Bhagwan Shiv ki Janam ki kahani | शंकर भगवान की कहानी
जहां एक तरफ वेदों में भगवान को एक निराकार रूप का दर्जा दिया गया है वहीं दूसरी तरफ पुराणों में त्रिदेवों के जन्म से संबंधित कहानियों के बारे में बताया गया है। आज हम बात करेंगे देवो के देव महादेव यानी शंकर भगवान की कहानी ( Bhagwan Shiv ki janam ki kahani ) के बारे में। भोलेनाथ के जन्म से जुड़ी कई सारी कहानियां हमें पुराणों में पढ़ने को मिलती है इन्हीं कहानियों में से हम जानेंगे कि आखिर शिवजी का जन्म कब हुआ और उनके जन्म के पीछे की वजह क्या थी।
Kaise hua bhagwan shiv ji ka janam | कैसे हुआ शिव का जन्म?
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Bhagwan Shiv ka janam kab hua tha | शिव का जन्म कब हुआ था?
इसपर वह बालक बोला कि उसका नाम ब्रह्मा नहीं है इसलिए वह रो रहा है। उस नन्हें मासूम बालक की बात को सुन ब्रह्मा ने उसे नाम दिया ‘रूद्र’। इस नाम का अर्थ था रोने वाला। परंतु बालक रूप में बैठे भगवान शिव तब भी चुप न हुए।
इस तरह बालक शिव को चुप कराने के लिए ब्रह्मा जी ने आठ नाम दिए थे। वे आठ नाम हैं – रूद्र, भाव, उग्र, भीम, शर्व, पशुपति, महादेव और ईशान। यही वजह है कि भगवान शिव इन सभी नामों से भी जाने जाते हैं।
शिव जी (Shiv Ji) के जन्म Bhagwan Shiv ki janam ki kahani के पीछे की इस पूरी कहानी की बात करें तो था कुछ इस प्रकार है। जब संपूर्ण ब्रह्मांड – धरती, आकाश और पाताल जलमग्न था, उस समय ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अलावा कोई भी अस्तित्व में नहीं था। उस दौरान केवल भगवान विष्णु ही थे जो जल में शेषनाग पर विश्राम करते हुए नजर आ रहे थे। तभी ब्रह्मा जी भगवान शिव की नाभि से प्रकट हुए और फिर भगवान शिव की उत्पत्ति (Bhagwan Shiv ki Utpatti) माथे के तेज से हुई।
Bholenath kaise prakat hue? | भोलेनाथ कैसे प्रकट हुए?
इसके बाद भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुए मधु कैटभ के वध के बाद जब ब्रह्मा जी ने संसार की रचना करना आरंभ किया तब उन्हें एक बच्चे की जरूरत पड़ी। इसी समय उन्हें भगवान शिव से मिला आशीर्वाद याद आया। आशीर्वाद को पाने के लिए उन्होंने तपस्या की और फिर एक बालक उनकी गोद में प्रकट हो गया।
Bhagwan Shiv ke asli pita kon hai? | भगवान शिव के असली पिता कौन है? | भगवान शिव के पिता कौन है?
शंकर भगवान के गुरु कौन थे? ( Shankar Bhaghwan ke guru kaun the? )
शिवपुराण की कथा | Bhagwan Shiv ki kahani | Shiv Puran ki Katha
इसके पीछे की वजह यह है कि उन शिवलिंग को कहीं से निर्मित नहीं किया गया है वे खुद ही नर्मदा नदी से निर्मित होकर निकले हैं। Narmadeshwar Ardhnarishwar Shivling स्वयंभू होने के कारण अपने साथ कई विषेशताओं को लिए हुए है। जिस घर में भी इस स्वयंभू शिवलिंग को पूजा जाता है वहां भगवान शिव का आशीर्वाद सदैव बना रहता है सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं।
Shivling ke piche ka sach kya hai? | शिवलिंग के पीछे का सच क्या है?
शून्य, आकाश, अनंत, ब्रह्माण्ड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से इसे ‘शिवलिंग’ कहा गया है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि आकाश स्वयंलिंग है। धरती उसकी पीठ या आधार है और सब अनंत शून्य से पैदा हो उसी में लय होने के कारण इसे शिवलिंग कहा गया है। शिव पुराण में शिव को संसार की उत्पत्ति का कारण और परब्रह्म कहा गया है।
Shiv se bada bhagwan kon hai? | शिव से बड़ा भगवान कौन है?
