सूर्य कवच क्या है? | What is Surya Kavach?
Surya Kavach धार्मिक मान्यता है कि सूर्य देव की पूजा करने से साधक को करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है। साथ ही शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिलती है। अतः साधक विधि विधान से सूर्य देव की पूजा करते हैं। सूर्य कवच शरीर को आरोग्य देने वाला है तथा संपूर्ण दिव्य सौभाग्य को देने वाला है। सूर्य रक्षात्मक स्तोत्र को भोजपत्र में लिखकर जो हाथ में धारण करता है तो संपूर्ण सिद्धियां उसके वश में होती हैं…. विशेषकर मकर संक्रांति पर इस कवच के पाठ से 7 पीढ़ियों की रक्षा होती है, ऐसा पुराणों में लिखा है।
हिन्दू धर्म में कई तरीकों से ईश्वर को प्रसन्न करने के आख्यान है। इन आख्यानों में Surya Kavach का भी ज़िक्र है। कवच का वैसे तो अर्थ रक्षा करना है। लेकिन जब इसमें किसी देवता का नाम जुड़ता है तो उसकी विशेषताएं भी बदल जाती है। यह बदलता रुख व्यक्ति की अलग परेशानियों की ओर इशारा करती है। साथ ही समाधान प्रस्तुत करती हैं। आज हम उन्हीं परेशानियों का समाधान सूर्य कवच के प्रयोग के रूप में लाएं हैं। सूर्य कवच व्यक्ति को कई सारे बुरे प्रभावों से बचाने में सहायक है। सूर्य कवच का काम व्यक्ति को सभी रोगों से मुक्ति दिलाना है। साथ ही शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाना भी है। सूर्य कवच के बारे में याज्ञवल्क्य का उवाच कुछ इस प्रकार है :
श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्।
शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्।
इससे तात्पर्य है कि इसके प्रयोग से व्यक्ति को सौभाग्य मिलता है। हर कार्य में सफलता पाने में लाभकारी है। अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाने में Surya kavach Locket सहायक है। क्योंकि सूर्य एकमात्र ऐसे देवता हैं जो प्रत्यक्ष रूप से हमारे बीच मौजूद है।
श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्।
शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्।
इससे तात्पर्य है कि इसके प्रयोग से व्यक्ति को सौभाग्य मिलता है। हर कार्य में सफलता पाने में लाभकारी है। अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाने में Surya kavach Locket सहायक है। क्योंकि सूर्य एकमात्र ऐसे देवता हैं जो प्रत्यक्ष रूप से हमारे बीच मौजूद है।
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सूर्य कवच के फायदे | Surya kavach benefits in hindi
All Surya Kavach Benefits :
1. Surya kavach locket जैसा कि इसके नाम से ही प्रतीत होता है जो शरीर की रक्षा करता है।
2. समाज में सम्मान-प्रतिष्ठा पाने और कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए लाभदायक है।
3. यह दिव्यता और सौभाग्य के साथ- साथ यश और पराक्रम भी प्रदान करता है।
4. जीवन की आपदाओं से हमारी रक्षा करता है फिर चाहे वो भौतिक हो या आंतरिक।
5. हर रविवार को surya raksha kavach का पाठ करना बहुत ही लाभकारी रहता है।
1. Surya kavach locket जैसा कि इसके नाम से ही प्रतीत होता है जो शरीर की रक्षा करता है।
2. समाज में सम्मान-प्रतिष्ठा पाने और कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए लाभदायक है।
3. यह दिव्यता और सौभाग्य के साथ- साथ यश और पराक्रम भी प्रदान करता है।
