हिन्दू धर्म मे अन्य प्रकार के देवी देवता विराज करते हैं, जिन्हे हम भली भाति जानते हैं। और उनके लिए हुए अन्य अवतारों को भी काफी अच्छे से जानते हैं, जिन्होंने न जाने कितने महान कार्य किए हैं, और पाप और अधर्म को खत्म किया हैं। Gandaberunda Navagunjara Makar
लेकिन इन अवतारों के बीच कुछ ऐसे अवतार हैं, जिन्हे रहस्यमे अवतारों की सूची मे रखा गया हैं। आज के इस लेखन मे हम आप सभी को कुछ ऐसे ही रहस्यमे अवतारों से मिलाएंगे, जिन्हे हम सभी ने समय के साथ खो दिया हैं। और हमारा काम हैं आप सभी तक एसे ही छिपे हुए रहस्य को उजागर करना हैं।
चलिए इस यात्रा मे हमारा साथ दे, और जाने की आखिर वह कौन से रहस्यमय अवतार हैं, जिन्हे हम आज के समय मे नहीं जानते।
सभी अवतारों मे सबसे पहला अवतार आता हैं, गंडभेरुंड(Gandaberunda) यह एक मात्र ऐसा अवतार हैं जिसने अवतार के अंदर से एक अवतार का रूप लिया था। आईये जानते हैं इसके पीछे की कहानी;
जब भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए अपना चौथा अवतार नर्सिंगह(narsingh)अवतार लिया था, जिसका चेहरा शेर जैसा और बाकी का शरीर मनुष्य जैसा था। हिरण्यकश्यप का वध करने के बाद भी जब नर्सिंगह देव का क्रोध शांत नहीं हुआ। तब सभी देवी देवता ने नर्सिंगह (narsingh)अवतार को शांत करने की बहुत कोशिश करी लेकिन सभी देवता असफल रहे। तब ऐसे मे सभी देवता भगवान शिव (bhagwan shiv) के पास गए और उन्हे बताया की, भगवान विष्णु (bhagwan vishnu) के नर्सिंगह अवतार का क्रोध शांत नहीं हो रहा हैं, अगर यह क्रोध और बड़ा तो पृथ्वी का सरविनाश हो जाएगा।
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ऐसे मे भगवान शिव ने आधे हिरण और आधे शरभ पक्षी के रूप में प्रकट हुए थे। जिसे शरद (sharad) अवतार कहा गया, जिनके 8 पैर थे और हजारों शेर से भी ज्यादा शक्तिशाली थे। वह नर्सिंगह देव (narsingh dev) को शांत कराने पहुचे, लेकिन नर्सिंगह देव नहीं माने, अंत मे दोनों के बीच युद्ध छिड़ गया। और भगवान शिव (bhagwan shiv) के शरद अवतार ने नर्सिंगह देव को अपने पंजे से पकड़ा और दूर आकाश मे ले गए।
युद्ध के दौरान जब नर्सिंगह अवतार घायल होने लगे तो उन्होंने युद्ध के वातावरण को देख कर अपने आप को एक नया अवतार दिया। जिसे गंडभेरुंड (Gandaberunda) नाम से जाना जाता हैं। जिसका स्वरूप एक बहुत बड़े पक्षी के रूप मे हैं लेकिन इनके लंबी गर्दन वाले 2 सर हैं। युद्ध के अठरावे व अंतिम दिन मे गंडभेरुंड ने अपनी चोंच से शरद (sharad) अवतार को घायल कर दिया। जिससे शरद अवतार की वही मृत्यु हो गई और उनका शरीर भगवान शिव मे सिमट गया।
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और गंडभेरुंड का गुस्सा भी शरद अवतार की मृत्यु से शांत हो गया, फिर उन्होंने भी अपने शरीर को त्याग दिया और भगवान विष्णु (bhagwan vishnu) मे सिमट गए। आज भी दक्षिण भारत के कई मंदिरों मे गंडभेरुंड की अकर्तियाँ देखने को मिलती हैं और साथ ही आज भी दक्षिण भारत के लोग गंडभेरुंड को देवता के रूप मे पूजते हैं। इनकी मान्यता इतनी हैं की, कर्नाटका के झंडों मे भी गंडभेरुंड पक्षी का चिन हमे देखने को मिलता हैं।
अब हम बात करते हैं, नवगुंजर (navagunjara) अवतार के बारे मे;
