देवी सरस्वती की उत्पत्ति कैसे हुई? | Devi Saraswati ki utpati kaise hui
हिन्दू धर्म में हर वर्ष वसंत पंचमी का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन का संबंध सरस्वती देवी की उत्पत्ति से है ऋतुओं का राजा कहे जाने वाले वसंत में ही सरस्वती माता ( Saraswati Mata ) का जन्म हुआ था। दरअसल भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी को सृष्टि के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी थी।
सृष्टि के निर्माण की इस प्रक्रिया में ब्रह्मा जी ने जीव जंतुओं, पेड़ पौधों, और मनुष्य को जन्म दे तो दिया परन्तु वे अपने ही द्वारा बनाई गई सृष्टि से संतुष्ट नहीं थे। उन्हें बार-बार इस बात की अनुभूति हो रही थी कि मेरे द्वारा बनाये गए इस संसार में हर्ष और सौंदर्य की कमी थी।
ब्रह्मा जी ने उस कमी को दूर करने के लिए अपने कमंडल से जल छिड़का और जैसे ही वह जल धरती पर गिरा धरती कांपने लगी। इसके बाद एक ऐसी शक्ति का जन्म हुआ जिसने श्वेत वस्त्र धारण किये हुए थे। उस अद्भुत शक्ति के एक हाथ में वीणा थी तो एक हाथ वरमुद्रा में था। वह एक हाथ में पुस्तक लिए हुए थी तो दूसरे हाथ में माला थी।
ब्रह्मा जी ने जैसे ही सौंदर्य पूर्ण चतुर्भुज स्त्री के रूप को देखा तो उन्हें वीणा बजाने का अनुरोध किया। सरस्वती ने जैसे ही वीणा बजाई पूरा संसार हर्ष से खिल उठा। पेड़-पौधे खिलखिला उठे और जीव-जंतुओं में भी हर्ष उत्पन्न हुआ। ब्रह्मा जी ने उसी क्षण उस शक्ति को सरस्वती कहकर पुकारा।
सरस्वती माता का जन्म कब और कहां हुआ था? | Saraswati Mata ka janam kab aur kaha hua tha
सरस्वती माता (Saraswati Mata) का जन्म माघ मास की शुक्ल पक्ष को पंचमी के दिन हुआ था। यह वही ऋतू है जिसे ऋतुओं का राजा कहा जाता है। श्री कृष्णा ने भी इसी संबंध में कहा था कि ऋतुओं में भी मैं वसंत ऋतू हूँ।
सरस्वती जन्मोत्सव कब मनाया जाता है? | Saraswati janmotsav kab manaya jataa h
सरस्वती का जन्मोत्सव वसंत पंचमी के दिन मनाया जाता है। इसी दिन को वसंत पंचमी के रूप में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।
माँ सरस्वती के पति कौन है? | Maa Saraswati ke pati kon hai
सरस्वती माता (Saraswati Mata) के पति ब्रह्मा जी को माना जाता है। ब्रह्मा जी ने ही देवी सरस्वती को जन्म दिया था और बाद में वे अपनी ही पुत्री पर मोहित हो गए थे। ब्रह्मा जी का देवी के प्रति आकर्षण इतना अधिक था कि उनके मन में देवी से विवाह करने की इच्छा जागी। देवी ब्रह्मा जी की इच्छा को जान गई और उनसे बचने का प्रयास करने लगी लेकिन देवी के सभी प्रयास असफल रहे और अंततः सरस्वती को ब्रह्मा जी से विवाह करना पड़ा।
सरस्वती मां कौन है? | Saraswati Mata kon hai
सरस्वती जिनकी गिनती त्रिदेवियों में की जाती है। इनकी चार भुजाएं हैं। जिनके एक हाथ में वीणा, एक हाथ में पुस्तक, एक में माला और एक हाथ वर मुद्रा में है। सरस्वती वह जो विद्या की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। उनके हाथों में विराजमान पुस्तक से ज्ञान का और वीणा से संगीत विद्या का बोध होता है। देवी सरस्वती (Devi Saraswati) साहित्य, संगीत और कला की देवी हैं।
सरस्वती की कृपा कैसे पाएं? | Saraswati ki kirpa kaise paay
सरस्वती माता (Saraswati Mata) की कृपा पाने के लिए जातक Saraswati kavach और कवच रुपी locket को धारण कर सकते है। ऐसा करने से सरस्वती माँ (Saraswati Maa)की कृपा सदैव जातकों पर बनी रहेगी। इसका सबसे अधिक लाभ यह है कि व्यक्ति की एकाग्रता शक्ति बढ़ेगी और वह कला, साहित्य और संगीत आदि जैसे क्षेत्र में तेजी से प्रगति करेगा। पढ़ाई में अत्यधिक मन लगेगा और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगे छात्रों के लिए भी यह अत्यंत लाभकारी है।