4. जीवन की आपदाओं से हमारी रक्षा करता है फिर चाहे वो भौतिक हो या आंतरिक।
5. हर रविवार को surya raksha kavach का पाठ करना बहुत ही लाभकारी रहता है।
सूर्य कवच का प्रयोग कब और कैसे करें? | When and how to use Surya Kavach? | Surya Kavach benefits
1. Surya kavach pendant को पहनने के लिए प्रातः काल स्नान कर सूर्य देवता को जल चढ़ाएं।
2. नीचे दिए गए सूर्य कवच का पाठ कर या सूर्य मंत्र का उच्चारण कर इसे धारण कर सकते है।
3. जल चढ़ाने के बाद सूर्य वैदिक मंत्र 108 बार दोहराएं फिर लॉकेट धारण करें।
4. ध्यान देने योग्य बात यह कि बिना पूजा विधि के इसे न पहनें।
5. पूजा विधि के बिना इसके प्रयोग से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते है।
2. नीचे दिए गए सूर्य कवच का पाठ कर या सूर्य मंत्र का उच्चारण कर इसे धारण कर सकते है।
3. जल चढ़ाने के बाद सूर्य वैदिक मंत्र 108 बार दोहराएं फिर लॉकेट धारण करें।
4. ध्यान देने योग्य बात यह कि बिना पूजा विधि के इसे न पहनें।
5. पूजा विधि के बिना इसके प्रयोग से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते है।
Surya Kavacham Benefits | सूर्य पुराण पाठ | सूर्य कवच स्तोत्र | Surya Kavach stotra
हिन्दू धर्म में सूर्य की भूमिका | Significance of Lord Surya in hindi
भगवान सूर्य का नाम अनंतकाल तक चलता रहेगा। कई बार व्यक्ति भागदौड़ में उलझ कर सभी बातों को दरकिनार कर देता है। इसलिए आज हम आपको सूर्य से जुड़े कुछ अहम तथ्यों के बारे में भी बताएंगे। साथ ही सूर्य देवता को प्रसन्न करने के तरीकों का भी उल्लेख करेंगे।
उपनिषदों और वेदों में तो सूर्य देवता की भूमिका का कई तरीके से बखान किया गया है। सूर्योपनिषद में सूर्य को सम्पूर्ण सृष्टि के होने का एक कारण बताया गया है।
वहीँ वेदों में से ऋग्वेद में सूर्य का सभी देवताओं में महत्वपूर्ण स्थान है। यजुर्वेद ने “चक्षो सूर्यो जायत” कह कर सूर्य को भगवान की आँख माना है। ब्रह्मवैर्वत पुराण में सूर्य को परमात्मा माना गया है। साथ ही सूर्योपनिषद में सूर्य को सम्पूर्ण सृष्टि के उद्भव का कारण तक बताया गया है।
पुराणों में यह ज़िक्र मिलता है कि श्री कृष्ण के बेटे साम्ब कुष्ठ रोग से ग्रस्त थे। दरअसल उन्हें ऋषि दुर्वासा ने कुष्ठ रोग का शाप दिया था। साम्ब ने सूर्य की उपासना कर ही उस रोग से छुटकारा पाया था। इससे यह स्पष्ट होता है कि सनातन धर्म सूर्य को सर्वोच्च स्थान देता है।
उपनिषदों और वेदों में तो सूर्य देवता की भूमिका का कई तरीके से बखान किया गया है। सूर्योपनिषद में सूर्य को सम्पूर्ण सृष्टि के होने का एक कारण बताया गया है।
वहीँ वेदों में से ऋग्वेद में सूर्य का सभी देवताओं में महत्वपूर्ण स्थान है। यजुर्वेद ने “चक्षो सूर्यो जायत” कह कर सूर्य को भगवान की आँख माना है। ब्रह्मवैर्वत पुराण में सूर्य को परमात्मा माना गया है। साथ ही सूर्योपनिषद में सूर्य को सम्पूर्ण सृष्टि के उद्भव का कारण तक बताया गया है।
पुराणों में यह ज़िक्र मिलता है कि श्री कृष्ण के बेटे साम्ब कुष्ठ रोग से ग्रस्त थे। दरअसल उन्हें ऋषि दुर्वासा ने कुष्ठ रोग का शाप दिया था। साम्ब ने सूर्य की उपासना कर ही उस रोग से छुटकारा पाया था। इससे यह स्पष्ट होता है कि सनातन धर्म सूर्य को सर्वोच्च स्थान देता है।
