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    Home » Bhagwan Shiv ki Janam ki kahani: आइये जानें काल और मृत्यु से परे रहने वाले भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ?
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    Bhagwan Shiv ki Janam ki kahani: आइये जानें काल और मृत्यु से परे रहने वाले भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ?

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiDecember 22, 2023Updated:December 22, 2023
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    Bhagwan Shiv ki Janam ki kahani | शंकर भगवान की कहानी 

    Bhagwan Shiv ki Janam ki kahani – हिंदू धर्म में कुल चार वेद और 18 पुराण हैं और इन वेदों पुराणों (ved puran) में देवी-देवताओं के जन्म से लेकर उनके अवतार और अन्य कृत्यों की जानकारी का वर्णन किया गया है। दुविधा की बात तो यह है कि कुछ समान बातों से परे सभी में कहानियों का अलग – अलग तरीके से बखान किया गया है जो इन जानकारियों की विश्वसनीयता को और भी अधिक पेचीदा बना देता है। पुराणों में त्रिदेव कहे जाने वाले ब्रह्मा, विष्णु और महेश के जन्म से जुड़ी कहानियों का भी उल्लेख किया गया है।

    जहां एक तरफ वेदों में भगवान को एक निराकार रूप का दर्जा दिया गया है वहीं दूसरी तरफ पुराणों में त्रिदेवों के जन्म से संबंधित कहानियों के बारे में बताया गया है। आज हम बात करेंगे देवो के देव महादेव यानी शंकर भगवान की कहानी ( Bhagwan Shiv ki janam ki kahani )  के बारे में। भोलेनाथ के जन्म से जुड़ी कई सारी कहानियां हमें पुराणों में पढ़ने को मिलती है इन्हीं कहानियों में से हम जानेंगे कि आखिर शिवजी का जन्म कब हुआ और उनके जन्म के पीछे की वजह क्या थी।

    Kaise hua bhagwan shiv ji ka janam | कैसे हुआ शिव का जन्म? 

    हम सबके प्रिय भगवान शिव का जन्म नहीं हुआ है वे स्वयंभू हैं। लेकिन पुराणों में उनकी उत्पत्ति का विवरण मिलता है। विष्णु पुराण के अनुसार ब्रह्मा भगवान विष्णु की नाभि कमल से पैदा हुए जबकि शिव भगवान विष्णु के माथे के तेज से उत्पन्न हुए बताए गए हैं।
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    विष्णु पुराण की कथाएँ (Vishnu Puran ki kathaye) कहती हैं कि भगवान शिव का जन्म (Bhagwan Shiv ka janam) भगवान विष्णु के माथे से उत्पन्न हुए तेज से हुआ है। माथे के तेज से ही जन्में होने के कारण भगवान शंकर सदैव योग मुद्रा में रहते हैं। इतना ही नहीं विष्णु पुराण में वर्णित भगवान शिव के जन्म की कहानी उनके बालपन का एकमात्र वर्णन है क्योंकि और कहीं भी उनके जन्म से जुड़े साक्ष्य नहीं पाए जाते हैं।

    Bhagwan Shiv ka janam kab hua tha | शिव का जन्म कब हुआ था?

    विष्णु पुराण (Vishnu Puran) में वर्णित भगवान शिव के जन्म की कहानी कुछ इस प्रकार है कि ब्रह्मा को एक बच्चे की जरूरत थी। अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए उन्होंने कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या के फल के तौर पर एक रोता हुआ बालक उनकी गोद में आ गया। जब ब्रह्मा जी ने इस रोते हुए बालक को देखा तो यह सवाल किया कि तुम रो क्यों रहे हो?

    इसपर वह बालक बोला कि उसका नाम ब्रह्मा नहीं है इसलिए वह रो रहा है। उस नन्हें मासूम बालक की बात को सुन ब्रह्मा ने उसे नाम दिया ‘रूद्र’। इस नाम का अर्थ था रोने वाला। परंतु बालक रूप में बैठे भगवान शिव तब भी चुप न हुए।
    इस तरह बालक शिव को चुप कराने के लिए ब्रह्मा जी ने आठ नाम दिए थे। वे आठ नाम हैं – रूद्र, भाव, उग्र, भीम, शर्व, पशुपति, महादेव और ईशान। यही वजह है कि भगवान शिव इन सभी नामों से भी जाने जाते हैं।

    शिव जी (Shiv Ji) के जन्म Bhagwan Shiv ki janam ki kahani के पीछे की इस पूरी कहानी की बात करें तो था कुछ इस प्रकार है। जब संपूर्ण ब्रह्मांड – धरती, आकाश और पाताल जलमग्न था, उस समय ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अलावा कोई भी अस्तित्व में नहीं था। उस दौरान केवल भगवान विष्णु ही थे जो जल में शेषनाग पर विश्राम करते हुए नजर आ रहे थे। तभी ब्रह्मा जी भगवान शिव की नाभि से प्रकट हुए और फिर भगवान शिव की उत्पत्ति (Bhagwan Shiv ki Utpatti) माथे के तेज से हुई।

    Bholenath kaise prakat hue? | भोलेनाथ कैसे प्रकट हुए?

