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    Home » Brahmarakshas :ब्रह्मराक्षस वेद पुराणों का ज्ञान रखते है ये पिशाच।
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    Brahmarakshas :ब्रह्मराक्षस वेद पुराणों का ज्ञान रखते है ये पिशाच।

    VeshaliBy VeshaliOctober 30, 2023Updated:October 30, 2023
    Brahmarakshas : ब्रह्मराक्षस
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    Brahmarakshas  | ब्रह्मराक्षस :ब्राह्मण का दानव, एक रहस्यमय जीवन की कहानी”

    क्या होगा अगर एक ब्राह्मण जिसे वेद पुराणों का पूरा ज्ञान हो, उसके बावजूद वह बुरे कर्म करे ? क्या होगा अगर एक ब्राह्मण जो मन्त्रों का ज्ञान रखता हो अपने मन्त्र किसी का बुरा या वशीकरण करने में प्रयोग करे ? –   Brahmarakshas :ब्रह्मराक्षस

    अगर कोई ब्राह्मण जिसे भगवान् (Bhagwan ) के करीबी माना जाता है , जिन्हें दुसरो को शिक्षा और विद्या देने का कार्य खुद ब्रह्मा ने सौपा हो, वो ही अपना कार्य सही से न करे बल्कि दी गयी शक्तियों का गलत इस्तेमाल करे? तो वो बन जाता है ‘ब्रह्माराक्षस‘ , वो कैसे ? आपको आज के इस लेखन में बताते है, की क्या है Brahmarakshas :ब्रह्मराक्षस, कौन बनते है ब्रह्मा राक्षस और क्या ये पिशाच योनि के सबसे खतरनाक पिशाच है ? या ये सिर्फ कहानियों में रहते है। {1}
    जानने के लिए हमारे इस लेखन को आखिर तक पढ़े।
    ब्रह्मराक्षस शब्द की उत्पत्ति दो शब्दों को मिलाकर हुई है. पहला शब्द ‘ब्राह्मण’ है जो हिन्दू जाति व्यवस्था में सबसे उच्च स्थान पर माना जाता है। वही दूसरा शब्द राक्षस है जो नकारात्मक शक्तियों से बने हुए दैत्य या दानव होते है। .

    इस तरह से ब्रह्मराक्षस का अर्थ है “ब्राह्मण का दानव”.

    Brahmarakshas :ब्रह्मराक्षस उन ब्रह्मणों का भूत होता है, जिन्होंने अपने जीवन काल में बहुत ही बड़े पाप किये हो, जिन्होंने दुसरो का बुरा किया हो ।
    मान्यताओं के अनुसार एक ब्रह्मराक्षस बहुत ही शक्तिशाली होते है। ये राक्षस वेद पुराण और मंत्रो के ज्ञान की वजह से एक आम प्रेत से कई ज़्यादा शक्तिशाली होते है। और Brahmarakshas :ब्रह्मराक्षस  यदि किसी के पीछे पड़ जाए तो इससे छुटकारा पाना एक आम इंसान के लिए नामुमकिन के बराबर है।
    लेकिन वही अगर कोई ब्रह्मराक्षस किसी इंसान से प्रसन्न हो जाए तो वह उस इंसान के जीवन में धन की बौछार कर देते है और उन्हें एक देवता की तरह वरदान भी देते है । इसलिए कई सारी जगहों पर खासतौर पर केवल ब्रह्मराक्षस के लिए बनाए हुए मंदिर (Mandir) भी है, जहाँ उनकी मूर्तियां रखी गयी है और लोग दूर दूर से आकर उनकी पूजा करते है और उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते है, ताकि Brahmarakshas :ब्रह्मराक्षस उनसे प्रसन्न होकर उनकी सारी इच्छाए पूरी कर दे।

    Brahmarakshas
    Brahmarakshas

    हिन्दू धर्म के अनुसार एक मनुष्य के मरने के बाद उसका विभाजन उसके कर्म के अनुसार होता है।

    भूत प्रेत, पिशाच, ब्रह्मराक्षस, बेताल और क्षेत्रपाल इन सभी भागों में विभाजित होते है। फिर इन सभी के उपभाग भी होते है। अगर हम पुराणों की माने तो प्रेत 18 प्रकार के होते है।
    इसमें से भूत पहले क्रम में होते है, यानी जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो सबसे पहले वह भूत बनता है।
    इसी क्रम में आगे बढ़ने पर ब्रह्मराक्षस बनते है। वे अपने पिछले जन्म की यादों के साथ-साथ वेद और पुराणों का ज्ञान अपनी यादों में सहेज कर रखते है।

