बुधवार का व्रत क्यों रखा जाता है? ( Budhwar ka vrat kyu rakha jata hai? )
सप्ताह में आने वाले हर दिन का सनातन धर्म में विशेष महत्व बताया गया है क्योंकि हर दिन किसी न किसी देवता या देवी को समर्पित है। आज हम बुधवार ( Budhwar ) के दिन की बात करेंगे जो भगवान गणेश को समर्पित माना जाता है। भगवान गणेश ( Bhagwan Ganesh ) को हर पूजा में सर्वप्रथम पूजे जाने का स्थान प्राप्त है। भगवान गणेश को बगैर पूजे कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है और उससे शुभ फल भी प्राप्त नहीं होता है।
इसी के साथ बताते चलें कि जो भी जातक बुधवार के दिन व्रत का पालन करते हैं उन्हें भगवान गणेश की असीम कृपा प्राप्त होती है। बुधवार के व्रत का पालन करने वाले लोगों को कम से कम सात बुधवार तक व्रत करना चाहिए जबकि ज्यादा से ज्यादा इसे आजीवन तक किया का सकता है।
इसी के साथ बताते चलें कि जो भी जातक बुधवार के दिन व्रत का पालन करते हैं उन्हें भगवान गणेश की असीम कृपा प्राप्त होती है। बुधवार के व्रत का पालन करने वाले लोगों को कम से कम सात बुधवार तक व्रत करना चाहिए जबकि ज्यादा से ज्यादा इसे आजीवन तक किया का सकता है।
बुधवार व्रत कथा ( Budhwar Vrat Katha )
बुधवार व्रत की कथा कुछ ऐसी है कि एक बार नगरी में मधुसूदन नाम का धनी व्यक्ति रहा करता था। वह अपनी पत्नी को अपने ससुराल से विदा कराने के लिए गया। जब उसने अपने सास और ससुर से विदा करवाने के लिए कहा तो वे बोले कि बुधवार के दिन विदा कराना अच्छा नहीं माना जाता है इसलिए आज के दिन गमन नहीं करना चाहिए।
लाख मना करने के बावजूद मधुसूदन नहीं माना और अपनी पत्नी को विदा कराकर अपने नगर की ओर निकल पड़ा। रास्ते में मधुसूदन की पत्नी को बहुत प्यास लगी तो मधुसूदन पानी की तलाश के लिए गया और अपनी पत्नी को वहीं विश्राम करने के कहकर गया।
जब मधुसूदन पानी लेकर वापिस इस पेड़ के पास लौटा तो वह देखता है कि उसके जैसा दिखने वाला एक शख्स उसकी पत्नी के साथ रथ पर बैठा हुआ है। यह देख वह क्रोध से आगबबूला हो जाता है और कहता कि तू कौन है? मेरी पत्नी के साथ इस रथ पर कैसे बैठा है? वह हुबहू दिखने वाला शख्स कहता है कि यह मेरी पत्नी है जिसे मैं अपने ससुराल से विदा कराकर लेकर जा रहा हूं।
यह सुन मधुसूदन और अधिक क्रोधित हो गया फिर दोनों में झगड़ा होने लगा। बढ़ते झगड़े के शोर से पास के नगर के सिपाही वहां पर आ पहुंचे। उन्होंने मधुसूदन की पत्नी से सवाल किया कि बताओ इन दोनों में से तुम्हारा पति कौन है? सिपाही की बातें सुन पत्नी शांत रही क्योंकि दोनों ही शख्स एक जैसे थे ऐसे में असली मधुसूदन के पहचानना बहुत मुश्किल था।
इसपर मधुसूदन ने ईश्वर से प्रार्थना की और अपनी समस्या का हल मांगा। मधुसूदन के प्रार्थना करने पर आकाशवाणी हुई कि आज बुधवार के दिन तुझे गमन नहीं करना चाहिए था। यह सब तेरे ही कर्मों का लोp नतीजा है, तुझे भुगतना ही होगा। इसके बाद मधुसूदन ने बुद्धदेव जी से प्रार्थना की और अपनी गलती की क्षमा मांगी। प्रार्थना को सुनकर बुद्धदेव जी खुद ही वहां से अंतर्ध्यान हो गए।