वैज्ञानिक और चिकित्सक दृष्टिकोण से सूर्य का महत्व | Health benefits of Sun in hindi
सूर्य की किरणें व्यक्ति को कई रोगों से मुक्ति दिलाती है। इस बात पर मेडिकल साइंस भी पूर्णतः विश्वास करती है। सूर्य की किरणों से मिलने वाला सर्वश्रेष्ठ लाभ विटामिन-डी है। इसके अभाव में भारत के लोग कई प्रकार के रोगों से ग्रस्त हैं। जैसे-ऑस्टियोमलेशिया, ऑस्टियोपोरोसिस, रिकेट्स आदि।
ऐसा कहा जाता है कि जहां तक सूरज की किरणें पहुँचती हैं, वहां कीटाणु मर जाते हैं। इस तरह किसी रोग का जन्म से पहले ही खात्मा हो जाता है।
सूर्य सौरमंडल के बिल्कुल केंद्र में स्थित एक तारा है । इसके इर्द-गिर्द अन्य सभी ग्रह परिक्रमा करते हैं। ऊर्जा के इस स्त्रोत में मुख्यतः हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का समावेश है।
परमाणु विलय की प्रक्रिया से सूर्य अपने केंद्र यानी मध्य में ऊर्जा निर्मित करता है। इसी ऊर्जा का छोटा सा भाग किरणों के रूप में पृथ्वी तक पहुँचता है।
इस प्रकार सूर्य का दूसरा वैज्ञानिक महत्व है कि सूर्य के होने से संसार गतिमान है। क्योंकि रोशनी के बिना किसी काम को करने की कल्पना तक नहीं की जा सकती है।
ऐसा कहा जाता है कि जहां तक सूरज की किरणें पहुँचती हैं, वहां कीटाणु मर जाते हैं। इस तरह किसी रोग का जन्म से पहले ही खात्मा हो जाता है।
सूर्य सौरमंडल के बिल्कुल केंद्र में स्थित एक तारा है । इसके इर्द-गिर्द अन्य सभी ग्रह परिक्रमा करते हैं। ऊर्जा के इस स्त्रोत में मुख्यतः हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का समावेश है।
परमाणु विलय की प्रक्रिया से सूर्य अपने केंद्र यानी मध्य में ऊर्जा निर्मित करता है। इसी ऊर्जा का छोटा सा भाग किरणों के रूप में पृथ्वी तक पहुँचता है।
इस प्रकार सूर्य का दूसरा वैज्ञानिक महत्व है कि सूर्य के होने से संसार गतिमान है। क्योंकि रोशनी के बिना किसी काम को करने की कल्पना तक नहीं की जा सकती है।
सूर्य भगवान की कथा | Surya bhagwan ki katha
सूर्य की उत्पत्ति कैसे हुई? ( How was Lord Surya born? ) :
ज्योतिष शास्त्र में तो नवग्रहो में सूर्य को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। वहीँ सूर्य देवता के जन्म की बात करें तो इसके पीछे दो कहानियां जुड़ी हुई है। सूर्य देव की कथा के बारे में बात करें तो सबसे पहली कहानी मार्कण्डेय पुराण से है। जिसके अनुसार शुरुआत में यह संसार प्रकाश के बिना गतिमान था।
उस समय ब्रह्मा जी पृथ्वी पर आये। फिर उन्होंने मुख से ॐ का उच्चारण किया जो सूर्य तेज का सूक्ष्म आकार था। इसी प्रकार उनके चार मुखों से निकले ॐ शब्द से चार वेद बने। जो ॐ के तेज से एक आकार हो और सूर्य का जन्म हुआ।
इसी तरह सृष्टि के निर्माण के वक़्त ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि थे। जिनके भी पुत्र ऋषि कश्यप की शादी अदिति से हुई थी। अदिति ने भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप और उपवास किये थे। जिसके चलते भगवान सूर्य ने सुषमा नामक एक किरण बन अदिति के गर्भ में स्थान लिया।
गर्भवती होने के बावजूद अदिति अपनी कठोर तपस्या को लगातार जारी रखती रही। जिसपर ऋषि ने अदिति से क्रोध में कहा कि इस तरह की कठोर तपस्या करना शिशु के लिए ठीक नहीं। क्या तुम गर्भस्थ शिशु को मारना चाहती हो?
