Godavari River | गोदावरी नदी
गोदावरी नदी महाराष्ट्र में नासिक के पास त्र्यंबकेश्वर से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले लगभग 1465 किमी. की दूरी तय करती है।
हिन्दू धर्म में गोदावरी का महत्व ( Significance of Godavari in Hindu Religion )
भारत में पर्यावरण को प्राचीन काल से पूजे जाने की प्रथा चली आ रही है। पूजा किये जाने के पीछे कोई न कोई पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। लोगों के जीवन में अहम भूमिका अदा करने वाली नदियां न जाने कितनी ही सदियों से लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहीं है। समय बदलता रहा पर नदियों ने अपना रुख कभी नहीं बदला। गोदावरी (Godavari) भी इन्हीं नदियों में शामिल है। Godavari को दक्षिण भारत की गंगा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह दक्षिण क्षेत्र की सबसे प्रमुख नदियों में से एक है। गोदावरी महाराष्ट्र के नासिक जिले में अवस्थित त्रयम्बक पहाड़ी से निकलती है।
गोदावरी का जन्म कैसे हुआ? (How and Where did Godavari River born?)
Godavari Story in hindi :
गोदावरी (Godavari)को गंगा की बहन भी माना जाता है। गोदावरी के तट पर अवस्थित त्रयंबकेश्वर मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग विराजमान है। बता दें कि त्रयंबकेश्वर मंदिर (Trimbakeshwar Shiva Temple) ब्रह्मगिरि की पहाड़ी पर मौजूद है, ब्रह्मगिरि को भगवान शिव (Lord Shiva) का ही एक रूप माना जाता है।
गौतम ऋषि (Gautam rishi) गंगा नदी (Ganga River) को ब्रह्मगिरि लेकर आये थे, इस संबंध में एक पौराणिक कथा काफी प्रचलित है। गौतम ऋषि के आश्रम में कई सारे ब्राह्मण अपनी पत्नियों समेत निवास करते थे एक बार किसी कारण से सभी ब्राह्मणों की सभी पत्नियां गौतम ऋषी की पत्नी अहिल्या से नाराज़ हो गईं। उन्होंने अपनी नाराज़गी अपने-अपने पतियों को सुनाई और गौतम ऋषि का अपकार करने के लिए कहा। सभी ब्राह्मणों ने इसके लिए भगवान् गणेश की उपासना की।
सभी ब्राह्मणों की उपासना से प्रसन्न होकर गणेश जी प्रकट हुए और उन्होंने वरदान मांगने को कहा। ब्राह्मणों ने ऋषि गौतम को आश्रम से बाहर निकालने का वरदान माँगा। यह वर सुन गणेश जी ने सभी को समझाने का प्रयास किया पर ब्राह्मण अपनी बात पर अड़े रहे। यह देख गणेश जी को उन ब्राह्मणों की बात माननी ही पड़ी।
ऋषि गौतम को आश्रम से निकालने के लिए उन्होंने एक दुर्बल गाय का भेष धारण किया। गाय आश्रम के निकट आकर फसल चरने लगी। गाय को फसल चरते देख ऋषि गौतम तृण लेकर गाय को हांकने के लिए पहुंचे। जैसे ही उन्होंने वह तृण धीमे से गाय को स्पर्श किया वह गाय मरकर गिर गई।
यह देख सभी ब्राह्मण एकजुट हुए और ऋषि गौतम को गो हत्यारा कहने लगे। इसके बाद उन ब्राह्मणों ने ऋषि गौतम और अहिल्या को वहां से जाने के लिए विवश कर ही दिया। साथ ही यह भी कहा कि गोहत्या करने के कारण अब तुम्हें वेदों का पाठ करने का भी कोई अधिकार नहीं है। ब्राह्मणों की बात सुनकर ऋषि गौतम ने उनसे गोहत्या जैसे पाप से मुक्ति पाने का उपाय माँगा।
