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    Home » शुक्रवार व्रत : संतोषी माता की कथा और इस दिन पूजा करने की विशेष विधि
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    शुक्रवार व्रत : संतोषी माता की कथा और इस दिन पूजा करने की विशेष विधि

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiDecember 26, 2023Updated:December 26, 2023
    santoshi mata
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    शुक्रवार का दिन संतोषी माता (Santoshi Mata) को समर्पित माना जाता है। शुक्रवार के दिन संतोषी माता का व्रत (Santoshi Mata ka vrat) रखने से घर में मौजूद दरिद्रता जैसे विनाशकारी तत्व का अपने आप खात्मा हो जाता है और संतोषी माँ ( Maa Santoshi ) प्रसन्न होती हैं। आइये जाने संतोषी माता की व्रत कथा (Santoshi Mata ki vrat katha), इस दिन पूजा करने की विशेष विधि और नियमों के पालन से जुड़ी कुछ अन्य जानकारियां :

    संतोषी माता की व्रत कथा (Santoshi Mata ki Vrat Katha ) संतोषी माता की कथा

    संतोषी माता की कहानी ( Santoshi Mata ki kahani ) कुछ इस प्रकार है कि एक नगर में वृद्ध महिला रहती थी जिसके सात बेटे थे। वृद्ध महिला के सात बेटों में से छः कमाया करते थे जबकि सातवां बेटा कोई काम नहीं करता था। वह वृद्ध महिला अपने छयो बेटों को खुद अच्छे अच्छे पकवान बनाकर खिलाती थी पर सातवां बेटा जो कोई कमाई नहीं करता था उसे उन सभी बेटों की थाली का बचा हुआ भोजन परोसती थी। वृद्ध महिला का सबसे छोटा वह सातवां बेटा भोली प्रवृति का था यह सब बातें नहीं समझता था।

    एक दिन वह अपनी पत्नी से बोला कि मेरी माता मुझे बहुत प्रेम करती हैं रोज भोजन खिलाती हैं। इसपर वह पत्नी बोली कि तुम्हारी माता तुम्हें बाकियो का बचा भोजन परोसती हैं। अगर यकीन नहीं होता तो खुद देख लो।

    त्योहार वाले दिन वृद्ध महिला ने कई प्रकार के भोजन बनाए। सातवां बेटा वहीं पर चादर ओढ़कर सो गया ताकि वह जांच परख पाए। वृद्ध महिला ने अपने छयो बेटों को बढ़िया आसनों पर बिठाकर पकवान खिलाए और उसके बाद उन्हीं बचे हुए खाने का एक लड्डू बनाकर सातवें लड़के को खाने के लिए बोला। इसपर वह क्रोधित हो गया और बोला कि अब मैं भोजन नहीं करूंगा। मैं परदेश जा रहा हूं। यह कहकर वह परदेश की ओर चल दिया। जाते जाते वह अपनी पत्नी को भी परदेश जाने का संदेश देता गया।
    santoshi mata ki katha
    santoshi mata ki katha
    अब वह सातवां बेटा बहुत दूर के देश पहुँचा जहां उसने एक व्यापारी की दुकान पर जाकर बोला ‘ भाई जी मुझे नौकरी पर रख लो’। व्यापारी को भी एक नौकर की सख्त जरूरत थी। व्यापारी में रख लिया और कहा कि तुम्हारी तन्ख्वाह काम देखकर देंगे।

    देखते ही देखते वह सातवां बेटा व्यापारी की दुकान के सभी कार्यों में निपुण हो गया। हिसाब किताब भी करने लगा। व्यापारी भी बहुत खुश हुआ और उसने उस लड़के को आधे मुनाफे का हिस्सेदार बना दिया। इसके बाद वह व्यापारी अपना सारा कामकाज उस लड़के के भरोसे छोड़कर कहीं बाहर चला गया। अब वह लड़का भी धनी सेठ बन चुका था।

