आज हम आपको दिल्ली के हिमांशु के साथ हुआ एक चमत्कारी किस्सा को साझा करना चाहते है। जिसे सुनकर आपमें भी भगवान को लेकर आस्था बढ़ जाएगी। यह कहानी एकदम सच्ची है, लेकिन यह घटना उत्तराखंड के एक छोटे से गांव में घटित हुई है। तो चलिए जानते है कि, आखिर उस दिन ऐसा क्या हुआ, जिसका जिक्र आज भी लोग करते रहते हैं।
दरअसल, हिमांशु के कुछ दोस्तों ने उत्तराखंड में 2-3 दिन की छुट्टियां मनाने का प्रोग्राम बनाया। सारे दोस्त एकसाथ कार में उत्तराखंड की छुट्टियां मनाने के लिए निकल पड़े। मौज-मस्ती करते हुए हिमांशु अपने दोस्तों के साथ जैसे ही उत्तराखंड के एक घने जंगल में पहुंचा तो उसने देखा कि, सामने से खून मेें लथपथ शेर गुस्से में आ रहा है। यह देखकर हिमांशु ने कार का ब्रेक लगाया। कार की आवाज़ सुनकर शेर उनकी कार पर आकर बैठ गया और बोनट के शीशे पंजे मारने लगा। यह सब देखकर उसके साथी घबराने लगे, लेकिन सभी ने सलाह बनाई की कार से कोई बाहर नहीं निकलेगा जब तक शेर चला नहीं जाता। वहीं, अगर कार को बैक करने की सोचें तो जगह ना होने की वजह से हम कार बैक नहीं कर पा रहे थे। वह शेर काफी समय तक हमारी कार के साथ अजीब-अजीब सी हरकतें कर रहा था। यह देखकर हम सभी काफी डर गये थे। मैंने फिर से दोस्तों को कहा कि हनुमानजी का नाम दिल से लो। मैंने भी चालीसा पढ़नी शुरू कर दी। हम सभी मिलकर हनुमान जी को याद कर रहे थे।
इतने में से ही जंगल की दूसरी तरफ से एक साधु आया। जिसको देखकर हमारी भावना बदल सी गई। उसके चेहरे का तेज़ देखकर हम हैरान हो गए। वह साधारण साधु नहीं बल्कि दिव्य साधु ज्यादा लग रहा था। उस साधु ने जैसे ही शेर की तरफ देखा तो वह शेर बोनट से उतरा और जंगल की तरफ भाग गया। मानो जैसे कि, शेर का सारा गुस्सा उस साधु को देखकर खत्म हो गया हो। जैसे ही हम कार से उतरने लगे इतने में तो वह साधु जंगल की ओर अपने रास्ते चला गया। हम उसका धन्यवाद भी नहीं कर पाए। यह सब देखकर हमारी आगे जाने की हिम्मत नहीं हुई और हम वापिस दिल्ली की ओर चले गये। इसी बीच हमारी काम में उसी मामले को लेकर काफी बातचीत हुई फिर सभी मेरे घर एक रात दिल्ली में रूके। फिर हम सभी दोस्तों ने हिमांशु के घरवालों से इस बारे में बातचीत करने का निर्णय लिया।
हमने सारी बात हिमांशु के दादा जी को बताई तो उन्होंने कहा कि, तुम लोगों को हनुमानजी ने खुद आकर बचाया है। तुम नसीब वाले हो कि, तुम्हें हनुमानजी ने साक्षात दर्शन दिये। हिमांशु के दोस्तों ने बताया कि, अगर वह साधु वहां नहीं आता तो हम जरूर उस शेर का शिकार हो जाते। वह एक चोटिल शेर था। जो अपना बदला लोगों से लेने के लिए वहां घूम रहा था। आगे जाने कि हमारी हिम्मत नहीं हुई। इसलिए हम वापिस घर की ओर चले आए। दादा जी ने कहा कि, यह सब एक संजोग है जिसके बहाने तुम्हें हनुमान जी ने बचा लिया। आगे से किसी भी तरह की मुसीबत होने पर तुम लोग हनुमानजी का स्मरण करना। जब से ही हिमांशु के सभी दोस्त हनुमान जी को दिल से मानने लगे और रोज़ाना उनकी पूजा अर्चना करने लगे। उनका मानना है कि, आज हनुमानजी की वजह से ही हम जिंदा बच गये।