Hanuman Ji ki katha : भक्त जो हनुमान जी की निस्वार्थ पूजा करता था ।
Hanuman ji ki katha : तमिलनाडु के दाम में बिरजू नाम का व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ रहा करता था। मैं काफी गरीब था। उसके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं थे व कार्यकर्ता पर वह इतना पैसे कभी नहीं जुटा पाता था कि वह अपने सारी जरूरतें पूरी कर सके। उसकी पत्नी हमेशा उसे ताने मार कर नीचा दिखाया करती थी। बिरजू हनुमान जी का सीन भक्त था। वे दिन-रात हनुमान जी की पूजा पाठ किया करता। वहां से प्रार्थना करता कि भगवान सारा संसार सुखी रहें एवं मेरा घर चल सके।
मुझे बस इतना धन दे दीजिए, परंतु उसकी इच्छा कभी पूरी नहीं होती थी। इस वजह से उसकी पत्नी अक्सर उससे कहा करती थी कि तुम दिन भर भगवान की पूजा करते हो। पर भगवान अगर होते तो तुम्हारी सुन लेते। इस संसार में भगवान नाम की कोई चीज है ही नहीं, परंतु बिरजू का विश्वास था कि भगवान है और उसकी एक न एक दिन जरूर सुनेंगे। बिरजू एक दिन उठकर सुबह मंदिर गया तो उसने देखा मंदिर काफी गंदा हो रहा है। उसमें झाड़ू उठाई और मंदिर को साफ करना शुरू कर दिया।
तभी मैं एक वृद्ध व्यक्ति आया और सीढ़ियों पर आकर बैठ गया। उस वृद्ध व्यक्ति से बिरजू ने पूछा कि आप बहुत परेशान लग रहे हैं, कोई तकलीफ है क्या अगर है तो मुझे बताइए शायद मैं आपकी मदद कर सकूं। वृद्ध व्यक्ति बोला, मैंने 2 दिन से कुछ भी नहीं खाया है। मुझे बहुत कमजोरी हो रही है और मैं बहुत थका हुआ हूं। यह सुनकर बिरजू को दया आ गई। बिरजू ने कहा कि चलिए मैं आपको भोजन कर आता हूं और बिरजू उस व्यक्ति को अपने घर ले गया बिरजू की पत्नी उस समय घर में भोजन हीं पका रही थी।
कुछ देर बाद बिरजू की पत्नी भोजन लेकर आई। दोनों ने साथ में भोजन किया। तब बिरजू ने कहा कि आप थके हुए एक काम कीजिए। आप मेरे साथ यहीं पर कुछ देर आराम कर लीजिए। वह दोनों सो गए। कुछ देर बाद जब बिरजू उठा तो उसने देखा कि वृद्ध व्यक्ति वहां पर नहीं है। उसने अपनी पत्नी को बुलाकर पूछा कि वह व्यक्ति कहां गए तब उसकी पत्नी बोली नहीं।
मुझे नहीं मालूम कहां गए तब उसने देखा जिस स्थान पर वृद्ध व्यक्ति सो रहा था, वहां पर एक थैला रखा हुआ है। उसने उसको खोला तो उसमें बहुत सारे सोने के सिक्के से उन सिक्कों को देखकर उसने अपनी पत्नी से कहा कि अगर वह व्यक्ति इतना अमीर था तो उसने मुझसे झूठ क्यों बोला। उन दोनों को कुछ समझ नहीं आया। तब ने निर्णय किया कि यही तो यूं ही रहने देते हैं कि जब आएगा तब ले जाएगा। उसने एक सिक्का भी नहीं निकाला। कुछ देर बाद रात हो गई तब रात में बिरजू को एक सपना आया।
हनुमान जी ने आकर कहा कि मैं तुम्हारी भक्ति से बहुत प्रसन्न हूं और तुम्हारी तकलीफ देखी नहीं गई। वह थैली रखलो इससे तुम्हारे लिए तुम्हारी जिंदगी की सारी तकलीफ दूर हो सकती हैं और बिरजू की आंख खुल गई उसने सारी बात अपनी पत्नी को बताई तभी पत्नी को अपने आप से घृणा होने लगी कि मैं आपके विश्वास को झूठा कहती थी व अंधविश्वास बताती थी, परंतु संसार में भगवान है l दोनों ने मिलकर हनुमान जी के आगे हाथ जोड़कर उनका शुक्रिया किया। वह बिरजू के साथ आप उसकी पत्नी भी हनुमान जी की आराधना में लग गई।
Kalyug mai hanuman ji ke darshan kaise honge ? | कलयुग में हनुमान जी के दर्शन कैसे होंगे?