    वहीं दूसरी तरफ उस लड़के की पत्नी को उसकी जेठानियां तंग करने लगी। वे उसे लकड़ी लेने जंगल में भेज देती। खाने को भूसे की रोटी और फूटे नारियल में पानी दिया करती। एक दिन जब सातवें बेटे की पत्नी लकड़ी लेने जा रही थी तो रास्ते में उसने कई औरतों को व्रत करते देखा। उसने औरतों से पूछा – ‘बहनों यह किसका व्रत है, कैसे करते है और इससे क्या फल मिलता है ? तो एक स्त्री बोली ‘ यह संतोषी माता का व्रत है इसके करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है’ इसके बाद स्त्री ने उसे व्रत करने की विधि बता दी।

    फिर रास्ते में सारी लकड़ियां बेचकर उसने गुड़ और चना ले लिया। इसके बाद घर आकर उसने व्रत करने की तैयारी की। एक शुक्रवार उसके पति का पत्र आया और अगले शुक्रवार को पति का भेजा हुआ धन भी प्राप्त हुआ। इसपर जेठ जेठानी और सास नाक सिकोड़ने लगे।

    सातवें लड़के की पत्नी धन और पत्र से खुश नहीं थी उसने माता से प्रार्थना की और बोली मुझे धन और पत्र नहीं मेरा पति चाहिए। उसकी श्रद्धा भक्ति से मां तो प्रसन्न ही थी अतः संतोषी माता ने उसके पति के घर आने का भी वरदान दिया। उधर संतोषी माता (Santoshi Mata) ने उसके पति को स्वप्न में आकर पत्नी का स्मरण करवाया।

    उसने कहा माँ मैं कैसे जाऊँ, यहां लेन – देन का कोई हिसाब नहीं है।’ इसपर माँ ने कहा प्रातःकाल स्नान कर मेरा नाम लेकर घी का दीपक जलाकर अपनी दुकान बैठना। ऐसा करने से तेरा सारा लेन देन साफ हो जाएगा और तेरे पास पैसों का ढेर लग जाएगा। अगले दिन माता के कहे अनुसार उसने वैसा ही किया। देखते ही देखते थोड़ी देर में सारा लेन देन साफ़ हो गया और धन का ढेर लग गया। इस तरह वह घर के लिए रवाना हो गया। जब वह घर पहुंचा तो पत्नी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। एक ही दिन में पत्नी की किस्मत बदल गई और वे दोनों ठाट बाट में रहने लगे। अब शुक्रवार का दिन आया तो बहू ने पति से कहा कि मुझे संतोषी माता के व्रत का उद्यापन करना है। इसपर वह बोला ख़ुशी खुशी कर। बहु ने जेठ के लड़कों को जीमने के लिए पुकारा।

    पीछे से जिठानियों ने अपने बच्चों को सिखाकर भेजा कि तुम खटाई मांगना ताकि उद्यापन पूरा न हो सके।’ लड़कों ने वहां जाकर खटाई मांगी पर बहू ने मना कर दिया। यह सुनकर लड़के खड़े हो गये और बोले कि पैसा लाओ। वे उन पैसों से इमली की खटाई मंगाकर खाने लगे।

    इस पर संतोषी माता को क्रोध आया और उसके पति को राजा के दूत पकड़ कर ले गये। उसने संतोषी माता (Santoshi Mata) से कहा कि मेरी इसमें क्या गलती मैंने तो लड़कों को सिर्फ पैसे दिए थे, मैंने व्रत का पालन पूरी श्रद्धा से लिया था।

    मुझे क्षमा करो मैं अगले शुक्रवार फिर उद्यापन करूंगी। माता से प्रार्थना करने में कुछ समय बाद ही उसे अपनी पति रास्ते में आता दिखाई दिया। अब फिर शुक्रवार आया और उसने दोबारा से उद्यापन करना शुरू किया। उसने एक बार फिर जेठ के लड़को को बुलावा भेजा। जेठानियों के कहने पर लड़के ने फिर खटाई मांगी। उसने कहा ‘ खटाई कुछ भी नहीं मिलेगी आना हो तो आओ।’ इतना कहकर वह ब्राह्मणों के लड़को को लाकर भोजन कराने लगी। इस प्रकार संतोषी माता की कृपा से उसके चंद्रमा के समान सुन्दर पुत्र हुआ।