    अगर देखा जाए तो इनका आधा हिस्सा ब्रह्म यानी देव होता है और आधा हिस्सा दैत्य यानी दानव का होता है।
    ब्रह्मराक्षस उन आत्माओं को कहा जाता है जो उच्च ब्राह्मण जाती में जन्म लेते है, वेद पुराण का ज्ञान प्राप्त करते है, पूजा पाठ करके सिद्धियां प्राप्त करते है परन्तु उसके बावजूद वह बुरे कर्म करते है, या फिर वह अपने जन्म से लेकर अपनी मृत्यु तक ऐसे घोर पाप करते है जो एक ब्राह्मण के लिए बिलकुल उचित नहीं है और ना ही ऐसे काम को अच्छा कर्म माना जाता है , या फिर वे लोग जो अपनी ज्ञान और प्रतिभा का प्रयोग समाज कल्याण के बजाए अपनी निजी स्वार्थ या गलत कामों के लिए करते है। ऐसे लोग ही मरने के बाद अपने ज्ञान और प्रतिभा के कारण Brahmarakshas :ब्रह्मराक्षस बन कर अपनी सज़ा भुगतते है।

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    तब ऐसा व्यक्ति ब्रह्मराक्षस बनता है लेकिन अब इसका मतलब यह नहीं है. की हर ब्राह्मण जिसने बुरे कर्म किये हो वह Brahmarakshas  बन ही जाए, क्योकि इसके लिए उसके पास वेदों का सम्पूर्ण ज्ञान और उन पर सिद्धि प्राप्त होनी बहुत ज़रूरी है।

    जिस प्रकार रावण को वेदों और वेदांग का ज्ञान होने के साथ साथ उसे कई विधाओं में सिद्धि प्राप्त थी, यहाँ तक की उसने अपने तप से भगवन शिव (bhawan shiv) के कैलाश (kailash) पर्वत को हिला के रख दिए था। और अपनी शक्तियों से बहुत बुरे कर्म करे। इसी प्रकार की ब्राह्मण की आत्माए आगे जा कर ब्रह्मराक्षस बनती है।

    ब्रह्मराक्षस का उल्लेखन भागवत गीता में भी दिया गया है।
    भगवदगीता महातम्य के चैप्टर 6.182 में ब्रह्मराक्षसों का जिक्र है। गीता के लेखन के अनुसार “कुसीवाला नाम का एक ब्राह्मण था जिसे वेदों और वेदांगों का सम्पूर्ण ज्ञान था, साथ ही वह ब्राह्मण सभी मन्त्र अच्छे से जनता था और सभी पुराणों का ज्ञान रखता था। वह ब्राह्मण आचरण से अच्छा था परन्तु उसकी पत्नी का आचरण दुष्ट प्रवर्ति का था और वो ब्राह्मण अच्छा होने के बावजूद अपनी पत्नी बातें मान कर, जो वो कार्य करने बोले, वो करता था।

    जब भी किसी का कोई कार्य हो तब भेट में उनकी पत्नी उसे बड़े बड़े उपहार लेने के लिए कहती थी जिसकी वजह से वह अक्सर महान पुरस्कार जैसे की भैंस, कालपुरुष और घोड़े इत्यादि ही स्वीकार करता था। अपनी पत्नी के साथ साथ उसमें लालच आ गया था।

    जो भी उन्हें भेट के तौर पर मिलता वह उन वस्तुओ को कभी भी दुसरे ब्राह्मणों को नहीं देते थे। मृत्यु के बाद उनकी आत्माए ब्रह्मराक्षस बन गयी , भूख और प्यास से उनकी भटकती रही और अंत में एक पीपल के वृष पर वास करने लगी और ब्रह्मराक्षस बन गयी।
    वही शिव पुराण में भी ब्रह्मराक्षस का ज़िक्र किया गया है। जहा कुछ बुरी प्रवर्ति के ब्राह्मणो को ऐसा श्राप दिया गया है की जो ब्राह्मण जन्म में लालच से भरे होंगे
    वे हमेशा गरीब रहेंगे और मौद्रिक उपहार प्राप्त करने के लिए हमेशा उत्सुक रहेंगे. वे ऐसे लोगो का धन स्वीकार करेंगे जोकि दान देने योग्य या उसके अपात्र होंगे. इसलिए वह नरक में जरुर गिरेंगे, हे दक्ष और उनमे से कुछ ब्राह्मणवादी राक्षस बन जायेंगे.”

