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    Home » सप्त पुरियां (Sapta Puri) : मोक्ष दिलाने वाली भारत की प्राचीन सात नगरियों की कहानी
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    सप्त पुरियां (Sapta Puri) : मोक्ष दिलाने वाली भारत की प्राचीन सात नगरियों की कहानी

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiJuly 25, 2023Updated:July 25, 2023
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    व्यक्ति जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति पाने के लिए लाख प्रयास करता है इसके बाद भी कोई यह नहीं जान पाता कि उसे मोक्ष (Moksha) की प्राप्ति हुई या नहीं। हिन्दू धर्म में व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति के लिए कई सारे नियम बताये गए हैं जिनका पालन किये जाने के बाद ही मोक्ष के द्वार खुलते हैं।

    इन नियमों में कुछ स्थान शामिल है जहाँ ईश्वर के दर्शन कर व्यक्ति अपने द्वारा किये गए बुरे कर्मों से मुक्ति पा सकता है। इन स्थानों में सात विशेष स्थान शामिल हैं जिन्हें सप्त पुरी (Sapta Puri) के नाम से जाना जाता है। सप्त पुरी में शामिल भारत के सात प्राचीन शहर भाषाई और सांस्कृतिक विविधता से बहुत ख़ास महत्व रखते हैं। साथ ही ये शहर भारत की एकता का भी प्रतीक हैं आइये बात करते हैं सप्त पूरी शहरों की ख़ास बातों के बारे में :

    1. अयोध्या (Ayodhya)

    सप्तपुरियों में शामिल अयोध्या (Ayodhya) नगरी को ‘साकेत’, ‘कोसल जनपद’ के नाम से भी जाना जाता है। जो उत्तर प्रदेश सरयु नदी के किनारे बसा है। अयोध्या भगवान् राम की जन्मस्थली है। अयोध्या का संधि विच्छेद करने पर हमें ज्ञात होता है कि अय-युद्ध यानी ऐसी नगरी जिसे युद्ध के द्वारा हासिल न किया जा सके। इसके पीछे ऐसी मान्यता जुड़ी हुई है कि इस नगरी को मनु ने बसाया था।

    एक संस्कृत श्लोक में इस नगरी का वर्णन कुछ इस प्रकार किया गया है :

    अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका ।
    पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिका:॥

    2. मथुरा (Mathura)

    यह नगरी उत्तर प्रदेश के मथुरा (Mathura) जिले में अवस्थित है जो भगवान् कृष्ण (Lord Krishna) की जन्मभूमि तो मानी जाती है पर यह उनके जन्म से भी पूर्व 7500 सालों से अस्तित्व में थी। पुराणों में उल्लेखित एक कथा के अनुसार इसे शूरसेन देश की राजधानी माना गया है इसलिए मथुरा को शूरसेन के नाम से भी जाना जाता था।

    वाल्मीकि रामायण (Valmiki Ramayana) में मथुरा को मधुपुरी और मधुरा कहा गया है। वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में मथुरा को लवणासुर की राजधानी बताया गया है। इस नगरी की सबसे ख़ास बात यह है कि मथुरा के चारों ओर भगवान् शिव के मंदिर हैं। उत्तर में गोकर्णेश्वर, दक्षिण में रंगेश्वर, पूर्व में पीपलेश्वर और पश्चिम में भूतेश्वर मंदिर।   

    3. काशी (Kashi)

    काशी (Kashi) या वाराणसी (Varanasi) गंगा के वाम तट पर बसी एक पवित्र नगरी है। इस नगरी का उल्लेख सबसे प्राचीन वेद ग्रन्थ ऋग्वेद (Rigveda) में मिलता है। जिसमें कुछ इस प्रकार काशी का वर्णन किया गया है : ‘काशिरित्ते.. आप इवकाशिनासंगृभीता:’।