    अपनी भक्त को रोज़-रोज़ मंदिर आते देख एक बार संतोषी माता के मन में विचार आया कि आज मैं इसके घर चलती हूँ। माता ने एक भयानक रूप लिया और गुड़-चने से सना मुख, जिन पर मक्खियां भिनभिना रही थी ऐसी सूरत में वह अपने भक्त के घर पहुंची। घर में पाँव रखते ही उसकी सास बोली ‘ देखो कोई इसे भगाओ नहीं तो किसी को खा जायेगी।’

    सातवे लड़के की बहु यह सब खिड़की से देख रही थी, अपने सास के व्यवहार पर बोली कि आज मेरी माता मेरे ही घर आई है।’ सासूजी मैं जिनका व्रत करती हूँ, यह वही संतोषी माता हैं। ऐसा कह कर उसने घर की सारी खिड़कियां खोल दी। यह सुनकर सभी ने संतोषी माता के चरण पकड़ लिए और विनती करने लगे कि – “हे माता ! हम मूर्ख हैं, अज्ञानी है, पापिनी है, तुम्हारा व्रत भंग कर हमने बहुत बड़ा अपराध किया है।

    हे माता ! हमारा अपराध माफ करो।” माता ने सभी को क्षमा किया और उस घर पर सदैव संतोषी माता की कृपा बनी रही तथा सबका उद्धार होता रहा। इस प्रकार जो भी जातक शुक्रवार  के दिन व्रत का विधिपूर्वक पालन कर Santoshi Mata ki Katha का पाठ करते हैं उनके सभी दुःख दर्द दूर हो जाते हैं।  

    शुक्रवार संतोषी माता के व्रत की विधि (Shukravar Santoshi Mata ke vrat ki vidhi)

    1. प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।  
    2. फिर Santoshi Mata की प्रतिमा को मंदिर में रखें और उस पर गंगाजल से छिड़काव करें।
    3. अब एक कलश में जल भरकर प्रतिमा के सामने रखें, साथ ही गुड़ और चना भी कटोरी में रखें।
    4. इसके बाद माता के सामने घी का दीपक और धूप जलाकर व्रत का संकल्प लें।  
    5. ध्यान रहे कि संतोषी माता के व्रत को 16 शुक्रवार तक किया जाता है।  
    6. माता को गुड़ और चने का भोग लगाकर संतोषी के मंत्र का 108 बार जाप करें।

    संतोषी माता महामंत्र :
    जय माँ संतोषिये देवी नमो नमः
    श्री संतोषी देव्व्ये नमः
    ॐ श्री गजोदेवोपुत्रिया नमः
    ॐ सर्वकाम फलप्रदाय नमः
    santoshi mata vrat
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    शुक्रवार व्रत करने से क्या फल मिलता है? ( Shukravar Vrat karne se kya fal milta hai? )

    आइये जानें शुक्रवार व्रत के लाभ और इससे मिलने वाले फल के बारे में :
    1. शुक्रवार के दिन कुंवारी लड़कियां व्रत का पालन करती है तो उन्हें योग्य और उत्तम वर की प्राप्ति होती है।  
    2. किसी भी काम में आ रही बाधाएं दूर होती हैं फिर चाहे वह कोर्ट-कचहरी का मामला हो, परीक्षा हो या व्यापार।  
    3. घर में सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहती है, अन्न और धन की कमी नहीं रहती।  
    4. शुक्रवार के दिन व्रत का पालन करने से संतान सुख की प्राप्ति भी होती है।  
    5. सभी तरह के दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं और अड़चनें समाप्त हो जाती है।  
    6. बुरी शक्तियां घर और मन दोनों से हमेशा दूर रहती हैं।  

    संतोषी माता के शुक्रवार व्रत के नियम (Santoshi Mata ke shukravar vrat ke niyam)