यह सुन अदिति ने उस गर्भस्थ शिशु को अपने गर्भ से अलग कर दिया। इसी दौरान भगवान सूर्य उस शिशु के रूप में प्रकट हुए। यही शिशु आगे चलकर मार्तण्ड नाम से जाना गया।
ज्योतिष शास्त्र में तो नवग्रहो में सूर्य को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। वहीँ सूर्य देवता के जन्म की बात करें तो इसके पीछे दो कहानियां जुड़ी हुई है। सूर्य देव की कथा के बारे में बात करें तो सबसे पहली कहानी मार्कण्डेय पुराण से है। जिसके अनुसार शुरुआत में यह संसार प्रकाश के बिना गतिमान था।
उस समय ब्रह्मा जी पृथ्वी पर आये। फिर उन्होंने मुख से ॐ का उच्चारण किया जो सूर्य तेज का सूक्ष्म आकार था। इसी प्रकार उनके चार मुखों से निकले ॐ शब्द से चार वेद बने। जो ॐ के तेज से एक आकार हो और सूर्य का जन्म हुआ।
इसी तरह सृष्टि के निर्माण के वक़्त ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि थे। जिनके भी पुत्र ऋषि कश्यप की शादी अदिति से हुई थी। अदिति ने भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप और उपवास किये थे। जिसके चलते भगवान सूर्य ने सुषमा नामक एक किरण बन अदिति के गर्भ में स्थान लिया।
गर्भवती होने के बावजूद अदिति अपनी कठोर तपस्या को लगातार जारी रखती रही। जिसपर ऋषि ने अदिति से क्रोध में कहा कि इस तरह की कठोर तपस्या करना शिशु के लिए ठीक नहीं। क्या तुम गर्भस्थ शिशु को मारना चाहती हो?
यह सुन अदिति ने उस गर्भस्थ शिशु को अपने गर्भ से अलग कर दिया। इसी दौरान भगवान सूर्य उस शिशु के रूप में प्रकट हुए। यही शिशु आगे चलकर मार्तण्ड नाम से जाना गया।
सूर्य भगवान की पूजा कैसे करें? | How to do Lord Surya Puja?
Learn how to worship lord Surya :
1. सूर्य देवता की पूजा करने के लिए सर्वप्रथम प्रातःकाल उठकर स्नान करें और सूर्योदय के समय अर्घ्य दें।
2. अर्घ्य देते समय दिए गए सूर्य भगवान नमस्कार मंत्र में से किसी एक का जाप करना अनिवार्य है।
3. विशेष दिन यदि सूर्य देव की उपासना कर रहे हैं तो जाप 108 बार करने से अत्यधिक लाभ मिलेगा।
1. सूर्य देवता की पूजा करने के लिए सर्वप्रथम प्रातःकाल उठकर स्नान करें और सूर्योदय के समय अर्घ्य दें।
2. अर्घ्य देते समय दिए गए सूर्य भगवान नमस्कार मंत्र में से किसी एक का जाप करना अनिवार्य है।
3. विशेष दिन यदि सूर्य देव की उपासना कर रहे हैं तो जाप 108 बार करने से अत्यधिक लाभ मिलेगा।
अब आपको बतातें हैं कि सूर्य को जल कैसे दे? | How to offer water to lord surya
सूर्य को जल देने का तरीका :
1. सूर्य देवता को जल चढ़ाते वक़्त यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि जितनी जल्दी हो सके जल चढ़ाएं। सूर्योदय के समय ही जल देना सही है, ऐसा करना शुभ माना जाता है।
2. अर्घ्य देते समय एक नियम यह भी है कि मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
