों हाथों से पकड़ें और पौधे पर जल चढ़ाएं। उसके बाद, हल्दी, कुमकुम और फूल जैसी पवित्र वस्तुएं चढ़ाएं ।

    तुलसी माता किसका अवतार है? | Tulsi Mata kiske avatar hain

    Tulsi Vivah 2023 Mukti Nath Dham: कार्तिक मास के सबसे बड़े और पवित्र त्योहारों में से आज का सबसे पावन त्योहार तुलसी विवाह का दिन है। आज माता तुलसी का भगवान विष्णु के शालिग्राम अवतार के साथ विवाह कराया जाएगा।

    तुलसी की कहानी क्या है? | Tulsi ki kahani kya hain

    धार्मिक कथा है कि वृंदा पति के वियोग को सहन नहीं कर पाई और सती हो गई. कहा जाता है कि वृंदा की राख से जो पौधा उत्पन्न हुआ उसे भगवान विष्णु ने तुलसा का नाम दिया. जिसके बाद भगवान विष्णु ने यह प्रण लिया कि वे तुसली के बिना भोग ग्रहण नहीं करेंगे. इसके साथ ही उनका विवाह शालीग्राम से होगा.

    तुलसी के पौधे में हल्दी डालने से क्या होता है? | Tulsi ke paude me haldi dalne se kya hota hain

    Tulsi ke paudhe में हल्दी डालने से पत्तियां अधिक चमकदार और सुंदर दिखाई देने लगती है इसलिए अगर पत्ते सुख रहें हो, तो पौधे में हल्दी को जरूर डालें।
    tulsi vivah
    tulsi vivah

    तुलसी विवाह कैसे हुआ था? | Tulsi Vivah kaise hua tha

    तुलसी विवाह की कथा – हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, वृंदा नाम की एक कन्या थी. वृंदा का विवाह समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए जलंधर नाम के राक्षस से कर दिया गया. वृंदा भगवान विष्णु की भक्त थी और एक पतिव्रता स्त्री भी थी जिसके कारण उसका पति जलंधर और भी शक्तिशाली हो गया.

    तुलसी की शादी क्यों होती है? | Tulsi ki shaadi kyu hote hain

    देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा योग से जागते हैं। इसी दिन से सभी शुभ कार्य किए जाते हैं और इसी अवसर में देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह किया जाता है। इस वर्ष तुलसी विवाह का 24 नवंबर को किया जाएगा। तुलसी का विवाह करने से देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

    तुलसी से कौन सी बीमारी ठीक होती है? | Tulsi se kaun se bimari thike hote hain

    इन पत्तियों में कफ-वात दोष को कम करने, पाचन शक्ति एवं भूख बढ़ाने और रक्त को शुद्ध करने वाले गुण होते हैं। इसके अलावा तुलसी के पत्ते बुखार, दिल से जुड़ी बीमारियां, पेट दर्द, मलेरिया और बैक्टीरियल संक्रमण आदि के इलाज में बहुत फायदेमंद हैं।
    tulsi puja
    tulsi puja

    तुलसी को घर पर कब लाना चाहिए? | Tulsi ko ghar par kab lanaa chaiye

    जैसा कि मैंने पहले ही बताया है, तुलसी के पौधे हिंदू कार्तिक माह के दौरान गुरुवार को लगाए जाने चाहिए । हालाँकि, आप इसे किसी भी महीने, किसी भी सप्ताह और किसी भी गुरुवार को भी लगा सकते हैं। घर के मध्य भाग या आंगन में भी तुलसी का पौधा लगाना चाहिए।

    तुलसी किसे नहीं खाना चाहिए? | Tulsi kise nahi khana chaiye

    इसके अतिरिक्त, रक्तचाप कम करने वाली दवाएं या मधुमेह की दवाएं लेने वाले लोगों को तुलसी की खुराक के साथ सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि वे रक्तचाप और रक्त शर्करा को कम कर सकते हैं। आपके डॉक्टर को आपकी दवा की खुराक कम करने की आवश्यकता हो सकती है । यदि आप गर्भवती हैं या गर्भवती होने की कोशिश कर रही हैं तो पवित्र तुलसी से बचें।