इस तरह बुधवार के व्रत की कहानी के अंत में मधुसूदन खुशी-खुशी अपनी पत्नी को घर ले आया। इस दिन के बाद से ही दोनों पति पत्नी बुधवार के दिन व्रत का पालन करने लगे। जो भी जातक बुधवार के दिन व्रत का पालन कर बुधवार की व्रत कथा ( Budhwar ki Katha ) का पाठ हैं उनके सभी तरह के बुध दोष समाप्त हो जाते हैं।
( यदि आप हर बुधवार व्रत रख पाने में असमर्थ हैं तो किसी विशेष मुहूर्त देख बुधवार के दिन Budh Yantra Locket को धारण करें। बुध यन्त्र लॉकेट में सम्मिलित शक्तियां बुध दोषों को समाप्त कर एक सुखी जीवन प्रदान करती हैं। )
लाख मना करने के बावजूद मधुसूदन नहीं माना और अपनी पत्नी को विदा कराकर अपने नगर की ओर निकल पड़ा। रास्ते में मधुसूदन की पत्नी को बहुत प्यास लगी तो मधुसूदन पानी की तलाश के लिए गया और अपनी पत्नी को वहीं विश्राम करने के कहकर गया।
जब मधुसूदन पानी लेकर वापिस इस पेड़ के पास लौटा तो वह देखता है कि उसके जैसा दिखने वाला एक शख्स उसकी पत्नी के साथ रथ पर बैठा हुआ है। यह देख वह क्रोध से आगबबूला हो जाता है और कहता कि तू कौन है? मेरी पत्नी के साथ इस रथ पर कैसे बैठा है? वह हुबहू दिखने वाला शख्स कहता है कि यह मेरी पत्नी है जिसे मैं अपने ससुराल से विदा कराकर लेकर जा रहा हूं।
यह सुन मधुसूदन और अधिक क्रोधित हो गया फिर दोनों में झगड़ा होने लगा। बढ़ते झगड़े के शोर से पास के नगर के सिपाही वहां पर आ पहुंचे। उन्होंने मधुसूदन की पत्नी से सवाल किया कि बताओ इन दोनों में से तुम्हारा पति कौन है? सिपाही की बातें सुन पत्नी शांत रही क्योंकि दोनों ही शख्स एक जैसे थे ऐसे में असली मधुसूदन के पहचानना बहुत मुश्किल था।
इसपर मधुसूदन ने ईश्वर से प्रार्थना की और अपनी समस्या का हल मांगा। मधुसूदन के प्रार्थना करने पर आकाशवाणी हुई कि आज बुधवार के दिन तुझे गमन नहीं करना चाहिए था। यह सब तेरे ही कर्मों का लोp नतीजा है, तुझे भुगतना ही होगा। इसके बाद मधुसूदन ने बुद्धदेव जी से प्रार्थना की और अपनी गलती की क्षमा मांगी। प्रार्थना को सुनकर बुद्धदेव जी खुद ही वहां से अंतर्ध्यान हो गए।
इस तरह बुधवार के व्रत की कहानी के अंत में मधुसूदन खुशी-खुशी अपनी पत्नी को घर ले आया। इस दिन के बाद से ही दोनों पति पत्नी बुधवार के दिन व्रत का पालन करने लगे। जो भी जातक बुधवार के दिन व्रत का पालन कर बुधवार की व्रत कथा ( Budhwar ki Katha ) का पाठ हैं उनके सभी तरह के बुध दोष समाप्त हो जाते हैं।
( यदि आप हर बुधवार व्रत रख पाने में असमर्थ हैं तो किसी विशेष मुहूर्त देख बुधवार के दिन Budh Yantra Locket को धारण करें। बुध यन्त्र लॉकेट में सम्मिलित शक्तियां बुध दोषों को समाप्त कर एक सुखी जीवन प्रदान करती हैं। )
बुधवार के व्रत करने से क्या लाभ होता है? ( Budhwar ke vrat karne se kya labh hota hai? )
1. बुध को व्यापरियों का स्वामी माना जाता है इसलिए इस दिन व्रत रखने से व्यापर में वृद्धि होती है।
2. घर में सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहती है।
3. इस दिन व्रत रखने से एकाग्र क्षमता बढ़ने के साथ दिमाग तेज होता है क्योंकि बुध बुद्धि के देवता भी हैं।
4. पढ़ाई में मन लगने लगता है और परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन होने लगता है।
