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    Home » Kundali Dosh: कुंडली में 5 ऐसे दोष जो रातों रात बदल देंगे आपका जीवन
    Astrology

    Kundali Dosh: कुंडली में 5 ऐसे दोष जो रातों रात बदल देंगे आपका जीवन

    HarshBy HarshJanuary 12, 2024Updated:January 12, 2024
    kundali me dosh kaise pata kare
    kundali me dosh kaise pata kare
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    What are the dosh in kundali? | कुंडली में दोष क्या हैं? | Kundali Dosh kya hai

    Kundali Dosh – जब कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में मंगल होता है, तब मांगलिक दोष लगता है. इस दोष को विवाह के लिए अशुभ माना जाता है. एक सफल सुखद वैवाहिक जीवन के लिए बेहद आवश्यक है कि दोनों ही जीवन साथी की कुंडली में मंगल दोष ना हो।

    कुंडली में दोष प्रतिकूल ग्रहों की स्थिति के कारण होने वाले दोष या असंतुलन को संदर्भित करता है। मंगल दोष विवाह में चुनौतियाँ और अस्थिरता लाता है, जबकि काल सर्प दोष तब होता है जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं, जिससे कठिनाइयाँ पैदा होती हैं।

    कुंडली ज्योतिष एक प्राचीन विज्ञान है जो हमें अपने जीवन की दिशा में मार्गदर्शन करने का उपाय प्रदान करता है। इसमें कुछ ऐसे दोष होते हैं जो हमारे जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। इस लेख में, हम चर्चा करेंगे कि कुंडली में वे 5 खतरनाक दोष हैं जिनसे बचना हमारे लिए महत्वपूर्ण है।

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    Kundali Dosh Check in Hindi

    कुंडली में दोष बनने का कारण ग्रहों की नकारात्मक स्थिति होती है। जब कोई ग्रह नीच भाव में हो या फिर आपके लग्न और राशि को पाप ग्रह सीधे देख रहे हों तो ऐसी स्थिति कुंडली में दोष उत्पन्न करती हैं। ऐसी मान्यता भी है यह दोष इस जन्म के साथ-साथ पूर्व जन्म से भी जुड़े हो सकते हैं।

    कुंडली में दोष कितने प्रकार के होते हैं? | Kundali Dosh kitne hote hai?

    1. मांगलिक दोष | Mangal Dosh | Manglik Dosh kaise pata kare

    मांगलिक दोष एक ऐसा दोष है जो किसी की कुंडली में मंगल ग्रह के प्रभाव को सूचित करता है। यह दोष विवाह और जीवन संबंधों में अड़चनें डाल सकता है। समाज में इसे अशुभ माना जाता है, लेकिन सही उपायों की मदद से इसे शांत किया जा सकता है।

    मंगल को शक्ति, साहस, पराक्रम और ऊर्जा का कारक माना जाता है. कुंडली में इसकी शुभ स्थिति किसी भी जातक लिए मंगलकारी ही सिद्ध होता है. लेकिन अगर इनकी उपस्थिति कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम अष्टम और द्वादश भाव में हो तो यह स्थित मांगलिक दोष कहलाता है.mangal dosh kya haiमांगलिक दोष कितने साल में खत्म हो जाता है? – जब मंगल जन्म कुंडली के 1, 4, 7, 8 और 12वें घर में होता है तो जातक को मांगलिक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि 28 वर्ष की आयु तक इसका प्रभाव बहुत ज्यादा होता है और कई लोगों की राशि और कुंडली में 28 साल की उम्र के बाद ये समाप्त हो जाता है, वहीं कुछ लोगों के लिए इसका असर पूरे जीवन रहता है।

    2. शनि दोष | Shani Dosh kaise pata kare

    शनि दोष कुंडली में शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव को दर्शाता है और व्यक्ति को जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इस दोष को ठीक करने के लिए धार्मिक और तांत्रिक उपायों का पालन करना फायदेमंद हो सकता है।shani dosh kya hota hai

