आप सब को नवरात्रि की बहुत -बहुत शुभकामनाये। आज नवरात्रि का तीसरा दिन है, और तीसरे दिन में हम देवी माँ के ‘माँ चद्रघंटा’ के रूप की पूजा और आराधना करते है।

    नवरात्रि के तीसरा दिन मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है. माता चंद्रघंटा को कल्याणकारी और शांतिदायक का रूप माना जाता हैं. माता के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्रमा चिन्ह है. यही कारण है कि मां को चंद्रघंटा कहते हैं. मां चंद्रघंटा की पूजा करने से ना केवल रोगों से मुक्ति मिलती है बल्कि मां प्रसन्न होकर सभी कष्टों को दूर कर लेती हैं.

    maa chandraghanta

    आज हम आपको बताएंगे की मां चंद्रघंटा की व्रत कथा क्या है? साथ ही पूजा विधि के बारे में भी बताएंगे ।
    देवी भागवत पुराण के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच बहुत लम्बे समय से युद्ध चल रहा था। तब असुरों के स्वामी महिषासुर ने सभी देवता गणो को युद्ध में हरा दिया था और उन्होंने इंद्रा देव का सिंघासन भी उसने छीन लिया था, और महिषासुर खुद उस सिंघासन पर बैठ कर स्वर्गलोक में राज करने लगा और देवतागणों को वहां से निकाल दिया।

    स्वर्गलोक से निकाले जाने के बाद सभी देवगण ‘त्रिदेवों’ यानी भगवान् ब्रह्मा, विष्णु और महादेव के पास मदद के लिए गए और उन्हें असुरों द्वारा अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों के बारे में बताया और ये भी कहा की किस प्रकार असुरों ने स्वर्ग के सभी देवगणों जैसे इंद्रा देव, वायु देव आदि से उनके देवता होने के अधिकार छीन लिए है। और अब स्वर्ग क्या धरती पर भी रहना असंभव हो गया है। ये बात जान कर तीनों देव बहुत क्रोधित हुए और उनके क्रोध से एक अलग तेज , एक ऊर्जा उत्पन्न हुई, जिसने एक कन्या का रूप धारण कर लिया। महादेव ने इस कन्या को अपना त्रिशूल भेट दिया , विष्णु ने अपना चक्र भेट दिया, देवराज इंद्रा ने अपना वज्र और ऐरावत हाथी भेट किया , सूर्य ने अपना तेज, तलवार और सिंह प्रदान किया। ऐसे ही सारे देवताओं ने कन्या को अपनी कुछ न कुछ शक्तियां और अपने शस्त्र प्रदान किये और माता बहुत शक्तिशाली हो गयी। देवी अपने सभी शास्त्रों के साथ महिषासुर से युद्ध करने पहुंच गयी। देवी माँ को देखते ही महिषासुर डर से कांप उठा, उसने अपनी असुर सेना को माँ पर आक्रमण करने को कहा, लेकिन माँ के सामने आज तक क्या कोई टिक पाया है भला? माँ ने असुरों की सेना को चुटकियों में हरा दिया और महिषासुर का वध कर दिया और स्वर्गलोक एक बार फिर सभी देवी-देवताओं का हो गया।

    Mahishasura vadh

    माँ ने सभी देवी देवताओं की रक्षा की , इसी तरह माँ चंद्र घंटा अपने भक्तों की रक्षा करती है और उन्हें शक्ति प्रदान करती है।

    चलिए अब आपको बताते है माँ चंद्र घंटा की पूजा करने की सही विधि।
    पूजा शुरू करने से पहले माता को केसर और केवड़ा जल से स्नान कराना जरूरी है. उसके बाद सुनहरे रंग के वस्त्र पहना कर कमल और पीले गुलाब के फूल अर्पण करें. साथ ही माला भी चढ़ाएं. आप पंचामृत, मिश्री और मिठाई आदि से भोग लगाकर उनके मंत्रों का जाप करें. उनका मन्त्र है ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥ इस मंत्र का 108 बार ध्यान पूर्वक जप करने से माता अआप्को शक्ति प्रदान करेंगी और आपके सारे दुःख हर लेंगी।
    जय माता दी

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