“Shri Krishna” | भगवान श्रीकृष्ण की अद्वितीय प्रतिमा: भोग न लगने पर हो जाती है पतली“
Shri Krishna : भारत एक एसी राजधानी जहा अन्य तरीकों के चमत्कार और रहस्य देखने को मिलते हैं। चमत्कार एसे की वज्ञानिको के भी पसीने छूट जाए, और रहस्य एसे की सुलजाने जाओ तो सवालों का पहाड़ खड़ा हो जाए। अब यही चमत्कार और रहस्य हमे एक मंदिर मे देखने के मिल जाए तो कैसा होगा? और जो भी इस चमत्कार और रहस्य को सुलझाने गया वो हमेशा खाली हाथ ही लौटे!
आज जिस चमत्कार की हम बात करने जा रहे हैं, वो एक मंदिर मे रखी प्रतिमा की हैं, और वह प्रतिमा कोई साधारण प्रतिमा नहीं, एक जीवित प्रतिमा जिसको 24 घंटे मे 11 बार भोग लगाया जाता हैं। जी हाँ! 11 बार भोग लगाया जाता हैं।
इस प्रतिमा के बारे मे जानने के लिए यह लेखक अंत तक पढ़े। तो चलिए फिर जानते हैं,
श्री कृष्ण जी की एक एसी प्रतिमा के बारे मे, जिसे अगर वक्त पर भोग न लगे तो वह भूख के कारण पतली हो जाती हैं।
दक्षिण भारतीय राज्य केरल के थिरुवरप्पु में स्थित एक श्री कृष्ण (Shri Krishna) जी का मंदिर हैं, माना जाता है कि यह प्रसिद्ध मंदिर करीब 1500 साल पुराना है, लेकिन इसमे रखी श्री कृष्ण जी की प्रतिमा लग भग द्वापर युग के समय की हैं।
इसके पीछे एक कहानी हैं, जब पांडवों ने अपना राज्य कौरवों से हार लिया था उसके बाद पांडव वनवास जा रहे थे, तब पांडवों ने भगवान Shri Krishna से विनती करी की आप हमे अपनी एक मूर्ति दे दीजिए। तब भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों को अपनी एक 5 फीट की प्रतिमा दी। उसके बाद से पांडवों ने अपनी 14 साल के वनवास मे प्रतिमा की खूब सेवा करी, अंत मे जब वनवास का समय खत्म हुआ तो सभी पांडव मूर्ति के साथ वापिस जाने लगे।
एसे मे जंगल मे रह रहे मछुवारों ने सभी पांडवों से विनती करी की आप Shri Krishna जी की यह प्रतिमा हमे सोप दे हम इनकी सेवा करना चाहते हैं। पांडवों ने मछुवारों की भक्ति और श्रद्धा से प्रसन्न होकर यह मूर्ति उन्ही मछुवारों को सोप दी।
फिर मछुवारों ने कई सालों तक श्री कृष्ण की मूर्ति को अपने पास रखा, लेकिन अचानक मछुवारों पर तरह तरह के संकट आने लगे।
जब संकट बहुत ज्यादा बढ़ गया और संकट से पीछा नहीं छुड़ाया जा सका।
तो कुछ मछुवारे एक साधु के पास गए और उन्हे अपनी पूरी समस्या बताई और फिर साधु ने सभी मछुवारों को बताया की आप सभी लोग श्री कृष्ण जी की मूर्ति की पूजा सही से नहीं कर रहे हो जिससे कारण shri krishna नाराज है।तब सभी मछुवारों ने इसका उपाय पूछा तो साधु ने बताया की आप सभी इस मूर्ति (Murti)को नदी मे विसर्जित कर दे। सभी मछुवारों ने साधु की बात मानी और मूर्ति को वही नदी मे विसर्जित कर दिया। फिर आने वाले कई सालों तक श्री कृष्ण जी की प्रतिमा पानी के अंदर ही रही।
