द्वारका का रहस्य क्यों छुपा रही है सरकार? | Why is the government hiding the secret of Dwarka?
पुरे 5000 साल बाद,जब द्वारका के समुन्द्र से निकले श्री कृष्ण के सबूत। वैज्ञानिक से लेकर भक्त सब हुए हैरान। गहरे समुन्द्र से निकले द्वापरयुग के इस राज ने सरकार के होश उड़ा दिए हैं। इसे सदी का सबसे बड़ा खोज माना जा रहा है। हालाँकि समुन्द्र से निकले इस राज पर वैज्ञानिकों का शोध चल रहा है और जैसे हीं इसकी जाँच पूरी होगी,पुरे भारत में तहलका मच जाएगा। श्री कृष्ण जो इस देश की आत्मा में बसते हैं,उनसे जुडी पुरानी चीज़ों का मिलना किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं। माना जा रहा है वैज्ञानिकों ने इसके विषय में और भी कई सारी बातों का खुलासा किया है। द्वारका में कृष्ण भक्तों की भारी भीड़ ना उमड़ पड़े,इसलिए सरकार अभी इस बात को दबा रही है। लेकिन हम आपको उस राज़ के बारे में जरूर बताएँगे। बताया जा रहा है कि ना सिर्फ श्री कृष्ण से जुड़े सबूत,बल्कि वैज्ञानिकों को उस गहरे समुन्द्र में कृष्ण के महल के टुकड़े भी मिले हैं। तो आखिर द्वारका के उस गहरे समुन्द्र में और कितने राज़ दफन हैं? आइये जानते हैं।
वैज्ञानिकों ने किए अनेकों रहस्यमई खुलासे। | Scientists made many mysterious revelations.
हिन्दू धर्म के प्रमुख चार धामों में से एक भगवान श्री कृष्ण की नगरी द्वारका,गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में अरब सागर पर स्थित है। हिन्दू धर्म में द्वारका का बड़ा हीं ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है। माना जाता है द्वापरयुग में आधी द्वारका समुन्द्र में डूब गई थी और आज भी द्वारका समुन्द्र की उस काली गहराई में अनेकों रहस्यों को अपने अंदर समेटे हुए है। आए दिन वैज्ञानिक द्वारका के उस समुन्द्र में नए नए खोजों का दावा करते रहते हैं। लेकिन बीते कुछ दिनों में द्वारका के समुन्द्र से जिन चीज़ों की खोज हुई है,वो सबको चौकाने वाली है। द्वारका के समुन्द्र में छुपे रहस्यों पर 2005 से शोध चल रहा है,जिसकी सहायता हेतु भारतीय नौसेना की भी तैनाती की गई है। माना जा रहा है द्वारका के इस समुंद्री अभियान में 200 से अधिक द्वापरयुग के अवशेष मिले हैं। सबसे पहले 2005 और इसके बाद 2007 में भारतीय नौसेना के गोताखोरों ने पुरातत्व विभाग के निर्देशन में द्वारका नगरी के अवशेषों का पता लगाया। इस खोज में द्वारका,द्वापरयुग और श्री कृष्ण की कहानियों को सच पाया गया। यहाँ से मिले कुछ अवशेषों ने यह साफ कर दिया कि यहाँ आज से 5000 साल पहले द्वारका नगरी मौजूद थी और समुन्द्र से निकली ये चीज़ें कृष्ण की ही हैं।
महाभारत की द्वारका का क्या है हिमयुग से सम्बन्ध? | What is the relation of Dwarka of Mahabharata with Ice Age?