कहा जाता है कि जो भक्त सच्ची श्रद्धा से हनुमान जी की पूजा करेगा, उसे भगवान जरूर दर्शन देंगे. इसलिए इन्हें कलयुग का जीवित या जागृत देवता कहा गया है. तुलसीदास जी ने भी कलयुग में भगवान हनुमान की मौजूदगी का जिक्र किया है. तुलसीदास जी को हनुमान जी की कृपा से ही भगवान राम और लक्ष्मण जी के दर्शन प्राप्त हुए थे ।
Hanuman ji ki age kitni hai ? | Hanuman ji Age | हनुमान जी की आयु कितनी है?
अगस्त्य संहिता और वायु पुराण के अनुसार हनुमान जी की आयु एक कल्प यानी 4.32 अरब वर्ष है। इसी कारण से उन्हें अमर माना जाता है। चैत्र मास की पूर्णिमा यानी आज उत्तर भारत में हनुमान जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. यहां यह एक दिवसीय महोत्सव होगा।
Hanuman ji ka asli naam kya hai ? | हनुमान जी का असली नाम क्या है?
बहुत कम लोग जानते हैं कि हनुमान जी के बचपन का नाम मारुति था, जो दरअसल उनका सबसे पहला व असली नाम था। * देवी अंजना के पुत्र होने से इन्हें अंजनी पुत्र व आंजनेय भी कहा जाता है। तो वही पिता केसरी के नाम से भी इन्हें जाना जाता हैं। हनुमान चालीस में इन्हें कई जगह केसरीनंदर संबोधित किया गया हैै।
Hanuman janam ki katha kya h ? | हनुमान जन्म की कथा क्या है?
Shri Ram Mantra: एक दिन की पूजा में हनुमान जी को करना चाहते हैं प्रसन्न, तो इन खास मंत्रों का करें जाप | संकट में कौन सा मंत्र पढ़ना चाहिए? | मंगलवार का मंत्र क्या है? | हनुमान जी का गुप्त मंत्र क्या है?
1. मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
2. ”अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥”
3. ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम,
लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम !
श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे
रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !
4. हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशवा।
गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा॥
हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते।
बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्॥
5. नाम पाहरु दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट।
लोचन निजपद जंत्रित जाहि प्राण केहि बाट।।
श्रीराम स्तुति:
श्रीरामचंद्र कृपालु भजमन हरण भव भयदारुणं।
नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर-कंज पद कन्जारुणं।।
कदर्प अगणित अमित छबि, नवनील-नीरज सुन्दरं।
पट पीत मानहु तड़ित रूचि शुचि नौमि जनक सुतावरं।।
भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्यवंश-निकंदनं।
रघुनंद आनंदकंद कोशलचंद दशरथ-नन्दनं।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानुभुज शर-चाप-धर, संग्राम-जित-खरधूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनं।
मम ह्रदय-कंज निवास कुरु, कामादी खल-दल-गंजनं।।
मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरो।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो।।
एहि भांती गौरि असीस सुनी सिय सहित हियं हरषीं अली।
तुलसी भवानिही पूजि पुनी पुनी मुदित मन मंदिर चली।।
।।सोरठा।।
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे।।
।।सियावर रामचंद्र की जय।।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।।
पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।।
बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।।
Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi: बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए पढ़ें हनुमान चालीसा
श्री हनुमान चालीसा दोहा :
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि। हर दिन पढ़ें हनुमान चालीसा इसके पाठ से हनुमानजी की परम कृपा बनी रहती है और मंगल दोष का प्रभाव भी दूर होता है।
चौपाई:
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे। कांधे मूंज जनेउ साजे।।
शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानु। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु संत के तुम रखवारे।। असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै।।
अंत काल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
जय श्रीराम, जय हनुमान, जय हनुमान।