5. कुंडली में मौजूद बुध दोष का खात्मा होता है। ये सभी बुधवार व्रत के फायदे हैं।
2. घर में सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहती है।
3. इस दिन व्रत रखने से एकाग्र क्षमता बढ़ने के साथ दिमाग तेज होता है क्योंकि बुध बुद्धि के देवता भी हैं।
4. पढ़ाई में मन लगने लगता है और परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन होने लगता है।
5. कुंडली में मौजूद बुध दोष का खात्मा होता है। ये सभी बुधवार व्रत के फायदे हैं।
बुधवार का व्रत कैसे किया जाता है और बुधवार व्रत की पूजा विधि क्या है? ( Budhwar ka vrat kaise kiya jata hai aur Budhwar vrat ki Puja Vidhi kya hai? )
1. प्रातःकाल स्नान कर हरे वस्त्र धारण करें और फिर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करें।
2. इसके बाद पुष्प, फल और सिन्दूर चढ़ाएं।
3. फिर घी का दीपक और धूप जलाकर आरती करें।
4. भगवान गणेश को भोग में गुड़ या गुड़ से बने पकवान अर्पित करें।
5. बुधवार के व्रत में पूरे दिन निराहार रहकर एक ही समय भोजन करना चाहिए।
6. संध्या के समय प्रसाद खाकर ही अपना व्रत खोलें।
7. जरूरतमंदों को हरी वस्तुएं और खाद्य पदार्थ जैसे- हरी मूंग, हरी सब्जियां या वस्त्र आदि का दान करें।
2. इसके बाद पुष्प, फल और सिन्दूर चढ़ाएं।
3. फिर घी का दीपक और धूप जलाकर आरती करें।
4. भगवान गणेश को भोग में गुड़ या गुड़ से बने पकवान अर्पित करें।
5. बुधवार के व्रत में पूरे दिन निराहार रहकर एक ही समय भोजन करना चाहिए।
6. संध्या के समय प्रसाद खाकर ही अपना व्रत खोलें।
7. जरूरतमंदों को हरी वस्तुएं और खाद्य पदार्थ जैसे- हरी मूंग, हरी सब्जियां या वस्त्र आदि का दान करें।
बुधवार व्रत के नियम ( Budhwar Vrat ke niyam )
1. यदि बुधवार के व्रत की शुरुआत करनी हैं तो इसके लिए शुक्ल पक्ष का प्रथम बुधवार सबसे शुभ माना जाता है।
2. बुधवार के व्रत में एक ही बार भोजन किया जाता है।
3. इस व्रत के अंत में भगवान शिव की पूजा कर उन्हें बेलपत्र अर्पित करें। इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है।
4. ध्यान रहे इस व्रत की शुरुआत पितृ पक्ष में न करें।
5. इस दिन नमक के सेवन बिल्कुल भी न करें।
2. बुधवार के व्रत में एक ही बार भोजन किया जाता है।
3. इस व्रत के अंत में भगवान शिव की पूजा कर उन्हें बेलपत्र अर्पित करें। इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है।
4. ध्यान रहे इस व्रत की शुरुआत पितृ पक्ष में न करें।
5. इस दिन नमक के सेवन बिल्कुल भी न करें।
बुधवार के दिन किसकी पूजा होती है? ( Budhwar ke din kiski puja hoti hai? )
बुधवार के दिन भगवान गणेश और बुध देव की पूजा की जाती है। इस दिन सच्चे मन से व्रत का पालन करने वालों को भगवान गणेश और बुध देव दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही कुंडली में यदि बुध दोष अशुभ फल दे रहा है तो वे निष्प्रभाव हो जाते हैं।
बुधवार के व्रत में नमक खाना चाहिए या नहीं? ( Budhwar ke vrat me namak khana chahiye ya nahi? )
बुधवार के दिन व्रत का पालन करने वाले लोगों को नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। मीठे प्रसाद से ही संध्या के समय व्रत को खोलें।