2005 के उस अभियान में द्वापरयुग के ढेर सारे नमूने मिले थे,जिन्हें देश विदेश की प्रयोगशाला में भेजा गया और इनके बारे में पता लगाया गया। गोताखोरों ने 40,000 वर्ग मीटर में अवशेषों की खोज की और भवन के खंडहर के नमूने इकट्ठे किए। पुरातत्व विशेषज्ञों के द्वारा यह बताया गया कि यह विशाल खंड है,जो श्री कृष्ण के भवन या उनकी राजगद्दी का हिस्सा हो सकता है। हालांकि उन सभी खोजों के बाद हमेशा की तरह वैज्ञानिकों ने यह तर्क दिए कि,हिमयुग के समाप्ति के साथ समुद्र का जलस्तर बढ़ा और इसके साथ ही दूर दूर तक के बसे हुए शहर डूब गए। वह कहते हैं कि उन्हीं में से द्वारका भी एक नगरी है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि हिम युग तो आज से 10 हजार वर्ष पहले खत्म हुआ था जबकि श्री कृष्ण की द्वारका नगरी 5000 वर्ष पहले थी। तो आखिर श्री कृष्ण की वह द्वारका नगरी डूबी कैसे? वैज्ञानिक इसका स्पष्ट उत्तर तो नहीं दे पाए,लेकिन हिन्दू धर्म ने इसका उत्तर युगों पहले दे दिया गया था। मान्यता है कंस का वध करने के बाद जरासंध के आक्रमणों से बचने के लिए,कृष्ण ने मथुरा छोड़ने का फैसला लिया और वे अपने समस्त बंधू बांधवों के साथ द्वारका में आकर बस गए। उस प्राचीन द्वारका को कृष्ण ने ही बसाया था।
क्या श्री कृष्ण ने नहीं बनाई थी द्वारका नगरी? | Didn’t Shri Krishna build the city of Dwarka?
कुछ कहानियों में यह भी बताया गया है कि,द्वारका कृष्ण के वहां आने से पहले से मौजूद थी और उसे पहले कुशस्थली के नाम से जाना जाता था। माना जाता है गरुड़ की सलाह और ककुश्री के आमंत्रण से कृष्ण कुशस्थली आए थे। बाद में देवशिल्पी विश्वकर्मा द्वारा,कृष्ण ने वहां भव्य नगर और विशाल भवन का निर्माण करवाया। नगर में चारों तरफ द्वार थे और इसलिए उस नगर को द्वारका के नाम से जाना गया। यहां कृष्ण ने 36 वर्षों तक शासन किया,कृष्ण के देह त्यागने के बाद नगरी समुद्र में डूब गई और कृष्ण का कुल नष्ट हो गया। श्री कृष्ण के परपोते वज्रनाभ द्वारका के अंतिम शासक थे,जो अंत तक जीवित रह गए थे। कहते हैं द्वारका के समुद्र में डूब जाने के बाद अर्जुन द्वारका आए तथा वज्रनाभ और अन्य जीवित यादवों को अपने साथ हस्तिनापुर ले आए। अर्जुन ने वज्रनाभ को हस्तिनापुर में मथुरा का राजा घोषित किया। वज्रनाभ के नाम से मथुरा क्षेत्र को वज्रमंडल भी कहा जाता है। माना जाता है कृष्ण के पुत्र शाम्ब को मिले श्राप के कारण द्वारका का विनाश हुआ और गांधारी से मिले श्राप के कारण कृष्ण के कुल का विनाश हो गया। बाद में यहाँ आठवीं शताब्दी में सनातन धर्म की रक्षा और प्रसार के लिए आदि शंकराचार्य ने द्वारकापीठ की स्थापना की थी।
द्वारका में क्यों आए थे शंकराचार्य? | Why did Shankaracharya come to Dwarka?
हिन्दू धर्म के प्रमुख चार धामों में से एक द्वारकापुरी दो भागों में है। वर्तमान में गोमती द्वारका और बेट द्वारका एक ही द्वारकापुरी के दो भाग हैं।गोमती द्वारका में ही द्वारका का मुख्य मंदिर है, जो श्री रणछोड़राय मंदिर या द्वारकाधीश मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर लगभग 1500 वर्ष पुराना है तथा मंदिर सात मंजिला है। इस मंदिर के आस-पास बड़े हिस्से मे जल भरा हुआ है,जिसे गोमती कहते हैं।इसके आस-पास कई घाट हैं,जिनमें संगम घाट प्रमुख है। इस मंदिर में भगवान की काले रंग की चार भुजाओं वाली मूर्ति है। इसके अलावा मंदिर के अलग-अलग भागों में अन्य देवी-देवताओं के मंदिर एवं मूर्तियां स्थित है।मंदिर के दक्षिण में आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित शारदा मठ भी है। धार्मिक दृष्टि से द्वारका को सप्तपुरियों में गिना जाता है। वर्तमान में स्थित द्वारका,गोमती द्वारका के नाम से जानी जाती है। आधुनिक खोजों में भी इस क्षेत्र में रेत एवं समुद्र के अंदर से प्राचीन द्वारका के अवशेष प्राप्त हुए हैं। द्वारका की स्थिति एवं बनावट समुद्र के बीच द्वीप पर बने किले के समान है। तो आखिर आप कब द्वारका जा रहे हैं ? हमें कमेंट कर के जरूर बताइएगा।