    भोलेनाथ कैसे प्रकट हुए?
     
    हम सबके प्रिय भगवान शिव का जन्म नहीं हुआ है वे स्वयंभू हैं। लेकिन पुराणों में उनकी उत्पत्ति का विवरण मिलता है। विष्णु पुराण के अनुसार ब्रह्मा भगवान विष्णु की नाभि कमल से पैदा हुए जबकि शिव भगवान विष्णु के माथे के तेज से उत्पन्न हुए बताए गए हैं।
     
    ब्रह्मा जी से शिव जी को देखा तो पहचानने से साफ इनकार कर दिया। ब्रह्मा के इनकार से भगवान विष्णु को यह भय सताने लगा कि कहीं शिव जी रूठ न जाएं। जिस कारण उन्होंने ब्रह्मा जी को दिव्यदृष्टि प्रदान की जिससे उन्हें शिव जी के बारे में स्मरण हो आया।
    सब कुछ स्मरण होते ही ब्रह्मा जी को अपनी गलती का आभास हुआ और उन्होंने शिव जी से माफी मांगी। साथ ही ब्रह्मा जी ने शिव जी से अपने पुत्र के रूप में जन्म लेने का आशीर्वाद भी मांगा। भगवान शिव ने ब्रह्मा जी को माफ करते हुए उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया।

    इसके बाद भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुए मधु कैटभ के वध के बाद जब ब्रह्मा जी ने संसार की रचना करना आरंभ किया तब उन्हें एक बच्चे की जरूरत पड़ी। इसी समय उन्हें भगवान शिव से मिला आशीर्वाद याद आया। आशीर्वाद को पाने के लिए उन्होंने तपस्या की और फिर एक बालक उनकी गोद में प्रकट हो गया।

    Bhagwan Shiv ke asli pita kon hai? | भगवान शिव के असली पिता कौन है? |
    भगवान शिव के पिता कौन है? 
     
    शिव के माता-पिता के बारे में बहुत कम लोगों को ही पता है. शिव महापुराण के प्रकरण के अनुसार, भगवान शिव की माताश्री दुर्गा देवी (अष्टंगी देवी) और पिता सदाशिव यानी काल ब्रह्मा हैं.

    विष्णुपुराण की मानें तो शिव जी के पिता ब्रह्मा जी थे जिन्होंने शिव जी से अपने पुत्र के रूप में जन्म लेने का आशीर्वाद माँगा था। फिर समय आने पर सृष्टि के निर्माण के समय शिव जी ने ब्रह्मा जी के पुत्र के रूप में जन्म लिया।

    शंकर भगवान के गुरु कौन थे? ( Shankar Bhaghwan ke guru kaun the? )

    भगवान शिव स्वयं इस संसार के गुरु माने जाते हैं जिन्होंने इस संसार में गुरु शिष्य की परंपरा का शुभारंभ किया था। हिन्दू धार्मिक ग्रन्थ कहते हैं कि ब्रह्मा जी और शिव जी इस संसार के सबसे पहले गुरु हैं। जहाँ ब्रह्मदेव ने अपने मानस पुत्रों को शिक्षा प्रदान की थी वहीँ भगवान शिव ने अपने सात शिष्यों को शिक्षा प्रदान की थी। इन्हीं सात शिष्यों को सप्तऋषियों का दर्जा दिया गया।

    शिवपुराण की कथा | Bhagwan Shiv ki kahani | Shiv Puran ki Katha 

    शिव पुराण में जन्म से जुड़ा शिव का रहस्य कहता है कि भगवान शिव का आदि और अंत से कोई संबंध नहीं है। वे काल और मृत्यु के चक्र से बिल्कुल परे हैं। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव स्वयंभू हैं जिनका जन्म स्वयं हुआ है। जिस प्रकार शिव स्वयंभू हैं उसी प्रकार नर्मदा नदी से निर्मित होने वाले शिवलिंग को भी स्वयंभू माना जाना जाता है।

    इसके पीछे की वजह यह है कि उन शिवलिंग को कहीं से निर्मित नहीं किया गया है वे खुद ही नर्मदा नदी से निर्मित होकर निकले हैं। Narmadeshwar Ardhnarishwar Shivling स्वयंभू होने के कारण अपने साथ कई विषेशताओं को लिए हुए है। जिस घर में भी इस स्वयंभू शिवलिंग को पूजा जाता है वहां भगवान शिव का आशीर्वाद सदैव बना रहता है सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं।  
     

    Shivling ke piche ka sach kya hai? | शिवलिंग के पीछे का सच क्या है?

