महामृत्युंज कवच क्या है? ( What is Maha Mrityunjay Kavach? )
महामृत्युंज अमोघ शिव कवच सभी बुरी शक्तियों से रक्षा करने वाला एक यन्त्र स्वरुप है। हिन्दू धर्म में अपनी परपंरा, रीति-रिवाज़ों, नियम, तौर तरीके और ईश्वर तक पहुँचने के मार्ग का लेखाजोखा कई तरीके से व्यक्त किया गया है कभी श्लोकों के माध्यम से, कभी स्तुति के जरिये तो कभी मंत्र के जाप से व्यक्ति भगवान से वार्ता करने का एक मार्ग खोज लेता है। इसी क्रम में कवच का प्रयोग व्यक्ति आत्मरक्षा के लिए करता है।
Maha Mrityunjay Kavach की विशेषताओं को जानने के बाद यह जान लेना भी बेहद आवश्यक है कि महामृत्युंजय जाप क्या होता है और किस प्रकार यह हमारे जीवन पर प्रभाव डालता है।
Maha Mrityunjay Kavach की विशेषताओं को जानने के बाद यह जान लेना भी बेहद आवश्यक है कि महामृत्युंजय जाप क्या होता है और किस प्रकार यह हमारे जीवन पर प्रभाव डालता है।
Maha Mrityunjaya Kavach in hindi (महामृत्युंजय कवच इन हिंदी) :
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
अर्थ : इस मंत्र का तात्पर्य है कि हम तीन नेत्र वाले रूद्र की आराधना करते हैं, जो सुगन्धित है, जो हमारा पालन-पोषण है, जिस प्रकार एक फल वृक्ष की शाखा से पृथक होकर मुक्त हो जाता है ठीक उसी प्रकार हम भी मृत्यु के चक्र से, नश्वरता से मुक्त हो जाएं। [1]
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
अर्थ : इस मंत्र का तात्पर्य है कि हम तीन नेत्र वाले रूद्र की आराधना करते हैं, जो सुगन्धित है, जो हमारा पालन-पोषण है, जिस प्रकार एक फल वृक्ष की शाखा से पृथक होकर मुक्त हो जाता है ठीक उसी प्रकार हम भी मृत्यु के चक्र से, नश्वरता से मुक्त हो जाएं। [1]
महामृत्युंजय कवच के लाभ ( Maha Mrityunjaya Kavach benefits )
1. महामृत्युंजय कवच ( Maha Mrityunjaya Kavach ) जैसा कि इसके नाम से ही प्रतीत होता है सरंक्षित करने वाला एक प्रकार का यन्त्र।
2. इस कवच को धारण किये जाने से यह हमारे शरीर के आस पास एक कवच रुपी आभामंडल निर्मित कर देता है जो हमें सभी बाहरी बुरी शक्तियों से सरंक्षित करता है।
3. सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाने में सहायता प्रदान करता है।
4. Maha Mrityunjaya Kavach शरीर को सभी रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक है। जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ने में हिम्मत प्रदान करता है।
कवच की विशेषताओं को जानने के बाद यह जान लेना भी बेहद आवश्यक है कि महामृत्युंजय मंत्र क्या होता है और किस प्रकार इसका जाप हमारे जीवन पर प्रभाव डालता है।
2. इस कवच को धारण किये जाने से यह हमारे शरीर के आस पास एक कवच रुपी आभामंडल निर्मित कर देता है जो हमें सभी बाहरी बुरी शक्तियों से सरंक्षित करता है।
3. सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाने में सहायता प्रदान करता है।
4. Maha Mrityunjaya Kavach शरीर को सभी रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक है। जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ने में हिम्मत प्रदान करता है।
कवच की विशेषताओं को जानने के बाद यह जान लेना भी बेहद आवश्यक है कि महामृत्युंजय मंत्र क्या होता है और किस प्रकार इसका जाप हमारे जीवन पर प्रभाव डालता है।
महा मृत्युंजय मंत्र क्या है? ( What is Maha Mrityunjaya Mantra? )