3. जल चढ़ाने के पश्चात अगरबत्ती भी जलानी चाहिए। जल देते समय मंत्र का एक बार तो जाप करना ही चाहिए।
4. अर्घ्य देते समय दोनों हाथ सिर से ऊपर होने चाहिए। इसके पीछे का वैज्ञानिक तर्क है कि इससे किरणें शरीर तक पूरी तरह पहुँचती है।
5. ज्योतिष शास्त्र में तो वैसे सूर्य सभी नवग्रहों का राजा है। इस तरह सभी नियमों का पालन करने से नवग्रहों से जुड़ी समस्या समाप्त हो जाएंगी।
1. सूर्य देवता को जल चढ़ाते वक़्त यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि जितनी जल्दी हो सके जल चढ़ाएं। सूर्योदय के समय ही जल देना सही है, ऐसा करना शुभ माना जाता है।
2. अर्घ्य देते समय एक नियम यह भी है कि मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
3. जल चढ़ाने के पश्चात अगरबत्ती भी जलानी चाहिए। जल देते समय मंत्र का एक बार तो जाप करना ही चाहिए।
4. अर्घ्य देते समय दोनों हाथ सिर से ऊपर होने चाहिए। इसके पीछे का वैज्ञानिक तर्क है कि इससे किरणें शरीर तक पूरी तरह पहुँचती है।
5. ज्योतिष शास्त्र में तो वैसे सूर्य सभी नवग्रहों का राजा है। इस तरह सभी नियमों का पालन करने से नवग्रहों से जुड़ी समस्या समाप्त हो जाएंगी।
सूर्य भगवान को जल चढ़ाने के फायदे | Surya Kavach ke fayde
1. हर रोज़ सुबह सूर्य को जल चढ़ाने से आँखें अच्छी रहती है तथा नेत्र से संबंधित रोग नहीं होते।
2. जल चढ़ाने से नौकरी प्राप्त करने में खूब लाभ होता है और आत्मविश्वास बना रहता है।
3. ह्रदय को स्वस्थ रखने के लिए जल अर्पित करना चाहिए। व्यक्ति ह्रदय संबंधित बिमारियों से दूर रहता है।
4. पिता से संपत्ति को लेकर चल रहे विवाद और ख़राब संबंधों को ठीक करता है।
5. त्वचा से जुड़े सभी रोगों से छुटकारा मिलता है।
2. जल चढ़ाने से नौकरी प्राप्त करने में खूब लाभ होता है और आत्मविश्वास बना रहता है।
3. ह्रदय को स्वस्थ रखने के लिए जल अर्पित करना चाहिए। व्यक्ति ह्रदय संबंधित बिमारियों से दूर रहता है।
4. पिता से संपत्ति को लेकर चल रहे विवाद और ख़राब संबंधों को ठीक करता है।
5. त्वचा से जुड़े सभी रोगों से छुटकारा मिलता है।
सूर्य ग्रह के कमजोर होने के संकेत
कमजोर सूर्य होने से व्यक्ति को जीवन में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिसके लिए कई तरह के उपाय किये जाते हैं। उपायों को जानने से पहले यह जान ले कि सूर्य के कुंडली में कमजोर होनी की क्या निशानियां हैं। जब गुरु यानी शिक्षक, पिता या कोई देवता आपसे नाराज़ हो जाएँ तो सूर्य अपनी कमजोर स्थिति में होता है।
इसी के साथ और भी कई संकेत है जिनसे यह पता लगाया जा सकता है । जैसे- घर के नज़दीक किसी नौकरी जाना या आभूषणों का खो जाना, ह्रदय, आंख और पेट से संबंधित रोग आदि । ये सभी संकेत है कि सूर्य कुंडली में कमजोर है। जिसका उपाय किया जाना बेहद जरूरी है।