इसके उपाय के तौर पर गौतम ऋषि को तीन बार पृथ्वी की परिक्रमा करने, एक महीने तक व्रत करने और 101 बार ब्रह्मगिरि की परिक्रमा करने के लिए कहा गया और या फिर यहाँ गंगाजी को लाकर उनके जल से स्नान कर एक करोड़ पार्थिव शिवलिंगों से भगवान् शिव की आराधना करने के बाद फिर से गंगा में स्नान कर ब्रह्मगिरि (Brahmagiri) के 11 बार परिक्रमा करने के लिए कहा।
साथ ही यह भी कहा कि 11 बार ब्रह्मगिरि की परिक्रमा करने के पश्चात 100 घड़ों के जल से शिवलिंग (Shivling) का जलाभिषेक करने के लिए भी कहा गया। इस तरह गोहत्या के अपराध से मुक्त होने के लिए गौतम ऋषि गंगा को ब्रह्मगिरि पहाड़ी पर लेके आये। जिन्हें Godavari nadi के नाम से जाना गया।
Trimbakeshwar Jyotirlinga के रूप में यहीं पर विराजमान हो गए भगवान शिव
सभी ब्राह्मणों की उपासना से प्रसन्न होकर गणेश जी प्रकट हुए और उन्होंने वरदान मांगने को कहा। ब्राह्मणों ने ऋषि गौतम को आश्रम से बाहर निकालने का वरदान माँगा। यह वर सुन गणेश जी ने सभी को समझाने का प्रयास किया पर ब्राह्मण अपनी बात पर अड़े रहे। यह देख गणेश जी को उन ब्राह्मणों की बात माननी ही पड़ी।
ऋषि गौतम को आश्रम से निकालने के लिए उन्होंने एक दुर्बल गाय का भेष धारण किया। गाय आश्रम के निकट आकर फसल चरने लगी। गाय को फसल चरते देख ऋषि गौतम तृण लेकर गाय को हांकने के लिए पहुंचे। जैसे ही उन्होंने वह तृण धीमे से गाय को स्पर्श किया वह गाय मरकर गिर गई।
यह देख सभी ब्राह्मण एकजुट हुए और ऋषि गौतम को गो हत्यारा कहने लगे। इसके बाद उन ब्राह्मणों ने ऋषि गौतम और अहिल्या को वहां से जाने के लिए विवश कर ही दिया। साथ ही यह भी कहा कि गोहत्या करने के कारण अब तुम्हें वेदों का पाठ करने का भी कोई अधिकार नहीं है। ब्राह्मणों की बात सुनकर ऋषि गौतम ने उनसे गोहत्या जैसे पाप से मुक्ति पाने का उपाय माँगा।
इसके उपाय के तौर पर गौतम ऋषि को तीन बार पृथ्वी की परिक्रमा करने, एक महीने तक व्रत करने और 101 बार ब्रह्मगिरि की परिक्रमा करने के लिए कहा गया और या फिर यहाँ गंगाजी को लाकर उनके जल से स्नान कर एक करोड़ पार्थिव शिवलिंगों से भगवान् शिव की आराधना करने के बाद फिर से गंगा में स्नान कर ब्रह्मगिरि (Brahmagiri) के 11 बार परिक्रमा करने के लिए कहा।
साथ ही यह भी कहा कि 11 बार ब्रह्मगिरि की परिक्रमा करने के पश्चात 100 घड़ों के जल से शिवलिंग (Shivling) का जलाभिषेक करने के लिए भी कहा गया। इस तरह गोहत्या के अपराध से मुक्त होने के लिए गौतम ऋषि गंगा को ब्रह्मगिरि पहाड़ी पर लेके आये। जिन्हें Godavari nadi के नाम से जाना गया।
Trimbakeshwar Jyotirlinga के रूप में यहीं पर विराजमान हो गए भगवान शिव
ब्राह्मणों के कहे अनुसार ऋषि गौतम ने अपने सारे कार्य पूर्ण किये और अपनी पत्नी अहिल्या के साथ भगवान् शिव की आराधना करने के लिए बैठ गए। ऋषि गौतम की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान् शिव प्रकट हुए और वर मांगने को कहा। वरदान के रूप में गौतम ऋषि ने माँगा कि उन्हें गोहत्या के पाप से मुक्त कर दिया जाए।
