महाकाल कवच क्या है? | What is Mahakal Kavach?
Mahakal kavach की महिमा अपरंपार है, इसकी महिमा के जैसा दूसरा कोई कवच नहीं है। इसे अमोघ शिव कवच भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे समस्त प्रकार के कष्टों का निपटान हो जाता है । जिनमें शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और सामाजिक सभी कष्ट शामिल है। कवच का वास्तविक अर्थ ही है रक्षा करना। प्राचीन या पौराणिक समय में जब कोई क्षत्रिय युद्ध आरंभ करता है तो वह सर्वप्रथम किसी लौह कवच को अपने शरीर पर धारण करता है जिससे वह शत्रु के वार से सुरक्षा प्राप्त कर सके। इसी तरह जब किसी व्यक्ति को दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से मुक्ति चाहिए होती है तो वह अमोघ शिव कवच का प्रयोग रक्षा के लिए करता है।
यह कवच त्रिशूल, डमरू, और रुद्राक्ष से मिलकर बना है. शोध के बाद इसका निर्माण किया गया है.
महाकाल कवच को धार्मिक कवच माना जाता है. इसे पहनने से महादेव शिव की कृपा मिलती है और सुरक्षा और सुख-शांति मिलती है.
महाकाल कवच के फायदे | Benefits of Mahakal Kavach in hindi | Shiv kavach in Hindi
महाकाल कवच को ही अमोघ शिव कवच के नाम से जाना जाता है। आइये जानते हैं Amogh Shiv Kavach Benefits :
1. Amogh Shiv Kavach का पाठ करने वाले व्यक्ति को अकाल मृत्यु जैसा भय कभी नहीं रहता।
2. Aamogh Shiv Kavach ke labh है कि व्यक्ति को बिमारी और विपत्ति का सामना नहीं करना पड़ता। वह सभी चिंताओं से मुक्त हो जाता है।
3. Shiv kavach पाठ करने वाले व्यक्तियों के आभामंडल में एक सुरक्षा घेरा सा बना रहता है । वह सभी बुराइयों से कोसों दूर रहता है।
4. साधक ही नहीं साधक के परिवारजनों को भी हर प्रकार से सुरक्षा प्रदान करना Shiva kavacham benefits में से एक है।
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महाकाल कवच क्यों धारण करें? | Why to wear Mahakal kavach?
1. चिंताओं से मुक्ति और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहने के लिए siva kavacham का प्रयोग कर सकते हैं।
2. शक्तिशाली अमोघ शिव कवच व्यक्ति को एक आरोग्य जीवन प्रदान करेगा।
3. अकाल मृत्यु और अन्य प्रकार के भय से हमारी रक्षा करेगा।
महाकाल कवच पूजा विधि | Mahakal Kavach Worship Method | shiv kavach ke fayde | शिव कवच पाठ
1. भगवान शिव की आराधना करते समय हमेशा आचमन कर पवित्री धारण करें।
2. अपने ऊपर और पूजा सामग्री के ऊपर गंगाजल छिड़कें और संकल्प लेकर महाकाल का ध्यान करें।
3. दिए गए सर्व शक्तिशाली शिव मंत्र का उच्चारण करने के पश्चात शिव जी के समक्ष नैवैद्य और पुष्पादि अर्पित करें।
महाकाल कवच का मंत्र :
ऊॅ हौं जूं सः। ऊॅ भूः भुवः स्वः ऊॅ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
4. शिवअमोघकवचम का पाठ करें और कवच/ कवच रूपी लॉकेट/ या पेंडंट को धारण करें।
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आखिर भगवान शिव के Shri Mahakal | रूप की उत्पत्ति कैसे हुई? | How Mahakal was born?
भगवान शिव के अनेकों नाम है जैसे Rudra, Mahakal आदि। जिनके पीछे कोई न कोई पौराणिक रहस्य जुड़ा है। आज हम आपको महाकाल की कहानी के बारे में बताएंगे। महाकाल का संबंध उज्जैन से है जिसे पहले अवंतिकापुरी के नाम से जाना जाता था।
इसी अवंतिकापुरी में एक परम शिवभक्त ब्राह्मण रहा करता था । जिसे एक दुषण नामक राक्षस ने परेशान कर रखा था। दरअसल राक्षस को ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त था जिसके कारण वह अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर उत्पात मचाये रहता था।
जब राक्षस के तंग किये जाने के कारण परम शिवभक्त तकलीफों में रहने लगा तो Mahakal को बहुत क्रोध आया और उन्होंने श्री महाकाल रूप को धारण कर राक्षस का वध कर दिया। इसी घटना के बाद से भगवान को कालों के काल महाकाल (kalo ke kal mahakal) नाम से जाना जानें लगा। जो भी साधक पूरी श्रद्धा से महादेव की पूजा-अर्चना करते हैं उन्हें महाकाल का चमत्कार अवश्य ही दिखाई देता है।
Mahakal Mantra | महाकाल कवच का मंत्र
जाप के लिए महाकाल मंत्र :
ऊॅ हौं जूं सः। ऊॅ भूः भुवः स्वः ऊॅ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
Mahakal Stotra
Shiv kavach | शिव रक्षा स्तोत्र | शिव कवच के लाभ | महाशक्तिशाली शिव कवच | अमोघ शिव कवच प्रयोग | अमोघ शिव कवच के लाभ
महाकाल श्लोक | Mahakal Shlok | अमोघ महाकाल कवच
Mahakal Chalisa:
12 Jyotirlinga Names
सोमनाथ
मल्लिकार्जुन
महाकालेश्वर
ॐकारेश्वर
वैद्यनाथ
भीमाशंकर
रामेश्वर
नागेश्वर
रामेश्वर
घृष्णेश्वर
Name of Char Dham :
यमुनोत्री धाम
गंगोत्री धाम
केदारनाथ धाम
बद्रीनाथ धाम
Why is the Mahakaleshwar Shiva temple famous?
मध्य प्रदेश के Ujjain Mahakal का सर्वप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है जिसके कारण इसका महत्व अत्यधिक है। बताते चलें कि कई हिन्दू धार्मिक ग्रथों और महाकवियों की रचनाओं जैसे रामायण, महाभारत आदि में इस मंदिर का उल्लेख मिलता है। ऐसी मान्यता है कि जिस किसी ने भी इस भव्य मंदिर के दर्शन कर लिए उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
When should the prayer of Lord Shiva be in the morning or in the evening?
पूजा करने के लिए सुबह और शाम दोनों ही समय अनुकूल है। ऐसा कहीं उल्लेख नहीं मिलता है कि शिव आराधना केवल सुबह या केवल शाम को ही होनी चाहिए।
What are the benefits of reciting Shiva suvarnamala Stuti?
1. आदि शंकराचार्य ने भगवान शिव की सुवर्णमाला स्तुति की 50 छंदों में रचना की है। इन छंदों के माध्यम से भगवान शिव के समक्ष अपनी सभी चिंताओं का समर्पण किया जाता है।
2. स्तुति करने से व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
3. मन-मस्तिष्क को शांत करने के लिए यह स्तुति का पाठ करना चाहिए।
4. दुष्ट शक्तियों से हमारी रक्षा करता है।
Which instrument is not used during the aarti of Lord Shiva?
भगवान शिव की पूजा के समय कई विशेष बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है जैसे पूजा के दौरान तुलसी के पत्तों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। साथ ही ध्यान रखने योग्य बात यह है कि करतल भी नहीं बजाय जाना चाहिए क्योंकि इससे उत्पन्न होने वाली ध्वनि से पूजा में अड़चन होगी।