    वही अन्य पुराणों में भी ब्रह्मराक्षस के होने का ज़िक्र है।
    चलिए अब आपको बताते है की किन लोगो को ब्रह्मरक्षस सताते है।Brahmarakshas : ब्रह्मराक्षस

    अगर कोई व्यक्ति पीपल के पेड़ को काट देता है तो उस व्यक्ति को ब्रह्मराक्षस सताना शुरू कर देते है. क्योकि ऐसा माना जाता है की ब्रह्मराक्षस अक्सर ज्यादातर पीपल के पेड़ों में ही निवास करते है.
    इसके अलावा कई बार लोगो को अचानक ही ज़मीन में गाड़ा हुआ खजाना मिल जाता है. ऐसा माना जाता है की ज़मीन में गड़े हुए खजानों की रखवाली ब्रह्मराक्षस करते है. तो कई बार लोगो को Brahmarakshas : ब्रह्मराक्षस इस वजह से भी प्रभावित करते है उन्हें सताते है.
    कई बार लोग जाने अनजाने में बहुत ही पुराने पेड़ों को काट देते है जोकि सदियों से किसी जगह पर मौजूद रहते है. ऐसा माना जाता है की ज्यादा से ज्यादा पुराने पेड़ों को नहीं काटना चाहिए क्योकि उनमे ब्रह्मराक्षसों का निवास हो सकता है.
    आम के पेड़ों को कभी नहीं काटना चाहिए क्योकि पीपल के पेड़ के बाद आम के पेड़ ही ब्रह्मराक्षसों का सबसे अच्छा निवास माना जाता है. अगर कोई व्यक्ति ऐसे पेड़ों को काटता या कटवाता है तो फिर उसे ब्रह्मराक्षस का प्रकोप सहना पड़ सकता है.
    बहुत से तंत्र विद्या में माहिर तांत्रिक और अघोरी दुसरे लोगो के कहने पर या फिर खुद के किसी निजी स्वार्थ के तौर पर अपनी तंत्र विद्या का इस्तेमाल करके. ब्रह्मराक्षस को आपके घर में प्रवेश करवा सकता है या फिर किसी खास व्यक्ति पर उसका प्रभाव डालने के लिए भेज सकता है

    यदि कोई व्यक्ति ब्रह्मरक्षस के प्रकोप का शिकार बनता है तो उससे छुटकारा पाना  मुश्किल हो जाता है। हिन्दू धर्म ग्रंथो की माने तो ये ब्रह्मराक्षस बहुत ही शक्तिशाली आत्मा होने के साथ साथ ये कई तरह की दूसरी शक्तियों के मालिक भी होते है।Brahmarakshas :ब्रह्मराक्षस को सिर्फ कुछ चुनिंदा लोग या किसी शक्तिशाली राशि में जन्म लिया व्यक्ति ही मार सकता है और उन्हें मुक्ति दे सकता है।

    गीता में ब्रह्मराक्षस की मुक्ति का मार्ग बड़ा ही आसान बताया गया है। गीता में एक जगह बताया गया है कि एक ऋषि मुनि एक वृक्ष के नीचे गीता के श्लोकों का उच्चारण कर रहे थे। उस वृक्ष पेड़  बैठे ब्रह्मराक्षस ने उन श्लोकों को आधा ही गलती से सुन लिया और फिर उसे मुक्ति मिल गयी। इस तरह से ब्रह्मराक्षस को मुक्ति मिल सकती है।

    जब कोई ब्राह्मण अधिक से अधिक पाप कर्म करता है तो वह मरणोपरांत ब्रह्मराक्षस की योनि प्राप्त करता है उसे ही ब्रह्मराक्षस करते हैं।।

    Brahmarakshas | ब्रह्मराक्षस कब आता है?

    जब कोई ब्राह्मण अधिक से अधिक पाप कर्म करता है तो वह मरणोपरांत ब्रह्मराक्षस की योनि प्राप्त करता है उसे ही ब्रह्मराक्षस करते हैं।

    Brahmarakshas | ब्रह्मराक्षस कैसा दिखता है?

    अधिकांश कहानियों में, उन्हें विशाल, नीच और भयंकर रूप में चित्रित किया गया है, जिनके सिर पर राक्षस की तरह दो सींग हैं और ब्राह्मण की तरह उनके बाल हैं और वे आमतौर पर एक पेड़ पर उलटे लटके हुए पाए जाते हैं। इसके अलावा कहानियों में कभी-कभी ब्रह्मराक्षस इंसानों को भी खा जाता है

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