दोस्तों अगर हम आपसे से कहें कि भगवान शिव ( Bhagwan Shiv ) के सबसे प्रिय बैल यानी कि नंदी ( Nandi ) आज भी जिन्दा हैं, आज भी वे आते हैं इस पहाड़ी पर तो इस बात को सुनकर आप भी जरूर चौंक जायेंगे लेकिन ये सत्य है। एक ऐसा स्थान जंहा पर आज भी नंदी ( Nandi ) के आने का दावा किया जाता है। भगवान शिव के इस चमत्कार से आज भी मिलते हैं यंहा पर नंदी के आने के जिन्दा सबूत।
एक ऐसी पहाड़ी जंहा पर इंसान तो क्या जानवर का आना भी बहुत मुश्किल है। एक ऐसी पहाड़ी जो दिखती है हू-ब-हू नंदी महाराज ( Nandi Maharaj ) की तरह। क्या है नंदी के यहां आने का रहस्य? क्यों जुड़ा है ये स्थान नंदी देव से ? आखिर कौन सा है वो रहस्य जिसकी गुत्थी आज भी उलझी हुई है? क्यों वैज्ञानिक भी इस रहस्य का पर्दा नहीं उठा पाए हैं? ये जानने के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ियेगा।
नंदी का रहस्य ( Mystery of Nandi )
दोस्तों नंदी देव ( Nandi Dev ) का एक ऐसा धाम जिसके बारे में आपने शायद ही कभी सुना होगा, लेकिन आपने ये जरूर सुना होगा कि नंदी भगवान शिव के अति प्रिय तथा उनके वाहन है। आखिर एक आम मानव कैसे बना भगवान शिव का सबसे प्रिय? ये हम आपको जरूर बताएंगे लेकिन उससे पहले जान लेते हैं इस धाम के बारे में जो कि स्थित है मध्य्प्रदेश में स्थित सतपुड़ा की पहाड़ियों (Satpura Range) पर।
माना जाता है कि यहां पर नंदी महाराज प्रतिदिन आते हैं और यहां पर आकर चारा भी खाते हैं। लेकिन चौंका देने वाली बात ये है कि हर सुबह इस स्थान पर चारा कौन लेकर आता है और ये चारा चबाया हुआ भी मिलता है। क्या वाकई में इस स्थान पर आते हैं नंदी महाराज? इस बात का दावा करने के लिए कई वैज्ञानिक तथा शोधकर्ता भी यंहा पहुंचे लेकिन यंहा पर मिले सबूतों के आधार पर वे भी इस रहस्य से पर्दा नहीं उठा पाए हैं। पहाड़ी के ऊपर एक बैल के आकार में एक शिला भी विराजमान है और इसी शिला के मुंह के सामने पड़ा रहता है ताजा ताजा चारा।
कोई भी सतपुड़ा के घने जंगल की तरफ देखेगा तो इन्हीं जंगलों की पहाड़ियों के बीच एक ऐसी पहाड़ी है जो नंदी महाराज की तरह दिखती है। दूर से देखने पर ही कोई भी नंदी देव के इस धाम के बारे में अनुमान लगा लेगा। सतपुड़ा पर्वत (Satpura Mountain) की यह पहाड़ी इतनी ऊपर है कि आम इंसान का जाना बेहद मुश्किल है। यंहा जाने के लिए कई दुर्गम और कठिन रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। रास्ता इतना भयंकर है कि यंहा चढ़ने वाले का एक बार पैर फिसल जाए तो वह सीधा पहाड़ी के नीचे बनी खायी में मिलेगा।
दोस्तों नन्दीगढ़ के इस धाम में हर रोज सुबह ताजा चारा मिलता है जो किसी बड़े जानवर द्वारा खाया हुआ मिलता है, साथ ही यंहा पर बैल के पैरों के निशान भी देखने को मिलते हैं। आसपास न कोई घर है और न ही कोई इस पहाड़ी पर चढ़कर आ सकता है फिर कौन लेकर आता है ये चारा ? इसके पीछे के रहस्य को महादेव का चमत्कार ही बताया जाता है।
पौराणिक ग्रंथों में भी इस बात का जिक्र है कि नंदी की आयु अल्पायु थी और यही वो स्थान था जहाँ पर आकर उन्होंने अल्पायु के लिए भगवान शिव की तपस्या की थी। भगवान शिव ने नंदी की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें बैल का चेहरा देकर उन्हें अपना वाहन रूप में स्वीकार किया। माना जाता है कि इसी स्थान पर नंदी ने कठिन तप किया था और उन्होंने इतना ऊँचा स्थान इसलिए चुना था ताकि कोई उनकी तपस्या में विघ्न न डाले।
दोस्तों आपको क्या लगता है? क्या वाकई में आते हैं इस स्थान पर नंदी महाराज? क्या यहां पर मिलने वाले पैरों के निशान भी नंदी महाराज के हैं? क्या नन्दीगढ़ की इस पहाड़ी पर दिखने वाले चमत्कार को भगवान शिव का ही चमत्कार मानते हैं? अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर साझा कीजिएगा।
अगर आपके आस-पास या आपके साथ कोई ऐसी घटना घटित हुई है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है तो आप हमारे साथ जरूर साझा कीजियेगा।
( नंदी महाराज को भगवान शिव का द्वारपाल कहा जाता है, यदि आपके घर में भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग है तो उस स्थान पर नंदी ( Nandi ) का होना बहुत जरूरी है। नंदी देव घर में आने वाले सभी संकटों से रक्षा करेंगे और द्वारपाल के रूप में विराजमान रहकर अपनी कृपा बरसाते रहेंगे। )