महामृत्युंजय मंत्र ( Maha Mrityunjaya Mantra ) का शाब्दिक अर्थ है ऐसा मंत्र जिसके माध्यम से मृत्यु पर जीत पाई जाती है। इस मंत्र को रूद्र मंत्र, त्रयंबकम मंत्र और संजीवनी मंत्र के नाम से भी जाना जाता है। यजुर्वेद के रूद्र अध्याय में इस शिव रक्षा कवच मंत्र का उल्लेख किया गया है।
इसकी ख़ास बात यह है कि इस Maha Mrityunjaya Mantra की शक्ति गायत्री मंत्र के बराबर की मानी जाती है। वहीँ शिव की तीन आँखों की तरफ इशारा करते हुए इसे त्रयंबकम कहा गया है। इस मंत्र के महत्व का अंदाज़ा इस बात से ही लगाया जाता है कि ऋषि मुनियों ने महामृत्युंजय मंत्र को वेदों के ह्रदय की संज्ञा दी है। [2]
इसकी ख़ास बात यह है कि इस Maha Mrityunjaya Mantra की शक्ति गायत्री मंत्र के बराबर की मानी जाती है। वहीँ शिव की तीन आँखों की तरफ इशारा करते हुए इसे त्रयंबकम कहा गया है। इस मंत्र के महत्व का अंदाज़ा इस बात से ही लगाया जाता है कि ऋषि मुनियों ने महामृत्युंजय मंत्र को वेदों के ह्रदय की संज्ञा दी है। [2]
महा मृत्युंजय मंत्र कितना शक्तिशाली है? ( How powerful is Maha Mrityunjaya Mantra? )
शुरुआत में ही शिव कवच रहस्य के बारे में बताया जा चुका है, इसके नाम में ही इसका सम्पूर्ण भावार्थ छिपा हुआ है यानी यह अकाल मृत्यु तक के भय को समाप्त कर सकता है फिर जीवन की छोटी-मोटी परेशानियां से छुटकारा पाना तो इसके माध्यम से बहुत ही आसान है। यदि कोई जातक इस मंत्र का प्रतिदिन जाप कर पाने में असंभव है तो वह इसका अमोघ शिव कवच प्रयोग कर अपनी इस समस्या का हल निकाल सकता है।
महा मृत्युंजय मंत्र का क्या प्रभाव है? ( What is the effect of Maha Mrityunjaya Mantra? )
Mahamrityunjay jaap ईश्वर से बातचीत और अपनी परेशानी उस तक पहुँचाने का एक रास्ता है जिसपर चलकर भक्त अकाल मृत्यु, कष्टदायी बिमारियों और जीवन-मृत्यु चक्र से मुक्ति पाकर शिव की शरण में पहुंचता है।
कोई भी व्यक्ति जो किसी बीमारी से जूझ रहा है, मृत्यु जिसके द्वार पर खड़ी है, जीवन में कोई परेशानी का सामना कर रहा है, बार-बार हार का मुख देखना पड़ रहा है; इन सभी प्रतिकूल परिस्थतियों में इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को शान्ति मिलती है। कवच का प्रभाव एक दम से तो नहीं मालूम पड़ता है पर शास्त्रों की मानें तो जीवन में इसका प्रभाव पड़ता जरूर है।
कवच व्यक्ति के भटकते क़दमों को सही रास्ते पर लाने का काम करता है। ऐसा कहा जाता है कि गायत्री मंत्र पूरे ब्रह्माण्ड का बखान करता है तो वहीँ महामृत्युंजय मंत्र पूरे ब्रह्माण्ड से मुक्ति दिलाने का प्रतीक है। [3]
कोई भी व्यक्ति जो किसी बीमारी से जूझ रहा है, मृत्यु जिसके द्वार पर खड़ी है, जीवन में कोई परेशानी का सामना कर रहा है, बार-बार हार का मुख देखना पड़ रहा है; इन सभी प्रतिकूल परिस्थतियों में इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को शान्ति मिलती है। कवच का प्रभाव एक दम से तो नहीं मालूम पड़ता है पर शास्त्रों की मानें तो जीवन में इसका प्रभाव पड़ता जरूर है।
कवच व्यक्ति के भटकते क़दमों को सही रास्ते पर लाने का काम करता है। ऐसा कहा जाता है कि गायत्री मंत्र पूरे ब्रह्माण्ड का बखान करता है तो वहीँ महामृत्युंजय मंत्र पूरे ब्रह्माण्ड से मुक्ति दिलाने का प्रतीक है। [3]
महा मृत्युंजय जाप से जुड़ी पौराणिक कथा ( Mythological Story Behind Mahamrityunjay jaap )