    शून्य, आकाश, अनंत, ब्रह्माण्ड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से इसे ‘शिवलिंग’ कहा गया है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि आकाश स्वयंलिंग है। धरती उसकी पीठ या आधार है और सब अनंत शून्य से पैदा हो उसी में लय होने के कारण इसे शिवलिंग कहा गया है। शिव पुराण में शिव को संसार की उत्पत्ति का कारण और परब्रह्म कहा गया है।

    Shiv se bada bhagwan kon hai? | शिव से बड़ा भगवान कौन है?

    शैव मत के अनुयायी भगवान शिव को सर्वोपरि मानते हैं, तो वहीं वैष्णव मतावलम्बी श्री विष्णु को ही श्रेष्ठ मानते हैं। शैव मत के अनुयायी भगवान शिव को सर्वोपरि मानते हैं, तो वहीं वैष्णव मतावलम्बी श्री विष्णु को ही श्रेष्ठ मानते हैं। प्राचीन काल से ही इन दोनों मतों के अनुयायियों के बीच मतभेद रहे हैं। आज भी अनेक स्थानों पर यह विवाद देखने को मिलता है।

    Bhagwan Shiv kiska dhyan karte hai? | Bholenath kiska dhyan karte hai? | भोलेनाथ किसका ध्यान करते हैं?

    राम का ध्यान लगाते हैं नीलकंठ

    शिव पुराण में भगवान शिव द्वारा श्रीराम का ध्यान लगाने की बात कही गई है. इसके बारे में एक कथा प्रचलित है कि एक बार माता पार्वती ने शिव के ध्यान से उठने के बाद शिव से पूछा कि आप तो स्वयं ही देवों के देव हैं, इसलिए तो आपको देवाधिदेव कहते हैं. फिर आप समाधि में किसका ध्यान करते हैं. तब शिव ने पार्वती से कहा कि वह जल्दी ही इसका जवाब माता पार्वती को देंगे. इसके बाद भगवान शिव कौशिक ऋषि के सपने में आए और ऋषि कौशिक को राम रक्षा स्त्रोत लिखने का आदेश दिया.

    Shiv ji ka itihaas kya hai? | शिव का इतिहास क्या है?

    शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है।

    Shiv se pehle kon tha? | शिव से पहले कौन था?

    इसके अनुसार जब धरती, आकाश, पाताल समेत पूरा ब्रह्माण्ड जलमग्न था तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) के सिवा कोई भी देव या प्राणी नहीं था। तब केवल विष्णु ही जल सतह पर अपने शेषनाग पर लेटे नजर आ रहे थे। तब उनकी नाभि से कमल नाल पर ब्रह्मा जी प्रकट हुए। ब्रह्मा-विष्णु जब सृष्टि के संबंध में बातें कर रहे थे तो शिव जी प्रकट हुए।

    Shankar ji ki kitni baar shaadi hui hai? | शंकर जी की कितनी बार शादी हुई है?

    शिवजी की कितनी पत्नियां हुईं

    इनमें पहली देवी सती और दूसरी माता पार्वती. वहीं, अगर हिंदू पौराणिक कथाओं की मानें तो महादेव ने एक दो नहीं बल्कि चार विवाह किए थे. उनके सभी विवाह आदिशक्ति से ही हुए थे. भगवान शिव का पहला विवाह माता सती के साथ हुआ.

    Shiv ji konse yug mai the? | शिव जी कौन से युग में थे? –भगवान शिव के सम्मुख त्रेता युग का आरम्भ होते ही ये किस का जन्म हुआ

    Bhagwan Shiv ko kon hara sakta hai? | भगवान शिव को कौन हरा सकता है?

    भगवान शिव के नेतृत्व में हुए युद्ध पारंपरिक युद्ध से परे थे, जिनमें आध्यात्मिक और दार्शनिक पहलू भी शामिल थे। चूंकि उसे ब्रह्मांडीय संतुलन का शाश्वत महत्व माना जा रहा है, इसलिए यह दृढ़ विश्वास है कि उसकी शक्ति का कोई प्रतिस्थापन नहीं है और कोई भी उसे पूरी तरह से हरा नहीं सकता है ।

    Shiv ji aayu kitni hai? | Shiv ji Age | शिव की आयु कितनी है?

    भगवान शिव को अमर माना जाता है । हालाँकि, पवित्र शास्त्र साबित करते हैं कि भगवान शिव का जीवन काल सीमित है। यही स्थिति ब्रह्मा और विष्णु की भी है।

    Bhagwan Shiv ki Mrityu kaise hui? | भगवान शिव की मृत्यु कैसे हुई

    हिंदू धर्म में शिवजी को अमर (मृत्युरहित) माना जाता है और उनका जन्म और मृत्यु नहीं होता है। इसलिए, शिवजी की जन्म या मृत्यु की बात नहीं की जाती है।

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    1 Comment

    1. s.shankar yadav on October 28, 2022 7:17 am

      nice super hame aisi aur jankari bheja jaye

      Reply
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