कैला देवी मंदिर का इतिहास ( Kaila Devi Mandir ka Itihaas )
कैला देवी करौली ( Kailadevi Karauli ) में स्थित है कैला देवी को काली माता भी कहा जाता है। कैला देवी मंदिर के इतिहास में कई कहानियाँ संजीवनी हैं। लोगों के अनुसार, राजा भोमपाल ने 1600 ई. में इसका निर्माण करवाया था। प्राचीन काल में, त्रिकूट पर्वत के आसपास का क्षेत्र घने वन से घिरा हुआ था। इस क्षेत्र में नरकासुर नामक राक्षस ने अत्याचार किया था और लोगों को परेशान किया था। लोगों ने माँ दुर्गा को बुलाया और उन्हें रक्षा के लिए गुहार लगाई। माँ कैला देवी ने नरकासुर का वध कर मानवों को मुक्त किया। इससे लोग उन्हें माँ दुर्गा के अवतार मानकर पूजते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, सती के अंग जहां-जहां गिरे, वहां शक्तिपीठ उत्पन्न हुआ। कैला देवी का मंदिर भी एक शक्तिपीठ है।
प्राचीनकाल में, कालीसिन्ध नदी के तट पर बाबा केदागिरी तपस्या किए करते थे। उनके तप के परिणामस्वरूप, माँ कैला देवी ने इस क्षेत्र में अपना आवतार दिखाया और दानव का वध किया। उस दानव के पायों के निशान आज भी देखे जा सकते हैं। इस स्थान को आज भी दानवदह का नाम दिया जाता है।
कैला देवी मंदिर ( Kaila Devi Mandir ) सफ़ेद संगमरमर और लाल पत्थरों से निर्मित है। यहाँ की सुंदरता और आकर्षण को देखकर हर कोई चमत्कारित हो जाता है।
कैलादेवी मेला ( Kaila Devi Mela )
करौली जिले में स्थित कैला देवी का मंदिर पर्वतों के बीच स्थित है और यहाँ बहुत प्रसिद्ध है। चैत्र मास को देवी पूजा का महीना माना जाता है, लेकिन माँ कैला देवी का मंदिर अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ के मेले का नाम राजस्थान के साथ-साथ पूरे भारत में उच्च है। देवी के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से चैत्र मास में आते हैं। Kaila Devi Mandir में भक्तों की भीड़ और मेले का विशेष नजारा चैत्र मास में अद्भुत होता है। इस महीने में शक्तिपूजा का विशेष महत्व है।
कैला देवी मंदिर राजस्थान के करौली नगर में स्थित है और प्रतिवर्ष मार्च-अप्रैल महीने में एक बड़ा मेला आयोजित होता है। मंदिर में माँ कैला (दुर्गा देवी) और चामुण्डा देवी की प्रतिमाएँ हैं। इस मंदिर में क्षेत्रीय लांगूरिया के गीत विशेष रूप से गाए जाते हैं जो कैला देवी की भक्ति को उत्कृष्टता से प्रकट करते हैं।
कैला देवी मंदिर का मेला ( Kaila Devi Mela ) हर साल बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यह मंदिर राजस्थान के करौली जिले के कालीसील नदी के तट पर स्थित है। मंदिर का आधिकारिक नाम लाहुरा है। करौली राज्य के पूर्व रियासत शासकों का मानना था कि कैला देवी उनके राज्य की सुरक्षा में सहायक हैं।
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कैसे पहुंचे कैलादेवी करौली मंदिर ( Kiase puchche Kailadevi Karauli Mandir )
करौली जिले का यह कस्बा पूर्ण रूप से सड़क परिवहन से जुड़ा हुआ है। जयपुर-आगरा नेशनल हाइवे पर स्थित महुआ कस्बे से यहाँ की दूरी लगभग 95 किलोमीटर है। महुआ से कैला देवी ( Kaila Devi ) के लिए राज्य राजमार्ग 22 सीधा जाता है। राजस्थान रोडवेज या निजी टैक्सी वाहन के जरिए इस मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।
अगर रेलमार्ग की बात करें, तो वेस्टर्न रेलवे जोन के दिल्ली-मुंबई रेलवे लाइन पर सवाईमाधोपुर की हिंडोन शहर से यहाँ 55 किलोमीटर और गंगापुर शहर से 48 किलोमीटर की दूरी पर है।
