यह कहानी है उत्तराखंड के गंगा नदी से लगे गांव श्यामपुर में रहने वाले महादेव का परम भक्त मनोज की। मनोज महादेव के प्रति सच्ची निष्ठां व आस्था रखा करता था। वह एक प्राइवेट कम्पनी में नौकरी किया करता था , माता पिता की सेवा करना गरीबों की मदद करना साथ की महादेव की सच्चे मन से आराधना करना मनोज का मुख्य धर्म था। अपने अच्छे कार्यों के कारण महादेव की मनोज पर असीम कृपा बनी हुई थी उसे कभी भी किसी तरह की परेशानी नही हुआ करती थी , जब कोई तकलीफ हुआ भी करती तो वह उस परेशानी को महादेव के सामने कहा करता उसकी सभी तकलीफ दूर हो जाया करती। मनोज के जीवन में सब कुछ सुखद रूप से व्यतीत हो रहा था। कुछ दिनों बाद मनोज का विवाह पास के ही गांव की शालू नाम की लड़की से करा दिया। विवाह के कुछ समय बाद तक तो सुब कुछ ठीक चल रहा था , परन्तु धीरे धीरे मनोज का व्यवहार बदलने लगा माता पिता से बेरुखी बढ़ने लगी साथ ही महादेव को तो जैसे मनोज भूल ही चुका था। माता पिता कुछ कहते तो वह उन पर चिल्ला कर टूट पड़ता। माता पिता ने भी अपनी बुरी किसमत मान कर मनोज से कुछ भी कहना ही बंद कर दिया। एक दिन मनोज का तबादला श्यामपुर से हरिद्वार में हो गया घर आकर उसने यह बात अपनी पत्नी शालू को बताई की परसो हुमीने निकलना है , माँ और पापा को बोल दो तैयार रहे अपना सारा सामान पैक कर ले इस पर पत्नी ने कहा उनकी वहां क्या जरूरत इस भूडपे में कहाँ बड़े शहर में जायेंगे उनको यही छोड़ दो मनोज अपनी पत्नी की बातों में आ गया और अपने माता पिता को छोड़ कर जाने के लिए तैयार हो गया। जिस दिन मनोज व शालू जाने लगे माता ने पूछा भी कहाँ जा रहे हो तो मनोज ने कहाँ हम सदा के लिए हरिद्वार जा रहे है माता कुछ कहती उस से पहले मनोज ने बोला की वह दोनों की कोई जरुरत नहीं है यहीं रहो और मैं वह से कुछ पैसे भिजवा दूंगा आपका काम चल जायेगा , माता ने बहुत कहाँ की हम यहाँ क्या करेंगे पर मनोज ने उनकी एक न सुनी और वह से अपनी पत्नी के साथ चला गया। माता पिता यहाँ परेशां रहने लगे परन्तु वह विवश थे कर भी क्या सकते थे। मनोज और उसकी पत्नी शालू सुकून भरा जीवन व्यतीत कर रहे थे कुछ ही दिनों बाद उन्हें एक पुत्र की भी प्राप्ति हुई वह दोनों अत्यंत प्रसन्न थे। फिर एक रोज़ मनोज दफ्तर की किसी महत्वपूर्ण बैठक मैं था तब उसकी माता का फ़ोन आया की तुम्हारे पिता जी की तबियत बहुत खराब है तुम जल्दी आ जाओ जिस पर मनोज ने मैं बहुत काम मैं व्यस्त हु आप लोग अपना खुद देखे बोल कर फ़ोन काट दिआ माता पिता पूरी तरह से टूट गए। रात को मनोज घर पहुंचा तो पता चला की उसके मात्र ६ महीने के पुत्र की भी तबियत बिगड़ गई है वह उसे अस्पताल ले जाने लगा पर रास्ते में कोई साधन नहीं मिल रहा था , वह दर दर भटकने लगा और बड़ी मुश्किल से अस्पताल पहुंचा पर वह कोई डॉक्टर नहीं मिला , तब वह दुसरे से अस्पताल पहुंचा तो डॉक्टर ने बोल दिआ की इस बालक की तबियत ज्यादा बिगड़ चुकी है आप इसे ले जाए अब तो महदेव ही कुछ कर सकते है। मनोज अपनी पत्नी के साथ घर पहुंचा तो देखा घर में चोरी हो चुकी है सारा घर उल्ट पुलट है। वह सर पकड़ कर रोने लगा तब उसे डॉक्टर की कही बात याद आयी की महादेव ही कुछ कर सकते है वह भाग कर पास के शिव मंदिर पहुंचा और अपनी की गई साड़ी गलतियों की माफ़ी मांगी और फिर अपनी पत्नी और बच्चे को लेकर वापस माता पिता के पास पहुंचा और उनसे भी माफ़ी मांगी और पिता जी को अस्पताल लेकर गया धीरे धीरे पिता जी तबियत ठीक हो होने लगी और उसी अस्पताल में उसके पुत्र का भी इलाज़ हो गया। फिर अगले दिन मनोज से से शालू ने पुछा की ऐसा क्या हुआ जो आप सुब कुछ छोड़ कर यह वापस आ गए तब मनोज ने बोला की शादी से पहले मैं सदा माता पिता की सेवा और महादेव की पूजा किआ करता था और कभी मेरे जीवन मैं किसी प्रकार की कोई पारहि नहीं आयी परन्तु जैसे ही मैंने माता पिता जी को छोड़ा और महादेव से रिश्ता तोड़ा मेरे ऊपर मुसीबतों का पहाड़ ही टूट पड़ा यह सुब कुछ और नहीं है स्वयं महादेव ने मुझे सही मार्ग पर लाने के लिए किया है। फिर मनोज और शालू दोनों ने महादेव से अपने किए की माफ़ी मांगी और अपने माता पिता के साथ रहने लग। तो इस प्रकार महादेव ने अपने बैठके भक्त को सही मार्ग प्रदर्शित किया।