फिर आज से लग भग 1500 साल पहले एक समय आया जिसमे विलवामांगलं स्वामीयर नामक भारत मे रहने वाले संत थे, जो की श्री कृष्ण भक्ति मे नील रहते थे। एक बार वे एक नाव मे सवार होकर गुजर रहे थे, लेकिन तभी अचानक उनकी नाव कही अटक जाती हैं उनकी कई कोशिश करने के बावजूद भी नाव अपनी जगह से बिल्कुल नहीं हिल रही थी। तब उन्होंने पानी के अंदर जाने का फैसला किया और तब उन्हे shri krishna जी की वही प्रतिमा मिली जो मछुवारों दुवारा पानी मे विसर्जित करी गई थी, एसे मे विलवामांगलं स्वामीयर ने इसे भगवान कृष्ण का आशीर्वाद समझा और उसे अपने साथ अपनी नाव मे रख लिया।
फिर कुछ समय बाद उन्हे थिरुवरप्पुर गाव दिखाई पड़ा, उन्होंने वहा आराम करने का फैसला किया, वहा नाव से उतरे और अपने साथ मूर्ति भी वही रख दी और आराम करने लगे। लेकिन जब वह आराम करके उठे और वापिस नाव मे जाने के लिए मूर्ति को उठाया तो श्री कृष्ण जी की वह मूर्ति अपनी जगह से बिल्कुल नहीं हिली काफी प्रयास किए लेकिन मूर्ति अपनी जगह से फिर भी नहीं हिली।
ऐसे मे विलवामांगलं स्वामीयर ने इसे भगवान श्री कृष्ण का इशारा समझा और मूर्ति की इसी जगह पर स्थापना करदी। और आज के इस समय मे यहा पर श्री कृष्ण जी का बहुत सुंदर मंदिर हैं। जिसे हम सभी आज के समय मे थिरुवरप्पुर मे देखते हैं।
श्री कृष्ण की विशेष पूजा और अनोखा भोग: एक दिवसीय सुंदर ग्रहण की कथा“
जिससे Bhagwan shri krishna की समय समय पर पूजा और अन्य पकवानों से भोग लगाए जाने लगे। लेकिन एक बार सूर्य ग्रहण लगने की वजह से मंदिर पूरे एक दिन के लिए बंद रखा गया, एसे मे जब अगले दिन पुजारी ने मंदिर के द्वार खोले तो उनकी आँखें फटी की फटी रह गई क्यूंकी मूर्ति अपने सामान्य रूप से दूबली–पतली दिखाई पड़ रही थी।
जिससे काफी चर्चा होने लागी फिर वहा पर आदि शंकराचार्य जी आए उन्होंने इस होने वाली घटना को देखकर बताया की, सूर्य ग्रहण लगने के कारण पूरे दिन मंदिर बंद रहा जिससे श्री कृष्ण जी मूर्ति भूखे होने के कारण पतली हो गई।
फिर इसके समाधान के तौर पर आदि शुक्रयचार्य जी ने बताया की मंदिर का द्वार सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रणह पर भी बंद नहीं होना चाहिए। जिस वजह से तबसे लेकर अब तक इस मंदिर का द्वार सिर्फ 2 मिनट के लिए बंद होता हैं, जिसका समय हैं 11 बज कर 58 मीट पर बंद होता हैं, फिर इसके बाद यह द्वार ठीक 12 बजे खोल दिया जाता हैं। और अब यह द्वार न तो सूर्य ग्रहण मे बंद होता है और न ही चंद्र ग्रहण मे, यह भारत का एक मात्र मंदिर हैं जिसमे भगवान श्री कृष्ण को सुबह 3 बजे सबसे पहले भोग लगाया जाता हैं।
मान्यताओ के तौर पर यह श्री कृष्ण जी की प्रतिमा का स्वरूप तब का हैं जब भगवान श्री कृष्ण ने अपने मामा कंस का वध किया था, उसके बाद श्री कृष्ण को बहुत तेज भूख लगी थी फिर श्री कृष्ण जी ने भर पेट खाना खाया था।उसी स्वरूप के कारण श्री कृष्ण shri krishna जी की इस प्रतिमा को आज भी भूख लगती हैं।
श्री कृष्ण जी के भोग की इतनी मान्यता हैं की, यहाँ के पंडित को एक बड़ी खुलहाड़ी दी गई हैं।
अगर द्वार न खुले तो उसका ताला तोड़ दिया जाए। और जब द्वार खुलता हैं तो प्रतिमा के सामने रखा थोड़ा भोग गायब मिलता हैं।
लोगों का मानना हैं की वह भोग भगवान स्वयं कहा जाते हैं।
भगवान कृष्ण (bhagwan krishn) को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?