दूर स्थानीय या विदेशी यात्री कैलादेवी तक पहुंचने के लिए हवाई मार्ग भी चुन सकते हैं। नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर में है। कैलादेवी जयपुर से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर है, जो बस के द्वारा पूरी की जा सकती है।
कैला देवी मां की पूजा विधि ( Kailadevi Maa ki Pooja Vidhi )
कैला देवी मेले ( Kaila Devi Mela ) के दौरान 2 लाख से अधिक तीर्थयात्री इस स्थान पर आते हैं। यहां भक्तों के लिए 24 घंटे भंडार और आराम की व्यवस्था होती है। हालांकि, कुछ भक्त ऐसे भी होते हैं जो बिना कुछ खाय-पिए, बिना आराम किए इस कठोर यात्रा को पूरा करते हैं।
मीना समुदाय के लोग आदिवासियों के साथ मिलकर नाचते-गाते इस यात्रा को पूरा करते हैं। भक्त नकद, नारियल, काजल, टिककी, मिठाई और चूड़ियां देवी को प्रदान करते हैं। यह सभी सामग्री भक्त अपने साथ लेकर आते हैं।
मंदिर में सुबह-शाम आरती और भजन होते हैं। कहा जाता है कि माता को प्रसन्न करने का एक ही तरीका है – लांगूरिया भजन को गाना। भक्त माता की भक्ति में लीन होकर नाचते-गाते हुए उनका आशीर्वाद ग्रहण करते हैं।
कैला देवी मन्दिर में दर्शन का समय ( Kailadevi Mandir mein Darshan ka samay )
अगर आप कैला देवी मंदिर ( Kaila Devi Temple ) जाने का प्रोग्राम बना रहे हैं, तो सबसे पहले आपको यह जान लेना चाहिए कि मंदिर का दर्शन का समय क्या है। पुजारी द्वारा हर सुबह लगभग 4:00 बजे के आसपास मंदिर के द्वार खोल दिया जाता है, ताकि भक्त लोग माता कैला देवी के दर्शन कर सकें।
Kaila Devi Temple सुबह 4:00 बजे से लेकर रात के 9:00 बजे तक खुला रहता है। लेकिन उन श्रद्धालुओं को जो दूर से आते हैं और माता जी के दर्शन करने के लिए यहां पहुँचते हैं, उन्हें सुबह 4:00 बजे से लेकर 6:00 बजे तक ही दर्शन कर लेना चाहिए। इससे वे अगर उसी दिन वापस जाना चाहते हैं, तो वापसी के लिए समय होगा।
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कैला देवी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है? ( Kailadevi Mandir kyu prasid hain )
क्या कैलादेवी एक शक्तिपीठ है? ( Kya Kailadevi Karauli ek Shaktipeeth hain )
कैला देवी मंदिर कौन से जिले में? ( Kailadevi Mandir kaunse jile mein hain )
कैला देवी किसकी बहन थी? ( Kailadevi kiske bahan the )
कैला देवी के पीछे की कहानी क्या है? ( Kailadevi Ke pehche ki kahani kya hain )
कैला देवी मंदिर किसने बनवाया था? ( Kailadevi Mandir kisane banvaya tha )
कैला देवी के पट कितने बजे बंद होते हैं? ( Kailadevi Mandir Timings )
Kaila Mata ki Photo –
कैला देवी का मंदिर कौन सी नदी के किनारे हैं? ( Kailadevi Ka Mandir kaunse nadi ke kinaare hain )
कैलादेवी में कितनी भीड़ है? ( Kailadevi Karauli Mein kitne bheed hain )
कैला देवी का मेला वर्ष में कितनी बार आयोजित होता है? ( Kailadevi ka Mela varsh mein kitane baar lagata hain )
कैला देवी की भक्ति में गाए जाने वाले गीत को क्या कहते हैं? ( Kailadevi ki bhakti mein gae jaane vaale geet ko kya kahate hain )
कैला देवी किसकी पुत्री है? ( Kailadevi kiske putree hain )
करौली से कैला देवी मंदिर कितनी दूर है? ( Kailadevi Karauli se kitane durr hain )
करौली से कैला देवी मंदिर 25 km दूर है |