एक मृकण्डु नामक साधू धर्मपत्नी मृदुमति के साथ रहता था जिनका कोई पुत्र नहीं था और वे अपनी इस इच्छा की पूर्ति के लिए भगवान शिव के समक्ष कठोर तपस्या करने का निश्चय करते है। अपने इस दृढ निश्चय के साथ की गई तपस्या के माध्यम से दंपत्ति भगवान शिव को महा मृत्युंजय जाप के माध्यम से प्रसन्न करने में सफल हो जाते है।
भगवान शिव ( Bhagwan Shiv ) दंपत्ति से प्रसन्न होकर उनकी एक इच्छा पूर्ण करने का वरदान देते हैं लेकिन साथ ही शर्त भी लगा देते हैं। शर्त के अनुसार भगवान शिव दंपत्ति को 2 प्रकार के पुत्र में से किसी एक का चुनाव करने के लिए कहते हैं या तो वे अल्पायु (16 वर्ष) के बुद्धिमान पुत्र को चुन सकते हैं और या फिर दीर्घायु के बुद्धिहीन पुत्र को। मृकण्डु एक ऋषि थे जिस कारण उन्होंने अल्पायु के बुद्धिमान पुत्र का चुनाव किया।
अपने इस पुत्र का नाम ऋषि ने मार्कण्डेय रखा। समय बीतता गया और मार्केण्डय की उम्र अब 16 वर्ष हो चुकी थी। अपने पुत्र की बढ़ती उम्र से चिंतित दंपत्ति के दुःख का कोई ठिकाना नहीं था क्योंकि उन्हें बार बार उस वरदान का स्मरण हो रहा था।
यह सब देख एक दिन मार्केण्डय अपने पिता से इस दुःख का कारण पूछते है और वजह जानने पर वह भी अपने माता पिता की तरह दृढ निश्चय के साथ तपस्या करना आरम्भ कर देता हैं। मृत्यु का समय समीप आ रहा था और मार्कण्डेय अपनी तपस्या में लीन महामृत्युंजय का जाप जारी रखता है।
16 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद जब मार्कण्डेय के प्राण लेने के लिए यमराज आये उस वक़्त मार्कण्डेय शिव की तपस्या में लीन थे। यह दृश्य देखकर जब व्याकुल यमराज ने जब अपना पाश जब मार्कण्डेय पर फेंका तब बालक मार्कण्डेय ने अपने दोनों हाथों से शिवलिंग को कसकर पकड़ लिया जिस कारण मार्केण्डय पर फेंका गया पाश शिवलिंग पर जा गिरा।
यमराज की इस हरकत पर भगवान शिव बहुत क्रोधित हुए और अपनी रक्षा के लिए प्रकट हुए और उसी समय उन्होंने यमराज को मार दिया। शिव और यमराज के बीच हुए इस प्रसंग को सुनकर सभी देवता शिव जी के समंक्ष पहुंचे और यमराज को जीवित करने की अपील की।
उस समय शिव जी ने यमराज को इस शर्त पर नया जीवन प्रदान किया कि वे मार्केंडय को अपने साथ नहीं ले जाएंगे और इस तरह से मार्केंडय को नया जीवनदान मिला। यह सभी केवल महा मृत्युंजय जाप के कारण ही संभव हो पाया। [4]
प्रभावशाली महामृत्युंजय जाप :
Maha Mrityunjaya Jaap किसी भी व्यक्ति को मौत के मुँह से वापस लाने में बहुत प्रभावशाली है, साथ ही इसके अनेक फायदों के बारे में ऊपर उल्लेख किया गया है। यदि सच्चे मन से ईश्वर का ध्यान कर इसे प्रयोग में लाया जाए तो व्यक्ति सही मायने में सिद्धि प्राप्त कर सकता है।
भगवान शिव ( Bhagwan Shiv ) दंपत्ति से प्रसन्न होकर उनकी एक इच्छा पूर्ण करने का वरदान देते हैं लेकिन साथ ही शर्त भी लगा देते हैं। शर्त के अनुसार भगवान शिव दंपत्ति को 2 प्रकार के पुत्र में से किसी एक का चुनाव करने के लिए कहते हैं या तो वे अल्पायु (16 वर्ष) के बुद्धिमान पुत्र को चुन सकते हैं और या फिर दीर्घायु के बुद्धिहीन पुत्र को। मृकण्डु एक ऋषि थे जिस कारण उन्होंने अल्पायु के बुद्धिमान पुत्र का चुनाव किया।
अपने इस पुत्र का नाम ऋषि ने मार्कण्डेय रखा। समय बीतता गया और मार्केण्डय की उम्र अब 16 वर्ष हो चुकी थी। अपने पुत्र की बढ़ती उम्र से चिंतित दंपत्ति के दुःख का कोई ठिकाना नहीं था क्योंकि उन्हें बार बार उस वरदान का स्मरण हो रहा था।
