दुर्गा कवच क्या है? ( What is Durga Kavach? )
durga kavach का पाठ करने व्यक्ति को बहुत राहत मिलती है। जो माता दुर्गा में विश्वास करते हैं जो उनकी इष्ट देवी हैं उन्हें Shri durga kavach पाठ अवश्य ही करना चाहिए। बताते चलें कि (Durga Kavach Benefits)दुर्गा कवच मार्कण्डेय पुराण का हिस्सा है।
दुर्गा मां हमें बुरी परिस्थितियों से लड़ने का साहस प्रदान करती हैं। मां दुर्गा कवच स्थापित करते ही व्यक्ति के आसपास के आभामंडल में एक सुरक्षा कवच बन जाता है। इस को कई नामों जैसे भगवती कवच, दुर्गा सरस्वती कवच, Durga Saptashati Kavach, Durga raksha Kavach आदि नामों से जाना जाता है।
दुर्गा मां हमें बुरी परिस्थितियों से लड़ने का साहस प्रदान करती हैं। मां दुर्गा कवच स्थापित करते ही व्यक्ति के आसपास के आभामंडल में एक सुरक्षा कवच बन जाता है। इस को कई नामों जैसे भगवती कवच, दुर्गा सरस्वती कवच, Durga Saptashati Kavach, Durga raksha Kavach आदि नामों से जाना जाता है।
दुर्गा कवच पाठ के लाभ । durga kavach benefits। devi kavach ke fayde
आइये जानते हैं Durga Kavach Benefits in hindi :
1. दुर्गा कवच व्यक्ति की असुरी शक्तियों से रक्षा प्रदान करता है।
2. व्यक्ति के सभी रोगो से सरंक्षण करता है।
3. सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाने में सहायक है।
4. यह हमारे बाहरी और आंतरिक अंगों की रक्षा करता है।
5. दुर्गा सप्तशती का कवच पाठ किये जाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
1. दुर्गा कवच व्यक्ति की असुरी शक्तियों से रक्षा प्रदान करता है।
2. व्यक्ति के सभी रोगो से सरंक्षण करता है।
3. सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाने में सहायक है।
4. यह हमारे बाहरी और आंतरिक अंगों की रक्षा करता है।
5. दुर्गा सप्तशती का कवच पाठ किये जाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
दुर्गा कवच का पाठ कैसे करें? ( How to do Durga Kavach Paath? )
1. दुर्गा रक्षा कवच पाठ करने के लिए सबसे अच्छा दिन शुक्रवार माना जाता है।
2. इसके लिए प्रातःकाल स्नान कर दुर्गा मां की प्रतिमा को रखें और उसपर गंगाजल से छिड़काव करें।
3. इसके पश्चात देवी के समक्ष फल और लाल रंग का फूल अर्पित करें।
4. फिर माता के सामने धूप और घी का दीपक जलाएं।
5. इसके बाद दुर्गा मां के बीज मंत्र का 11 बार जाप करें।
6. मंत्र का जाप करने के बाद ध्यान लगाकर भगवती दुर्गा कवच का पाठ करना चाहिए।
2. इसके लिए प्रातःकाल स्नान कर दुर्गा मां की प्रतिमा को रखें और उसपर गंगाजल से छिड़काव करें।
3. इसके पश्चात देवी के समक्ष फल और लाल रंग का फूल अर्पित करें।
4. फिर माता के सामने धूप और घी का दीपक जलाएं।
5. इसके बाद दुर्गा मां के बीज मंत्र का 11 बार जाप करें।
6. मंत्र का जाप करने के बाद ध्यान लगाकर भगवती दुर्गा कवच का पाठ करना चाहिए।
माँ दुर्गा की कहानी ( Who is Maa Durga? )
देवी महात्मय को दुर्गा सप्तशती ( Durga Saptashati ) के नाम से भी जाना जाता है। देवी भागवत पुराण में इस बात का वर्णन मिलता है कि देवी सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की सर्वोच्च शक्ति है। देवी दुर्गा बहुत ही गंभीर और क्रोधित प्रवृति की हैं। इन्हें बुराई पर अच्छाई की जीत माना जाता है। अब जानते हैं देवी दुर्गा के जन्म की पौराणिक कथा। [source]