नवगुंजर को नवगुंजर इसलिए कहा जाता हैं क्यूंकी इनका स्वरूप 9 जीवों के समान दिखता है और नवगुंजर अवतार श्री कृष्ण जी (krishna ji) के अवतार हैं। वैसे तो आज भी नवगुंजर अवतार के बारे मे बहुत कम लोग जानते हैं। लेकिन इसके बारे मे पहला और अभी तक का आखिरी उलेख सिर्फ ऑडिया की महाभारत मे देखने को मिलता हैं, जिसे 15 वी सदी मे सरल दास ने अपने हाथों से लिखी थी और उन्ही ने सबसे पहले नवगुंजर (navagunjara) अवतार का उलेख किया था।
नवगुंजर अवतार को 9 जीवों का समेलन करके बनाया गया हैं; जिसमे सर मुर्गे का, गर्दन मोर की, कूबड़ बैल का, और पेट शेर का, पूंछ सांप की, पीछे का एक पैर बाघ का – दूसरा पैर घोड़े का और आगे के 2 हाथ जिसमे एक हाथ हाथी का और दूसरा हाथ इंसान का जिसमे हाथ मे कमल का पुष्प लिया हुआ हैं। Gandaberunda Navagunjara Makar
महाभारत युद्ध के बाद जब अर्जुन (arjun) वनवास के दौरान एक चटान पर बैठ कर तपस्या कर रहे थे तब भगवान कृष्ण (bhagwan krishna) ने नवगुंजर अवतार मे आकर अर्जुन के सोच समझ की परीक्षा ली, तब अर्जुन नवगुंजर अवतार जैसा जीव देख कर डर गए तब अर्जुन (arjun) ने उस जीव को मारने के लिए अपना धनुष निकाला तभी अर्जुन का ध्यान उस जीव के एक हाथ की ओर गया जिसमे एक मनुष्य का हाथ था जिसने एक कमल के पुष्प को पकड़ा हुआ था।
तब अर्जुन समझ गए और उन्होंने अपना सर झुका लिया और कहा प्रणाम माधव (madhav), ऐसे मे श्री कृष्ण अपने वास्तविक रूप मे आ गए। नवगुंजर अवतार को ऑडिया महाभारत के एक अध्याय मे जिक्र किया गया, जिससे हमे मालूम पड़ता हैं की अन्य महाभारत के ज्ञान भी हम सभी ग्रहन करने चाहिए।
अगर अब हम तीसरे अवतार की बात करे तो वह, कोई अवतार नहीं हैं बल्कि यह एक देवी के वहान हैं। जिसके बारे मे बहुत कम लोग जानते है।
यह वहान गंगा देवी (ganga devi) का वहान हैं, जिसे मकर (makar) के नाम से जाना जाता हैं। जिसका स्वरूप भी अन्य जीवों से मिलकर बना हैं, जिसे कुछ इस तरह से वर्णित किया हैं; जिसका शरीर मछली(fish) के समान प्रतीत होता हैं, और मस्तक हाथी के मुह के समान होता हैं, जब की जबड़ा मगरमछ के समान प्रतीत होता हैं और इनकी पूंछ कहने को तो वह मोर के पीछे के आकार के समान प्रतीत होती हैं, लेकिन कुछ किस्से कहानियों की माने तो वह वह कोई और जीव के पीछे का हिस्सा हैं क्यूंकी मोर को समुद्र व किसी प्रकार के जल मे रहने के लिए बनाया गया हैं, और माँ गंगा देवी (ganga devi) ने अपना वहान सिर्फ पानी मे रहने वाली जीव को चुनकर बनाया था, इससे यह बात साफ हो जाती हैं की, मकर वहान के पीछे का हिस्सा किसी और समुद्र मे रहने वाले जीव का हैं।
गंडाबेरुंडा किसके अवतार थे? | Gandaberunda kiske avatar the?
गंडाबेरुंडा को बाद में विष्णु के चौथे अवतार नरसिम्हा द्वारा लिए गए एक द्वितीयक रूप के रूप में पहचाना गया और इसे एक ही समय में शरभ और हिरण्यकशिपु दोनों को मारते हुए दिखाया गया है।
नवगुंजर किसके अवतार थे? | Navagunjara kiske avatar the?
इस अवतार के विषय में महाभारत या किसी भी पुराण में कोई वर्णन नहीं है। केवल उड़ीसा के लोक कथाओं में श्रीहरि के इस विचित्र अवतार का वर्णन मिलता है। वहाँ नवगुंजर को श्रीकृष्ण का अवतार भी माना जाता है।
विष्णु भगवान 10 अवतार | Vishnu bhagwan 10 avatar
तो आइए जानें श्रीहरि के दशावतारों के बारे में :
- मत्स्य अवतार भगवान विष्णु का पहला अवतार है
- वराह अवतार
- कच्छप अवतार
- नृसिंह भगवान
- वामन अवतार
- परशुराम
- श्रीराम
- कल्कि अवतार
- कृष्ण अवतार
- बुद्ध अवतार