यह सब देख एक दिन मार्केण्डय अपने पिता से इस दुःख का कारण पूछते है और वजह जानने पर वह भी अपने माता पिता की तरह दृढ निश्चय के साथ तपस्या करना आरम्भ कर देता हैं। मृत्यु का समय समीप आ रहा था और मार्कण्डेय अपनी तपस्या में लीन महामृत्युंजय का जाप जारी रखता है।
16 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद जब मार्कण्डेय के प्राण लेने के लिए यमराज आये उस वक़्त मार्कण्डेय शिव की तपस्या में लीन थे। यह दृश्य देखकर जब व्याकुल यमराज ने जब अपना पाश जब मार्कण्डेय पर फेंका तब बालक मार्कण्डेय ने अपने दोनों हाथों से शिवलिंग को कसकर पकड़ लिया जिस कारण मार्केण्डय पर फेंका गया पाश शिवलिंग पर जा गिरा।
यमराज की इस हरकत पर भगवान शिव बहुत क्रोधित हुए और अपनी रक्षा के लिए प्रकट हुए और उसी समय उन्होंने यमराज को मार दिया। शिव और यमराज के बीच हुए इस प्रसंग को सुनकर सभी देवता शिव जी के समंक्ष पहुंचे और यमराज को जीवित करने की अपील की।
उस समय शिव जी ने यमराज को इस शर्त पर नया जीवन प्रदान किया कि वे मार्केंडय को अपने साथ नहीं ले जाएंगे और इस तरह से मार्केंडय को नया जीवनदान मिला। यह सभी केवल महा मृत्युंजय जाप के कारण ही संभव हो पाया। [4]
प्रभावशाली महामृत्युंजय जाप :
Maha Mrityunjaya Jaap किसी भी व्यक्ति को मौत के मुँह से वापस लाने में बहुत प्रभावशाली है, साथ ही इसके अनेक फायदों के बारे में ऊपर उल्लेख किया गया है। यदि सच्चे मन से ईश्वर का ध्यान कर इसे प्रयोग में लाया जाए तो व्यक्ति सही मायने में सिद्धि प्राप्त कर सकता है।
महा मृत्युंजय मंत्र का जाप कब करें? ( When to chant Maha Mrityunjaya Mantra? )
Maha Mrityunjaya Mantra का सम्पूर्ण फायदा उठाने के लिए व्यक्ति को चाहिए कि किसी शांत स्थान की तलाश करें जहां पर पूजा में किसी तरह की कोई अड़चन न आए और मन एकाग्र होकर ईश्वर का ध्यान कर सके क्योंकि किसी भी काम को अधूरे मन से करना उस काम को न करने के बराबर है फिर ये तो ईश्वर की भक्ति का कार्य है।
किसी दूसरे व्यक्ति के लिए महा मृत्युंजय मंत्र कैसे करें? ( How to chant Maha Mrityunjaya Mantra for Someone else? )
जिस भी रोगी के लिए इस मंत्र का जाप करना हो उसके लिए सर्वप्रथम “ॐ सर्वं विष्णुमयं जगत ” का उच्चारण करें और उस व्यक्ति के नाम व गोत्र का नाम लेकर ”ममाभिष्ट शुभफल प्राप्त्यर्थं श्री महामृत्युंजय रुद्र देवता प्रीत्यर्थं महामृत्युंजय मंत्र जपं करिष्ये।’’ उच्चारण करते हुए अंजलि में भरा हुआ जल छोड़ें। इस प्रकार किसी रोगी के लिए जाप किया जाता है।
घर पर महा मृत्युंजय मंत्र कैसे करें? ( How to do Maha Mrityunjaya Jaap at home? )
1. Maha Mrityunjaya Mantra का संबंध भगवान शिव से है इसलिए इस मंत्र के जाप के लिए यदि सोमवार का दिन तय किया जाए तो इससे शिव की कृपा बरसेगी।
2. प्रातःकाल स्नान करने के पश्चात शिव की प्रतिमा पर गंगाजल छिड़कें।
3. घी का दीया और धूप जलाएं और 108 बार मंत्र का जाप करें।
महा मृत्युंजय मंत्र का जाप कौन कर सकता है? ( Who can chant Maha Mrityunjaya Mantra? )
1. यदि जन्म, मास, गोचर, दशा, अन्तर्दशा आदि में ग्रहपीड़ा योग हो उस समय Mahamrityunjay jaap किया जाता है।
2. किसी बड़ी और गंभीर बीमारी, तनाव की स्थिति में इसका जाप कर सकते हैं।
3. आर्थिक संकट की और धन की बार-बार हानि की स्थिति में Maha Mrityunjaya Jaap करना चाहिए।
4. रोज-रोज के गृह कलेश से छुटकारा पाने के लिए मंत्र उपयोग किया जा सकता है।