    ऐसी मान्यता है कि यह पहले  भगवान् विष्णु (Lord Vishnu) की पुरी के नाम से जानी जाती थी परन्तु जब भगवान् शिव (Lord Shiva) ने ब्रह्मा जी का सिर काट दिया था और वह उनके करतल से चिपक गया था तब इसी स्थान पर उन्हें ब्रह्मा हत्या से मुक्ति मिली थी और वह सिर करतल से अलग हो गया था।  इसके बाद यह नगरी भगवान् शिव को इतनी ज्यादा अच्छी लगी कि उन्होंने इसे अपने रहने के लिए भगवान् विष्णु से मांग लिया था। काशी में 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल काशी विश्वनाथ मंदिर (kashi vishwanath Mandir) स्थित है।    

    4. हरिद्वार (Haridwar)

    हरिद्वार (Haridwar) को सप्तपुरियों में सबसे ख़ास इसलिए माना जाता है क्योंकि इसी मार्ग से बद्रीनाथ (Badrinath) और केदारनाथ (Kedarnath) का रास्ता आगे जाता है। यह स्थान एक ब्रह्म स्थान है जहां से भगवान् शिव और भगवान् विष्णु के धाम पहुँचकर व्यक्ति अपने पापों का प्रायश्चित करता है।

    पौराणिक कथा कहती है कि जब समुद्र मंथन (Samudra Manthan) के 14 रत्नों में से आखिरी रत्न धन्वंतरि अमृत (Amrit) का घट लेकर प्रकट हुए थे तब अमृत की कुछ बूँदें पृथ्वी पर चार स्थानों पर गिरी थी जिसमें से एक हरिद्वार है। बता दें हरिद्वार जिसे गंगाद्वार के नाम से भी संबोधित किया जाता है तीर्थ के रूप में तो बहुत प्राचीन है पर नगर के तौर पर यह अत्यधिक प्राचीन नहीं है।  

    5. अवंतिका (Avantika)

    आज के समय के उज्जैन (Ujjain) को प्राचीन समय में अवंतिका के नाम से जाना जाता था। यह नगरी क्षिप्रा नदी के निकट बसी हुई है। यहाँ पर 12 ज्योतिर्लिंगों (Jyotirlingas) में शामिल महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) स्थित है। इसी नगरी में भगवान् श्री कृष्ण ने अपनी शिक्षा-दीक्षा पूर्ण की थी वहीँ महाकाल इस नगरी के राजा माने जाते हैं। कहा जाता है कि उनके अलावा कोई भी राजा या शासक इस शहर में नहीं टिक सकता।  

    (उज्जैन के सर्वप्रसिद्ध और एकमात्र राजा कहे जाने वाले महाकाल का आशीर्वाद पाने के लिए जातक को Mahakal Kavach धारण करना चाहिए। बाबा महाकाल व्यक्ति के पापों को सर्वनाश कर व्यक्ति की बुरी शक्तियों से रक्षा करते हैं।)  

    6. द्वारका (Dwarka)

    भारत के गुजरात राज्य में गोमती नदी के समीप भगवान् श्री कृष्ण की कर्मभूमि कही जाने वाली द्वारिका (Dwarka) नगरी स्थित है। यह नगरी चार धामों में भी अपना स्थान रखती है। साथ ही भारत के सबसे प्राचीन शहरों की सूची में भी इसका नाम है।  यहीं से श्री कृष्ण ने सत्ता की बागडोर संभाली और पांडवों का भी साथ दिया था।     

    7. कांचीपुरम (Kanchipuram)

    कांचीपुरम (Kanchipuram)नाम से जानी जाने वाली नगरी हिन्दू धार्मिक शिक्षा के लिए ख़ास तौर पर जानी जाती है। कांची पलार नदी के निकट अवस्थित है। कांचीपुरम में कांची का अर्थ ब्रह्मा, आंची का अर्थ पूजा या उपासना और पुरम का अर्थ शहर या नगरी होता है। पुराणों में इस जगह का वर्णन इस प्रकार किया गया है : “पुष्पेशु जाति, पुरुषेशु विष्णु, नारीशु रम्भा, नगरेशु कांची।”

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