Narasimha Avtar story in hindi | Narsingh Avtar Katha | Narsimha Avtar kon hai
Story Of Narsimha Avtar – नृसिंह, न पूरी तरह से मानव थे और न ही पशु। हिरण्यकश्यप का वध करते समय उन्होंने नृसिंह ने उसे अपनी जांघ पर लिटाया था, इसलिए वह न धरती पर था और न आकाश में था। उन्होंने अपने नाखून से उसका वध किया, इस तरह उन्होंने न तो अस्त्र का प्रयोग और न ही शस्त्र का। इसी दिन को नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है।
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नृसिंह, न पूरी तरह से मानव थे और न ही पशु। हिरण्यकश्यप का वध करते समय उन्होंने नृसिंह ने उसे अपनी जांघ पर लिटाया था, इसलिए वह न धरती पर था और न आकाश में था। उन्होंने अपने नाखून से उसका वध किया, इस तरह उन्होंने न तो अस्त्र का प्रयोग और न ही शस्त्र का। इसी दिन को नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है।
ये भगवान विष्णु के रौद्र रूप का अवतार है। भगवान विष्णु अपने भक्त प्रहलाद को दैत्य हिरण्यकश्यप से बचाने के लिए इस रूप में प्रकट हुए। ये अवतार प्रदोष काल में हुआ था, इसलिए शाम को भगवान नरसिंह की विशेष पूजा होती है। इस बार सिद्धि योग बनने से ये पर्व और खास रहेगा।
नरसिंह अवतार कहां हुआ था | Narsingh Avtar kaha hua tha
पूर्णिया जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर बनमनखी प्रखंड के धरहरा सिकलीगढ का काफी पुराना इतिहास है। सिकलीगढ में प्रह्लाद और नरसिंह भगवान का मंदिर है। पौराणिक मान्यता के अनुसार यहीं पर भगवान विष्णु नरसिंह अवतार के रूप में प्रकट हुए थे।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, बिहार के पूर्णिया ज़िले के बनमनखी में सिकलीगढ़ धरहरा गांव में भगवान नरसिंह अवतरित हुए थे। मान्यता है कि हिरण्यकश्यप के किले में भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए एक खंभे से भगवान नरसिंह का अवतार हुआ था। यह खंभा आज भी वहां मौजूद है, जिसे माणिक्य स्तंभ कहा जाता है।
मान्यता है कि यहीं से होलिका दहन की परंपरा की शुरुआत हुई थी। ऐसी मान्यता है कि प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप का किला सिकलीगढ़ में था। भगवान नरसिंह, श्रीहरि विष्णु के उग्र और शक्तिशाली अवतार माने जाते हैं। इनकी उपासना करने से हर प्रकार के संकट और दुर्घटना से रक्षा होती है।
नरसिंह अवतार सतयुग के चौथे चरण में हुआ था। ये भगवान विष्णु के रौद्र रूप का अवतार है। भगवान विष्णु अपने भक्त प्रहलाद को दैत्य हिरण्यकश्यप से बचाने के लिए इस रूप में प्रकट हुए। ये अवतार प्रदोष काल में हुआ था, इसलिए शाम को भगवान नरसिंह की विशेष पूजा होती है।
भगवान नरसिंह का अंत कैसे हुआ? | Narsingh avtar ka ant kaise hua
नरसिंह का अंत करने को शिव ने लिया अवतार – तभी सब देवतागण भगवान शिव की शरण में पहुंचे और नरसिंह के क्रोध को शांत करने की बात कहने लगे। नरसिंह के क्रोध को शांत करने के लिए शिव को भगवान सरबेश्वर का अवतार लेना पड़ा। दोनों के बीच 18 दिन तक युद्ध चला और फिर 18वें दिन नरसिंह भगवान ने थककर स्वयं ही प्राण त्याग दिए।
नरसिंह अवतार कौन से युग में हुआ था? | Narsingh Avtar konse yug me hua tha
नृसिंह अवतार सतयुग के चौथे चरण में हुआ था। ये भगवान विष्णु के रौद्र रूप का अवतार है। भगवान विष्णु अपने भक्त प्रहलाद को दैत्य हिरण्यकश्यप से बचाने के लिए इस रूप में प्रकट हुए।