    1. शुक्रवार के दिन न तो खटाई खाएं और न ही इसे बाँटें।  
    2. देवी को गुड़ और चने का भोग लगाने के साथ ही कमल का फूल भी अर्पित करें।  
    3. व्रत का पालन करने वाले गुड़ और चने का प्रसाद ग्रहण करें।  
    4. प्रसाद भी उन्हीं लोगों को बांटे जो इस दिन खट्टा खाने से परहेज करते हों।
    santoshi mata photo
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    शुक्रवार व्रत में क्या खाना चाहिए? ( Shukravar vrat me kya khana chahiye? )

    शुक्रवार के दिन व्रत में सात्विक मीठा भोजन ही ग्रहण करें और ध्यान रहे कि उसमें खट्टे फल, खट्टा पदार्थ या कोई वस्तु शामिल न हो। इस दिन खट्टे चीजों को स्पर्श करने तक की सख्त मनाही है।

    शुक्रवार को खट्टा क्यों नहीं खाना चाहिए? ( Shukravar ko khatta kyu nahi khana chahiye? )

    संतोषी माता को खट्टा बिल्कुल भी पसंद नहीं है और शुक्रवार के दिन जो भी खट्टे का सेवन करता है उनसे माँ रुष्ट हो जाती हैं। इसका परिणाम ये होता है आपके सभी काम बिगड़ने लगेंगे, किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं होगी। घर से खुशियां भी रुष्ट हो जाएंगी और बरकत रुक जाएगी। बतात चलें कि शुक्र गृह का संबंध खट्टे से होता है जिन जातकों की कुंडली में शुक्र गृह अशुभ फल दे रहा होता है उनके लिए इस दिन खट्टा खाना और भी अधिक अशुभकारी साबित हो सकता है।

    इस दिन जो भी जातक सच्चे मन से संतोषी माता के व्रत का पालन करता है और शुक्र यंत्र लॉकेट ( Shukra Yantra Locket ) को धारण करता है उसकी कुंडली में मौजूद शुक्र के दुष्प्रभाव समाप्त हो जाते हैं और शुक्र शुभ फल देने लगता है।
    jai maa santoshi
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    संतोषी माँ को कौन सा फूल पसंद है? ( Santoshi Maa ko Kaun sa Phool pasand hai? )

    माता संतोषी कमल के फूल में विराजमान हैं, इस प्रकार उन्हें कमल का फूल बेहद प्रिय है। शुक्रवार के दिन संतोषी माता को उनका प्रिय कमल का फूल अर्पित कर जातक उन्हें प्रसन्न कर आशीर्वाद पा सकते हैं।

    संतोषी माता की कथा | Santoshi Mata ki katha 

    संतोषी माता की कहानी ( Santoshi Mata ki kahani ) कुछ इस प्रकार है कि एक नगर में वृद्ध महिला रहती थी जिसके सात बेटे थे। वृद्ध महिला के सात बेटों में से छः कमाया करते थे जबकि सातवां बेटा कोई काम नहीं करता था। वह वृद्ध महिला अपने छयो बेटों को खुद अच्छे अच्छे पकवान बनाकर खिलाती थी पर सातवां बेटा जो कोई कमाई नहीं करता था उसे उन सभी बेटों की थाली का बचा हुआ भोजन परोसती थी। वृद्ध महिला का सबसे छोटा वह सातवां बेटा भोली प्रवृति का था यह सब बातें नहीं समझता था।

    jai santhoshi matha images
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    संतोषी माता को खट्टा क्यों पसंद नहीं है? | Santoshi Mata ko khatta kyu Pasand nhi hai

    इस दिन कोई भी खट्टी चीज खाने से संतोषी मां नाराज हो जाती हैं और इसे अशुभ माना जाता है। इस दिन खट्टी चीज खाने से बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। घर में अशांति आती है तो वहीं कई तरह के नुकसान भी हो सकते हैं। इस दिन व्रत रखने वाले सदस्य को व्रत से जुड़ा कोई भी नियम नहीं तोड़ना चाहिए।

