आखिर क्या हुआ जब सुदर्शन चक्र और हनुमान जी आपस में भिड़े। कौन किस पर पड़ा भारी। ऐसा कौन सा कारण था, जिसके चलते दोनों में छिड़ा युद्ध। अगर मैं आपसे पूछूं कि भगवान श्री राम के सबसे बड़े भक्त कौन थे। तो आपक जवाब यही होगा। भगवान हनुमान। जी हां भगवान हनुमान ही भगवान श्री राम के सबसे बड़े भक्त है। जिनके लिए बस भगवान श्री राम का एक आदेश ही काफी था, जो कि ऐसे बहुत से कार्य कर चुके है जो कि किसी भी देवत के लिए संभव नहीं थे। चाहे फिर वो संजीवनी बूटी का पहाड़ लाना। या फिर श्रीलंका जाने के लिए समुद्र को पार करना। और अपनी पूछ से पूरे श्रीलंका को भस्म कर देना। हनुमान जी की बात(Hanuman ji Aur Sudarshan chakra)करने बैठे तो शायद पूरा दिन निकल जाएगा। लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य खत्म नहीं होंगे। लेकिन वहीं हनुमान जी के अलावा भी भगवान श्री राम जी का एक और साथी था। जो कि हमेशा उनके साथ रहता था। वो कोई और नही बल्कि उनका सबसे प्रिय और शक्तिसाली अस्त्र सुदर्शन चक्र था। जिसको आपने भगवान विष्ण के अवतार में सदैव उनके साथ देखा जा सकता है।
किस वजह से आपस में भिड़े हनुमान जी और सुदर्शन चक्र (Hanuman ji Aur Sudarshan chakra)
लेकिन क्या हुआ जब भगवान विष्णु की दोनों ही प्रिय आपस में भिड़ गए। जी हां एक ऐसा समय आया जब अपने ईष्ट के लिए दोनों भक्त आमने-सामने थे। तो चलिए जानते है कि आखिर क्या वजह रही होगी और कौन जीता होगा। एक बार की बात है जब स्वयं भगवान राम ने भगवान हनुमान को मिलने के लिए द्वारका बुलाया। तो उनके परम भक्त अपने ईष्ट से मिलने के लिए द्वारका नगरी में स्थित उनके महल में जा पहुंचे। तो सुदर्शन चक्र महल के मुख्य गेट पर पहरेदारी कर रहा था। उसने भगवान हनुमान( Hanuman Ji Aur Sudharshan chakra)को अंदर जाने से रोका। तब भगवान हनुमान बोले मुझे अपने प्रभु श्री राम से मिलने जाना है। उन्होंने मुझे खुद मिलने के लिए बुलाया है। यह सुनकर सुदर्शन चक्र ने कहा कि यहां कोई राम नहीं रहते है, और भगवान श्री कृष्ण की अनुमति के बिना मैं किसी को अंदर नहीं जाने दे सकता । हनुमान जी ने सुदर्शन के आगे कई बार अंदर जाने देने के लिए बिनती की।\
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जब हनुमान जी ने सुदर्शन चक्र को दांतों में दबाया
लेकिन सुदर्शन ने उनकी एक ना सुनी और उन्हें रोकने के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग करने लगा। तभी भगवान हनुमान ने सुदर्शन को अपने दांतों में दबा लिया, और भगवान राम से मिलने के लिए चले गए। हनुमान को आते देख भगवान श्री कृष्ण भगवान राम का रूप धारण कर लेते है। माता सीता जब हनुमान जी को कुछ खाने के लिए देती है तब हनुमान जी (Hanuman ji Aur Sudarshan chakra)अपने दांतों से सुदर्शन को बाहर निकालते है। यह देखकर प्रभु राम बोलते है तुमने हमारे अस्त्र को अपने मुंह में स्थान दिाया। यह मित्रता कब हुई। तब हनुमान भगवान राम को सारी बात बता देते है, और कहते है कि बात-विवाद में समय व्यर्थ होता, और मुझे मेरे प्रभु ने बुलाया था, तो मैं उन्हें प्रतीक्षा कैसे करवा सकता था। इसलिए मैने सुदर्शन को अपने दांतों के नीचे दबा लिया। ताकि मैं आपसे समय पर मिल संकू।