लाखामंडल कहां है ? | Lakhamandal kaha hai
हिन्दू धर्म में लोग भगवान् शिव (Lord Shiva) के सजीव और निर्जीव दोनों ही रूपों की पूजा करते हैं। भगवान शिव की अलौकिक शक्ति शिवलिंग में पूरे ब्रह्माण्ड की ऊर्जा समाहित है। ऐसे 12 ज्योतिर्लिंग (Jyotirlingas) हैं जिनकी महिमा पूरे विश्व में प्रख्यात है इसके अलावा भी भारत में भगवान शिव से जुड़े ऐसे कई रहस्य है जिनपर से अभी तक पर्दा नहीं उठा है। आज हम उन्हीं में से एक रहस्यमयी जगह के बारे में बात करेंगे।
लाखामंडल शिव मंदिर का रहस्य (Lakha Mandal Shiv Mandir Mystery)
देवो की भूमि उत्तराखण्ड में देहरादून से लगभग 128 किलोमीटर की दूरी पर एक बर्नीगाड़ नामक जगह है जहाँ पर ‘लाखामंडल मंदिर’ ( Lakhamandal mandir ) के नाम से प्रसिद्ध एक शिव मंदिर है।‘लाखामंडल शिव मंदिर’ ( Lakhamandal shiv mandir ) के बारे में कहा जाता है कि यहाँ आने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। यहाँ तक कहा जाता है कि यहाँ भटकने वाली हर आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यहाँ लोग मुर्दे को दिलाने लाते है मुक्ति
‘लाखामंडल शिव मंदिर’ ( Lakha mandal shiv mandir ) में लोग अक्सर मुर्दों को लेकर आते हैं ताकि उन्हें मुक्ति मिल सके। इस मंदिर के पुजारी मुर्दे के मुँह में गंगाजल डालते है। गंगाजल डालते ही वह मृत व्यक्ति कुछ समय के लिए जिन्दा हो जाता है। फिर वह आत्मा उस शरीर को दुबारा छोड़कर चली जाती है। इस प्रक्रिया से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसकी आत्मा दर-दर भटकती नहीं है।
शिवलिंग में दिखाई देता है पूरे संसार का प्रतिबिम्ब
‘लाखामंडल मंदिर’ ( Lakhamandal temple ) में जब भी श्रद्धालु शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं तो उन्हें शिवलिंग में सम्पूर्ण सृष्टि का चेहरा दिखाई देने लगता है। मान्यता ये भी है कि यहाँ स्थापित शिवलिंग में अपना चेहरा देखने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है।
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लाखामंडल शिवलिंग की विशेषता (Lakha Mandal Shivling ki Visheshta)
यहाँ पर जितने भी शिवलिंग (Shivling) स्थापित हैं उन सभी शिवलिंगों का रंग अलग है। कोई भी शिवलिंग एक रंग का नहीं दिखाई देता है। ये प्राचीन शिवलिंग हजारों वर्ष पूर्व यहाँ स्थापित किये गए थे और लंबे वक़्त तक जमीन में धंसे होने के बावजूद यह बिल्कुल ठीक हैं। यहाँ पर स्थापित शिवलिंग को महामंडलेश्वर के नाम से कहा जाता है।
लाखामंडल शिव मंदिर का निर्माण कब हुआ? ( Lakha Mandal Mandir ka nirman kab hua? )
लाखा मंडल मंदिर छठी शताब्दी का माना जाता है, यहाँ स्थापित मूर्तियां काफी चमत्कारिक मानी जाती है। भगवान् शिव का यह अद्भुत धाम गुफाओं और प्राचीन मूर्तियों के अवशेषों से घिरा हुआ है।
लाखामंडल से जुड़ी पौराणिक कहानी ( Lakha Mandal se judi pauranik kahani )
कहा जाता है कि द्वापर युग में महाभारत (Mahabharta) काल के दौरान दुर्योधन ने माता कुंती और पांडवों को जिन्दा जला देने के लिए जिस लाशग्रह को बनवाया था वह यहीं पर था। सौभाग्यवश पांडव (Pandava) लाशाग्रह की साजिश से किसी तरह बच निकले थे। वह गुफा आज भी यहीं पर मौजूद है। एक कहानी तो कुछ ऐसी भी प्रचलित है कि यहाँ पर मौजूद एक शिवलिंग की स्थापना पांडवों में ज्येष्ठ भाई युधिष्ठिर द्वारा की गई थी।
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(भगवान् शिव के सबसे Parad Shivling में से एक पारा धातु से निर्मित पारद शिवलिंग को घर में रखने से वातावरण में मौजूद सभी बुरी शक्तियों का नाश होता है और वहां सदैव भगवान् शिव वास करते हैं।)