History of shudh mahadev mandir – क्या मिल गया महादेव का त्रिशुल ।
शिव का त्रिशूल कहां है? – महादेव की सबसे प्रिय चीज में से एक महादेव के दिव्य त्रिशुल का आखिर क्या है राज।
जब-जब भी महादेव की सबसे प्रिय चीजों की बात की जाती है, को उनमें महादेव का डमरु , गले में विराजमान सर्प की माला और त्रिशुल का नाम सबसे पहले लिया जाता है। ऐसा माना जाता है, कि यह तीनों चीजें महादेव को बहुत ही प्रिय थी, और महादेव इन्हे अपने अंग की भांति ही समझते थे। तो आज की इस वीडियो में हम महादेव की प्रिय इन्ही तीन चीजों में से एक यानि की शिव का त्रिशूल के बारे में बात करेंगे।
क्या आपने कभी सोचा है कि यह दिव्य त्रिशुल अभी कहा है। तो आपको बता दें कि लोगों का मानना है कि यह त्रिशुल(trishul) मिल गया है। दरअसल इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमेें एक दिव्य त्रिशुल दिखाई दे रहा है। और वीडियो में त्रिशुल का चमत्कार साफ-साफ दिखाई दे रहा है। जिससे की ऐसा लग रहा है मानों यह स्वयं भगवान शिव(bhagwan shiv) का दिव्य त्रिशुल हो। आज पूरा देश बाढ़ की गंभीर परिस्थतियों से गुजर रहा है। जहां इस बाढ़ में मजबूत से मजबूत पेड़ और बड़ी से बड़ी इमारतें बह गई।
तो वहीं यह बाढ़ इस दिव्य त्रिशुल का बाल भी बांका न कर सकी । बता दें कि वीडियो में साफ तौर पर देखा एक त्रिशुल,,,, जोकि चारों और से बाढ़ की बड़ी-2 लहरों से ढका हुआ है। लेकिन यह बाढ़ का पानी त्रिशुल को बहाना तो दूर उसे हिला भी ना सका। वीडियो में देखा जा सकता है। कि त्रिशुल पर भगवा रंग का एक झंड़ा भी बंधा है जिसका भी बाढ़ का पानी कुछ ना कर सका। जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो लोग इसे भगवान शिव का चमत्कारी त्रिशुल मानने लगे। वीडियो में त्रिशुल के चमत्कार से तो यही प्रतीत होता है जेैसे यह स्वयं महादेव का त्रिशुल हो।
mahadev mandir in jammu and kashmir
अगर महादेव के असली त्रिशुल की बात करें तो, उसे लेकर कई पौराणिक कथाएं। एक कथा के अनुसार महादेव ने पार्वती(parvati) की जान खतरे में जानकर राक्षस को मारने के लिए अपना (Trishul) फेंका। त्रिशूल राक्षस के सीने में लगा, त्रिशूल फेंकने के थोड़ी देर बाद ही शिवजी को ज्ञात हुआ कि उन्होंने अनजाने में एक बहुत बड़ी गलती कर दी है अपने हाथों से उन्होंने अपने भक्त का वध कर दिया है। इसीलिए उन्होंने वहाँ पर आकर उस राक्षस को पुनर्जीवन देने की पेशकश की लेकिन राक्षस ने यह कहकर मना कर दिया कि वो अपने ईष्ट देव के हाथों से मर के मोक्ष प्राप्त कर चुका है।
भगवान शिव ने उसकी बात मान ली और उसे वरदान दिया, की ये जगह आज से तुम्हारे नाम से ही जानी जाएगी और साधु महादेव यानी की शुद्ध महादेव के नाम से ये विख्यात होगी साथ ही उन्होंने अपने (Trishul) के तीन टुकड़े वहीं पर गाड़ दिए जो आज भी यहाँ पर मौजूद है। आपको सुध महादेव मंदिर (sudh mahadev temple) परिसर में त्रिशूल के तीन टुकड़े भी गढ़े हुए नजर आएँगे । यह मंदिर जम्मू से 120 किलो मीटर दूर पटनीटॉप के पास स्थित है। जो कि सुध महादेव के मंदिर के नाम से जाना जाता है आपको इस मंदिर परिसर में त्रिशूल के तीन टुकड़े भी गढ़े हुए नजर आएँगे और जिसके सबूत आप उस मंदिर में जाकर भी देख सकते हैं।