क्या आप भी शनि की वक्र दृष्टि से परेशान है ?
आपके भी बनते काम अटक जाते है , अच्छी चलने वाली चीज़े बिगड़ जाती है। तो आइये आज जानते है की कैसे सभी परेशानियों को कैसे सुलझाया जा सकता है। और कैसे पंचमुखी हनुमान कवच धारण करने और हनुमान जी की पूजा मात्र से शनि की वक्र दृष्टि के प्रभाव से कैसे बचा जा सकता है।
एक दिन राम भक्त हनुमान अपने प्रभु की भक्ति में लीन थे, तभी वहां से शनि देव का गुजरना हुआ. अचानक हनुमान जी को भक्ति में लीन देखकर शनिदेव को अपनी शक्ति पर अहंकार आ गया. शनिदेव ने अपनी दृष्टि हनुमान जी पर डाली और अपनी छाया से ढ़कने की कोशिश की. प्रभु राम की भक्ति में डूबे हनुमान जी को शनिदेव ने चेतावनी भरे स्वर में ललकारते हुए कहा- वानर देख तेरे सामने कौन आया है?
हनुमान जी ने शनिदेव की इस बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और भक्ति में लीन रहे. हनुमान जी के इस आचरण को देखकर शनिदेव का अहंकार अधिक जागृत हो गया और हनुमान जी के ध्यान को भंग करने की कोशिश आरंभ कर दी. लेकिन शनिदेव को कोई सफलता नहीं मिली तो वे क्रोध में आ गए और हनुमान जी से बोले- वानर देख में तेरी सुख शांति को कैसे नष्ट करता हूं. चारों लोक में ऐसा कोई भी नहीं है जो मेरी दृष्टि से बच सके. मनुष्य, देवता यहां तक कि पिशाच भी मेरी छाया से बच नहीं सकते हैं।
शनिदेव को लगा कि शायद अब हनुमान जी डर जाएंगे और उनसे क्षमा याचना करने लगेंगे. लेकिन ऐसी कोई प्रतिक्रिया हनुमान जी की तरफ से नहीं आई. काफी देर बाद हनुमान जी ने अपने नेत्र खोले और बड़े ही सहज भाव से शनिदेव से पूछा महाराज आप कौन हैं? शनिदेव अत्यंत क्रोध में आ गए और हनुमान जी को बताने लगे कि लगता है कि तुम मेरी शक्ति से परिचित नहीं हो, मैं शनि हूं आज से मैं तुम्हारी राशि में प्रवेश करने जा रहा हूंl शनि के कड़वे बोल सुनने के बाद भी हनुमान जी ने विनम्रता का त्याग नहीं किया और कहा महाराज आप व्यर्थ क्रोध कर रहे हैं. मैं अपने प्रभु की भक्ति कर रहा हूं, आप किसी अन्य के पास जाएं. कृपया मेरे ध्यान में बाधा न उत्पन्न करें।
शनिदेव का क्रोध अब काबू से बाहर होने लगा l क्रोध में आकर शनिदेव ने हनुमान जी की बांह पकड़ ली और अपनी तरफ खींचने लगे. हनुमान जी को लगा, जैसे उनकी बांह किसी ने दहकते अंगारों पर रख दी हो l उन्होंने एक झटके से अपनी बांह को छुड़ा लिया. शनिदेव ने फिर विकराल रूप धारण किया और उनकी दूसरी बांह पकड़ने की कोशिश की, तो हनुमान जी को थोड़ा क्रोध आ गया और अपनी पूंछ में शनिदेव को लपेट लिया l शनिदेव इतने पर भी नहीं रूके और हनुमान जी से कहा कि तुम तो क्या, तुम्हारे श्रीराम भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते. हनुमान जी के कानों तक जैसे ही ये बात पहुंची हनुमान जी को भयंकर क्रोध आ गया और पूंछ लपेट कर शनिदेव को पहाड़ों पर वृक्षों पर खूब पटका और रगड़ा. खून से लथपथ शनिदेव ने मदद के लिए सभी देवी देवताओं को पुकारा, लेकिन कोई भी मदद के लिए नहीं आया l
अंत में शनिदेव समझ गए कि ये कोई मामूली वानर नहीं हैं.
शनिदेव ने हाथ जोड़कर हनुमान जी से क्षमा मांगी और कहा कि आपकी छाया से भी दूर रहूंगा. तब हनुमान जी ने शनिदेव से वचन लिया कि तुम मेरी छाया से ही नहीं मेरे भक्तों से भी दूर रहोगे. शनि देव ने हनुमान जी को वचन दिया और पुन: अपने आचरण पर क्षमा मांगी. हनुमान जी ने उन्हें माफ कर दिया l इसी कारण से शनिदेव हनुमान भक्तों को परेशान नहीं करते हैं ल
यदि किसी व्यक्ति पर शनि की वक्र दृष्टि का प्रभाव है , तो वह हनुमान जी पूजा पाठ कर और पंचमुखी हनुमान कवच को धारण कर शनि की वक्र दृष्टि से छुटकारा पा सकता है , जिसके बाद आपके अटके हुए सभी कार्य बनने लगेंगे। मार्ग में आने वाली अड़चनों का नाश होगा , साथ ही कोई व्यक्ति शनि को प्रसन्न करना चाहता है तो वह शनि कवच धारण कर शनि को प्रसन्न भी कर सकता है।