जब देव और मानव दोनों लोक असुरों के अत्याचार से तंग आ गए तो उन्होंने ब्रह्मा जी की ओर रुख किया। सभी देवता गण ब्रह्मा जी के पास पहुँच असुरी शक्ति के खात्मे की बात कहने लगे। ब्रह्मा जी ने समाधान के रूप में यह कहा कि इसका नाश केवल कुंवारी कन्या ही कर सकती है। इस तरह से सभी देवताओं ने मिलकर एक शक्ति का निर्माण किया।
शक्ति का मुख भगवान शिव ( Bhagwan Shiv ) के तेज से बना। उनकी भुजाएं भगवान विष्णु के तेज से निर्मित हुई। इसके बाद ब्रह्मा जी के तेज से माता के दोनों चरण बने। यमराज के तेज से माथा और केश, चन्द्र देव के तेज से स्तन निर्मित हुए। वरुण देव के तेज से जाँघे, सूर्य देव के तेज से उंगलियां तथा अग्नि देव के तेज से आँखें निर्मित हुई।
इस शक्ति का नाम रखा गया देवी दुर्गा। इन्हीं दुर्गा के नौ रूपों की नवरात्रों के दौरान पूजा- अर्चना की जाती है। यह वही शक्ति हैं जिन्होंने रक्तबीज, चण्डमुण्ड और महिषासुर का वध किया था। [source]
जब देव और मानव दोनों लोक असुरों के अत्याचार से तंग आ गए तो उन्होंने ब्रह्मा जी की ओर रुख किया। सभी देवता गण ब्रह्मा जी के पास पहुँच असुरी शक्ति के खात्मे की बात कहने लगे। ब्रह्मा जी ने समाधान के रूप में यह कहा कि इसका नाश केवल कुंवारी कन्या ही कर सकती है। इस तरह से सभी देवताओं ने मिलकर एक शक्ति का निर्माण किया।
शक्ति का मुख भगवान शिव ( Bhagwan Shiv ) के तेज से बना। उनकी भुजाएं भगवान विष्णु के तेज से निर्मित हुई। इसके बाद ब्रह्मा जी के तेज से माता के दोनों चरण बने। यमराज के तेज से माथा और केश, चन्द्र देव के तेज से स्तन निर्मित हुए। वरुण देव के तेज से जाँघे, सूर्य देव के तेज से उंगलियां तथा अग्नि देव के तेज से आँखें निर्मित हुई।
इस शक्ति का नाम रखा गया देवी दुर्गा। इन्हीं दुर्गा के नौ रूपों की नवरात्रों के दौरान पूजा- अर्चना की जाती है। यह वही शक्ति हैं जिन्होंने रक्तबीज, चण्डमुण्ड और महिषासुर का वध किया था। [source]
माँ दुर्गा की पूजा कैसे करें? ( How to Worship Maa Durga? )
आइये जानते हैं माँ दुर्गा की पूजा विधि ( How to do Simple Durga Puja at Home ) :
1. दुर्गा माता की पूजा करने के लिए सबसे शुभ दिन शुक्रवार माना गया है।
2. इस दिन माता को लौंग, लाल फूल(गुलाब), नारियल, सुपारी आदि चढ़ानी चाहिए।
3. सुबह दुर्गा मां की प्रतिमा को सामने रखें और देवी के समक्ष धूप व घी का दीपक जलाएं।
4. शुक्रवार के दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
5. देवी को भोग स्वरुप खीर अर्पित करनी चाहिए।
1. दुर्गा माता की पूजा करने के लिए सबसे शुभ दिन शुक्रवार माना गया है।
2. इस दिन माता को लौंग, लाल फूल(गुलाब), नारियल, सुपारी आदि चढ़ानी चाहिए।
3. सुबह दुर्गा मां की प्रतिमा को सामने रखें और देवी के समक्ष धूप व घी का दीपक जलाएं।
4. शुक्रवार के दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
5. देवी को भोग स्वरुप खीर अर्पित करनी चाहिए।
दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे करें? ( How to do Durga Saptashati Path? )
चलिए जानते हैं How to read Durga Saptashati daily :
1. दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के लिए घर में किसी शांत जगह की तलाश करें।
2. उस स्थान पर आसन लगाएं और देवी की प्रतिमा को अपने सामने रखें।
3. फिर धूप और दीपक जलाएं।
4. इसके पश्चात आसन पर बैठकर माता का ध्यान करते हुए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
1. दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के लिए घर में किसी शांत जगह की तलाश करें।
2. उस स्थान पर आसन लगाएं और देवी की प्रतिमा को अपने सामने रखें।
3. फिर धूप और दीपक जलाएं।
4. इसके पश्चात आसन पर बैठकर माता का ध्यान करते हुए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
दुर्गा यन्त्र बनाने की विधि ( How to Draw Durga Yantra? )
1. यन्त्र एक ख़ास प्रकार की ज्यामितीय आकृतियों से बना होता हैं।
2. इसमें एक केंद्र होता है और उसके आसपास 9 प्रकार के त्रिकोण खाने होते हैं।
3. इसे बनाने के लिए अनार की कलम और अष्टगंध की स्याही का प्रयोग करें।
4. इस यन्त्र के हर एक खाने में 1 से 9 तक अंक लिखें।
5. यन्त्र के केंद्र में ‘दुं’ लिखें और यंत्र के तीन ओर ‘ऊं दुं दुं दुं दुर्गायै नम:’ मंत्र लिखें।
6. इसके बाद यन्त्र की षोडशोपचार पूजा करते हुए सप्तशती के श्लोकों से इसे सिद्ध करें।
2. इसमें एक केंद्र होता है और उसके आसपास 9 प्रकार के त्रिकोण खाने होते हैं।
3. इसे बनाने के लिए अनार की कलम और अष्टगंध की स्याही का प्रयोग करें।
4. इस यन्त्र के हर एक खाने में 1 से 9 तक अंक लिखें।
5. यन्त्र के केंद्र में ‘दुं’ लिखें और यंत्र के तीन ओर ‘ऊं दुं दुं दुं दुर्गायै नम:’ मंत्र लिखें।
6. इसके बाद यन्त्र की षोडशोपचार पूजा करते हुए सप्तशती के श्लोकों से इसे सिद्ध करें।
नीचे दुर्गा मां को प्रसन्न करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण मंत्रो का उल्लेख किया गया है :
मां दुर्गा का गायत्री मंत्र
ॐ महादेव्यै विह्महे दुर्गायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ।।
माँ दुर्गा का सबसे शक्तिशाली मंत्र
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
माँ दुर्गा का मंत्र। maa durga raksha mantra
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
दुर्गा सप्तशती पाठ 13 अध्याय।
सर्वकल्याण के लिए दुर्गा मंत्र
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥
बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्रादि मंत्र
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यंति न संशय॥
आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के चमत्कारिक मंत्र
देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
विपत्ति नाश के लिए मंत्र
शरणागतर्दिनार्त परित्राण पारायणे।
सर्व स्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥
बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्रादि मंत्र
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यंति न संशय॥
आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के चमत्कारिक मंत्र
देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
विपत्ति नाश के लिए मंत्र
शरणागतर्दिनार्त परित्राण पारायणे।
सर्व स्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥
रक्षा कवच मंत्र । raksha kavach mantra
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
माँ दुर्गा का सबसे शक्तिशाली मंत्र
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे। सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते।।
ऐश्वर्य से भरपूर जीवन जीना चाहते हैं, तो मां दुर्गा के इस सिद्ध मंत्र का जप करें
Durga Kavach Stotra (श्री दुर्गा कवच स्तोत्र)