नरसिंह भगवान की पत्नी का नाम क्या है? | Narsimha Avtar Wife | Narsimha avtar ki patni kon hai
उनकी पत्नी का नाम दिति था। उनके दो पुत्र हुए, जिनमें से एक का नाम हरिण्याक्ष और दूसरे का हिरण्यकशिपु था। हरिण्याक्ष को भगवान श्री विष्णु ने पृथ्वी की रक्षा के लिए वराह रूप धारण कर मार दिया था। अपने भाई कि मृत्यु से दुखी और क्रोधित हिरण्यकशिपु ने भाई की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए अजय होने का संकल्प किया।
नरसिंह भगवान का कौन सा दिन होता है? | Narsingh Jayanti 2024 Date
आइए जानते हैं इस दिन के उपाय और पूजा सामग्री Narsingh Jayanti 2024: 21 मई 2024 को नरसिंह जयंती मनाई जाएगी। पुराणों के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर धर्म की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह के रूप में अवतार लिया था और हिरण्यकश्यप का वध किया था।
भगवान शिव ने नरसिंह को क्यों हराया था? | Bhagwan Shiv ne Narsingh ko kyu haraya tha
कुछ कथाओं के मुताबिक, भगवान शिव ने नरसिंह को शांत किया था। नरसिंह के क्रोध से दुनिया भयभीत हो गई थी। देवताओं के आदेश पर शिव ने नरसिंह से निपटने के लिए वीरभद्र को भेजा. जब वह विफल हो गया, तो शिव शरभ के रूप में प्रकट हुए। शरभ के सामने नरसिंह रूप की शक्तियां खत्म हो गईं। नरसिंह भगवान ने समर्पण कर स्वयं को शांत किया और भगवान विष्णु में विलीन हो गए।
इस तरह भगवान नरसिंह का क्रोध शांत हुआ और शिवजी के शरभ अवतार द्वारा सम्पूर्ण सृष्टि को नरसिंह भगवान के क्रोध से बचाया गया। शिव पुराण में उल्लेख है कि हिरण्यकशिपु का वध करने के बाद, नरसिंह के क्रोध से दुनिया भयभीत हो गई। शिव पुराण और कुछ पुराणों में शरभ द्वारा नरसिंह पर हमला करने और उसे स्थिर करने का उल्लेख है। कुछ लोगों का मानना है कि भगवान शिव ने नरसिंह का वध नहीं किया था, केवल उनको शांत किया था। भगवान शिव और भगवान विष्णु एक दूसरे के भक्त हैं और मित्र हैं।
नरसिम्हा अवतार को किसने मारा? | Narsimha Avtar ko kisne mara tha | Narsimha avtar Death | भगवान नरसिंह की मृत्यु कैसे हुई?
उसने और उसके तीन सूअर पुत्रों ने तब दुनिया में तबाही मचा दी, जिसके कारण वराह रूप को मारने के लिए शिव को शरभ का रूप लेना पड़ा। यहाँ, नरसिम्हा वराह की सहायता करते प्रतीत होते हैं। शरभ ने पहले नरसिम्हा को मार डाला और फिर वराह को मार डाला , जिससे विष्णु को अपने दोनों रूपों की ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने की अनुमति मिली।
तभी सब देवतागण भगवान शिव की शरण में पहुंचे और नरसिंह के क्रोध को शांत करने की बात कहने लगे। नरसिंह के क्रोध को शांत करने के लिए शिव को भगवान सरबेश्वर का अवतार लेना पड़ा। दोनों के बीच 18 दिन तक युद्ध चला और फिर 18वें दिन नरसिंह भगवान ने थककर स्वयं ही प्राण त्याग दिए।
नरसिंह कैसे शांत हुए? | Narsingh kaise shaant hue
काफी देर तक भगवान शंकर ने भगवान नरसिंह को वैसे ही अपने पूंछ में जकड़कर रखा। अपनी सारी शक्तियों और प्रयासों के बाद भी भगवान नरसिंह उनकी पकड़ से छूटने में सफल नहीं हो पाए। अंत में शक्तिहीन होकर उन्होंने ऋषभ रूप में भगवान शंकर को पहचाना और तब उनका क्रोध शांत हुआ।