    संतोषी माता आरती गीत | Santoshi Mata Aarti lyrics

    जय सन्तोषी माता मैया जय सन्तोषी माता
    अपने जन की सुख और
    अपने जन की सुख और
    सम्पति दाता
    जय सन्तोषी माता
    सुन्दर चीर सुनहरी मां धारण कीन्हो
    मां धारण कीन्हो
    हीरा पन्ना दमके
    हीरा पन्ना दमके
    तन श्रृंगार लीन्हो
    जय सन्तोषी माता
    गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे
    मैया बदन कमल सोहे
    मंद हंसत करुणामयी
    मंद हंसत करुणामयी
    त्रिभुवन जन मोहे
    जय सन्तोषी माता
    स्वर्ण सिंहासन बैठी चंवर दुरे प्यारे
    मैया चंवर दुरे प्यारे
    धूप दीप मधु मेवा
    धूप दीप मधु मेवा
    भोज धरे न्यारे
    जय सन्तोषी माता
    गुड़ अरु चना परम प्रिय तामें संतोष कियो
    मैया तामें संतोष कियो
    संतोषी कहलाई
    संतोषी कहलाई
    भक्तन वैभव दियो
    जय सन्तोषी माता
    शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सोही
    मैया आज दिवस सोही
    भक्त मंडली छाई
    भक्त मंडली छाई
    कथा सुनत मोही
    जय सन्तोषी माता
    मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई
    मैया मंगल ध्वनि छाई
    विनय करें हम बालक
    विनय करें हम बालक
    चरनन सिर नाई
    जय सन्तोषी माता
    भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै
    मैया अंगीकृत कीजै
    जो मन बसे हमारे
    जो मन बसे हमारे
    इच्छित फल दीजै
    जय सन्तोषी माता
    जय सन्तोषी माता मैया जय सन्तोषी माता
    अपने जन की सुख और
    अपने जन की सुख और
    सम्पति दाता
    जय सन्तोषी माता
    जय सन्तोषी माता
    जय सन्तोषी माता
    jai santoshi maa images
    jai santoshi maa images

    संतोषी माता व्रत नियम | Santoshi Mata Vrat rules (Santoshi Mata ke vrat me kya khana chaiye)

    यदि आप संतोषी माता का व्रत (Santoshu mata ka vrat) रखना शुरू करना चाहते हैं, तो आपको निम्नलिखित कार्य करना होगा:
    • सूर्योदय से पहले उठें.
    • अपने घर और मंदिर क्षेत्र को साफ करें।
    • स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
    • फिर अपने घर के किसी पवित्र कोने में या मंदिर क्षेत्र में संतोषी माता की मूर्ति या तस्वीर रखें।

    मैं संतोषी माता VRAT में क्या खा सकता हूँ? | Mein Santoshi Mata vrat me kya kha sakta ho

    तो इस तरह की बुलबुल आपके सामने लटकी हुई है (कृपया इस उत्तर पर विश्वास करने से पहले अपना खुद का पता लगाएं) आप सेब, ब्लैकबेरी या नोकिया खा सकते हैं या नहीं खा सकते हैं, यह आपकी पसंद है। 
    santoshi mata poja vidhi
    santoshi mata poja vidhi

    संतोषी माँ का मन पूरी तरह से क्या है? | Santoshi Mata ka maan pure tarah se kya hai

    संतोषी माता की पूजा से भक्तों की समृद्धि और धन में वृद्धि होती है। भक्तों की हर सच्ची पूर्ण इच्छा होती है ।

    संतोषी माता गणेश की बहन है? | Santoshi Mata ganesh ki behan hai

    अपने पुत्रों की मनोकामना पूरी करने के लिए गणेश और उनके देवता रिद्धि और सिद्धि के शरीर से एक दिव्य ज्योति देखें। तब उन्होंने (आकाशीय प्रकाश ने) एक युवा लड़की का रूप धारण कर लिया। प्रकाश से जन्मी यह कन्या गणेश जी की पुत्री देवी संतोषी सहित संतोषी मां के नाम से पूजा की जाती है।
     
     

     

     
     
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