    शनि दोष से मुक्ति के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए. शनिवार के दिन सूर्योदय से पहले पीपल के पेड़ की पूजा करके, जल अर्पित करते हुए तेल का दीया जलाने से शनि देव की कृपा मिलती है. शनिवार के दिन शनिदेव की कृपा पाने के लिए और साढ़ेसाती का प्रभाव कम करने के लिए शनिदेव के मंत्रों का जाप करना चाहिए।

    शनि का क्रोधित होना और ग्रह से दंडनायक देवता बनना शनि दोष कहलाता है। शनि देव का किसी राशि में न्यायकर्ता के रूप में स्थान लेना शनि दोष उत्पन्न करता है।

    3. कालसर्प दोष | Kaal sarp Dosh kya hota hai

    कालसर्प दोष एक ऐसा दोष है जो किसी की कुंडली में राहु और केतु के प्रभाव को दिखाता है। इसे लोग अशुभ मानते हैं और इसका सीधा असर व्यक्ति की सोच और व्यवहार पर पड़ता है। उचित पूजा और उपायों से इसे ठीक किया जा सकता है।kaal sarp dosh

    भारतीय ज्योतिष में राहू को सर्प के मुख के आकार का तथा केतु को पूंछ के आकार का माना गया है यह दोनों ग्रह वक्री होते है। जब जन्मकुंडली के सभी ग्रह राहु केतु के मध्य भावों में पड़े हो उसे कालसर्प दोष कहा जाता है. ऐसे कुंडली कालसर्प योग वाली जन्मकुंडली मानी जाती है।

    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष निर्मित होता है उस दौरान जातक को अनेक तरह की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे जातकों को नौकरी में अनेक तरह की परेशानियों से दो चार होना पड़ता है. इन लोगों का नौकरी में स्थायित्व नहीं होता।

    4. ग्रहण दोष | Grahan Dosh kya hota hai

    ग्रहण दोष व्यक्ति की सौंदर्य और स्वास्थ्य में बाधाएं डाल सकता है। इसे दूर करने के लिए उपयुक्त मन्त्र और रत्नों का प्रयोग किया जा सकता है। जब किसी व्यक्ति का जन्म सूर्य या चंद्र ग्रहण के दौरान होता है, तो उस व्यक्ति में ग्रहण दोष होता है. इस दोष का निर्माण छाया ग्रहों, राहु और केतु की उपस्थिति के कारण होता है. चंद्र ग्रहण दोष दो प्रकार का होता है।grahan dosh

    ग्रहण दोष के उपाय – यदि आपकी कुंडली में चंद्र ग्रहण दोष है, तो चंद्र मंत्रों जैसे ओम सोमाय नमः या ॐ चंद्राय नमः का दिन में 108 बार जाप करें, खासकर सोमवार को। यदि किसी की कुंडली में सूर्य ग्रहण दोष है, तो आप एक अच्छे मुहूर्त के दौरान लगातार 7 रविवार तक पुजारियों को गुड़ दान करें।

    ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहण दोष तब बनता है, जब सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु या केतु में से कोई एक ग्रह मौजूद हो. इसके अलावा, अगर सूर्य या चंद्रमा के घर में राहु या केतु में से कोई एक ग्रह मौजूद हो, तो भी ग्रहण दोष माना जाता है।

    5. पितृ दोष | Pitra Dosh kya hota hai

    पितृ दोष कुंडली में पितृ ग्रह के प्रभाव को दिखाता है और इससे परिवार में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। उपयुक्त पूजा और दान के माध्यम से इसे शांत किया जा सकता है।

    मृत्यु के बाद यदि विधि-विधान से अंतिम संस्कार न किया जाए तो पितृ दोष लगता है। असामयिक मृत्यु की स्थिति में परिवार के सदस्यों को कई पीढ़ियों तक पितृ दोष का सामना करना पड़ता है। माता-पिता का अपमान करने और उनकी मृत्यु के बाद परिवार के सदस्यों का पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध न करने से पूरे परिवार पर पितृ दोष लगता है।

    Pitra Dosh: कुंडली में आखिर क्यों लगता ...

    हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक, पितृ दोष तब लगता है जब कोई व्यक्ति अपने पूर्वजों का अनादर करता है या उन्हें तकलीफ़ देता है. इससे दुखी होकर दिवंगत आत्माएं अपने परिवार के सदस्यों को शाप देती हैं।

    मृत्यु के बाद यदि विधि-विधान से अंतिम संस्कार न किया जाए तो पितृ दोष लगता है। असामयिक मृत्यु की स्थिति में परिवार के सदस्यों को कई पीढ़ियों तक पितृ दोष का सामना करना पड़ता है। माता-पिता का अपमान करने और उनकी मृत्यु के बाद परिवार के सदस्यों का पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध न करने से पूरे परिवार पर पितृ दोष लगता है।

    कौन सा दोष बहुत बुरा है? | Konsa dosh sabse bura hai? 

    मंगल दोष – मांगलिक या मंगल दोष एक प्रतिकूल ज्योतिषीय स्थिति है जिसके बारे में माना जाता है कि यह किसी व्यक्ति के जीवन में दुर्भाग्य, चुनौतियाँ और कठिनाइयाँ लाता है। मांगलिक दोष वाले व्यक्ति को अपने विवाह में कठिनाइयों या अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है।

    कुंडली में पितृ दोष की पहचान कैसे करें? | Kundali mai Pitra Dosh ki pehchan kaise kare? 

    Know How Pitra Dosh Is Formed In Kundli Know Reason And Upay | kundali dosh
    इस दोष में शर्त यह है कि सूर्य राहु से युति होना चाहिए और उस पर शनि की दृष्टि होनी चाहिए। दूसरी ओर अगर शनि सूर्य के साथ हो या राहु उसे देख रहा हो तो भी विद्वानों से इसे ‘पितृ दोष’ कहा है। ज्योतिष के विद्वान कहते है कि अगर पंचम और नवम में ऐसी ग्रह स्थिति हो तो निश्चित ही जातक को ‘पितृ दोष’ से पीड़ित जाने।

    कुंडली दोष निवारण | Kundali Dosh Nivaran

    कुंडली दोष और उनके सटीक उपाय - Google ...
    कुंडली में मौजूद दोषों के निवारण के लिये भी ज्योतिषशास्त्र में अनेक विकल्प बताये जाते हैं। ग्रह विशेष की पूजा, ग्रह शांति पूजा, व्रत, स्नान, दान आदि के जरिये दोषों से मुक्ति के मार्ग बताये जाते हैं।

    कुंडली में दोष कैसे पता चलेगा? | Kundali Mein Dosh kaise pata chalega?

    जब कुंडली में राहु केंद्र में या त्रिकोण में मौजूद होता है, तो पितृ दोष बनता है. इसके अलावा जब सूर्य, चंद्रमा और लग्नेश का राहु से संबंध होता है, तो जातक की कुंडली में पितृ दोष बनता है. जब कोई व्यक्ति अपने से बड़ों का अनादर करता है, या फिर उसकी हत्या कर देता है, तो ऐसे व्यक्ति को पितृ दोष लगता है।

    जन्म तिथि से दोष कैसे पता चलेगा? | Janam tithi se kundali dosh kaise pata chalega?

    जन्म की तारीख, जन्मस्थान और जन्म के समय के आधार पर ग्रह नक्षत्रों की गणना होती है, जिससे कुंडली में मौजूद गुण-दोषों के बारे में पता चलता है। Kundali Dosh कुंडली प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में विशेष महत्व रखती है। कुंडली से व्यक्ति के भूत, भविष्य और वर्तमान को प्रदर्शित करती है। 
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