    तुलसी में दीपक कब नहीं चलना चाहिए? | Tulsi me deepak kab nhi jalana chaiye

    तुलसी में दीपक कब नहीं जलाना चाहिए? आमतौर पर शाम के समय या सूर्यास्त के बाद तुलसी में दीपक नहीं जलाने की सलाह दी जाती है।
    tulsi plant
    tulsi plant

    क्या तुलसी में सिंदूर लगाना चाहिए? | Kya Tulsi Mata me sindoor lagana chaiye

    अब आपको कुछ ऐसी बातें बताते हैं जिनके कारण आपका तुलसी का पौधा पनपता नहीं है। यह बहुत ही आम गलतियां हैं जिन्हें दोहराना नहीं चाहिए। पूजा करते समय तुलसी की जड़ों में सिंदूर नहीं लगाना चाहिए। इससे मिट्टी भी दूषित होती है और पौधे के सूखने की गुंजाइश बनी रहती है।

    तुलसी पूजा में क्या क्या सामग्री चाहिए? | Tulsi pooja me kya kya saamagree chaiye

    गंगाजल से तुलसी जी और शालिग्राम जी को स्नान कराएं। भगवान शालिग्राम को पीले फूल, वस्त्र और फल अर्पित करें फिर पीले चंदन से तिलक लगाएं। तुलसी जी को फल, फूल, लाल चुनरी, बिंदी, सिंदूर समेत श्रृंगार का सामान अर्पित करें और लाल चंदन से तिलक लगाएं। अब धूपबत्ती और घी का दीपक प्रज्वलित करें।

    तुलसी माता की आरती | Tulsi mata ki aarti

    Tulsi Mata Ki Aarti | Jai Tulsi Mata Aarti

    जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।
    सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।।
    मैय्या जय तुलसी माता।।

    सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।
    रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता।
    मैय्या जय तुलसी माता।।

    बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।
    विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
    मैय्या जय तुलसी माता।।

    हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।
    पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।
    मैय्या जय तुलसी माता।।

    लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।
    मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता।
    मैय्या जय तुलसी माता।।

    हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।
    प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।
    हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।
    मैय्या जय तुलसी माता।।

    जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।
    सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥
    मैय्या जय तुलसी माता।।

    तुलसी जी का मंत्र क्या है? | Tulsi ji ka mantra kya hain

    इस दौरान तुलसी पूजा करते वक्त तुलसी जी के मंत्र जाप जरुर करना चाहिए. तुलसी माता का ध्यान मंत्र – तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी। धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।। लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

    तुलसी के पौधे में दूध डालने से क्या होता है? | Tulsi ke paudhe me doodh daalane se kya hota hain

    तुलसी पर दूध चढ़ाने के लिए कच्चे दूध की कुछ बूंदों को जल में मिलाएं और फिर तुलसी पर अर्पित करें. ऐसा करने पर भगवान विष्णु प्रसन्न हो सकते हैं. गुरुवार के दिन को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित किया जाता है इसीलिए गुरुवार के दिन खासतौर से तुलसी पर दूध चढ़ाने की सलाह दी जाती है.

    तुलसी की पूजा करते समय क्या बोलना चाहिए? | Tulsi ki puja karte samay kya bolna chaiye

    मंत्र का जाप करें. जीवन में सफलता पाने के लिए महाप्रसादजननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।। मंत्र का जाप करें.

    तुलसी माता के 8 नाम | Tulsi mata ke 8 naam

    तुलसी माता के आठ प्रमुख नामपुष्पसारा, नन्दिनी, वृंदा, वृंदावनी, विश्वपूजिता, विश्वपावनी, तुलसी और कृष्ण जीवनी।

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