इसी के साथ और भी कई संकेत है जिनसे यह पता लगाया जा सकता है । जैसे- घर के नज़दीक किसी नौकरी जाना या आभूषणों का खो जाना, ह्रदय, आंख और पेट से संबंधित रोग आदि । ये सभी संकेत है कि सूर्य कुंडली में कमजोर है। जिसका उपाय किया जाना बेहद जरूरी है।
सूर्य ग्रह को मजबूत करने के उपाय
1. हर रविवार सूर्य देव की पूजा कर सूर्य देवता को अर्घ्य देना चाहिए।
2. सूर्य अर्घ्य मंत्र का 108 बार जाप करने से भी कमजोर सूर्य की स्थिति ठीक की जा सकती है।
3. घर के वास्तुशास्त्र को ठीक करने से भी यह समस्या हल हो जाती है।
4. घर के सभी बड़ों का सम्मान करने से भी सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं।
5. प्रातःकाल जल्दी उठकर सूर्य नमस्कार करने से सूर्य देव की असीम कृपा बरसती है।
2. सूर्य अर्घ्य मंत्र का 108 बार जाप करने से भी कमजोर सूर्य की स्थिति ठीक की जा सकती है।
3. घर के वास्तुशास्त्र को ठीक करने से भी यह समस्या हल हो जाती है।
4. घर के सभी बड़ों का सम्मान करने से भी सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं।
5. प्रातःकाल जल्दी उठकर सूर्य नमस्कार करने से सूर्य देव की असीम कृपा बरसती है।
सूर्य देवता के महत्वपूर्ण मंत्र और स्तोत्र आदि कुछ इस प्रकार हैं | सूर्य पुराण पढ़ने के फायदे | सूर्य कवच के फायदे
भगवान सूर्य नमस्कार मंत्र
श्री सूर्य नमन मंत्र का उच्चारण करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। सूर्य मंत्र जाप इस प्रकार है:
भगवान सूर्य देव चालीसा
श्री सूर्य बीज मंत्र
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:।
सूर्य नमस्कार श्लोक
ॐ ध्येयः सदा सवितृ-मण्डल-मध्यवर्ती,
नारायण: सरसिजासन-सन्निविष्टः।
केयूरवान् मकरकुण्डलवान् किरीटी,
हारी हिरण्मयवपुर्धृतशंखचक्रः ॥
सूर्य भगवान की आरती
सूर्य भगवान के 108 नाम | 108 names of lord surya |सूर्य के 108 नाम का श्लोक | सूर्य पुराण पढ़ने के फायदे | Surya Kavach
Who is the charioteer of Lord Surya?
वाल्मीकि पुराण के अनुसार भगवान सूर्य का सारथी अरुण(Aruna) को बताया गया है। इसी तरह जब भी बात की जाती है कि Who is the sarathi of Lord Surya? तो सारथी ‘अरुण’ का नाम आता है। दिलचस्प बात यह है कि अरुण भगवान विष्णु के सारथी गरुड़ के बड़े भाई हैं।
Who is the Father of Lord Surya?
पुराणों के अनुसार भगवान सूर्य देवता के पिता का नाम महर्षि कश्यप है जो ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि के भी पुत्र हैं। ज्ञात हो कि कश्यप से विवस्वान और विवस्वान के पुत्र वैवस्त मनु थे। विवस्वान को ही सूर्य कहा जाता है।
Who is the Mother of Lord Surya?
Surya Dev की माता का नाम अदिति है। बताते चलें कि अदिति के पुत्रों को आदित्य नाम से संबोधन किया जाता है क्योंकि 33 देवताओं में अदिति के 12 पुत्र हैं जिनमें से एक सूर्य है।
Who are the Sons of Lord Surya?
पौराणिक कथाओं के अनुसार मनु, यम, कर्ण, सुग्रीव भगवान सूर्य के पुत्र हैं।
सूर्य नमस्कार के लाभ क्या हैं?