शैव मत के अनुयायी भगवान शिव को सर्वोपरि मानते हैं, तो वहीं वैष्णव मतावलम्बी श्री विष्णु को ही श्रेष्ठ मानते हैं। शैव मत के अनुयायी भगवान शिव को सर्वोपरि मानते हैं, तो वहीं वैष्णव मतावलम्बी श्री विष्णु को ही श्रेष्ठ मानते हैं। प्राचीन काल से ही इन दोनों मतों के अनुयायियों के बीच मतभेद रहे हैं। आज भी अनेक स्थानों पर यह विवाद देखने को मिलता है।
Bhagwan Shiv kiska dhyan karte hai? | Bholenath kiska dhyan karte hai? | भोलेनाथ किसका ध्यान करते हैं?
राम का ध्यान लगाते हैं नीलकंठ
शिव पुराण में भगवान शिव द्वारा श्रीराम का ध्यान लगाने की बात कही गई है. इसके बारे में एक कथा प्रचलित है कि एक बार माता पार्वती ने शिव के ध्यान से उठने के बाद शिव से पूछा कि आप तो स्वयं ही देवों के देव हैं, इसलिए तो आपको देवाधिदेव कहते हैं. फिर आप समाधि में किसका ध्यान करते हैं. तब शिव ने पार्वती से कहा कि वह जल्दी ही इसका जवाब माता पार्वती को देंगे. इसके बाद भगवान शिव कौशिक ऋषि के सपने में आए और ऋषि कौशिक को राम रक्षा स्त्रोत लिखने का आदेश दिया.
Shiv ji ka itihaas kya hai? | शिव का इतिहास क्या है?
शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है।
Shiv se pehle kon tha? | शिव से पहले कौन था?
इसके अनुसार जब धरती, आकाश, पाताल समेत पूरा ब्रह्माण्ड जलमग्न था तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) के सिवा कोई भी देव या प्राणी नहीं था। तब केवल विष्णु ही जल सतह पर अपने शेषनाग पर लेटे नजर आ रहे थे। तब उनकी नाभि से कमल नाल पर ब्रह्मा जी प्रकट हुए। ब्रह्मा-विष्णु जब सृष्टि के संबंध में बातें कर रहे थे तो शिव जी प्रकट हुए।
Shankar ji ki kitni baar shaadi hui hai? | शंकर जी की कितनी बार शादी हुई है?
शिवजी की कितनी पत्नियां हुईं
इनमें पहली देवी सती और दूसरी माता पार्वती. वहीं, अगर हिंदू पौराणिक कथाओं की मानें तो महादेव ने एक दो नहीं बल्कि चार विवाह किए थे. उनके सभी विवाह आदिशक्ति से ही हुए थे. भगवान शिव का पहला विवाह माता सती के साथ हुआ.
Shiv ji konse yug mai the? | शिव जी कौन से युग में थे? –भगवान शिव के सम्मुख त्रेता युग का आरम्भ होते ही ये किस का जन्म हुआ
Bhagwan Shiv ko kon hara sakta hai? | भगवान शिव को कौन हरा सकता है?
भगवान शिव के नेतृत्व में हुए युद्ध पारंपरिक युद्ध से परे थे, जिनमें आध्यात्मिक और दार्शनिक पहलू भी शामिल थे। चूंकि उसे ब्रह्मांडीय संतुलन का शाश्वत महत्व माना जा रहा है, इसलिए यह दृढ़ विश्वास है कि उसकी शक्ति का कोई प्रतिस्थापन नहीं है और कोई भी उसे पूरी तरह से हरा नहीं सकता है ।
भगवान शिव को अमर माना जाता है । हालाँकि, पवित्र शास्त्र साबित करते हैं कि भगवान शिव का जीवन काल सीमित है। यही स्थिति ब्रह्मा और विष्णु की भी है।
Bhagwan Shiv ki Mrityu kaise hui? | भगवान शिव की मृत्यु कैसे हुई
हिंदू धर्म में शिवजी को अमर (मृत्युरहित) माना जाता है और उनका जन्म और मृत्यु नहीं होता है। इसलिए, शिवजी की जन्म या मृत्यु की बात नहीं की जाती है।
1 Comment
nice super hame aisi aur jankari bheja jaye