भगवान् है या नहीं इस बात पर सदा से मत भेद चले आ रहे है , और ऐसे कई मत भेद का सीधा और आसान हल है की मानो तो पत्थर में भी भगवान् है और न मानो तो भगवान् भी पत्थर सामान ही है। और वो कहते है न ढूढ़ने से तो भगवान भी मिलते है पर ढूंढ़ने वाले की आस्था व मन पवित्र होनी चाहिए। ऐसी ही पवित्र आस्था की कहानी आज हम आपको बताने जा रहे है।
बिहार के खगरीअ नामक जिले में सोमेश नाम की एक किशोर युवक रहा करता है जो की महादेव का असीम भक्त है , महादेव के मंदिर जाना सावन माह उपवास रखना सोमेश का नियम था। वह सभी के साथ सभ्य व्यवहार करता है , वह एक विद्यालय में गरीब बच्चो को निशुल्क शिक्षा प्रदान किया करता था , और जब भी खगरीअ में कोई भी महादेव का कीर्तन या जगराता होता उसमे भी सोमेश तन मन धन से अपना योगदान दिया करता था , समाज के लिए छोटी सी ही उम्र में सोमेश एक उदारहण बन चुका था। लोग उसे सम्मान की दृष्टि से देखा करते थे। बच्चो को पढ़ाने के साथ सोमेश अपनी भी पढाई किया करता था ।
आशा के जीवन में सब कुछ सुखमय व्यतीत हो रहा था , कुछ ही दिन बाद महा शिवरात्रि का पर्व आया खगरीअ में भव्य मेले का आयोजन किया गया। आशा ने भी महा शवरात्रि का उपवास रखा और सूर्योदय से पहले ही खगरीअ से लगी गंगा नदी के किनारे स्थित शिवलिंग पर पूजा करने पहुंची।
शिवलिंग स्नान के लिए गंगा से जल भरने लगी तभी उसका पैर फिसल गया और वह गंगा नदी में गिर गया गंगा नदी का बहाव उन दिनों बहुत तेज था जिसके कारण कुछ ही पालो में सोमेश गंगा नदी के बीच जा पंहुचा । सोमेश ने बहुत कोशिश की परन्तु वह तैर नहीं पा रहा था , क्यों की पानी का बहाव बहुत तेज़ था। सोमेश ने बहुत आवाज लगाई परन्तु इतनी सुबह वहाँ आस पास उसकी आवाज सुनने वाला कोई न था।
सोमेश को लगा आज तो मृत्यु उसे गले लगा ही लेगी उसने महादेव को याद किया , आगे बढ़ते हुए पानी का बहाव और तेज हो रहा था। बहते बहते वह एक बड़े से पत्थर से टकरा गया और सोमेश के बहने की दिशा बदल गई और रफ़्तार भी बढ़ गयी तभी उसने देखा कोई छोटा सा बालक किनारे से दौड़ता हुआ हुई उसकी ओर आ रहा है सोमेश ने बालक से किसी को बुला कर लाने को कहा परन्तु उस 8 वर्षीय बालक ने सोमेश की बात को अनसुना किया और नदी में कूद गया।
उस बालक को देख ऐसा लग रहा था की वह बालक पानी पर दौड़ कर सोमेश की ओर बढ़ रहा है देखते ही देखते बालक ने नदी के मध्य में पहुँच गई और सोमेश का हाथ पकड़ कर दौड़ते हुए ही , सोमेश को तेज बहाव से बहती हुई गंगा नदी से बहार ले आया।
सोमेश जब तक खुद को संभाल कर उस बालक से कुछ पूछता तब तक वह 8 वर्षीय बालक वहाँ से गायब हो चुका था। सोमेश को समज नहीं आया की एक छोटा सा बालक पानी पर दौड़ कैसे सकता है। सोमेश ने वापस जाकर खगरीअ के लोगो से उस बालिका के बारे में पूछना और उसे ढूंढ़ना शुरू किया परन्तु कोई उस बालक के बारे में कोई कुछ नहीं जानता था।
कुछ ही देर में पूरे खगरीअ जिले में बालक के पानी में दौड़ कर सोमेश की जान बचाने की बात फ़ैल गई। जब यह बात खगरीअ के मंदिर के महंत को पता चली , वह तुरंत सोमेश के पास पहुंचे और उससे बोले की वो बालक तुम्हे कही नहीं मिलेगा क्यों की वो कोई साधारण बालक नहीं था , महादेव ने ही स्वयं बालक के रूप में आकर तुम्हारे प्राणो की रक्षा की है।
सोमेश यह सुन भाव विभोर हो गया और उसकी आँखों से आंसू आ गए ,इस बात से पूरे खगरीअ के लोग आस्चर्य में रह गए और सोमेश ने मंदिर जाकर महादेव को धन्यवाद किया और ११ बालको को मुफ्त शिक्षा देने का प्रण भी लिया।
तो इस घटना को जान में के बाद भगवान् होते है या नहीं इस पर आप सभी का क्या मत है ?