सूर्य नमस्कार के फायदे कुछ इस प्रकार है-
1. सूर्य नमस्कार का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे व्यक्ति की छठी इंद्री सक्रिय होती है।
2. तनाव को दूर भागता है सूर्य नमस्कार।
3. अनिद्रा की स्थिति को ठीक करता है।
4. इससे शरीर में विटामिन डी की कमी पूरी होती है।
5. शरीर का पोस्चर लचीला बनाता है।
6. पाचन क्रिया को बेहतर कर यह वजन कम करने में भी सहायक है।
7. त्वचा से जुड़ी सारी समस्या से निजात दिलाता है।
8. मासिक धर्म की अनियमितता को फिर से ठीक करने में लाभदायक है।
9. शरीर में रक्त संचार में वृद्धि करता है सूर्य नमस्कार।
1. सूर्य नमस्कार का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे व्यक्ति की छठी इंद्री सक्रिय होती है।
2. तनाव को दूर भागता है सूर्य नमस्कार।
3. अनिद्रा की स्थिति को ठीक करता है।
4. इससे शरीर में विटामिन डी की कमी पूरी होती है।
5. शरीर का पोस्चर लचीला बनाता है।
6. पाचन क्रिया को बेहतर कर यह वजन कम करने में भी सहायक है।
7. त्वचा से जुड़ी सारी समस्या से निजात दिलाता है।
8. मासिक धर्म की अनियमितता को फिर से ठीक करने में लाभदायक है।
9. शरीर में रक्त संचार में वृद्धि करता है सूर्य नमस्कार।
सूर्य मंदिर कहां स्थित है?
सर्वप्रसिद्ध कोर्णाक मंदिर ओडिशा राज्य के कोर्णाक नामक शहर में स्थित है। यही वह स्थान जहां सूर्य मंदिर स्थित है, यह जगन्नाथ पूरी से कुछ ही किलोमीटर दूरी पर अवस्थित है। ख़ास बात यह है कि इस मंदिर की गिनती कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में होती है। बता दें कि इस मंदिर को साल 1984 में UNESCO ने अपनी विश्व धरोहर में शामिल किया था।
सूर्य मंदिर का इतिहास
Surya Temple का इतिहास भी कई मायनों में दिलचस्प है। प्राचीन समय में इस मंदिर को ‘बिरंचि नारायण’ कहा करते थे। इसी कारण उस इलाके को अर्क कहा जाता था जिसका तात्पर्य होता है ‘सूर्य’. एक कहानी के मुताबिक श्री कृष्णा के पुत्र साम्बा को एक शाप के चलते कुष्ठ रोग हो गया था जिससे छुटकारा पाने के लिए उन्होंने इसी मंदिर में तकरीबन 12 वर्षों तक तपस्या कर भगवान सूर्य को खुश किया था। तभी से इस मंदिर की खूब मान्यता है।
वहीँ ऐतिहासिक पन्नों की तरफ गौर करें तो यह मंदिर लाल रंग के बलुआ पत्थरों से निर्मित किया गया है। साथ ही इसमें काले रंग के ग्रेनाइट का प्रयोग हुआ है। इस मंदिर को वर्ष 1236-1264 इसे ईसा पूर्व गंगवंश के सामंत राजा नरसिंहदेव द्वारा बनाया बनवाया गया था।
इसकी शैली कलिंग है जिसमें सूर्य देवता को एक रथ पर विराजमान दिखाया गया है। बताते चलें कि इस पर पत्थरों से बनी नक्काशी उभरी हुई है। वैसे तो अभी इसमें केवल एक ही घोड़ा है लेकिन सम्पूर्ण मन्दिर स्थल को कुल 12 जोड़ी चक्रों के साथ 7 घोड़ों से खींचते बनाया गया है।
वहीँ ऐतिहासिक पन्नों की तरफ गौर करें तो यह मंदिर लाल रंग के बलुआ पत्थरों से निर्मित किया गया है। साथ ही इसमें काले रंग के ग्रेनाइट का प्रयोग हुआ है। इस मंदिर को वर्ष 1236-1264 इसे ईसा पूर्व गंगवंश के सामंत राजा नरसिंहदेव द्वारा बनाया बनवाया गया था।
इसकी शैली कलिंग है जिसमें सूर्य देवता को एक रथ पर विराजमान दिखाया गया है। बताते चलें कि इस पर पत्थरों से बनी नक्काशी उभरी हुई है। वैसे तो अभी इसमें केवल एक ही घोड़ा है लेकिन सम्पूर्ण मन्दिर स्थल को कुल 12 जोड़ी चक्रों के साथ 7 घोड़ों से खींचते बनाया गया है।