- भगवान कृष्ण को भूलकर भी बासी या मुरझाए फूल न चढ़ाएं।
- भगवान कृष्ण के पूजा के समय तुलसी पत्तियां उनके चरणों पर नहीं रखनी चाहिए।
- इसका कारण है कि भगवान कृष्ण और तुलसी माता के बीच एक पुराना विवाद है।
लड्डू गोपाल को कौन सी मिठाई पसंद है:
- लड्डू गोपाल को माखन यानि बटर, पसंद होता है।
- लड्डू गोपाल माखन की मिठाई: पसंद करते हैं।
- लड्डू गोपाल को जलेबी भी पसंद है।
- पेढ़े को लड्डू गोपाल की पसंदीदा मिठाई मानते हैं।
भगवान कृष्ण को कौन सा फल पसंद है:
- कृष्ण भगवान आम बहुत खुशी खुशी खाते हैं।
- कृष्ण भगवान का फववरेट फल गुआवा, है।
- भगवान कृष्ण को खीरा भी पसंद होता है।
कृष्ण को प्रसाद कैसे चढ़ाएं?
- लड्डू गोपाल को जन्माष्टमी पर पूजा के दौरान उन्हें माखन और मिश्री जरूर अर्पित करें।
- लड्डू गोपाल को धनिया पंजीरी बहुत प्रिय है। पेड़ा:
- लड्डू गोपाल को खोए से तैयार पेड़ा भी प्रसाद में चढ़ा सकती है।
भगवान कृष्ण को 56 भोग कब चढ़ाएं:
- भगवान कृष्ण को 56 भोग का प्रसाद जन्माष्टमी पर चढ़ाया जाता है.
- श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के दिन भी 56 भोग का प्रसाद चढ़ाया जा सकता है,
- कृष्णाष्टमी के दिन पर भी 56 भोग का प्रसाद चढ़ाया जा सकता है,
56 भोग की सूची:
1. माखन
3. मिष्री
2. दही
4. मिश्रीबार
5. छाछ
6. गन्द
7. गुड़
9. खीर
10. वेजिटेबल पुलाव
8. आलू
11. गोभी सब्जी
12. बूटा मक्का
13. आलू-बूटा सब्जी
14. गजर-केला सब्जी
15. गोभी आलू सब्जी
16. मूली आलू सब्जी
17. अरहर दाल
18. मूंग दाल
19. उड़द दाल
20. चना दाल
21. बाजरा की रोटी
22. मक्के की रोटी
23. आलू की परांठी
24. मूंगदाल की परांठी
25. गोभी की परांठी
26. गोभी की सब्जी
27. प्याज की सब्जी
28. तौरई की सब्जी
29. आलू की चटनी
30. आम की चटनी
31. खजूर
32. बेल
33. अंगूर
34. सीब
35. खजूर का गुड़
36. मुरब्बा
37. अदरक
38. घी
39. मेवा
40. तेल
41. केला
42. दूध
43. मखाना
44. गौघृत
45. शहद
46. सूजी का हलवा
47. आलू की सब्जी
48. काजू
49. खाजू
50. खोया
51. नान
52. चावल की कचौड़ी
53. पापड़
54. मूंग दाल की खिचड़ी
55. मेवे का लड्डू
56. बदाम
आज की इस पोस्ट मे बस इतना ही, आशा करते है आपको यह पोस्ट अच्छी लगी होगी, ।। हरे कृष्ण ।।