यह सुन भगवान् शिव (Lord Shiva) ने कहा कि हे! ऋषि गौतम तुम पर छल कर गोहत्या का आरोप लगाया गया था। तुम सर्वथा निष्पाप हो! और जिन ब्राह्मणों ने तुम पर यह आरोप लगाया है मैं उन्हें दंड देना चाहता हूँ। यह सुनकर ऋषि बोले कि हे! भोलेनाथ उन्हीं ब्राह्मणों के छल के कारण ही मुझे आपके दर्शन प्राप्त हुए हैं इसलिए आप उन सभी को माफ़ कर दें और यहाँ सदैव के लिए स्थापित हो जाएँ।
गोदावरी नदी कहाँ पर है | Godavari Nadi kahan per hai
गोदावरी नदी महाराष्ट्र में नासिक के पास त्र्यंबकेश्वर से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले लगभग 1465 किमी. की दूरी तय करती है।
गंगा गोदावरी नदी से जुड़ी ख़ास बातें | Interesting facts about Godavari River
ऐसी मान्यता है कि कुशावर्त तीर्थ में Godavari river में डुबकी लगाने से व्यक्ति पापों से मुक्त हो जाता है। बता दें कि त्रयंबकेश्वर के बाद और नासिक से पहले यहाँ एक चक्रतीर्थ नामक कुंड है इसी स्थान से गोदावरी एक नदी के रूप में असल में दिखाई पड़ती है इसलिए इस स्थान को भी गोदावरी का उद्गम स्थल माना जाता है।
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गोदावरी नदी की कहानी | Godavari Nadi ki kahani (Godavari R iver story in hindi)
गोदावरी की उत्पत्ति एक शिव मंदिर, त्र्यंबकेश्वर से हुई है, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। त्रयंबकेश्वर के बाद और नासिक से कुछ दूर पहले ही चक्रतीर्थ नामक एक कुंड है, यहीं से गोदावरी/Godavari एक नदी के रूप में बहती है। इसलिए बहुत से लोग चक्रतीर्थ को ही गोदावरी का प्रत्यक्ष उद्गम स्थान मानते हैं।
गोदावरी नदी का इतिहास | History of Godavari River
गोदावरी की उत्पत्ति एक शिव मंदिर, त्र्यंबकेश्वर से हुई है, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। त्रयंबकेश्वर के बाद और नासिक से कुछ दूर पहले ही चक्रतीर्थ नामक एक कुंड है, यहीं से गोदावरी एक नदी के रूप में बहती है। इसलिए बहुत से लोग चक्रतीर्थ को ही गोदावरी का प्रत्यक्ष उद्गम स्थान मानते हैं।
गोदावरी नदी पर कौन सा बड़ा बांध है? | Which is the large dam on Godavari river?
सही उत्तर जयकवाड़ी बांध है। जयकवाड़ी भारत के महाराष्ट्र में औरंगाबाद जिले की पैठण तहसील में गोदावरी नदी/Godavari nadi पर एक बांध है। यह महाराष्ट्र राज्य की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना है। यह बांध एक पक्षी अभयारण्य से घिरा हुआ है।
गोदावरी का दूसरा नाम क्या है? | What is the other name of Godavari?
गोदावरी नदी/Godavari nadi भारत की पवित्र और सबसे लंबी नदियों में से एक है। इसे बूढ़ी गंगा या दक्षिणी गंगा के नाम से भी जाना जाता है और इसका जल निकासी बेसिन लगभग 313,000 वर्ग किलोमीटर है। संपूर्ण उत्तर: गोदावरी या बूढ़ी गंगा या दक्षिणी गंगा प्रायद्वीपीय पठार की एक और महत्वपूर्ण नदी है।
गोदावरी को बूढ़ी गंगा क्यों कहा जाता है? | Why Godavari is called old Ganga?
गोदावरी, गंगा नदी के बाद भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है और प्रायद्वीपीय नदियों में से एक है। प्रायद्वीपीय नदियों के बीच अपने बड़े आकार और विस्तार के कारण गोदावरी नदी/Godavari nadi को अक्सर वृद्ध गंगा कहा जाता है।